Sunday, July 2, 2017

NEELKANTH MAHADEV : RISHIKESH

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

नीलकंठ महादेव और लक्ष्मण झूला

इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

           पिछले दो दिनों से लगातार बाइक चला रहा था और रात को गंगाजी के किनारे से भी थोड़ा लेट लौटा था इसलिए सुबह जल्दी आँख नहीं खुली और साढ़े छ बजे तक सोता ही रहा। मोबाइल रात को चार्जिंग में लगा दिया था इसलिए फुल चार्ज हो गया था। धर्मशाला के सामने ही गंगा जी थीं फटाफट नहाधोकर तैयार हो गया। गत रात्रि से अब सुबह गंगाजी का बहाब काफी तेज हो गया था और पानी भी काफी ठंडा था, इससे लगता है ऊपर पहाड़ों में काफी तेज बारिश हुई होगी। यहाँ के स्थानीय लोगों ने भी बताया था कि इस वक़्त पहाड़ों में तेज बारिश हो रही है, पहाड़ फिसलने का भी डर है। इसलिए बद्रीनाथ जाने का विचार अगली बार पर छोड़ दिया और नीलकंठ जाने का विचार बनाया।
 

         आज से सात आठ साल पहले मैं वहां माँ के साथ गया था, गए जीप से थे परन्तु वहां से पैदल आये थे। माँ को उस वक़्त पहाड़ से उतरने में बहुत परेशानी हुई थी पर भोले बाबा की कृपा से सब परेशानीयां दूर हो जाती हैं। नीलकंठ मंदिर एक ऊँचे पहाड़ पर स्थित है जो ऋषिकेश से सड़कमार्ग द्वारा करीब इक्कीस किमी दूर है। हमारे पास तो बाइक थी पर साधना को मैं टैक्सी स्टैंड तक ले गया और एक मार्शल जीप से वो नीलकंठ के लिए रवाना हो गई। मैं और कल्पना बाइक से अब पहाड़ पर चढ़ रहे थे। कुछ दूर तक तो गंगा नदी भी हमारे साथ थी पर आगे से रास्ता अलग हो गया। यह रास्ता अति मनोरम दृश्यों से भरपूर था, ऊँचे ऊँचे पहाड़ और उनसे टकराते बादल यहाँ आने वाले हर सैलानी का मन मोह लेते हैं।


नीलकंठ की तरफ 





जहाँ वाइफ और बाइक संग हों, वो यात्रा तो आनंददायक होगी ही 



     
  मंदिर के पास  स्थित एक दूकान पर हमने अपनी बाइक खड़ी कर दी और पूजा का सामान लेकर नीलकंठबाबा के दर्शन हेतु लाइन में लग गए। देखने में लाइन बहुत ही लम्बी लग रही थी पर दर्शन काफी आराम से और बिना किसी परेशानी के हो गए। दर्शन करने के पश्चात हमने वहीँ बने एक रेस्टोरेंट में खाना खाया। पचास रूपये की थाली थी पर भोजन बहुत ही स्वादिष्ट था। इसके बाद हम यहाँ बने एक मंदिर में गए यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों का मंदिर है, मैं पहले भी माँ के साथ यहाँ आ चुका था। अब यहाँ से कल्पना मार्शल में बैठ गई,  मैं और भरत बाइक से नीचे उतरने लगे। रास्ते में एक झरना भी आकर्षण का केंद्र है जहाँ भरत जी ने जमकर प्रकृति का लुफ्त उठाया। आगरा में कहाँ मिलता है ये सब। इसके बाद हम लक्ष्मण झूला की तरफ रवाना हो गए।
लक्ष्मण झूला भी रामझूला की तरह ही है परन्तु यह प्राचीन है, रामझूला बाद में बना है। ऋषिकेश की मुख्य पहचान ही लक्ष्मण झूला की वजह से है। यह यहाँ का मुख्य आकर्षण का केंद्र है और इसके समीप ही बने कई मंजिलों के दिव्य मंदिर भी यहाँ काफी दर्शनीय हैं। कुल मिलकर ऋषिकेश एक तीर्थस्थान होने के साथ साथ प्रकृति का अति मनोरंजनीय स्थल है।



नीलकंठ लोकेशन 

नीलकंठ प्रवेश द्वार 

सामने पहाड़ पर दिखता नीलकंठ 

दर्शनों की लाइन में 

नीलकंठ महादेव मंदिर 




द्वादश ज्योतिर्लिंग दर्शन 








नीलकंठ बाइक यात्रा 

हर हर गंगे 





लक्ष्मण झूला 

ऋषिकेश का एक दृशय 

रामझूला 
यात्रा के अगले भाग में जारी। ….
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