Saturday, April 4, 2020

PANCHAKKI : AURANGABAD


पहुर से औरंगाबाद और पनचक्की 



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये। 

5 जनवरी 2020 

    अजंता की गुफाएँ देखने के बाद हम लोग महाराष्ट्र परिवहन की एक बस द्वारा पहुर के लिए रवाना हुए। इस बस में अत्यधिक भीड़ थी इसलिए मुझे बैठने के लिए सीट नहीं मिल सकी परन्तु अपने सहयात्रियों को मैंने आराम से अलग अलग सीटों पर बैठा दिया। पहुर पहुंचकर बस अपने स्टैंड पर खड़ी हो गई, यहाँ से पहुर रेलवे स्टेशन की दूरी 2 किमी थी और यह बस रेलवे स्टेशन होते हुए ही जलगाँव की ओर जा रही थी। मैंने इस बस के कंडक्टर और ड्राइवर महोदय से विनती की, कि हमें रेलवे स्टेशन के नजदीक उतार दें, परन्तु उन्होंने हमारा अनुरोध स्वीकार नहीं किया और हमें बस स्टैंड पर ही उतार दिया। हम पैदल ही रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ चले।


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    पहुर स्टेशन पर ट्रेन का समय शाम को साढ़े पांच का है, परन्तु ट्रेन अभी तक नहीं आई थी। सुबह हम इसी ट्रेन से यहाँ आये थे, तब इस रेलवे स्टेशन पर उतरने वाले हम एकमात्र यात्री थे। अब इसवक्त काफी सवारियाँ ट्रेन का इंतज़ार कर रही थीं जो सभी यहाँ के स्थानीय निवासी ही थे। थोड़ी देर में जामनेर की तरफ से ट्रेन के आने का हॉर्न सुनाई दिया, और दूर से ये छोटी सी ट्रेन आती दिखाई देने लगी। 

   अजंता की इस खुशनुमा शाम को एक छोटे से रेलवे स्टेशन पर दूर से आती हुई एक छोटी नैरो गेज की ट्रेन और उसका इंतज़ार करती हमारी तरह अन्य सवारियाँ आज मुझे एक बीते दौर में ले गईं। इस नैरो गेज की रेल यात्रा ने हमारी यात्रा को एक रोमाँचकारी यात्रा बना दिया था और हमारी यही यात्रा एडवेंचर से भरपूर यात्रा रही।

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    ट्रेन आने के पश्चात हम इसकी काठ की सीटों पर अलग अलग बैठ गए। ट्रेन में चने वाले से चने लेकर, उन्हें खाते हुए हम अजंता से विदा ले रहे थे। रात के अँधेरे में आठ - नौ बजे के करीब ट्रेन अपने आखिरी गंतव्य पाचोरा जंक्शन पहुंची। कुशीनगर एक्सप्रेस का टाइम हो चला था मुंबई की तरफ जाने का परन्तु आज यह ट्रेन कई घंटों की देरी से चल रही थी।

    इसलिए हम सबसे पहले चाय वाले भाई की दुकान पर पहुंचे, यहाँ हम सभी ने चाय पी और उसके बाद अपने अपने यहाँ सुरक्षित रखे बैग लिए। बैग लेने के बाद साधना चाय वाले भाई को चाय के रूपये देने के अलावा सामान रखने के बतौर रूपये देने की कोशिस की परन्तु चाय वाला भाई एक खुद्दार आदमी था और उसने पैसे लेने से मना कर दिया।

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    खाना खाने के बाद अपना सामान लेकर हम प्लेटफार्म पर पहुंचे और मनमाड के लिए आने वाली पहली ट्रेन का इंतज़ार करने लगे और यह पहली ट्रेन अमृतसर से मुंबई जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन थी। यह ट्रेन हमारे मथुरा, आगरा से ही होकर आती है और इसे हम पठानकोट एक्सप्रेस कहते हैं। किसी पराये शहर में अपने शहर से आने वाली ट्रेन को देखकर एक अलग ही ख़ुशी दिल में होती है। 

    सर्दी बढ़ चली थी और पठानकोट एक्सप्रेस एक घंटा और लेट हो गई। कुछ समय बाद जब ट्रेन आई तो हम मनमाड की तरफ रवाना हो चले। पाचोरा से आगे इसका स्टॉप चालीसगाँव जंक्शन था, यहाँ इस ट्रेन का 20 मिनट का स्टॉप है और धुले से आने वाले दो कोचों की लिंक ट्रेन इसमें जोड़ दी जाती है।

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    आधी रात होने पर हम मनमाड जंक्शन पहुंचे। मनमाड से सुबह साढ़े पाँच बजे एक पैसेंजर औरंगाबाद के लिए चलती है और इसी ट्रेन को हमने अपनी औरंगाबाद यात्रा के लिए चुना, तब तक हम यहाँ बने वेटिंग रूम में पहुँचे और अपनी अपनी चादर बिछाकर लेट गए। सुबह पाँच बजे साधना ने हमें जगाया और हम नींद भरी आँखों से ही ट्रेन की ओर रवाना हो गए। 

    औरगांबाद जाने वाली पैसेंजर ट्रेन अभी प्लेटफार्म पर लगी नहीं थी। जनवरी की ठण्ड भरी सुबह में हम ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर लगने तक दो - तीन बार चाय पी गए, और जब ट्रेन प्लेटफॉर्म पर लगी तो इसके जनरल कोचों की ऊपरवाली सीटों पर अपना अपना बिस्तर लगाकर हम फिर से सो गए।

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   सुबह जब आँख खुली तो देखा ट्रेन दक्षिण मध्य रेलवे के पोटुल स्टेशन पर खड़ी थी। यहाँ सिंगल लाइन है इसलिए औरंगाबाद की तरफ से जब एक ट्रेन गुजर गई तब यह आगे बढ़ी। अगला स्टॉप एक ऐतिहासिक जगह थी जिसका नाम था दौलताबाद, जिसे सल्तनतकाल में देवगिरि के नाम से जाना जाता था। दौलताबाद के बाद ट्रेन औरंगाबाद पहुंची। 

   मुग़ल सम्राट औरंगजेब के नाम से बसा यह शहर महाराष्ट्र राज्य का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर है। रेलवे स्टेशन के वेटिंगरूम में नहाधोकर और तैयार होकर हम औरंगाबाद घूमने निकल पड़े परन्तु इससे पहले हमने स्टेशन पर ही बने रिफ्रेशमेंट रूम में खाना खाया जिसकी गुणवत्ता बहुत ही बेकार थी। 

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   स्टेशन के बाहर निकलते ही ऑटो वाले हम पर टूट पड़े और उनसे बचते बचाते हम बाहर सिटी बस की तलाश में सड़क पर आये परन्तु सिटीबस अभी खाली ही खड़ी थी इसलिए एक ऑटो के जरिये हम बीवी मक़बरा देखने  पड़े। बीवी का मकबरा, मुग़ल बादशाह औरंगजेब की पत्नी मजार है जो हू ब हू ताजमहल से मिलती जुलती है। 

   बीवी के मकबरे की संबंधित सम्पूर्ण जानकारी आपको इससे अगली पोस्ट में मिलेगी। तब तक बीवी के मकबरे से आगे बढ़ते हैं। बीबी के मकबरे से बाहर निकलकर हमने बाकी स्थान देखने के लिए एक ऑटो हायर किया और ऑटो वाले ने हमें औरंगाबाद के और दर्शनीय स्थल को दिखाने ले गया।  यह स्थान पनचक्की के नाम से प्रसिद्ध है।

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  पनचक्की एक भव्य और सुन्दर स्थान है। यह औरंगाबाद के लोकप्रिय संतबाबा हज़रत बाबाशाह मुसाफिर निवास स्थल था, और आज यहाँ एक सुन्दर मस्जिद का निर्माण हो चुका है। इस मस्जिद के ठीक सामने जल का एक सुन्दर कुंड है जिसमें पुरानी तकनीक के जरिये पत्थरों के पाटों से बनी गोल चक्की बिजली के माध्यम से घूमती है और इस कुंड में जल गिरता रहता है। इस कुंड में सुन्दर फुब्बारे लगे हुए हैं। थोड़ी देर  यहाँ घूमने  हम वेलूर की तरफ निकल पड़े।    

PAHUR RAILWAY STATION 

PAHUR RAILWAY STATION 

PAHUR RAILWAY STATION 

PAHUR RAILWAY STATION 

KALPANA IN TRAIN

PACHORA RAILWAY STATION

ON PACHORA STATION 

MANMAD RAILWAY STATION 

POTUL RAILWAY STATION 

DAULTABAD RAILWAY STATION 

MY TEAM AT AURANGABAD RLY. STATION

AURANGABAD RAILWAY STATION 



PANCHAKKI 

PANCHAKKI 

PANCHAKKI 

PANCHAKKI 

PANCHAKKI 

SADHANA AT PANCHAKKI

WITH CAT IN PANCHAKKI GROUND
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