UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
तेलंगाना एक्सप्रेस - हैदराबाद से मथुरा जंक्शन
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रात को साढ़े ग्यारह बजे काचीगुड़ा पैसेंजर ने हमें काचेगुड़ा स्टेशन पर उतारा। यह स्टेशन काफी साफ़ स्वच्छ और बड़ा था। स्टेशन के बाहर आते ही ऑटो वालों ने मुझे पकड़ लिया, बोले - बताइये सर कहाँ चलना है मैंने कहा हैदराबाद डेक्कन रेलवे स्टेशन। रात का समय था इसलिए सौ रूपये में ऑटो बुक हो गया और हैदराबाद के आलिशान सड़कों पर घूमते हुए एकांत में बने हैदराबाद के मुख्य स्टेशन पहुंचे। वैसे हैदराबाद का सबसे मुख्य स्टेशन सिकंदराबाद है, हैदराबाद तो टर्मिनल स्टेशन है जहाँ से आगे कोई ट्रैन नहीं जाती।
हम स्टेशन पर पहुंचे तो स्टेशन में प्रवेश करते ही हमें आरपीएफ वालों ने रोक लिया, बोले कहाँ जा रहे हो मैंने कहा हमारा रिजर्वेशन है तेलंगाना एक्सप्रेस में। उन्होंने कहा वो तो सुबह जाएगी , अभी स्टेशन बंद है सुबह आना। स्टेशन बंद है यह मैंने पहली बार सुना था अन्यथा आजतक मैं जहाँ भी गया हूँ लोगों के घर बंद देखे हैं, बाजार बंद देखे हैं परन्तु स्टेशन बंद पहली बार देखा था। दरअसल जैसा कि मैंने ऊपर भी लिखा है हैदराबाद का मुख्य स्टेशन सिकंदराबाद है जो हर समय खुला रहता है, हम हैदराबाद स्टेशन पर थे और यह एक टर्मिनल स्टेशन है जहाँ से रात को कोई ट्रैन न आती है और नाही जाती है, इसलिए रात को अनावश्यक प्रवेश पर यहाँ रोक रहती है। प्रवेश द्धार के पास बने वेटिंग रूम में ही हमने सुबह तक सोने का निर्णय लिया।
माँ की थोड़ी तबियत सी ख़राब थी इसलिए मैं रात को ही कोई मेडिकल की दुकान देखने निकल पड़ा, पर यहाँ कोई भी दुकान नहीं थी, सिर्फ पान वालों की दुकाने ही खुली हुई थीं, एक हैदराबादी पान मैंने भी खाके देखा अत्यंत ही स्वादिष्ट था। सुबह जब पांच बज गए तो स्टेशन का द्धार खुल गया था मैं और माँ प्लेटफॉर्म नंबर दो पर पहुंचे, यहीं हमारी ट्रेन लगने वाली थी तेलंगाना एक्सप्रेस। पहले इस ट्रेन का नाम आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस था परन्तु आंध्र प्रदेश में से एक नया राज्य तेलंगाना बन जाने के बाद हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी बन गई और इस ट्रैन का नाम भी तेलंगाना एक्सप्रेस हो गया।
सुबह ट्रेन अपने सही समय से रवाना हो गई, सिकंदराबाद आते ही यह ट्रेन पूरी तरह से फुल हो चुकी थी और हम अपने घर वापस रवाना हो गए।
वैसे आंध्र प्रदेश घूमने का यह मेरा पहला अवसर था, मैं इतने दिन यहाँ रहा तो एक बात जानी कि भारतीय स्वच्छता अभियान यहाँ पूरी तरह से लागू था। तिरुपति, श्रीशैलम अन्य छोटे रेलवे स्टेशन या फिर तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद सभी जगह साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखती है यहाँ की सरकार। यहाँ के लोग बेशक हमारी भाषा नहीं जानते थे और नाही हम उनकी, परन्तु फिर भी इस यात्रा को सफल बनाने में उनका पूर्ण सहयोग था, हमें यहाँ किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं आई , चोरी, लूटपाट , बेईमानी यहाँ कहीं नहीं थी। हर इंसान यहाँ मददगार था, इंसानियत का सही परिचय मुझे तब देखने को मिला जब श्रीशैलम बस स्टैंड पर मारकापुर जाने वाली बस के ड्राइवर ने मुझे बार बार फोन करके ये कहा कि बस चलने वाली है आप आओ तो हम चलें। इससे मुझे बस पहचानने में दिक्कत नहीं आई, क्योंकि टिकट तो मैं रात को बुक कर चूका था। मुझे लिए बगैर वो बस रवाना नहीं हुई। हैदराबाद का रेलवे स्टेशन बंद था परन्तु RPF स्टाफ वालों का बात करने का व्यवहार अति शोभनीय था।
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हैदराबाद रेलवे स्टेशन |
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अंतिम शिरा - हैदराबाद |
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हैदराबाद |
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हैदराबाद पर मैं |
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सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन |
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ट्रेन भोज |
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तेलंगाना एक्सप्रेस में एक सफर |
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मैं और तेलंगाना एक्सप्रेस |
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मरामझिरी रेलवे स्टेशन |
यात्रा के अगले भाग:-THANKS YOUR VISIT
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