बहुलावन - ग्राम बाटी
ब्रज के बारह वनो में से एक बहुलावन ब्रज का चौथा वन है जहाँ बहुला बिहारी के साथ साथ बहुला गौ माता के दर्शन हैं। मथुरा से आठ किमी दूर स्थित ग्राम बाटी में स्थित ब्रज का पौराणिक स्थल बहुलावन अत्यंत ही प्राकृतिक और ब्रज की धार्मिक धरोहर के रूप में व्यवस्थित है। यहाँ भगवान् श्री कृष्ण ने बहुला गाय की बाघ से रक्षा की थी। इसकी कथा निम्नप्रकार है -
एक श्री कृष्ण भक्त ब्राह्मण के यहाँ बहुला नाम की एक गाय थी। एक दिन वन में चरते चरते वो गाय इस स्थान पर आ गई, इसी स्थान पर पहले से घात लगाए हुए एक बाघ बैठा था जिसने बहुला गाय पर हमला कर दिया। तब गाय ने बाघ से विनती की कि मेरा एक छोटा बछड़ा है, मैं केवल अंतिम बार उसे अपना दूध पिलाना चाहती हूँ। उसे दूध पिलाकर मैं वापस आ जाउंगी तब तुम मेरा भक्षण कर लेना। बाघ ने उसकी यह शर्त मान ली सुर गाय को जाने दिया और उसकी वापस आने की प्रतीक्षा करने लगा।
शर्तानुसार गाय अपने बछड़े के पास पहुंची और रोते हुए उससे कहने लगी कि वत्स तुम अंतिम बार आज दुग्धपान करलो इसके बाद मैं तुम्हे दूध पिलाने को जीवित नहीं मिलूंगी मुझे वनराज का आहार बनने जाना है। अपनी माँ की बात सुनकर बछड़े ने कहा की अगर मैं उस बाघ से आपको नहीं बचा पाया तो मैं भी बाघ का आहार बन जाऊँगा। गाय और बछड़े की बातें सुनकर ब्राह्मण ने भी प्रतिज्ञा की कि मैं अगर इन दोनों को बाघ से नहीं बचा पाया तो मैं भी व्याघ्र का आहार बन जाऊंगा।
ऐसा सोचते हुए तीनो व्याघ्र के सम्मुख आ गए। गाय के साथ बाकी दोनों को आता देखकर बाघ ने गाय से कहा कि मैंने तो केवल तुम्हे खाने का वचन लिया था नाकि इनको फिर इन दोनों का यहाँ आने का क्या प्रयोजन है ? तब ब्राह्मण और बछड़ा बोले - अगर हम गाय को नहीं बचा पाए तो हम भी आपके भोग की सामग्री बन जाएंगे। तीनो को अपना शिकार बनते देख बाघ बहुत खुश हुआ और तीनो से बोला ठीक तुम तीनो जैसा चाहो। वैसे भी मुझे कई दिनों से भूख लगी है जो तुम तीनो को खाकर आज पूरी हो जाएगी।
तभी वहां से गुजरते हुए नारद जी ने जब ये घटना सुनी और देखी तो उन्होंने भगवान विष्णु से आग्रह किया और भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से बाघ का वध कर गाय बछड़ा और ब्राह्मण की रक्षा की। तभी से यह स्थान बहुलावन के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
यहाँ एक बहुला कुंड भी दर्शनीय है जिसके किनारे बहुला बिहारी, बहुला गाय का सुन्दर मंदिर है और श्री बल्लभाचार्य जी की बैठक दर्शनीय है।
यूँ तो यह सम्पूर्ण क्षेत्र बहुलावन कहलाता है किन्तु इस वन में स्थित गॉंव बाटी के नाम से प्रसिद्ध है। अधिकतर ग्रामवासी यहाँ गाय पालते हैं। इस ग्राम की मान्यता है कि जब किसी के यहाँ कोई गाय या भैंस बच्चे को जन्म देती है तो उसका दूध सबसे पहले बहुला बिहारी और बहुला गाय को चढ़ाया जाता है। लोग इस चारों तरफ परिक्रमा लगाते हैं।
वराह पुराण के अनुसार बहुला वन : -
पञ्चमं बहुलं नाम वनानं वनमुत्तमं।
तत्र गतो नरो देवि अग्निस्थानम स गच्छति।।
अर्थात द्वादश वनो में बहुला नामक वन पंचम वन एवं वनों में से श्रेष्ठ है। हे देवी जो लोग इस वन में आते हैं वे मृत्यु पश्चात अग्निलोक को प्राप्त करते हैं।
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BAHULAVAN |
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बहुलाकुण्ड का एक दृश्य |
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श्री बहुलाकुण्ड |
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बहुलावन मंदिर |
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बहुलाकुण्ड |
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बहुलावन लीला |
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श्री बहुला बिहारी और बहुला गाय के दिव्य दर्शन |
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श्री बहुलाकुण्ड ( जीर्णोद्धार के कारण अभी इसमें पानी नहीं है ) |
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बहुलावन रोड |
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बहुलावन का एक पुराना दृशय |
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* महाप्रभु जी की बैठक |
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* श्री बहुला बिहारी जी |
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*बहुला गाय और बाघ |
गाय बाघ और उनके बछड़ो की कथा बहुत अच्छी लगी...असली ब्रज तो आप घुमा रहे हो जी...बहुत जबरदस्त भाई...
ReplyDeleteRadhe Radhe. . . .
ReplyDeleteRADHE RADHE JI
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