Saturday, July 1, 2017

RISHIKESH 2017

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


ऋषिकेश धाम - वर्ष 2017 


इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

     चीला के रास्ते हम हरिद्धार से ऋषिकेश पहुंचे। साधना ऑटो के जरिये हमसे पहले ही पहुँच गई थी। ऋषिकेश साधु संतो की तपोस्थली है और उत्तराखंड के चारों धामों की तरफ जाने का प्रवेश द्वार है। चूँकि हरिद्धार को ही हरि का द्धार माना जाता है क्योंकि भगवान विष्णु का धाम बद्रीनाथ, भगवान शिव का धाम केदारनाथ दोनों ही जगह जाने के लिए यात्रा हरिद्धार से ही शुरू होती है ,परन्तु पहाड़ो पर चढ़ाई ऋषिकेश से ही शुरू होती है। आज ऋषिकेश का मौसम मनभावक हो रहा था, यहाँ ऊँचे ऊँचे पहाड़ों को देखकर एक बार तो दिल में आया कि अभी इन पहाड़ों पर चला जाऊं, परन्तु अभी हमें ऋषिकेश भी घूमना था।
   
     सबसे पहले हम त्रिवेणी घाट पहुंचे। यह एक सुन्दर और मनोहर घाट है जहाँ सामने कल कल करती हुई गंगा बहती है और उस पार हरे भरे पहाड़ देखने को मिलते हैं। हम काफी देर यहाँ रुके।यहाँ एक भगवत कथा का आयोजन भी था, गंगा के किनारे देवो की स्थली में भागवत कथा का श्रवण किस्मत से ही मिलता है ।  यहाँ घाट पर ही पार्किंग भी है जहाँ मेरी बाइक निःशुल्क खड़ी हुई। यहीं मैंने अपनी बाइक को भी गंगा स्नान भी कराया। शाम को आरती का वक़्त हो चला था काफी संख्या में लोग यहाँ एकत्र होने लगे। हमें यहाँ से अब रामझूला की तरफ निकलना था.



त्रिवेणी घाट पर भगवान् शिव और माँ पार्वती की अलौकिक मूर्ति 

त्रिवेणी घाट के किनारे 

जय माँ गंगा 

त्रिवेणी घाट 

त्रिवेणी घाट पर साधना 



त्रिवेणी घाट 

        त्रिवेणी घाट से हम अपनी बाइक द्वारा रामझूला पहुंचे। रामझूला पर काफी भीड़ होने के कारण बाइक निकलने में थोड़ी सी दिक्कत सी जरूर हुई पर ज्यादा नहीं। यहाँ से में बाइक खड़ी करके सीधे गीता भवन गया जहाँ मुझे रात को ठहरने के लिए कोई कमरा नहीं मिला पर हाँ खाना खाने के पांच कूपन में जरूर ले आया। गीता भवन में शाम को सात बजे से आठ बजे तक भोजनालय चलती है जिसके एक कूपन की कीमत चालीस रूपये थी। जी भर खाओ जितना भी खाओ पर झूठा तनिक भी न छोडो। खाना बहुत ही लाजबाब था, भरत जी को इस यात्रा में यही आकर खाना खाने में आनंद आया क्योंकि अभी तक खाने की कीमत के हिसाब से कहीं भी ऐसा भोजन नहीं मिला था।

      इसके बाद गीता भवन के बराबर में ही एक और धर्मशाला थी जहाँ मुझे एक रात ठहरने के लिए एक कमरा मिल गया। सभी को कमरे पर ले जाकर मैंने बाइक भी धर्मशाला के अंदर खड़ी की और देर तक गंगा जी के किनारे बैठा रहा और अपने पूर्वजों को याद करता रहा, इस बीच मेरी माँ से भी काफी देर तक बात होती रहीं क्योंकि इस यात्रा में वो मेरे साथ नहीं थीं इसलिए उनकी याद भी मुझे यहाँ आ रही थी, काफी साल पहले मैं अपनी माँ के साथ ही यहाँ आया था और तब से आज आया हूँ। तो याद आना लाजमी थी।  

      यहाँ गंगा जी की विरल धारा है पहाड़ों से निकलकर सबसे पहले गंगा जी यहीं धरती पर आती है।  इसके बाद हरिद्धार पहुंचती हैं। यहाँ हरिद्धार के बराबर भीड़ नहीं होती। यहाँ केवल वे लोग आते हैं जो भगवान की भक्ति में लीन रहना चाहते हैं जिंदगी की तमाम जिम्मेवारियों से मुक्त होकर केवल ईश्वर की आराधना करते हैं। ऐसे ही लोगों के लिए यहाँ गीता भवन बना हुआ है जिसमे कमरे केवल ऐसे ही लोगो को मिलते हैं जो महीने पंद्रह दिन यहाँ गुजरना चाहते हैं। एक या दो दिन रहने वालों के लिए यहाँ कमरे नहीं मिलते।

रामझूला, ऋषिकेश 

ऋषिकेश में, मैं और कल्पना 


ऋषिकेश


हर हर गंगे 
रामझूला और गंगा , ऋषिकेश 

गीता भवन का प्रवेश द्वार 

गीता  भवन 

रूपवती देवी , मेरी मामी जी 

धर्मशाला में मेरी बाइक 

यात्रा के अगले भाग में जारी। ….
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