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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और भालुका तीर्थ
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शाम को द्धारिका से सोमनाथ के लिए हमारा सोमनाथ एक्सप्रेस में रिजर्वेशन था। निर्धारित समय पर ट्रैन द्धारिका से प्रस्थान कर गई, रात को करीब एक बजे मीडिल वाली बर्थ पर सो रही एक लड़की का पर्स किसी ने खिड़की में से पार कर दिया, इस पर वो बहुत घबरा गई और उसने हमारे साथ साथ और भी यात्रियों की नींद खराब कर दी और गुजरात के लोगों को भला बुरा कहने लगी। एक गुजराती से ये सहा नहीं गया और उससे कहने लगा कि मैडम आप कहाँ से आई हो तो लड़की ने जबाब दिया की कालका से।
दरअसल वो हिमाचली लड़की थी तो गुजराती ने बड़े प्यार से उसे समझाया कि मैडम चोरों का कोई राज्य या धरम नहीं होता, वो कहीं पर भी अपना हाथ साफ़ कर सकते बस उन्हें एक मौका चाहिए। गुजरात में ऐसा नहीं है कि आप यहाँ असुरक्षित महसूस करो पर सतर्कता भी कोई चीज़ है। अगला स्टेशन जूनागढ़ आया और पुलिस में शिकायत लिखवाने हेतु वो यहाँ उतर गई तब जाकर हमने दुबारा अपनी नींद पूरी की।
सुबह पांच बजे वेरावल स्टेशन पर उस चोर को पकड़ने के इरादे से काफी फ़ोर्स हमें स्टेशन पर देखने को मिली, अब भगवान जाने वो चोर मिला या नहीं। अगला स्टॉप सोमनाथ है यह आखिरी स्टेशन है, स्टेशन काफी साफ़ सुथरा और टर्मिनल है जैसे कालका, मुंबई या हावड़ा। यहाँ की कॉफी काफी टेस्टी थी इसलिए दो कप पी गया इसके बाद यहाँ के वेटिंग रूम में नहा धोकर बाहर खड़े ऑटो को किराये पर लिया और साथ साथ यहाँ के और भी दर्शनीय तीर्थस्थल को देखने निकल पड़े।
सोमनाथ गुजरात का ही नहीं भारत में भी काफी लोकप्रिय मंदिर है इसका एक मुख्य कारण है भारतीय इतिहास में ख्याति प्राप्त होना। गजनी के शासक महमूद गजनवी द्वारा सत्तरह बार इसपर आक्रमण करना और इसे नष्ट करना। सत्तरह बार इस मंदिर पर आक्रमण उद्देश्य इसलिए था क्योंकि इस मंदिर में इतनी अपर धनसंपदा थी की एक बार में महमूद गजनवी अपने हज़ार घोड़ो पर भी इसे नहीं ले जा सका था वो यहाँ सत्तरह बार आया और यहाँ की धन सम्पदा को लूट कर ले गया।
यह सौराष्ट्र के प्रभास क्षेत्र में स्थित है और समुद्र के किनारे है, एक विशालकाय सोमनाथ मंदिर देखने में बड़ा ही दिव्य लगता है। कहा जाता है कि देवता चंद्र ने साक्षात् यहाँ बैठकर भगवान शिव की तपस्या करके उनको प्रसन्न किया था, चंद्र का दूसरा नाम सोम है इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ कहा जाने लगा। सोम + नाथ अर्थात चन्द्रमा के भगवान।
इसके बाद ऑटो वाले ने हमें एक आश्रम के सामने उतारा और कहा जो भी भोजन पानी करना है यहाँ करलो उसके बाद अन्य जगह पर चलेंगे। इस आश्रम में भी अन्य तीर्थों की तरह मुफ्त भोजन व्यवस्था थी हमने यहाँ खूब भोजन किया और कुछ दान दक्षिणा दान पति में डालकर अपने ऑटो के पास आ गए। यहाँ ऑटो वाले ने हमें दुसरे ऑटो में बैठने को कहा, यह हमें सोमनाथ की सारी जगहें दिखा चूका था अब केवल वेरावल स्थित भालुका तीर्थ और बाण गंगा ही देखने को बचे थे, हम दुसरे ऑटो में शिफ्ट हो गए भालुका तीर्थ की ओर रवाना हो लिए। भालुका तीर्थ ही वो स्थान है जहाँ एक भील के द्वारा तीर लगने से भगवान श्री कृष्ण अपने दिव्य धाम को प्राप्त हुए थे।
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हमारी ट्रैन |
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सोमनाथ स्टेशन पर एक सुबह |
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सोमनाथ दर्शन के लिए बेताब माँ |
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सोमनाथ टर्मिनल स्टेशन |
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सोमनाथ रेलवे स्टेशन |
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सोमनाथ मंदिर |
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जय सोमनाथ |
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त्रिवेणी संगम |
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तीन नदियों का संगम स्थल |
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गौलोक तीर्थ धाम |
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गीता मंदिर |
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भालुका तीर्थ महात्मय |
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एक सूर्य मंदिर |
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बाणगंगा |
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भालुका तीर्थ |
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भालुका तीर्थ |
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श्री भालुका तीर्थ दर्शन |
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