फ़िरोज़पुर से भटिंडा व रेवाड़ी पैसेंजर यात्रा
इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
हुसैनीवाला से वापस मैं फ़िरोज़पुर आ गया, यहाँ से भटिंडा जाने के लिए एक पैसेंजर तैयार खड़ी हुई थी जो जींद की तरफ जा रही थी परन्तु मैं भटिंडा से रेवाड़ी वाली लाइन यात्रा करना चाहता था इसलिए सीधे भटिंडा का टिकट लेकर ट्रेन में पहुंचा और खाली पड़ी सीट पर जाकर बैठ गया। शाम चार बजे तक भटिंडा पहुँच गया परन्तु चार से पांच बज गए इस ट्रेन को भटिंडा के प्लेटफॉर्म पर पहुँचने में। तभी दुसरे प्लेटफॉर्म पर खड़ी रेवाड़ी पैसेंजर ने अपना हॉर्न बजा दिया, मैं जींद वाली पैसेंजर से उतरकर लाइन पार करके रेवाड़ी पैसेंजर तक पहुंचा , ट्रेन तब तक रेंगने लगी थी, इस ट्रेन में बड़ी जबरदस्त मात्रा में भीड़ थी जबकि ये भटिंडा से ही बनकर चलती है।
कई यात्री चलती हुई ट्रेन में ही चढ़ रहे थे, इसी बीच एक लेडीज का बैग प्लेटफॉर्म पर ही छूट गया, बेचारी काफी दूर तक अपने भतीजे को कोसती हुई और रोती हुई आई। रामा स्टेशन के बाद पंजाब की सीमा समाप्त हो जाती है और हरियाणा की शुरू। सबसे पहले हरियाणा का बड़ा शहर सिरसा आया इसके बाद हिसार होते हुए रात को एक बजे के आसपास रेवाड़ी पहुँच गया। आधा घंटा इंतज़ार करने के बाद अजमेर के पास किसी छोटे स्टेशन से सराय रोहिल्ला जाने वाली एक स्पेशल ट्रेन मिल गई। इसके स्लीपर के कोच खाली पड़े थे मैं भी उन्ही के एक सीट पर सो गया।
एक दो घंटे बाद आँख खुली तो देखा ट्रेन पटेल नगर पर खड़ी हुई थी, बिना देर किये उतर लिया और पैदल पैदल रात के ढाई -तीन बजे दिल्ली की गलियों में से निकलकर शादीपुर डिपो पहुंचा, मेट्रो स्टेशन के नीचे खड़े होकर सोचने लगा कि काश रात में भी मेट्रो चला करती, परन्तु फिर सोचा ये पूरे दिन भागादौड़ी करती है प्रतिदिन अपने हर चक्कर पर हज़ारों लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है इसे भी तो आराम की जरुरत होनी चाहिए, मशीन है तो क्या हुआ, दिल्ली की जीवन रेखा भी तो है। यहाँ काफी देर तक मुझे कोई भी बस और ऑटो नहीं मिले परन्तु टैक्सी वाले बहुत थे परन्तु टैक्सी वाले को देने लायक किराया जेब में नहीं था। रात के तीन बज चुके थे। मथुरा जाने के लिए नईदिल्ली से कोटा एक्सप्रेस का टाइम होने जा रहा था, मुझे हर हालत मैं सुबह आठ बजे तक घर पहुँचना ही था उसके बाद ऑफिस जो जाना था।
जब कोई रास्ता नहीं मिला और ट्रेन का टाइम भी नजदीक ही आ रहा था तो आँख बंद कर अपने कान्हा को याद किया और घर पहुँचने के लिए इच्छा जता दी बस फिर क्या था, इच्छा तुरंत पूरी हो गई, एक ऑटो वाला आया और रोककर पूछने लगा कहाँ जाओगे भाई जी, मैंने कहा नईदिल्ली स्टेशन। बोला डेढ़ सौ रु. देना अभी पहुंचाता हूँ, मैंने कहा भाई डेढ़ सौ तो ना हैं पर पचास है। ऑटो वाले ने कहा - पचास रूपये में आप नई दिल्ली स्टेशन तो सुबह ही पहुँच सकते हो। परन्तु ना जाने उसके मन में क्या आया और बोला आओ बैठो। उसने मुझे बिना देर किये स्टेशन पहुंचा दिया। मैं प्लेटफॉर्म पर पहुंचा तो देखा ट्रेन चलने के लिए तैयार खड़ी हुई थी। ऑटो वाले को धन्यवाद देता हुआ एक सीट देखकर सो गया और सुबह आठ बजे घर पहुँच गया।
 |
FARIDKOT RAILWAY STATION |
 |
AJIT GILL MATTA RAILWAY STATION |
 |
GANGSAR JAITTO RAILWAY STATION |
 |
CHAND BHAN RAILWAY STATION |
 |
GAHRI BHAGI STATION |
 |
SHERGARH RAILWAY STATION, PUNJAB |
 |
RAMAN RAILWAY STATION, PUNJAB |
 |
LAST PUNJAB RAILWAY STATION |
 |
HARYANA RAILWAY BORDER |
 |
PUNJAB RAILWAY BORDER |
 |
FIRST HARIYANVI RAILWAY STATION KALANWALI |
 |
SIRSA AT NIGHT |
 |
DING RAILWAY STATION IN HARYANA, SAME NAME RAILWAY STATION DEEG IN RAJSTHAN |
 |
REWARI JUNCTION AT NIGHT
THANK'S FOR VISIT |
No comments:
Post a Comment
Please comment in box your suggestions. Its very Important for us.