गोवर्धन परिकर्मा प्रथम चरण
आन्यौर ग्राम स्थित श्रीनाथ का प्राकट्य स्थल और संकर्षण कुंड।
अब मैं गोवर्धन पर्वत की तलहटी के बिलकुल नजदीक पहुँच गया था, मेरे दूसरी तरफ आन्यौर ग्राम था। यहाँ से एक रास्ता गोवर्धन पर्वत के ऊपर स्थित एक मंदिर को जाता है। मैं फिर से अपने जूते उतार कर गोवर्धन पर्वत पर चढ़ा और मंदिर पर पहुंचा। यहाँ मैंने गोवर्धन पर्वत के दूसरी तरफ देखा तो ये जतीपुरा था जो यहाँ से परिक्रमा मार्ग के अनुसार काफी दूर था। आन्यौर और जतीपुरा के लोग पैदल के रूप में जाने जाने के लिए गोवर्धन पर्वत का इस्तेमाल करते हैं। इस मंदिर के बारे में अगले पोस्ट में जिक्र किया जायेगा।
पर्वत से नीचे आकर श्री नाथ जी के प्राकट्योत्सव स्थल पर गया। यही वो स्थान है जहाँ से श्री नाथ जी की यात्रा प्रारंभ होती है। यहाँ श्री नाथ जी के शिलारुपी दर्शन हैं। प्राकट्य स्थल से आगे महाप्रभु बल्लभाचार्य जी की बारहवीं बैठक है। यहीं पर बल्लभाचार्य जी व् श्री नाथ जी का प्रथम मिलन हुआ था।
महाप्रभु 1499 में जब दूसरी बार ब्रज में पधारे तब सिकंदर लोदी का आतंक जोरों पर था। उसने हिन्दू मंदिरों को तोडा और मूर्ति पूजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया। महाप्रभु बल्लभाचार्य जब गोवर्धन पधारे तो आन्यौर स्थित सद्दू पांडे के घर उन्होंने विश्राम किया। वहां उन्हें आभास हुआ कि गिर्राज जी की कंदरा से एक भगवद स्वरुप का प्राकट्य हुआ है। महाप्रभु ने उनके दर्शन किये और उन्हें श्री नाथ जी नाम से विख्यात किया और महाप्रभु जी ने गोवर्धन पर्वत पर कुटी बनाकर श्री नाथजी के स्वरुप को स्थापित कर दिया। श्री नाथ जी का यही मंदिर आज भी वहीँ है जिसके बारे में अगली पोस्ट में जिक्र होगा।
आन्यौर ग्राम स्थित जब मैं परिक्रमा मार्ग पहुंचा तो यहाँ स्थित संकर्षण कुंड देखा। एक पल को तो ऐसा लगा जैसे गोवर्धन से चलकर तिरुपति पहुँच गया हूँ। शानदार प्रवेश गेट के साथ संकर्षण कुंड काफी भव्य है। यहाँ संकर्षण भगवान् की काफी ऊँची प्रतिमा है जो तिरुमाला, आंध्रप्रदेश से लाकर यहाँ स्थापित की गई है। दाऊजी या बलराम को ही संकर्षण भी कहते हैं। इस कुंड की पूरी कथा आपको नीचे दिए गए फोटो के द्वारा आप प्राप्त कर सकते हैं।
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तलहटी के नीचे एक स्थान |
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आन्यौर ग्राम |
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गोवर्धन पर्वत |
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श्री नाथजी प्राकट्य स्थल |
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श्री नाथजी प्राकट्य स्थल |
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श्री नाथजी प्राकट्य स्थल की ओर |
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संकर्षण कुंड |
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संकर्षण कुंड |
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संकर्षण कुंड प्रवेश द्धार |
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संकर्षण कुंड |
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संकर्षण कुंड |
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संकर्षण कुंड |
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संकर्षण कुंड |
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संकर्षण भगवान |
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बलराम जी को ही संकर्षण कहते हैं। |
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संकर्षण कुंड |
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संकर्षण भगवान के चरण |
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संकर्षण कुंड |
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गिर्राज जी संकर्षणकुंड में |
अगले भाग में जारी। ..
- पूंछरी को लौठा - सीमा राजस्थान।
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