अजन्ता की तरफ एक रेल यात्रा - मुंबई से पहुर
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3 जनवरी 2020
मुंबई में दो दिवसीय यात्रा के बाद अब वक़्त हो चला था महाराष्ट्र प्रान्त के दर्शनीय स्थलों को देखने का, इसलिए बड़े बेरुखे मन से हमने मुंबई से विदा ली और हम लोकमान्य तिलक टर्मिनल स्टेशन से कुशीनगर एक्सप्रेस द्वारा पाचोरा के लिए रवाना हुए। कुशीनगर एक्सप्रेस में हमारा पाचोरा तक रिजर्वेशन कन्फर्म था और यह ट्रेन रात को दस बजे के आसपास पाचोरा के लिए रवाना हो गए।
आज हम पूरे दिन के थके हुए थे और अधिक से स्पॉटों को कवर करने के लिए हमने एक पल भी आराम नहीं किया था। इसलिए ट्रेन की सीट पर लेटते ही नींद ने हमें अपने आगोश में ले लिया और महानगर मुंबई से हम कब दूर हो गए पता ही नहीं चला।
थोड़े समय बाद मोबाइल में लगे अलार्म ने बजना शुरू कर दिया, अलार्म की आवाज सुनकर जैसे ही मेरी आँख खुली तो मैंने देखा सुबह के साढ़े चार से पांच बजे के बीच का समय हो गया था जिसका मतलब था हमारा ट्रेन से उतरने का समय हो चला था। मैंने जल्दी से सभी को उठाया और अपना सामान और अपने बैग तैयार किये।
जब तक हम सामान लेकर ट्रेन के दरवाजे तक पहुँचे, तब तक ट्रेन पाचोरा स्टेशन पर आकर खड़ी हो गई। मुंबई से बाहर आने के बाद जनवरी की इस सुबह में हमें ठण्ड का एहसास सा होने लगा था। जब तक हम मुंबई में थे हमें इतनी सर्दी नहीं लगी थी परन्तु मुंबई से इतनी दूर आकर हमें एहसास हुआ कि हम सर्दी के सबसे बड़े माह में यात्रा पर थे।
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हम पाचोरा के वेटिंग रूम में पहुंचे, मुंबई के वेटिंग रूम की अपेक्षा यह हमें काफी ठीक और साफ़ सुथरा लगा। यहीं सभी को बैठकर मैं स्टेशन के बाहर चाय लेने चला गया। पाचोरा, महाराष्ट्र का एक छोटा शहर है, इसलिए यहाँ अधिकतर ट्रेनें नहीं रूकती हैं। स्टेशन के बाहर बनी दुकान से चाय लेकर मैंने अजन्ता की तरफ जाने वाली ट्रेन का पता किया और पहुर तक की सभी की टिकट ले ली।
अब मुझे अपने सामान और बैगों की चिंता थी जिसे लेकर हम अजन्ता नहीं जाना चाहते थे और पाचोरा स्टेशन पर जमा करने के लिए यहाँ क्लॉक रूम नहीं था। इसलिए मैंने चाय वाले भाई से ही क्लॉक रूम का पता किया तो उसने कहा - यहाँ कोई क्लॉकरूम नहीं है। आप चाहो तो मेरी दुकान में ही आप अपने बैग रख सकते हैं।
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पाचोरा स्टेशन एक जंक्शन स्टेशन है, यहाँ एक नैरोगेज की लाइन जामनेर के लिए जाती है जिसपर पिछली साल मैं अकेला यात्रा कर चुका था। पाचोरा से जामनेर के बीच, पहुर नाम का एक स्टेशन पड़ता है जो अजन्ता की गुफाओं तक पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी स्टेशन है। पहुर जाने वाली छोटी लाइन की ट्रेन का समय सुबह 8 बजे है।
मैंने चाय की दुकान पर सामान रखने की बात जब साधना को बताई तो उसे थोड़ा सा भ्रम हुआ और उसने कहा भैया हम किसी ग़ैर पर विश्वास करके उसके पास अपना सामान कैसे छोड़ सकते हैं ? तब मैंने उससे कहा बहन, विश्वास पर ही दुनिया कायम है और वैसे भी मैं इंसान की बातों से ही उसके व्यक्तित्व को समझकर उसपर विश्वास करता हूँ और मुझे इस चाय वाले की आँखों में ईमानदारी दिखाई दे रही है।
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अभी मैं और साधना यही बात कर ही रहे थे कि छोटी रेल ने एक जोरदार सीटी दी, सीटी की आवाज सुनकर जल्दी से हम अपने अपने बैगों को दुकान में रखकर छोटी रेलवे लाइन की तरफ बढ़ चले। मैं किसी भी हाल में अपने बनाये गए यात्रा कार्यक्रम से अलग नहीं होना चाहता था और नैरो गेज की यह ट्रेन, हमारे अजन्ता पहुँचने के लिए एक मात्र विकल्प थी।
खैर हम स्टेशन पर पहुँचे तो ट्रेन चलने के लिए बिलकुल तैयार खड़ी हुई थी, हमारे ट्रेन में बैठते ही गार्ड साब ने हरी झंडी को हवा में फहराना शुरू कर दिया और एक जोरदार सा झटका लेकर ट्रेन अपनी मंजिल को रवाना हो चली।
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सर्दियों की सुबह थी, तो ठण्ड लगना लाजमी था। लकड़ियों की सीटों पर आज काफी समय बाद हम सब यात्रा कर रहे थे और खिड़की के सहारे बैठकर महाराष्ट्र की सुबह की तरोताजा हवा का आनंद ले रहे थे। सूर्य भी दूर उदित होता हुआ अपनी लालिमा बिखरने में देर नहीं कर रहा था। महाराष्ट्र के छोटे छोटे गाँवों से होती हुई ट्रेन करीब दस बजे पहुर पहुंची।
इस स्टेशन पर उतरने वाले हम एक मात्र यात्री थे, थोड़ी देर रुकने के बाद ट्रेन अपने गंतव्य को रवाना हो गई और ये छोटा सा स्टेशन एक दम खाली सा हो गया। बस एक दो लोग ही थे यहाँ जो हमें अपने स्टेशन पर देखकर आश्चर्य चकित हो रहे थे क्योंकि यहाँ अधिकतर यहाँ के स्थानीय निवासी ही इस ट्रेन से यात्रा करते हैं। कोई एकाध ही होगा जिसने हमारी तरह अजन्ता पहुँचने के लिए इस ट्रेन को अपना एकमात्र विकल्प समझा हो।
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पहुर स्टेशन पर थोड़े बहुत फोटो खींचने के बाद हम यहाँ से 2 किमी दूर पहुर ग्राम स्थित बस स्टैंड के लिए पैदल ही रवाना हुए। पहुर बस स्टैंड पर पहुंचकर हमने सबसे पहले यहाँ नाश्ता किया और बस आने का इंतज़ार करने लगे। पहुर ग्राम जलगाँव से औरंगाबाद वाले राजमार्ग पर स्थित है। थोड़ी देर में यहाँ एक स्लीपर प्राइवेट बस आई और हम इसी बस द्वारा अजंता की ओर रवाना हो गए।
अजंता से ठीक पहले एक रेस्टोरेंट पड़ता है जहाँ हर बस आधा घंटे के लिए रूकती है चाहे वो प्राइवेट हो या फिर सरकारी। आधा घंटे बाद बस फिर से आगे बढ़ चली और थोड़ी देर बाद बस वाले ने हमें अजंता उतार दिया।
कुशीनगर एक्सप्रेस में मेरे सहयात्री - पाचोरा पर उतरने के इंतज़ार में |
WELCOME TO PACHORA JN. |
जनवरी की ठण्ड में पाचोरा स्टेशन के बाहर - एक चाय |
पाचोरा स्टेशन की रेलवे समय सारिणी |
अजंता जाने वाली छोटी लाइन की ट्रेन - पाचोरा जंक्शन |
लकड़ियों की सीट - पाचोरा से जामनेर पैसेंजर |
महाराष्ट्र की सुबह की ताजा हवा का आनंद लेते हुए मैं और कल्पना |
VARKHEDI RAILWAY STATION |
PIMPALGAON RAILWAY STATION |
NARROW GAUGE TRAIN AT PIMPALGAON |
SHENDURNI RAILWAY STATION |
ENJOY IN NARROW GAUGE TRAIN |
AT PAHUR RAILWAY STATION |
PAHUR RAILWAY STATION |
PAHUR - NEAREST RAILWAY STATION OF AJANTA CAVES |
SUDHIR UPADHYAY AT PAHUR |
SADHANA'S FAMILY AT PAHUR RAILWAY STATION |
पहुर रेलवे स्टेशन की किराया सूची और समय सारिणी |
PAHUR RAILWAY STATION |
पहुर में नाश्ता |
अजंता की ओर |
शीघ्र प्रकाशित अगला भाग : - अजन्ता की गुफाएँ
पिछले भाग :-
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