UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
इस यात्रा के सभी भाग लिंक के रूप में नीचे उपलब्ध हैं 👇
कुबेर नगरी - कुम्हेर
अबकी बार मानसून इतनी जल्दी आ गया कि पता ही नहीं चला, पिछले मानसून में जब राजस्थान में बयाना और वैर की मानसून की यात्रा पर गया था, और उसके बाद मुंबई की यात्रा पर, ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो। वक़्त का कुछ पता नहीं चलता, जब जिंदगी सुखमय हो तो जल्दी बीत जाता है और गर दिन दुखमय हों तो यही वक़्त कटे नहीं कटता है। खैर अब जो भी हो साल बीत चुका है और फिर मानसून आ गया है, और मानसून को देखकर मेरा मन राजस्थान जाने के लिए व्याकुल हो उठता है। इसलिए अबकी बार भानगढ़ किले की ओर अपना रुख है, उदय के साथ एक बार फिर बाइक यात्रा।
आज रविवार था, मैं और उदय कंपनी से छुट्टी लेकर सुबह ही मथुरा से राजस्थान की तरफ निकल लिए और सौंख होते हुए सीधे राजस्थान में कुबेर नगरी कुम्हेर पहुंचे। यह मथुरा से 40 किमी दूर भरतपुर जिले में है। कहा जाता है कि यह नगरी देवताओं में धन के देवता कुबेर ने बसाई थी, वही कुबेर जो रावण के सौतेले भाई थे। यहाँ एक विशाल किला है जो नगर में घुसते ही दूर से दिखाई देता है। भानगढ़ की तरफ जाते हुए सबसे पहले हम इसी किले को देखने के लिए गए। किले के मुख्य रास्ते से न होकर हम इसके पीछे वाले रास्ते से किले तक पहुंचे जहाँ हमे एक जल महल भी देखने को मिला।
कहा जाता है कि कुम्हेर के किले की स्थापना जाट सरदार कुंभ ने 1754 ई० में की थी। इस समय कुम्हेर भरतपुर राज्य का एक छोटा सा हिस्सा था। उस समय भरतपुर पर जाट राजा सूरजमल का राज था जिनकी वीरता और शौर्यता के किस्से भारत में चहुँओर फैले हुए थे। इसी को सोचकर मराठों के सरदार पेशवा बालाजी बाजीराव के छोटे भाई राघोबा ने महाराज सूरजमल को अपने अधीन करने के लिए कुम्हेर के किले पर चढ़ाई कर दी परन्तु किले की घेराबंदी सफल नहीं हो सकी।
इसीप्रकार मुग़ल सम्राट आलमगीर 2 के आदेश पर खांडेराव होल्कर ने कुम्हेर पर आक्रमण किया। कुम्हेर के युद्ध में अपनी सेना का निरीक्षण करने के दौरान खांडेराव होल्कर जाट सेना की तोप द्वारा मारा गया। इसके बाद मराठाओं ने एक संधि पर हस्ताक्षर कर अपनी सेना वापस लौटा ली। कुम्हेर का किला उस युद्ध की यादों को समेटे हुए आज भी अजेय खड़ा है। खंडेराव होल्कर को सम्मान देने के लिए महाराज सूरजमल ने अंतिम संस्कार के स्थान पर एक छतरी का निर्माण भी कराया।
आजकल यह किला आमतौर पर बंद ही रहता है क्योंकि किले के बाहर बैठे गार्ड ने हमें बताया कि यह किला क्षतिग्रस्त है और इसका मुख्य दरवाजा आजकल एक सरकारी स्कूल के प्रागण में बना है। इस किले में दो छात्रों की मृत्यु भी हो चुकी है इसलिए वह इसे बंद करके ही रखते हैं। परन्तु हमें किला देखने के लिए उसने चाबी दे दी और इस किले का दरवाजा खोलकर हमने किले को देखा जो बंद रहने की वजह से डरावना भी लगता है।
कुम्हेर की ओर |
किले में प्रवेश करने के लिए इसी स्कूल में प्रवेश करना पड़ता है |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला और सुधीर उपाध्याय |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला और सुधीर उपाध्याय |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
कुम्हेर का किला |
इस यात्रा के सभी भाग लिंक के रूप में नीचे उपलब्ध हैं 👇
- कुबेर नगरी - कुम्हेर और उसका किला
- टहला किला का एक दृशय
- नारायणी माता मंदिर - नारायणी धाम
- अजबगढ़ की ओर
- भानगढ़ - प्रसिद्ध हॉन्टेड प्लेस
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