Friday, September 29, 2017

Kusum Sarovar


गोवर्धन परिक्रमा एवं कुसुम सरोवर

कुसुम सरोवर 


       अभी कुछ ही दिनों पहले मेरी कंपनी का गोवर्धन क्षेत्र में एक इवेंट लगा जिसकी मुनियादी गोवेर्धन क्षेत्र के आसपास कराई जानी थी जिसकी जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई। मैंने एक टिर्री बुक की, जिसमे स्पलेंडर बाइक फिट थी और पीछे आठ दस सवारियों के बैठने की जगह थी। इस टिर्री के साथ मैंने मुनियादी करने  के लिए  गोवर्धन परिक्रमा क्षेत्र को चुना। मौसम आज सुहावना था, सुबह सुबह खूब तेज बारिश पड़ी इसलिए मौसम में काफी ठंडक भी थी। गोवर्धन का परिक्रमा मार्ग कुल 21 किमी का है जो  दो भागों में विभाजित है बड़ी परिक्रमा और छोटी परिक्रमा। बड़ी परिक्रमा कुल चार कोस की है, मतलब 12 किमी और छोटी 3 कोस की मतलब 9 किमी की।   

Monday, September 18, 2017

SHANTANU KUND




शांतनु कुंड -  एक पौराणिक स्थल , सतोहा 


         भगवान श्री कृष्ण की ब्रजभूमि में ऐसे कई स्थान हैं जिनका सीधा सम्बन्ध या तो इतिहास से है और सर्वाधिक पुराणों से है। मैंने सभी पुराण तो नहीं पढ़े हैं परन्तु रामायण और श्रीमद भागवत का अध्ययन और श्रवण कई बार किया है, इसलिए मुझे उन स्थानों पर जाने और उन्हें देखने में विशेष रूचि है। आज ऐसे ही एक स्थान पर मैं कंपनी की गाडी क्विड से नीरज के साथ मथुरा के सतोहा ग्राम में पहुंचा जहाँ एक पौराणिक कुंड ब्रज की अनमोल धरोहर है। इस कुंड का नाम महाभारत युद्ध से पूर्व हिस्तनापुर के सम्राट महाराज शांतनु के नाम पर है। माना जाता है कि महाराज शांतनु ने इस स्थान पर रहकर तपस्या की थी।

Sunday, September 3, 2017

Ramtal




रामताल - एक पौराणिक स्थल 



        अभी कुछ ही दिनों पहले सुर्खियों में एक खबर आई थी कि वृन्दावन के सुनरख गाँव के पास एक कुंड मिला है जिसका नाम रामताल है , बताया जाता है कि ये 2500 बर्ष से भी पुराना है और उसी समय की काफी वस्तुएं भी पुरातत्व विभाग को वहां खुदाई के दौरान मिली। पुरातत्व विभाग ने यहाँ उत्खनन सन 2016 में शुरू कराया तो एक प्राचीन और पौराणिक धरोहर के रूप में रामताल को जमीन के अंदर पाया। यह खबर सुनकर मेरा मन भी बैचैन हो उठा और आखिरकार मैं भी रामताल देखने निकल पड़ा। हालाँकि ड्यूटी पर ही था किसी काम से कंपनी की गाडी लेकर मैं और नीरज वृन्दावन आये और यहीं से हम रामताल पहुंचे।

Saturday, September 2, 2017

Kans Fort : Mathura


कंस किला और वेदव्यास जी का जन्मस्थान


     कई बार सुना था कि मथुरा में कहीं कंस किला है, पर देखा नहीं था। आज इरादा बना लिया था कि जो चाहे हो देखकर रहूँगा। मैं अपनी बाइक से मथुरा परिक्रमा मार्ग पर गया और पाया कि आज ब्रज की अनमोल धरोहरों का आज मैं अकेला अवलोकन कर रहा हूँ। सबसे पहले मेरी बाइक चक्रतीर्थ पहुंची जहाँ भगवान शिव् का भद्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन हुए और मंदिर के ठीक सामने चक्रतीर्थ स्थित है। इसके बाद कृष्ण द्वैपायन भगवान वेदव्यास जी की जन्मस्थली पहुंचा। यहाँ भी सुन्दर घाट बने हुए थे पर अफ़सोस यमुना यहाँ से भी काफी दूर चली गई थी और यमुना में से निकली एक नहर इन घाटों को छूकर निकल रही थी।

Tuesday, August 29, 2017

DAUJI TEMPLE : HATHRAS



देवछठ - श्री दाऊजी महाराज का प्रसिद्ध ऐतिहासिक मेला,  हाथरस यात्रा 


     आज मेरा मूड ज्यादा खराब था इसलिए ऑफिस नहीं गया, बस यूही बाइक उठाई और घर से निकल गया। ये नहीं पता था कि जाना कहाँ है। चलते चलते मन में विचार आया कि बिजली का बिल ही आज जमा कर आऊं, सीधे एटीएम पहुँचा और फिर बिजली विभाग के दफ्तर। यहाँ बहुत लम्बी लाइन लगी हुई थी, यह देखकर मोबाइल पर मौका आजमाया। मौका बिलकुल फिट बैठा,  लो... जी हो गया पहलीबार ऑनलाइन बिल जमा। अब किसी लाइन में लगने की कोई जरुरत ही नहीं थी।

Wednesday, August 16, 2017

TELANGANA EXP 2017 : HYD TO MTJ

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तेलंगाना एक्सप्रेस  - हैदराबाद  से  मथुरा जंक्शन 

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       रात को साढ़े ग्यारह बजे काचीगुड़ा पैसेंजर ने हमें काचेगुड़ा स्टेशन पर उतारा। यह स्टेशन काफी साफ़ स्वच्छ और बड़ा था। स्टेशन के बाहर आते ही ऑटो वालों ने मुझे पकड़ लिया,   बोले -  बताइये सर कहाँ चलना है मैंने कहा हैदराबाद डेक्कन रेलवे स्टेशन। रात का समय था इसलिए सौ रूपये में ऑटो बुक हो गया और हैदराबाद के आलिशान सड़कों पर घूमते हुए एकांत में बने हैदराबाद के मुख्य स्टेशन पहुंचे। वैसे हैदराबाद का सबसे मुख्य स्टेशन सिकंदराबाद है, हैदराबाद तो टर्मिनल स्टेशन है जहाँ से आगे कोई ट्रैन नहीं जाती।

Tuesday, August 15, 2017

PASSENGER : MARKAPUR TO KACHEGUDA

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आंध्र प्रदेश में एक सैर - काचेगुड़ा पैसेंजर यात्रा 




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        श्रीशैलम में जिओ का नेटवर्क न होने की वजह से मुझे अपना आगे का सफर तय करना मुश्किल हो गया और मैंने अपने लिए गलत राह चुन ली। ये गलत राह थी श्रीशैलम बस स्टैंड से हैदराबाद की टिकट न लेकर मार्का पुर की टिकट ले लेना। सुबह चार बजे हमारी बस श्रीशैलम से मार्कापुर की तरफ निकल पड़ी। सुबह सात बजे जब मैं मार्कापुर पहुँचा, तो यहाँ जिओ के नेटवर्क थे। मैंने रेलवे के ऍप्स पर देखा तो पता चला मार्का पुर से हैदराबाद के लिए एक ही पैसेंजर ट्रैन थी जो रात ग्यारह बजे हमें काचेगुड़ा उतार रही थी। यानी कि हैदराबाद की विजिट कैंसिल होनी ही थी।

Monday, August 14, 2017

SHRISHAILAM : MALLIKARJUN JYOTIRLING

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श्री शैलम - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 




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          हम तिरुपति से रात को दस बजे बस से निकले थे, पूरे दिन की थकान होने की वजह से बस में नींद अच्छी आई। बस भी सुपर लक्सरी थी इसलिए कम्फर्ट भी काफी रहा, बस पैर लम्बे नहीं हो पाए थे। पूरी रात आंध्र प्रदेश में चलते हुए सुबह हमारी बस एक होटल पर चाय पानी के लिए रुकी। यहाँ से कुछ दूरी पर ही श्रीशैलम के लिए रास्ता अलग होता है। डारनोटा से एक रास्ता श्रीशैलम के लिए जाता है और यहीं से घाट भी शुरू हो जाते हैं। ऊँचे ऊँचे पहाड़ों के घुमावदार रास्तों को ही घाट कहा जाता है। यह रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता है, जगह जगह वन्यजीवों के बोर्ड भी यहाँ देखने को मिलते हैं। करीब आठ नौ बजे तक हम श्रीशैलम पहुँच गए। बस ने हमें बस स्टैंड पर उतारा। यहाँ हमें आगरा के एक सज्जन भी मिले जो परिवार सहित श्रीशैलम के दर्शन करने आये हुए थे, उनके साथ मैं भी किसी होटल में रुकने का इंतज़ाम देखने निकल पड़ा।

Sunday, August 13, 2017

TIRUPATI BALAJI 2017

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तिरुपति बालाजी - तिरुमला पर्वत 




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        सुबह चार बजे रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में नहा धोकर हम तैयार हो गए और स्टेशन के बाहर आकर तिरुमला जाने वाली बस में बैठ लिए। यहाँ से APSRTC की बसें हर दो मिनट के अंतराल पर तिरुमला के लिए चलती हैं। तिरुमला एक ऊँचा पर्वत शिखर है जिसपर तिरुपति बालाजी का भव्य मंदिर स्थित है। कुल सात पहाड़ों की ये तिरुमला पर्वत श्रृंखला कुछ इस प्रकार है की देखने में यह भगवान् वेंकटेश्वर ( बालाजी ) के चेहरे के आकर का है। बस कुछ दूर बालाजी बस स्टैंड पर जाकर रुकी, यहाँ से हमें 96 रूपये पर सवारी के हिसाब आने जाने की टिकट मिली जो तिरुमला जाने वाली हर बस में वैध थी।  

Friday, August 11, 2017

KERLA EXPRESS 2017: MTJ TO TIRUPATI

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केरला एक्सप्रेस  - मथुरा से तिरुपति



         केरला एक्सप्रेस जैसी ट्रेन में कन्फर्म सीट पाने के लिए रिजर्वेशन कई महीने पहले ही कराना होता है और ऐसा ही मैंने भी किया। इसबार मानसून की यात्रा का विचार साउथ की तरफ जाने का था, मतलब तिरुपति बालाजी। चेन्नई के पास ही हैं लगभग थोड़ा बहुत ही फर्क है, उत्तर से दक्षिण जाने में जो समय चेन्नई के लिए लगता है वही समय तिरुपति जाने के लिए भी लगता है। इसके लिए जरुरी है कि अगर आप ट्रेन से जा रहे है तो आपकी टिकट कन्फर्म हो। मैंने अप्रैल में ही रिजर्वेशन करवा लिया था और मुझे तीनो सीट कन्फर्म मिली। अब इंतज़ार यात्रा की तारीख आने का था और जब यह तारीख आई तो एक सीट मैंने कैंसिल करदी। अब मैं और माँ ही इस सफर के मुसाफिर थे।

Sunday, July 30, 2017

BHANGARH FORT 2017

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भानगढ़ - प्रसिद्ध हॉन्टेड पैलेस 

भानगढ़ 


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     अजबगढ़ से निकलते ही शाम हो चली थी, घडी इसवक्त चार बजा रही थी और अभी भी हम भानगढ़ किले से काफी दूर थे।  सुना है इस किले में सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के पश्चात प्रवेश करना वर्जित है। अर्थात हमें यह किला दो घंटे के अंदर घूमकर वापस लौटना था। मैंने सोचा था कि भानगढ़ किला भी अजबगढ़ की तरह वीरान और डरावना सा प्रतीत होता होगा परन्तु जब यहाँ आकर देखा तो पता चला कि इस किले को देखने वाले हम ही अकेले नहीं थे, आज रविवार था और दूर दूर से लोग यहाँ इस किले को देखने आये हुए थे। किले तक पहुँचने वाले रास्ते पर इतना जाम था कि लग रहा था कि हम किसी किले की तरफ नहीं बल्कि किसी बिजी रास्ते पर हों।

AJABGARH FORT 2017

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अजबगढ़ की ओर 


AJABGARH FORT


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     नारायणी मंदिर से निकलते ही मौसम काफी सुहावना हो चला था। आसमान में बादलों की काली घटायें छाई हुईं थीं। बादल इसकदर पहाड़ों को थक लेते थे कि उन्हें देखने से ऐसा लगा रहा था जैसे हम अरावली की वादियों में नहीं बल्कि हिमालय की वादियों में आ गए हों। घुमावदार पहाड़ी रास्तों पर बाइक अपने पूरे वेग से दौड़ रही थी, यहाँ से आगे एक चौराहा मिला जहाँ से एक रास्ता भानगढ़ किले की तरफ जाता है और सामने की ओर सीधे अजबगढ़,  जो यहाँ से अभी आठ किमी दूर था। 

NARAYANI TEMPLE 2017

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नारायणी माता मंदिर - नारायणी धाम



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    टहला से अजबगढ़ जाते समय हम एक ऐसे स्थान पर आकर रुके जहाँ चारों और घने पीपल के वृक्ष थे, यह एक चौराहा था जहाँ से एक रास्ता नारायणी माता के मंदिर के लिए जाता है जो यहाँ से कुछ ही किमी दूर है। हमने सोचा जब ट्रिप पर निकले ही हैं तो क्यों ना माता के दर्शन कर लिए जाएँ और यही सोचकर हम नारायणी धाम की तरफ रवाना हो गए। यहाँ अधिकतर लोग लोकल राजस्थानी ही थे और इन लोगों में नारायणी माता की बड़ी मान्यता है। आज यहाँ मेला लगा हुआ था, काफी भीड़ भी थी और तरह तरह की दुकाने भी लगी हुईं थी।

TAHLA FORT 2017

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टहला किला का एक दृशय 

टहला फोर्ट 



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     कुम्हेर का किला देखने के बाद हमने मोबाइल में आगे का रास्ता देखा, इस वक़्त हम भरतपुर से डीग स्टेट हाईवे पर खड़े थे, यहाँ से कुछ आगे एक रास्ता सिनसिनी, जनूथर होते हुए सीधे नगर को जाता है, जोकि शॉर्टकट है अन्यथा हाईवे द्वारा डीग होकर नगर जाना पड़ता, जो की लम्बा रास्ता है। हम सिनसिनी की तरफ रवाना हो लिए और जनूथर पहुंचे, जनूथर से नगर 22 किमी है। नगर पहुंचकर हम बस स्टैंड पर जाकर रुक गए। यहाँ हमने गर्मागरम जलेबा खाये।  

KUMHER FORT 2017

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कुबेर नगरी - कुम्हेर 


       अबकी बार मानसून इतनी जल्दी आ गया कि पता ही नहीं चला, पिछले मानसून में जब राजस्थान में बयाना और वैर की मानसून की यात्रा पर गया था, और उसके बाद मुंबई की यात्रा पर, ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो। वक़्त का कुछ पता नहीं चलता, जब जिंदगी सुखमय हो तो जल्दी बीत जाता है और गर दिन दुखमय हों तो यही वक़्त कटे नहीं कटता है। खैर अब जो भी हो साल बीत चुका है और फिर मानसून आ गया है, और मानसून को देखकर मेरा मन राजस्थान जाने के लिए व्याकुल हो उठता है। इसलिए अबकी बार भानगढ़ किले की ओर अपना रुख है, उदय के साथ एक बार फिर बाइक यात्रा।

        आज रविवार था, मैं और उदय कंपनी से छुट्टी लेकर सुबह ही मथुरा से राजस्थान की तरफ निकल लिए और सौंख होते हुए सीधे राजस्थान में कुबेर नगरी कुम्हेर पहुंचे। यह मथुरा से 40 किमी दूर भरतपुर जिले में है। कहा जाता है कि यह नगरी देवताओं में धन के देवता कुबेर ने बसाई थी, वही कुबेर जो रावण के सौतेले भाई थे। यहाँ एक विशाल किला है जो नगर में घुसते ही दूर से दिखाई देता है। भानगढ़ की तरफ जाते हुए सबसे पहले हम इसी किले को देखने के लिए गए। किले के मुख्य रास्ते से न होकर हम इसके पीछे वाले रास्ते से किले तक पहुंचे जहाँ हमे एक जल महल भी देखने को मिला।

Saturday, July 15, 2017

Raskhan Tomb



रसखान समाधि 

     महावन घूमने के बाद रमणरेती की तरफ आगे ही बढ़ा था कि रास्ते में एक बोर्ड लगा दिखाई दिया, और उसी बोर्ड की लोकेशन पर मैं भी चल दिया। आज मेरी गाडी घने जंगलों के बीच से निकलकर उस महान इंसान की समाधि पर आकर रुकी जिनके नाम को हम इतिहास में ही नहीं बल्कि अपनी हिंदी की किताब में भी बचपन से पढ़ते आ रहे थे और वो थे कृष्ण भक्त रसखान। आज यहाँ एकांत में रसखान जी की समाधी देखकर थोड़ा दुःख तो हुआ पर ख़ुशी भी हुई कि आज एक ऐसे भक्त के पास आया हूँ जिसने मुसलमान होते हुए भी भगवन कृष्ण की वो भक्ति पाई जो शायद कोई दूसरा नहीं पा सका। 

महावन - पुराना गोकुल




महावन - पुराना गोकुल 

     यूँ तो मथुरा में रहते हुए काफी समय हो गया था पर अपना शहर घूमने का कभी वक़्त ही नहीं मिला, आज मिला तो गोकुल की तरफ निकल गया। गोकुल बैराज से उतरते ही जो गोकुल दिखाई देता है वो नया बसा हुआ गोकुल है पर कहा जाता है महावन स्थित गोकुल ही असली और पुराना गोकुल है। इसलिए मैं भी अपनी बाइक से महावन गया और हर उस स्थान को देखा जो भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थलियों से जुड़ा है आइये आपको भी उन स्थानों का भ्रमण कराता हूँ।  

Sunday, July 2, 2017

BIKE TRIP 2017 : DDN TO MTJ

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देहरादून घंटाघर और वापसी


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            नीलकंठ से लौटने के बाद अब हमारा प्लान मसूरी जाने का बना इसके लिए देहरादून पहुँचना जरुरी था, इसलिए हम सबसे पहले ऋषिकेश बस स्टैंड पहुँचे। यहाँ पहाड़ों में ऊपर जाने वाली बसें भी खड़ी हुई थी और कुछ बसें दिल्ली जाने के लिए भी खड़ी हुई थी। तभी  देहरादून की एक बस आई, साधना , भरत और मामी जी बस में चढ़ गए और मैं अपनी बाइक से देहरादून की तरफ रवाना हो गया। रास्ता शानदार था और घने जंगलों के बीच से होकर गुजरता है। डोईवाला के बाद जंगल समाप्त हो जाते हैं, और देहरादून का शहरीय क्षेत्र शुरू हो जाता है।

NEELKANTH MAHADEV : RISHIKESH

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नीलकंठ महादेव और लक्ष्मण झूला

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           पिछले दो दिनों से लगातार बाइक चला रहा था और रात को गंगाजी के किनारे से भी थोड़ा लेट लौटा था इसलिए सुबह जल्दी आँख नहीं खुली और साढ़े छ बजे तक सोता ही रहा। मोबाइल रात को चार्जिंग में लगा दिया था इसलिए फुल चार्ज हो गया था। धर्मशाला के सामने ही गंगा जी थीं फटाफट नहाधोकर तैयार हो गया। गत रात्रि से अब सुबह गंगाजी का बहाब काफी तेज हो गया था और पानी भी काफी ठंडा था, इससे लगता है ऊपर पहाड़ों में काफी तेज बारिश हुई होगी। यहाँ के स्थानीय लोगों ने भी बताया था कि इस वक़्त पहाड़ों में तेज बारिश हो रही है, पहाड़ फिसलने का भी डर है। इसलिए बद्रीनाथ जाने का विचार अगली बार पर छोड़ दिया और नीलकंठ जाने का विचार बनाया।
 

Saturday, July 1, 2017

RISHIKESH 2017

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ऋषिकेश धाम - वर्ष 2017 


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     चीला के रास्ते हम हरिद्धार से ऋषिकेश पहुंचे। साधना ऑटो के जरिये हमसे पहले ही पहुँच गई थी। ऋषिकेश साधु संतो की तपोस्थली है और उत्तराखंड के चारों धामों की तरफ जाने का प्रवेश द्वार है। चूँकि हरिद्धार को ही हरि का द्धार माना जाता है क्योंकि भगवान विष्णु का धाम बद्रीनाथ, भगवान शिव का धाम केदारनाथ दोनों ही जगह जाने के लिए यात्रा हरिद्धार से ही शुरू होती है ,परन्तु पहाड़ो पर चढ़ाई ऋषिकेश से ही शुरू होती है। आज ऋषिकेश का मौसम मनभावक हो रहा था, यहाँ ऊँचे ऊँचे पहाड़ों को देखकर एक बार तो दिल में आया कि अभी इन पहाड़ों पर चला जाऊं, परन्तु अभी हमें ऋषिकेश भी घूमना था।
   
     सबसे पहले हम त्रिवेणी घाट पहुंचे। यह एक सुन्दर और मनोहर घाट है जहाँ सामने कल कल करती हुई गंगा बहती है और उस पार हरे भरे पहाड़ देखने को मिलते हैं। हम काफी देर यहाँ रुके।यहाँ एक भगवत कथा का आयोजन भी था, गंगा के किनारे देवो की स्थली में भागवत कथा का श्रवण किस्मत से ही मिलता है ।  यहाँ घाट पर ही पार्किंग भी है जहाँ मेरी बाइक निःशुल्क खड़ी हुई। यहीं मैंने अपनी बाइक को भी गंगा स्नान भी कराया। शाम को आरती का वक़्त हो चला था काफी संख्या में लोग यहाँ एकत्र होने लगे। हमें यहाँ से अब रामझूला की तरफ निकलना था.

HARIDWAR 2017

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मायानगरी हरिद्धार में 


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      स्टेशन से लौटकर सबसे पहले हमने एक धर्मशाला में दो कमरे लिए। यह दो सौ रूपये प्रति कमरे के हिसाब से थे। मोबाईल चार्ज करके हम हर की पैड़ी की तरफ चल दिए। गंगा आरती का समय हो चुका था पर जब तक हम वहां पहुंचे आरती हो चुकी थी। यह शुभ मौका मैं खोना नहीं चाहता था परन्तु किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता। आज भी गंगा आरती देखना मेरे नसीब में नहीं थी। मैंने बाइक एनाउंसमेंट ऑफिस के बाहर खड़ी कर दी और गंगा स्नान करने घाट पर आ गया बाकी सभी लोग सुबह नहाएंगे। गंगा स्नान कर वापस हम धर्मशाला की तरफ चल दिए अब खाने का और सोने का समय हो चला था। धर्मशाला में बाइक खड़ी नहीं हो सकती थी इसलिए उसे मैं रेलवे स्टेशन पर स्टैंड पर खड़ी कर आया।

Friday, June 30, 2017

BIKE TRIP 2017 : MTJ TO HW

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मथुरा से हरिद्धार बाइक यात्रा

     मानसून का मौसम शुरू हो चुका था, मन में कई दिनों से इसबार बाइक से कहीं लम्बा सफर करने का मन कर रहा था परन्तु केवल पहाड़ों की तरफ। मेरे मन में इसबार नैनीताल जाने का विचार बना पर तभी आगरा से साधना ( मेरी ममेरी बहिन ) का फोन आया और उसने हरिद्वार जाने की इच्छा जाहिर की। मैं हरिद्धार पहले भी कई बार जा चुका हूँ परन्तु वह पहली बार हरिद्धार जा रही थी इसलिए नैनीताल जाने का विचार कैंसिल और हरिद्धार का प्लान पक्का। हालाँकि मैं इस बार बाइक से ही यात्रा करना चाहता था इसलिए मैंने इस यात्रा को थोड़ा और आगे तक बढ़ाने का विचार बनाया मतलब बद्रीनाथ जी तक।

Friday, April 14, 2017

A Train Trip in Gir National Park: Gujrat

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गिर नेशनल पार्क में एक रेल यात्रा


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       सोमनाथ और उसकी आसपास के सभी दर्शनीय जगहों को देखकर हम वेरावल रेलवे स्टेशन पहुंचे। अब हमारा प्लान यहाँ से भावनगर जाने की ओर था, जिसके लिए हमें मीटर गेज की पैसेंजर ट्रैन पकड़नी थी जो वेरावल से ढसा तक जाती है। मैं रूट का पूरा रास्ता पहले ही चुका था। यह ट्रेन यहाँ से लगभग दो बजे चलेगी इसलिए सबसे पहले मैं वेरावल के बाजार में अपनी सेविंग बनबाने गया और फिर वेरावल का बाजार घूमा। जैसा सोचा था वैसा शहर नहीं था, समुद्र के किनारे होने की वजह से मछलियों की अच्छी खासी गंध आ रही थी। सड़कों पर पानी के जहाज बनकर तैयार हो रहे थे। सोमनाथ आने के लिए यह पहले आखिरी स्टेशन था परन्तु अब ट्रेन सीधे सोमनाथ तक ही जाती है, इसलिए यात्रियों का यहाँ अभाव भी था।

SOMNATH JYOTIRLING 2017

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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और भालुका तीर्थ 




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      शाम को द्धारिका से सोमनाथ के लिए हमारा सोमनाथ एक्सप्रेस में रिजर्वेशन था। निर्धारित समय पर ट्रैन द्धारिका से प्रस्थान कर गई, रात को करीब एक बजे मीडिल वाली बर्थ पर सो रही एक लड़की का पर्स किसी ने खिड़की में से पार कर दिया, इस पर वो बहुत घबरा गई और उसने हमारे साथ साथ और भी यात्रियों की नींद खराब कर दी और गुजरात के लोगों को भला बुरा कहने लगी। एक गुजराती से ये सहा नहीं गया और उससे कहने लगा कि मैडम आप कहाँ से आई हो तो लड़की ने जबाब दिया की कालका से।

    दरअसल वो हिमाचली लड़की थी तो गुजराती ने बड़े प्यार से उसे समझाया कि मैडम चोरों का कोई राज्य या धरम नहीं होता, वो कहीं पर भी अपना हाथ साफ़ कर सकते बस उन्हें एक मौका चाहिए। गुजरात में ऐसा नहीं है कि आप यहाँ असुरक्षित महसूस करो पर सतर्कता भी कोई चीज़ है। अगला स्टेशन जूनागढ़ आया और पुलिस में शिकायत लिखवाने हेतु वो यहाँ उतर गई तब जाकर हमने दुबारा अपनी नींद पूरी की।

Thursday, April 13, 2017

NAGESHWAR JYOTIRLING 2017

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दारुका वन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 


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    द्धारिकाधीश जी के दर्शन के बाद हमने एक ऑटो किराये पर लिया और नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर प्रस्थान कर दिया। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, द्धारिका से करीब 25 किमी दूर है और एक जंगली क्षेत्र में स्थित है इसे ही दारुका वन कहते हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ने प्रवेश करते ही हमें भगवान शिव विशाल मूर्ति के दर्शन होते हैं। यहाँ हमारी मुलाकात मेरे गांव के चाचाजी व उनके पुत्र ध्रुव से हो गई। ध्रुव भी मेरी तरह अपने पिता जी को बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन करा रहा था। फेसबुक के जरिये उसे पता चल गया कि मैं भेंट द्धारिका के दर्शन करके लौटा हूँ उस समय वो सोमनाथ जी के दर्शन करके लौटा था।
             
     उसने मुझे फोन पर मेरी लोकेशन ली मैंने उसे बताया कि मैं द्धारिका में हूँ और वो भेंट द्धारिका के दर्शन करके लौट रहा था तब हमने नागेश्वर में मिलने का फैसला किया। नागेश्वर जी के बिना किसी असुविधा के दर्शन कर हम वापस द्धारिका वापस आ गए। रास्ते में रेलवे फाटक हमें बंद मिला, फाटक खुलने के बाद हम रुक्मणि मंदिर के दर्शन करने गए।

DWARIKA 2017

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गोमती द्धारिका या मुख्य द्धारिका 



 
 



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     भेंट द्धारिका के दर्शन कर हम वापस ओखा रेलवे स्टेशन आ गए, शाम के साढ़े सात बज रहे थे यहाँ से मुख्य द्वारिका करीब तीस किमी दूर है। सोमनाथ जाने वाली एक्सप्रेस द्धारिका जाने के लिए तैयार खड़ी थी, हमने जल्दी से टिकट ली और द्धारिका की तरफ प्रस्थान किया, कुछ देर बाद हम द्धारिका स्टेशन पर थे। यहाँ मैंने पहले ही डोरमेट्री बुक कर रखी थी, डोरमेट्री में कुल पाँच बिस्तर थे और पाँचो बिस्तर हमने अपने लिए ही बुक कर रखे थे यानी पूरी डोरमेट्री आज हमारी ही थी।

BHENT DWARIKA 2017

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भेंट द्धारिका की तरफ 


आखिरी रेलवे स्टेशन - ओखा 



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         द्धारिका के नाम से ही काफी शानदार रेलवे स्टेशन बना हुआ है जितने भी तीर्थयात्री हमारे साथ द्धारिका आये थे वे सभी यहीं उतर गए और ट्रेन एकदम खाली हो चुकी थी। परन्तु मेरे रूट के अनुसार हमें द्धारिका से पहले भेंट द्धारिका जाना था और वहां जाने के लिए नजदीकी और आखिरी स्टेशन ओखा था। भारत के कोने कोने से द्धारिका आने वाली ट्रेनों का आखिरी स्टेशन ओखा है, इससे आगे जाने के लिए अब भूमि नहीं बची थी, था तो सिर्फ अथाह सागर और चारों तरफ नीले आसमान के नीचे नीला समुद्री जल।

Wednesday, April 12, 2017

DWARIKA TRIP 2017 : MATHURA TO DWARIKA


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द्धारिका यात्रा 

पहला पड़ाव - जयपुर 




     चार धामों में से एक और सप्तपुरियों में से भी एक भगवान श्री कृष्ण की पावन नगरी द्धारिका की यह मेरी पहली यात्रा थी जिसमे मेरे साथ मेरी माँ, मेरी छोटी बहिन निधि, मेरी बुआजी बीना और मेरे पड़ोस में रहने वाले भाईसाहब और उनकी फेमिली थी।  मैंने जयपुर - ओखा साप्ताहिक एक्सप्रेस में रिजर्वेशन करवाया था इसलिए हमें यह यात्रा जयपुर से शुरू करनी थी और उसके लिए जरूरी था जयपुर तक पहुँचना।


मुड़ेसी रामपुर से भरतपुर जंक्शन पैसेंजर यात्रा 

     हमारे पड़ोस में रहने वाले एक भाईसाहब अपनी जायलो से हमें मुड़ेसी रामपुर स्टेशन तक छोड़ गए यहाँ से हमें मथुरा - बयाना पैसेंजर मिली जिससे हम भरतपुर उतर गए। भरतपुर से जयपुर तक हमारा रिजर्वेशन मरुधर एक्सप्रेस में था जो आज 2 घंटे की देरी से चल रही थी ,चूँकि पिछली पोस्ट में भी मैंने बताया था कि भरतपुर एक साफ़ सुथरा और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर स्टेशन है।  यहाँ का केवलादेव पक्षी विहार पर्यटन क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है जहाँ आपको दूर देशों के पक्षी भी विचरण करते हुए देखने को मिलते हैं,|इसी की एक झलक भरतपुर स्टेशन की दीवारों पर चित्रकारी के माध्यम से हमें देखने को मिलती है।

Sunday, March 26, 2017

MEHRANGARH FORT : JODHPUR

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
मेहरान गढ़ की ओर

मेहरानगढ़ किला 


 इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

       शाम को पांच बजे तक सिंधी कैंप बस स्टैंड आ गया यहाँ से गोपाल ने एक डीलक्स बस में मेरी टिकट ऑनलाइन करवा दी थी जिसके चलने का समय शाम सात बजे का था, काफी पैदल चलने की वजह से मैं काफी थक चुका था इसलिए बस में जाकर अपनी सीट देखी, यह स्लीपर कोच बस थी मेरी ऊपर वाली सीट थी उसी पर जाकर लेट गया। ट्रेन की अपेक्षा बस मे ऊपर वाली सीट मुझे ज्यादा पसंद है क्यूंकि बस की ऊपर वाली सीट में खिड़की होती है। 
         मैंने गोपाल को फोनकर बस के जोधपुर पहुंचने का टाइम पुछा उसने बताया रात को 2 बजे।  उसी हिसाब से अलार्म लगाकर मैं सो गया और फिर ऐसी नींद आयी की सीधे बाड़मेर से सत्तर किमी आगे डोरीमन्ना में जाकर खुली, जोधपुर और बाड़मेर कबके निकल चुके थे मैंने बस वाले से पुछा भाई हम कहाँ हैं मुझे तो जोधपुर उतरना था तुमने जगाया क्यों नहीं। वह मेरी तरफ ऐसा देख रहा था जैसे मैंने को महान काम कर दिया हो, उसने मुझसे कहा की आधा घंटा और सोते रहते तो पाकिस्तान पहुँच जाते। 

AMER FORT : JAIPUR

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

आमेर किले की ओर 

आमेर का किला 


     मुंबई से लौटे हुए अब काफी समय हो चुका था इसलिए अब मन नई यात्राओं की तैयारी कर रहा था बस जगह नहीं मिल रही थी, यूँ तो कुछ दिन बाद द्धारका यात्रा का प्लान तैयार था परन्तु उसमे अभी काफी समय था, मन बस अभी जाना चाहता था और ऐसी जगह जहाँ कुछ देखा न हो। काफी सोचने के बाद मुझे मेरे भाई गोपाल की याद आई जो इन दिनों जोधपुर में था, गर्मी के इस मौसम में रेगिस्तान की यात्रा ......... मजबूरी है।

शाम को घर जाकर जोधपुर हावड़ा एक्सप्रेस में रिजर्वेशन करवाया और यात्रा शुरू। शाम को मेवाड़ एक्सप्रेस पकड़कर भरतपुर पहुँच गया और ट्रेन का इंतज़ार करने लगा।