मरियम -उज़ -जमानी का मक़बरा
सन 1527 में बाबर ने जब फतेहपुर सीकरी से कुछ दूर उटंगन नदी के किनारे स्थित खानवा के मैदान में अपने प्रतिद्वंदी राजपूत शासक राणा साँगा को हराया तब उसे यह एहसास हो गया था कि अगर हिंदुस्तान को फतह करना है और यहाँ अपनी हुकूमत स्थापित करनी है तो सबसे पहले हिंदुस्तान के राजपूताना राज्य को जीतना होगा, इसके लिए चाहे हमें ( मुगलों ) को कोई भी रणनीति अपनानी पड़े। बाबर एक शासक होने के साथ साथ एक उच्च कोटि का वक्ता तथा दूरदर्शी भी था। इस युद्ध के शुरुआत में राजपूतों द्वारा जब मुग़ल सेना के हौंसले पस्त होने लगे तब बाबर के ओजस्वी भाषण से सेना में उत्साह का संचार हुआ और मुग़ल सेना ने राणा साँगा की सेना को परास्त कर दिया और यहीं से बाबर के लिए भारत की विजय का द्धार खुल गया। इस युद्ध के बाद बाबर ने गाज़ी की उपाधि धारण की।