अजंता की गुफाएँ
यात्रा दिनाँक - 4 जनवरी 2020
बौद्ध धर्म का उदय
भारतभूमि का इतिहास संसार की दृष्टि में अत्यंत ही गौरवशाली रहा है और अनेकों देशों ने भारत की संस्कृति, कला और धर्मक्षेत्र को अपनाया है। यह एक ऐसी भूमि है जहाँ विभिन्न तरह के परिधान, भाषा - बोली, संस्कृतियां और धर्म अवतरित होते रहे हैं। इसी भूमि पर भगवान विष्णु ने राम और कृष्ण के रूप में अवतरित होकर संसार को धर्म और मर्यादा का ज्ञान कराया, साथ ही महावीर जैन ने भी सत्य, अहिंसा और त्याग का ज्ञान देते हुए जैन धर्म का प्रसार किया। जैन धर्म के बाद एक ऐसे धर्म का उदय भारत भूमि पर हुआ जिसका ज्ञान लगभग जैन धर्म के ही समान था और इसके प्रवर्तक विष्णु के ही अवतार माने गए और यह धर्म था - बौद्ध धर्म, जिसका ज्ञान गौतम बुद्ध ने संसार को दिया।
ब्राह्मण साम्राज्य में बौद्ध धर्म
मौर्यवंशीय सम्राट अशोक के समय में बौद्ध धर्म केवल भारत में ही नहीं अपितु अन्य देशों में भी अपने चरमोत्कर्ष पर था और इस धर्म की उन्नति के आगे वैदिक तथा जैन धर्म सिकुड़ कर रह से गए थे। मौर्यवंश के पतन के पश्चात् भारत में ब्राह्मण साम्राज्य का काल शुरू हुआ। ब्राह्मण साम्राज्य के मुख्य राजवंश शुंग, कण्व तथा सातवाहन थे। ब्राह्मण साम्राज्य के अभी शासक वैदिक धर्म के अनुयायी थे और बौद्ध धर्म के प्रति इनकी कोई आस्था नहीं थी। अतः अब भारत भूमि में वैदिक धर्म की अधिक उन्नति हुई और बौद्ध धर्म अब कुछेक राज्यों में ही सीमित था।
अजंता की गुफाओं का निर्माणकाल
सातवाहन वंशीय शासक ब्राह्मण होते हुए भी अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णु थे तथा उन्हें विशेष सम्मान और आदर देते थे। अतः उन्होंने अपने साम्राज्य में बौद्ध धर्म के अनुयायियों हेतु अनेक बौद्ध मंदिरों और गुफाओं का निर्माण कराया। अजंता की कुल 30 गुफाओं में से शुरुआती 4 - 5 गुफाओं का निर्माण द्वितीय शताब्दी में सातवाहन शासकों ने ही कराया। यह गुफाएँ बौद्धधर्म की एक शाखा हीनयान से प्रेरित थीं। यह अजंता की प्रथम प्रावस्था थी और सातवाहन साम्राज्य के पतन के साथ ही अजंता गुफाएँ भी दो शताब्दियों तक अपनी गुमनाम अवस्था में कहीं लुप्त सी हो गईं।
वाकाटक शासकों का प्रमुख योगदान
सातवाहनों के पतन के दो शताब्दियों के पश्चात् वाकाटक शासकों का उल्लेख भारतीय इतिहास में मिलता है। वाकाटक शासक, उत्तर भारत के गुप्त सम्राटों के समकालीन थे। अजंता की अन्य गुफाओं का निर्माण वाकाटक शासकों की देखरेख में संपन्न हुआ। उन्होंने यहाँ बुद्ध मूर्तियों, चैत्य विहारों और बौद्ध भिक्षुयों के रहने और बौद्ध सभाओं हेतु अलग अलग गुफाओं का निर्माण कराया और साथ ही इनमें से कुछ गुफाएँ वाकाटक राज्य के राजपरिवार और सामंतों द्वारा वाकाटक शासकों के प्रति राजनिष्ठा को दर्शाती हैं। यह गुफाएँ बौद्ध धर्म की दूसरी शाखा महायान से प्रेरित हैं।
अजंता की गुफाओं की द्वितीय प्रावस्था
अजंता की यह द्वितीय प्रावस्था पाँचवीं - छटी ई. से प्रारम्भ होकर आगे भी दो शताब्दियों तक चलती रही। 7 वीं शताब्दी के चीनी यात्री हेनसाँग ने भी अपने ग्रंथों में अजंता की गुफाओं का उल्लेख किया है और 8 वीं शताब्दी के राष्ट्रकूट शासकों ने भी इन गुफाओं में अपने अभिलेख खुदवाये।
अजंता की गुफाएं विशालकाय घाटी में घोड़े के नाल की आकार में चट्टानों को काटकर और शिलाखंडों को तराश कर बनाई गईं। यह गुफाएं सुन्दर मनोरम और प्राकृतिक वातावरण के बीच बनाई जो पूर्ण रूप से बौद्ध धर्म के प्रति ही समर्पित थीं। उस काल का वर्णन करना ही कठिन होगा जब यहाँ बौद्ध भिक्षु निवास करते होंगे और सुबह शाम अजंता की घाटी बुद्ध उपासना से गुंजायमान रहती होगी।
इस्लाम के दौर में अजंता गुफाएँ और इनकी खोज
राष्ट्रकूट शासकों की गिनती भारत के राजपूत काल के शासकों में की जाती है। राजपूत काल के बाद भारतभूमि में इस्लाम धर्म का उदय हुआ। इस धर्म के सम्राट, सुल्तान की उपाधि धारण करके स्वयं को सुल्तान कहलवाना पसंद करते थे और भारत के अन्य धर्मों का घोर विरोध करते थे। इस्लामी शासक, हिन्दू एवं बौद्ध मंदिरों, मूर्तियों को तोड़कर इस्लाम धर्म के प्रचार और प्रसार पर जोर देते थे। प्राचीन हिन्दू और बौद्ध से जुड़े स्थानों का सर्वाधिक विनाश इन्हीं के शासन काल में हुआ। सल्तनतकाल के दौरान अजंता की गुफाएं फिर से एक बार गुमनामी की ओर अग्रसर थीं। यह इस्लामिक शासकों की पहुँच से दूर रहीं और सुरक्षित रहीं।
700 वर्षों तक व्यस्त रहने के बाद अजंता की गुफाएँ इस्लामिक काल के बाद एक सदी से भी अधिक समय तक काल के अंधकार में छुपी रहीं लेकिन 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश काल के दौरान सन 1819 में ब्रिटिश सेना के अधिकारी जॉन स्मिथ जब शिकार खेलते हुए जब अजंता की घाटी में पहुंचें तो उन्हें भारतीय इतिहास की अनमोल विरासतों का विशाल भंडार दिखाई दिया। जॉन स्मिथ ने काफी सालों बाद अजंता की गुफाओं को दुनिया के सामने लाकर भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण काल और बौद्ध धर्म से जुडी जानकारियां खोजकर दी। अजंता गुफाओं की खोज भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
अजंता गुफाएँ
महाराष्ट्र प्रान्त के औरंगाबाद जिले से 101 किमी की दूरी पर अजंता नामक एक ग्राम स्थित है जहाँ से कुछ दूरी पर अजंता की गुफाएं स्थित हैं। अजंता की समस्त गुफाएँ बौद्ध धर्म से ही सम्बंधित हैं। इन गुफाओं की दीवारों और भीतरी छतों पर महात्मा बुद्ध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और बौद्ध धर्म के चित्रों को तराशा गया है। यहाँ अनेकों चित्रकारियाँ बनाई गईं हैं जो जातक कथाओं और बोधिसत्व के पुनः जन्म से संबंधित हैं। अजंता की कुल 30 गुफाओं में महात्मा बुद्ध के जन्म से लेकर उनकी मृत्यु तक समस्त जानकारी का उल्लेख है। वाघोरा नदी और इन घाटियों के मनोरम दृश्य को देखते हुए किसी का भी मन यहाँ से जाने को नहीं करता।
मैं अपने सहयात्रियों सहित जब पहुर से यहाँ पहुँचा तो दूर से यह स्थान सिर्फ एक पहाड़ के रूप में दिखाई दिया। हमने सोचा भी नहीं था कि इस पहाड़ की घाटियों और तलहटी में इतना सुन्दर और मनोरम दृश्य भी मौजूद हो सकता है। एक शटल बस द्वारा हम अजंता की गुफाओं के प्रवेश द्वार पर पहुंचे। टिकट लेकर जब हम थोड़ा सा ही आगे बढे और एक ऊँचे स्थान पर पहुंचे तो हमारे सामने का नजारा ही बदल गया और इस विशाल घाटी में हमें ऐतिहासिक गुफाओं की एक लम्बी श्रृंखला दिखाई दी। गुफा नंबर 1 से हम गुफाओं को उतार- चढाव वाली सीढ़ियों के जरिये देखते गए जिनमें से अधिकतर गुफाओं में महात्मा बुद्ध की ध्यानमग्न मूर्ति देखने को मिली।
कुछ गुफाएँ चैत्य विहार को समर्पित थीं। चैत्य विहारों में महात्मा बुद्ध की मूर्ति के स्थान पर सिर्फ स्तूप बना होता है और इसी स्तूप को महात्मा बुद्ध की छवि मानकर उसकी पूजा की जाती है और इनमें कुछ गुफाएं दो मंजिला भवन के रूप में भी हैं। गुफा न. 26 एक बड़ी गुफा और इसमें महात्मा बुद्ध की एक लेटी हुई अवस्था में मूर्ति दिखाई देती है जो उनके महापरिनिर्वाण ( मृत्यु ) की व्याख्या करती है। महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण के समय उनके शिष्य दुखी थे और स्वर्ग के देवता खुश। यह दृश्य भी इस मूर्ति के ऊपर बने खुश होते देवताओं के रूप में और नीचे बनी उनके दुखी होते शिष्यों के रूप में देखा जा सकता है।
पूरा दिन गुफाओं को देखने के बाद हम उस स्थान पर नहीं जा पाए जहाँ से खड़े होकर जॉन स्मिथ ने पहली बार इन गुफाओं को देखा था। यह स्थान प्रेक्षण स्थल कहलाता है और अजंता की घाटियों के बीच एक पहाड़ के टीले की चोटी पर है। यहाँ ना जा पाने का मुख्य कारण था समय, जो अब हमारे पास काफी कम बचा था। हमें यहाँ से बस द्वारा पहुर पहुँचना था और वहां से छोटी लाइन द्वारा पाचोरा, जहाँ हमारे बैग चाय वाले भाई की दुकान पर रखे थे।
अजंता की गुफाएँ - हमारा गौरव
मेरे सहयात्रियों को यह स्थान खास पसंद नहीं आया क्योंकि उन्हें ऐसे ऐतिहासिक स्थानों को देखने में कोई रूचि नहीं थी। इसका प्रमुख कारण यह भी था कि उन्होंने इससे पहले दोनों दिन मुंबई जैसे महानगर में बिताये, वहाँ की चमक - धमक और शहरीय जनजीवन से दूर अजंता एक बेजान सी जगह थी और दूसरा भी अहम कारण यह था कि वे सब अजंता के इतिहास से अंजान थे।
उन्हें ज्ञात ही नहीं था कि वह जो जगह घूमने आये हैं वह आखिर है क्या ? गुफाएं घुमते वक़्त उनके अंदर छाई निराशा को देखकर मैंने उन्हें अजंता के समृद्धशाली इतिहास का परिचय कराया और उन्हें एहसास दिलाया कि ये वो स्थान है जो कई सदियों तक संसार की दृष्टि से दूर इन पहाड़ों में छिपी रहीं। भारतवर्ष की यह अनमोल विरासत, अपनी शानदार शिल्पकला की वजह से आज विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल है जो हमारे लिए बड़े गौरव की बात है।
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WELCOME TO AJANTA CAVES |
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FIRST ENTRY GATE OF AJANTA CAVES |
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MY FACEBOOK PROFILE PHOTO -THIS WAS CLICK HERE |
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ROW FOR AJANTA CAVE SHUTTLE BUS |
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ME & MY WIFE KALPANA AT AJANTA CAVES |
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HISTORY BOARD - AJANTA CAVES |
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BOOKING OFFICE - AJANTA CAVES |
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FIRST VIEW OF AJANTA CAVES |
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FIRST CAVES AT AJANTA CAVES |
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CAVE No.1 - AJANTA CAVES |
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बुद्धिष्टवा पदमपानी - गुफा क्र.1 - अजंता |
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A VIEW OF AJANTA CAVES |
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A STRUCTURE OF AJANTA CAVES |
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प्रेक्षण स्थल - जहाँ से जॉन स्मिथ ने पहली बार अजंता की गुफाओं को देखा |
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AJANTA CAVES |
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AJANTA CAVES |
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छतों पर शानदार चित्रकारियां - अजंता गुफाएं |
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बुद्ध की भिन्न भिन्न मुद्राओं को दर्शाता धर्म चक्र - अजंता गुफाएं |
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AJANTA CAVES |
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AJANTA CAVES |
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खम्भों पर भी शानदार चित्रकारी की गई है - अजंता गुफाएं |
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मेरे सहयात्री - अजंता गुफाएं |
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गुफा क्र. 19 - अजंता गुफाएं |
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गुफा क्र. 19 - अजंता गुफाएं |
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गुफा क्र. 19 - अजंता गुफाएं |
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गुफा क्र. 19 - अजंता गुफाएं |
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अजंता की गुफाएं |
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गुफा क्र. 26 - अजंता गुफाएँ |
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गुफा क्र. 26 - अजंता गुफाएँ |
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महात्मा बुद्ध की मृत्यु अवस्था, गुफा क्र. 26 - अजंता गुफाएँ |
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इसमें ऊपर बनी आकृतियाँ प्रशन्न होते देवताओं की हैं और नीचे विलाप करते शिष्यों की |
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गुफा क्र. 26 - अजंता गुफाएँ |
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गुफा क्र. 26 - अजंता गुफाएँ |
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गुफा क्र. 26 - अजंता गुफाएँ |
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गुफा क्र. 26 - अजंता गुफाएँ |
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गुफा क्र. 26 - अजंता गुफाएँ |
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महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण दर्शाती मूर्ति, गुफा क्र. 26 - अजंता गुफाएँ |
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महात्मा बुद्ध के परलोक गमन पश्चात विलाप करते उनके शिष्य |
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महात्मा बुद्ध के स्वर्ग आगमन की ख़ुशी मनाते देवता |
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AJNATA CAVES |
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AJNATA CAVES |
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AJNATA CAVES |
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अजंता के निवासी |
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वाघोर नदी पर बना पुल और अजंता गुफाएं |
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वाघोर नदी के किनारे - अजंता गुफाएं |
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पहुर की ओर - अजंता से वापसी |
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