UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
मथुरा से हरिद्धार बाइक यात्रा
मानसून का मौसम शुरू हो चुका था, मन में कई दिनों से इसबार बाइक से कहीं लम्बा सफर करने का मन कर रहा था परन्तु केवल पहाड़ों की तरफ। मेरे मन में इसबार नैनीताल जाने का विचार बना पर तभी आगरा से साधना ( मेरी ममेरी बहिन ) का फोन आया और उसने हरिद्वार जाने की इच्छा जाहिर की। मैं हरिद्धार पहले भी कई बार जा चुका हूँ परन्तु वह पहली बार हरिद्धार जा रही थी इसलिए नैनीताल जाने का विचार कैंसिल और हरिद्धार का प्लान पक्का। हालाँकि मैं इस बार बाइक से ही यात्रा करना चाहता था इसलिए मैंने इस यात्रा को थोड़ा और आगे तक बढ़ाने का विचार बनाया मतलब बद्रीनाथ जी तक।
मैं बद्रीनाथ बाइक से अकेला नहीं जाना चाहता था इसलिए यह विचार मैंने अपनी ऑफिस के दोस्तों के सामने भी रखा जिसमे उदय मेरे साथ जाने के लिए तैयार हो गया और 29 जून को हमारा यात्रा पर निकलने का प्लान पक्का हो गया परन्तु उसदिन मुझे छुट्टी नहीं मिली इसलिए यह यात्रा एक दिन बाद, मतलब 30 जून को शुरू हुई।
यात्रा की तैयारियाँ होने के बाद रात को अचानक उदय ने फोन करके कहा कि वो अभी हमारे साथ नहीं जा सकता। उसके फैसले से मुझे थोड़ा धक्का सा लगा और एन मौके पर मेरे साथ अब जाने वाला कोई नहीं बचा था सिवाय कल्पना के। अब मेरी इस यात्रा में मेरी सहयात्री मेरी पत्नी कल्पना ही थी।
सुबह साधना का फोन आया वो अपने पति भरत के साथ उज्जैनी एक्सप्रेस से आगरा से निकल चुकी थी। हमारे साथ मेरी मामी ( साधना की माँ ) भी चलने को राजी हो गई और आयराखेड़ा से मामाजी के साथ मथुरा स्टेशन आ गई। मैं स्टेशन के बाहर बाइक खड़ी करके बैग लेकर स्टेशन आ गया और अपने बैग मामी को दे आया। ट्रेन तो हरिद्धार के लिए रवाना हो गई अब हमें भी रवाना हो जाना चाहिए था। सबसे पहले वृन्दावन पहुंचे, बाइक में जो भी कमियाँ थी पहले वो ठीक कराई और स्टड का एक हेलमेट लिया और अपनी यात्रा शुरू की। यमुना एक्सप्रेसवे के रास्ते नॉएडा से गाज़ियाबाद और फिर एन. एच. 24 से मेरठ वाले हाईवे पर सरपट गाडी दौड़ाई।
यमुना एक्सप्रेसवे के बाद सुकौती हमारा दूसरा स्टॉप था, यहाँ कुछ देर आराम करने के बाद हमारी बाइक हरिद्धार के लिए फिर से रवाना हो गई। उज्जैनी एक्सप्रेस अभी हरिद्धार नहीं आ पाई थी, मैं स्टेशन पर खडे होकर ट्रेन की प्रतीक्षा करने लगा और कुछ समय बाद जब ट्रेन आई तो साधना को पता चला कि हम बाइक से आये हैं तो वो एकदम शॉक्ड रह गई। उसे लगा कि हम बाइक से काफी दूर आ गए हैं जहाँ हमें केवल ट्रेन से ही आना चाहिए था क्योंकि मैंने उसे कहीं भी नहीं बताया था कि मैं ट्रेन से नहीं बाइक से जा रहा हूँ और मैं उसे यही कहता आ रहा था कि मैं ट्रेन में हूँ और अगले कोचों में हूँ।
यमुना एक्सप्रेस वे |
हरिद्धार यात्रा, पहला स्टॉप यमुना एक्सप्रेस वे |
दूसरा स्टॉप, सुकौती टांडा |
यात्रा के अगले भाग में जारी। ….
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