UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
मैक्लोडगंज की वादियों में
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आज का प्लान हमारा मैक्लोडगंज जाने का था, कुमार इसके लिए पूर्णत: तैयार था, मैं, कल्पना और कुमार अपने परिवार सहित मैक्लोडगंज के लिए निकल लिए और साथ ही बुआजी, गौरव और रितु मामी जी भी हमारे साथ थे। हम काँगड़ा के बसस्टैंड पहुंचे, यहाँ एक बस धर्मशाला जाने के लिए तैयार खड़ी हुई थी, बस खाली पड़ी थी तो हम इसी में सवार हो लिए।
कुछ ही समय बाद हम धर्मशाला में थे, यहाँ बने एक रेस्टोरेंट में भोजन करने के बाद हम धर्मशाला के बस स्टैंड की तरफ रवाना हुए, मुख्य सड़क से बस स्टैंड काफी नीचे बना हुआ है, सीढ़ियों के रास्ते हम बस स्टैंड पहुंचे, एक मार्कोपोलो मिनी बस मैक्लोडगंज जाने को तैयार खड़ी थी। टेड़े मेढे रास्तों से होकर हम कांगड़ा घाटी में बहुत ऊपर तक आ चुके थे, यहाँ का मौसम काँगड़ा के मौसम की तुलना में बहुत अलग था, चारोंतरफ चीड़ के वृक्ष और सुहावना मौसम मन को मोह लेने वाला था।
मैं और कुमार पहले भी यहाँ आ चुके थे बाकी सभी पहली बार ही आये थे इसलिए यह जगह उनके लिए काफी दिलचस्प थी। हमने यहाँ के टूरिस्ट आकर्षणों को देखने के लिए दो टैक्सियां बुक की जिनका किराया 700 /- रुपये प्रति टैक्सी था। सबसे पहले हम यहाँ स्थित एक चर्च पहुंचे, इस चर्च के बारे में ज्यादा तो नहीं जानता बस इतना पता है की यह बहुत पुरानी है और यहाँ पुरातत्व विभाग के बोर्ड भी लगे हुए थे। यहाँ मौसम एक दम से बदल गया और बारिश शुरू हो गई, चर्च देखकर हम वापस अपनी टैक्सी में आ गए और अगले गंतव्य की ओर रवाना हो गए।
अब हम नड्डी व्यू पॉइंट की तरफ पहुंचे, यहाँ से धौलाधार के पर्वत काफी साफ़ और नजदीक दिखाई देते हैं। काफी देर फोटोग्राफी करने के बाद हम अगले गंतव्य की तरफ बढ़ चले इस गंतव्य का नाम डल झील था, हिमाचल प्रदेश की डल झील सचमुच एक सुन्दर झील है। यहाँ एक महादेव का मंदिर है, हम सभी ने इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन किये और इनके दर्शन करने के बाद सामने बने चिंतपूर्णी देवी के दर्शन करने कल्पना चली गई और मंदिर में थोड़ी झाड़ू लगाने के बाद वापस आ गई।
अब हम भागसूनाग के मंदिर की तरफ बढ़ चले थे, यहाँ एक शानदार स्विंमिंगपूल बना हुआ था परन्तु हम इसमें नहीं नहा सके थे, मैं यहाँ एक दूकान पर जाकर सेविंग भी बनवा आया था। भागसूनाथ से लौटने के बाद हमारा टैक्सी वाला हमें आगे ले जाने के लिए मना कर चुका था क्योंकि उसका घुमाने का समय पूरा हो चुका था, आखिर में केवल दलाई लामा का मंदिर ही बचा था जिसे हम नहीं देख पाए क्योंकि शाम हो चुकी थी और हमें सही समय से काँगड़ा भी पहुंचना था।
हम एक बस द्वारा धर्मशाला तक तो पहुँच गए परन्तु यहाँ से अब कोई बस काँगड़ा जाने वाली नहीं दिख रही थी। बहुत देर बाद अचानक मेरी नजर एक हिमाचल की रोडवेज बस पर पड़ी यह रिकांगपिओ जा रही थी, इसी बस के जरिये हम काँगड़ा तक वापस आये। वापस आकर मैं सीधे मंदिर में पहुंचा, यहाँ अभी लंगर चल ही रहा था, सही वक़्त पर पहुंचकर हमने दुसरे दिन भी माता का प्रसाद भरपेट ग्रहण किया।
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धर्मशाला में बस स्टैंड की तरफ जाते हुए |
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मैक्लोडगंज में एक चर्च |
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चर्च के अंदर का दृश्य |
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चर्च से लौटने का रास्ता |
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मैक्लोडगंज में मेरे सहयात्री, कल्पना, गौरव, रितु मामी और कमलेश बुआ जी |
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मैक्लोडगंज में आज का मौसम |
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योग ध्यान हेतु एक कैंप |
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धौलाधार पर्वत माला |
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कल्पना |
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मैं और मेरी पत्नी कल्पना |
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मेरा मित्र कुमार और उसकी पत्नी हिना |
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बौद्ध गुरुओं के साथ एक फोटो |
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हिना भाभी जी एक अलग अंदाज में |
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हिमाचल प्रदेश की डल झील |
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डल झील के किनारे चीड़ के वन |
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चीड़ का जंगल |
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चिंतपूर्णी मंदिर के लिए रास्ता |
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भागसूनाथ की तरफ |
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जय भागसूनाथ महादेव |
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भागसूनाथ और तरणताल का दृश्य |
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मैक्लोडगंज - हिमाचल प्रदेश |
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मैक्लोडगंज टैक्सी स्टैंड और बस स्टैंड |
अगली यात्रा -
माँ चामुंडा के दरबार में वर्ष 2018
इस यात्रा के अन्य भाग :- THANKYOU FOR VISIT
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