माँ जालपा देवी मंदिर - कटनी एवं रेल यात्रा
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रायपुर एक शानदार रेलवे स्टेशन है और हो भी क्यों न, आखिरकार यह छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी भी है। रेलवे स्टेशन पर बने भोजनालय में खाना खाकर मैं भूख से निर्वृत हो गया और प्लेटफॉर्म पर टहलने लगा। मुझे अब मथुरा की तरफ वापसी करनी थी इसलिए अब मैं कटनी की तरफ जाने वाली ट्रेन की प्रतीक्षा में था। मोबाइल में ट्रेन का पता किया, रात को सवा बारह बजे एक ट्रेन दिखाई दी गोंदिया - बरौनी एक्सप्रेस जो प्रतिदिन चलती है। इसको यहाँ रात सवा बारह बजे आना चाहिए था, परन्तु यह अपने निर्धारित समय से साढ़े तीन घंटे लेट यानी सुबह पौने चार बजे आई। मेरी पूरी रात ख़राब हो चुकी थी परन्तु सुबह की नींद सबसे ज्यादा अच्छी होती है इसलिए इसके जनरल कोच में खिड़की वाली सीट पर स्थान जमाया और चादर ओढ़ कर सो गया।
सुबह आँख खुली तो देखा ट्रेन एक स्टेशन पर खड़ी हुई है। साढ़े सात बज चुके थे, यह पेण्ड्रा रोड है। यहाँ नजदीकी पर्यटन स्थल
अमरकंटक है जहाँ नर्मदा और सोन नदियों का उद्गम स्थल है और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर स्थल है। यहाँ किसी दिन जरूर आऊंगा बस यही सोचकर आगे बढ़ लिया। ट्रेन जंगली रास्तों से होकर गुजरते हुए अनूपशहर पहुंची, शहडोल, उमरिया होते हुए एक बजे के करीब कटनी पहुंचा। यह रेलवे का मुख्य जंक्शन पोइन्ट है, यहाँ एक लाइन सिंगरौली की तरफ से आती है जो अभी हमारी इसी रेलवे लाइन के बराबर में है, दूसरी लाइन जबलपुर से आती हो जो मैहर होते हुए इलाहाबाद जाती है और एक लाइन सागर होते हुए बीना की तरफ जाती है।
अगली यात्रा मुझे इसी लाइन पर करनी थी। कटनी एक अच्छा शहर है परन्तु यहाँ पर्यटन की दृष्टि से कोई जगह नहीं है। हाँ जब स्टेशन से बाहर निकला तो स्टेशन पर एक बड़ा बोर्ड लगा देखा जिसपर लिखा था माँ जालपा का मंदिर दूरी 2 किमी। बस फिर क्या था, स्टेशन पर बने वेटिंग रूम में नहा धोकर देवी के दर्शन करने निकल पड़ा। कटनी के घंटाघर पहुंचा, मैं जिस किसी शहर में जाता हूँ, वहां के घंटाघर के फोटो अवश्य खींच लेता हूँ। घंटाघर से माँ जालपा देवी का मंदिर ज्यादा दूर नहीं था, यहाँ नवरात्रों में विशाल मेला लगता है। यह एक शानदार मंदिर है परन्तु इसवक्त यह मंदिर बंद था, अन्य मंदिरों की तरह यह भी शाम को ही खुलेगा।
मैं कटनी मुरवारा स्टेशन पहुंचा, यहाँ से मेरी ट्रेन है सिंगरौली - निजामुद्दीन एक्सप्रेस ढाई बजे करीब यहाँ आएगी, अभी दो बज चुके हैं। थोड़ी देर प्रतीक्षा करने के बाद ट्रेन भी आ गई, यह एक साप्ताहिक ट्रेन है। इसलिए इसके जनरल कोच में मुझे आसानी से सीट मिल गई और मैं रात तक बड़े ही आराम से सोते हुए आगरा तक आया। चूँकि इसका स्टॉपेज मथुरा पर नहीं है इसलिए मैं आगरा कैंट पर ही उतर गया और जबलपुर - निजामुद्दीन एक्सप्रेस से मथुरा पहुंचा।
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रायपुर जंक्शन - रात के वक़्त |
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पेण्ड्रा रोड रेलवे स्टेशन |
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अनूपपुर जं. |
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शहडोल रेलवे स्टेशन |
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बीरसिंह पुर रेलवे स्टेशन |
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करकेली स्टेशन |
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उमरिया रेलवे स्टेशन |
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विलायत कलां रोड रेलवे स्टेशन |
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सुधीर उपाध्याय विलायत कलां रोड स्टेशन पर |
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कटनी जंक्शन रेलवे स्टेशन |
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कटनी में घंटाघर मतलब क्लॉक टावर |
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सुधीर उपाध्याय और कटनी का घंटाघर |
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माँ जालपा मंदिर |
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माँ जालपा देवी मंदिर, कटनी |
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माँ जालपा देवी मंदिर, कटनी |
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माँ जालपा देवी मंदिर, कटनी |
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माँ जालपा देवी मंदिर, कटनी |
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जालपा देवी मंदिर, कटनी |
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हनुमान जी, कहा जाता है कि कोई विपदा आने पर इस मूर्ति से आँसू अनायास ही निकलते हैं। |
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माँ जालपा देवी मंदिर, कटनी |
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जालपा देवी द्वार, कटनी |
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खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी। रानी लक्ष्मी बाई स्टेचू, कटनी |
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कटनी मुड़वारा रेलवे स्टेशन |
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मैं और कटनी मुड़वारा रेलवे स्टेशन |
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मैं और सिंगरोली सुपर फ़ास्ट |
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सागर रेलवे स्टेशन |
छत्तीसगढ़ यात्रा 2018 समाप्त।
छत्तीसगढ़ में मेरी अन्य यात्रायें।
- पिताजी की साथ दुर्ग की एक यात्रा - मार्च 2015
- महासमुंद की ओर एक सफर - मार्च 2018
- सिरपुर एक ऐतिहासिक नगर - मार्च 2018
- राजीवलोचन मंदिर, राजिम - मार्च 2018
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