Saturday, April 28, 2018

Jwalamukhi Road Railway Station


चामुंडा मार्ग से ज्वालामुखी रोड रेल यात्रा 



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      काँगड़ा वैली रेल यात्रा में जितने भी रेलवे स्टेशन हैं सभी अत्यंत ही खूबसूरत और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर हैं। परन्तु इन सभी चामुंडा मार्ग एक ऐसा स्टेशन है जो मुझे हमेशा से  ही प्रिय रहा है, मैं इस स्टेशन को सबसे अलग हटकर मानता हूँ, इसका कारण है इसकी प्राकृतिक सुंदरता।  स्टेशन पर रेलवे लाइन घुमावदार है, केवल एक ही छोटी सी रेलवे लाइन है।  स्टेशन के ठीक सामने हरियाली से भरपूर पहाड़ है और उसके नीचे कल कल बहती हुई नदी मन को मोह लेती है।

 स्टेशन के ठीक पीछे धौलाधार के बर्फीले पहाड़ देखने में अत्यंत ही खूबसूरत लगते हैं। सड़क से स्टेशन का मार्ग भी काफी शानदार है।  यहाँ आम और लीची के वृक्ष अत्यधिक मात्रा में हैं। यहाँ के प्रत्येक घर में गुलाब के फूलों की फुलवारी लगी हुई हैं जिनकी महक से यह रास्ता और भी ज्यादा खुसबूदार रहता है। स्टेशन पर एक चाय की दुकान भी बनी हुई है परन्तु मैं यहाँ कभी चाय नहीं पीता। 


        आज मौसम काफी सुहावना था, थोड़ो देर पहले ही बहुत जोरदार बारिश हुई थी और अब भी आसमान में काली घटायें छाई हुई हैं, बादल धौलाधार के पहाड़ों के साथ लुकाछिपी करते नजर आ रहे थे। गर्मी के इस मौसम में भी यहाँ हमें ठण्ड सी लग रही थी।  ट्रेन आने में अभी वक़्त है, चाय वाले भैया की दुकान पर काफी भीड़ हो रखी है, लोग इस ठण्ड को महसूस करते हुए चाय की चुस्कियां ले रहे हैं। मैंने इस स्टेशन के साथ सभी के फोटो भी खींचना आरम्भ किया ही था कि अचानक ट्रेन का हॉर्न सा सुनाई दिया। स्टेशन मास्टर ने भी स्टेशन पर लगी घंटी बजा दी, पता चला पहले बैजनाथ की ओर से आने वाली ट्रेन आ रही है। यहाँ प्रत्येक ट्रेन का स्टॉप केवल एक मिनट का ही है, हम सभी लोग अलग अलग डिब्बों में सवार हो गए। 

      बादल हो जाने की वजह से आज काँगड़ा घाटी अत्यंत ही खूबसूरत लग रही थी। चामुंडा मार्ग के बाद अगला स्टेशन नगरोटा आया। इस रेल लाइन का  यह मुख्य स्टेशन है, यहाँ इस ट्रेन के साथ पठानकोट से आने वाली ट्रेन का क्रॉस हुआ।  करीब एक घंटे रूकने के बाद ट्रेन यहाँ से चल दी।  धौलाधार के बर्फीले पहाड़ ट्रेन में से भी काफी दूर तक दिखाई देते हैं। 

सिमलौटी के बाद काँगड़ा मंदिर, काँगड़ा, कोपर लाहड़ और ज्वालामुखी रोड स्टेशन हैं। ज्वालामुखी स्टेशन से उतारकर ज्वालाजी के मंदिर जाया जाता है लगभग 25 किमी दूर हैं यहाँ से।  यहाँ पठानकोट से आने वाली दूसरी ट्रेन हमें खड़ी हुई मिली। शाम के पांच बज चुके थे स्टेशन पर उतरते ही जोरदार बारिश शुरू हो गई और काफी देर तक बरसती रही। मैं ऐसी बरसात में भी अपनी फोटोग्राफी करता ही रहा। जानवरों के फोटो खींचना मुझे अच्छा लगता है। 

       स्टेशन पर बरसात के रूकने का इंतज़ार करती कुछ बकरियों के फोटो भी मैंने लिए। यहाँ आकर सर्दी का सा एहसास मुझे और मेरे सहयात्रियों को होने लगा इसलिए चादर निकाली और ओढ़ ली।  ये पला मौका था कि इस यात्रा में सर्दी की वजह से चादर ओढ़ने की आवश्यकता पड़ी।  बरसात बंद होने बाद सभी रानीताल स्थित ऊपर सड़क पर पहुँच गए।  माँ का पैदल वहां तक पहुँच पाना एक असंभव सी बात लग रही थी इसलिए मैंने एक टैक्सी की और ऊपर सड़क तक पहुंचे।  यहाँ से एक बस द्वारा हम ज्वालाजी के दर्शन को रवाना हो लिए। 
   


चामुंडा मार्ग स्टेशन के आसपास दर्शनीय स्थल 

चामुंडा मार्ग वर्ष 2018 

स्टेशन पर एक मात्र चाय की दुकान 

चामुंडा मार्ग स्टेशन 








































 धन्यवाद

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1 comment:

  1. वैसे तो इस पूरी रेल लाइन की बात ही अलग है...लेकिन आपकी नजर से चामुंडा रोड स्टेशन देख लार अच्छा लगा...

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