रामताल - एक पौराणिक स्थल
अभी कुछ ही दिनों पहले सुर्खियों में एक खबर आई थी कि वृन्दावन के सुनरख गाँव के पास एक कुंड मिला है जिसका नाम रामताल है , बताया जाता है कि ये 2500 बर्ष से भी पुराना है और उसी समय की काफी वस्तुएं भी पुरातत्व विभाग को वहां खुदाई के दौरान मिली। पुरातत्व विभाग ने यहाँ उत्खनन सन 2016 में शुरू कराया तो एक प्राचीन और पौराणिक धरोहर के रूप में रामताल को जमीन के अंदर पाया। यह खबर सुनकर मेरा मन भी बैचैन हो उठा और आखिरकार मैं भी रामताल देखने निकल पड़ा। हालाँकि ड्यूटी पर ही था किसी काम से कंपनी की गाडी लेकर मैं और नीरज वृन्दावन आये और यहीं से हम रामताल पहुंचे।
यह एक भव्य और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर जगह है। यहाँ कभी सौभरि ऋषि का आश्रम हुआ करता था, एक विशालकाय बरगद के पेड़ के नीचे महर्षि सौभरि की मूर्ति प्रतिष्ठापित है और उसके बराबर में ही यञशाला भी बनी हुई है। कहा जाता है कि यहाँ अनुष्ठान करने से मनोकामना पूर्ण होती है। इसी के सामने वर्षों से जमीन के अंदर दबा हुआ रामताल स्थित है जिसे अब पुरातत्व विभाग ने खोज निकाला है। यह बड़ी बड़ी ईंटों से निर्मित चौकोर आकार का एक कुंड है जिसे रामताल के नाम से जाना जाता है।
ब्रज फाउंडेशन द्वारा इसे फिर से पौराणिक धरोहर के रूप में संजोया जा रहा है। इस कुंड पर आज भी काफी मजदूर हमें इसका पुनःनिर्माण करते हुए मिले। मेरे लिए आवश्यक था वर्षों पूर्व दबे हुए इस रामताल की पौराणिक धरोहर को बारीकी से देखना और मैंने पाया की इस कुंड के निर्माण में जिन ईंटों का प्रयोग हुआ था वह ईंटे ऐतिहासिक न होकर पौराणिक ही थी, इतनी लम्बाई की ईंट मैंने पहली बार ही देखी थी।
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रामताल प्रवेश द्धार |
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पुरातत्व विभाग दफ्तर |
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महर्षि सौभरि जी की मूर्ति |
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यञशाला |
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यज्ञ कुंड |
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रामताल |
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रामताल में प्रयोग की गई पौराणिक लम्बी ईंटें |
बढिया खोज
ReplyDeleteAisa lagta hai ki ek aap hi Hain Jo mere blog Ko padhkar Khushi mahsus karte Hain, baki ka to koi pata hi nahi chalta
ReplyDeleteफल की चिंता न करो, अपना कर्म किये जाओ।
Deleteनही रे भईया हम भी पढते है तुम्हारा ब्लाग , कभी कमेंट नही किये लेकिन अछा लगता है , ऐसे ही लिखते रहिये
ReplyDeleteधन्यवाद भईया , ख़ुशी हुई।
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