साईं नगर शिरडी
6 जनवरी 2020 इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये।
हम करीब साढ़े नौ बजे शिरडी पहुँच गए थे, एक प्रसाद वाले की दुकान पर अपने बैग रखकर हम साईं बाबा के दर्शन करने लाइन में लग गए और दर्शन पर्ची लेकर साईं बाबा के दर्शन हेतु अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे। आज काफी सालों बाद मेरी और साधना की मुलाकात बाबा से होने वाली थी। बहुत दिन हो गए थे बाबा से बिना मिले इसलिए अब जब हमारी यह यात्रा अंतिम चरण में थी तो दिल ने सोचा क्यों ना बाबा के दर्शन कर चलें। आखिर कार हमारी यह यात्रा धार्मिक यात्रा भी तो थी।
महाराष्ट्र प्रान्त के गोदावरी नदी के समीप शिरडी नामक ग्राम स्थित है जहाँ 18 वीं सदी में साईंबाबा का प्रार्दुभाव एक वृक्ष के नीचे हुआ था। साईंबाबा के बारे में प्रचलित है कि इनका जन्म और इनकी बाल्यकाल अवस्था अज्ञात है। इनका सबसे प्रथम दर्शन शिरडी वासियों को ही हुआ था, जब उन्होंने एक वृक्ष के नीचे एक दिव्यतेज युवा को ध्यानमग्न अवस्था में देखा।
इस ध्यानमग्न युवा के चारों ओर वहां के पालतू पशु परिक्रमा करते हुए नजर आये। अतः उनके दिव्य तेज और पशुओं की इस आस्था को देखते हुए उन्होंने उन्हें पूजना शुरू कर दिया। साईबाबा न हिन्दू थे और न ही मुसलमान, उन्होंने ईश्वर को सदैव मालिक कहकर सम्बोधित किया और संसार को यही सिखाया कि श्रद्धा और सब्र से बढ़कर कुछ नहीं और सबका मालिक एक है।
सही वक़्त के हिसाब से हमें साईबाबा के दिव्य दर्शन हो गए। शिरडी में साईंबाबा की समाधि के ठीक सामने उनकी बैठी हुई दिव्य प्रतिमा है जिसे देखकर लगता है कि साक्षात् साईबाबा ही सामने बैठे हों। साईबाबा मंदिर ट्रस्ट की तरफ से साईभक्तों के लिए तमाम सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ निशुल्क चाय, दूध और बिस्किट का वितरण निरंतर लाइन में लगे भक्तों के लिए चलता रहता है।
इसके अलावा बैठने के लिए बेंच और हवादार पंखे लगे हुए हैं और जगह जगह बड़ी बड़ी स्क्रीन वाली एलसीडी टीवी जिनपर साईबाबा की प्रतिमा और समाधी के लाइव दर्शन चलते रहते हैं। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से यहाँ जगह जगह CCTV कैमरे भी लगे हुए हैं।
साईबाबा के दर्शन करने के बाद हम यहाँ से एक किमी दूर बने साईं प्रसादालय की तरफ बढ़ चले। यह साई प्रसादालय साईं बाबा मंदिर ट्रस्ट की तरफ से संचालित होता है और इसमें अनेकों साईभक्त एक साथ साईबाबा का प्रसाद रूपी भोजन ग्रहण करते हैं। यहाँ साईभक्तों के लिए एक विशाल हॉल बना हुआ है जिसमें स्टील से बनी अनेकों बेंच लगी हुई हैं, जिनपर बैठकर साईभक्त भोजन ग्रहण करते हैं।
ट्रस्ट की तरफ से अनेकों सेवक यहाँ साईभक्तों को गरमागरम भोजन करवाते हैं ठीक उसी तरह जैसे साईंबाबा अपने हाथों से अपनी रसोई से भोजन बनाकर भूखों को भरपेट भोजन करवाते थे। आज भी यह साईप्रसादालय उनकी रसोई के समान ही है।
अब हमारी ट्रेन का समय नजदीक हो चला था, इसलिए अब हमें शीघ्र से शीघ्र कोपरगाँव स्टेशन पहुँचना था जहाँ से कर्नाटक एक्सप्रेस द्वारा हमें अपने घर भी लौटना था। बारह बज चुके थे, ट्रेन का समय दोपहर डेढ़ बजे था इसलिए अब बिना देर किये हम एक ऑटो द्वारा साईबाबा को प्रणाम करके स्टेशन की तरफ बढ़ चले। ऑटो वाले ने हमें सही समय से स्टेशन पहुंचा दिया था। कोपरगाँव स्टेशन शिरडी का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो मनमाड़ से पुणे वाली रेलवे लाइन पर स्थित है।
कर्नाटक एक्सप्रेस में हमारा रिजर्वेशन भुसावल से मथुरा के लिए था, क्योंकि हमें कोपरगाँव से इस ट्रेन रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं मिल पा रहा था और भुसावल से इसमें हमें कन्फर्म टिकट मिल गया था इसलिए हमने कोपरगाँव से भुसावल तक जनरल की टिकट लेकर ही यात्रा करने का निश्चय किया था किन्तु हमारे सामने परेशानी तब आई जब हमें यहाँ से भुसावल तक कर्नाटक एक्सप्रेस का जनरल टिकट नहीं मिला क्योंकि इस ट्रेन की जनरल टिकट भोपाल और उससे आगे के लिए ही मिल रही थी उससे पहले नहीं इसलिए हमें बिना टिकट ही भुसावल तक इस ट्रेन में यात्रा करनी पड़ी।
जब ट्रेन प्लेटफॉर्म पर पहुँची तो इसके जनरल कोच में बहुत भीड़ थी इसलिए हम विकलांग कोच में बैठकर भुसावल तक पहुंचे और उसके बाद हम अपनी अपनी सीटों पर पहुँच गए जहाँ से हमारी यात्रा सुविधाजनक हो सकी।
रात को जब ट्रेन भोपाल पहुंची तो इसके भोपाल पहुँचने से पहले मेरी आँख लग गई, इधर जैनसाब ( रूपक जैन जी ) मुझे फोन करते रहे। भोपाल पहुँचने पर जब मेरी आँख खुली तो देखा उनकी अनेकों कॉल मेरे फोन में थी। मैंने तुरंत उन्हें फोन किया तो उन्होंने बताया कि ज्यादा रात हो जाने के कारण वह तो नहीं आ सके थे किन्तु उन्होंने सचिन भाई को मुझसे मिलने भेज दिया था।
सचिन भाई मुझसे मिलने मेरे कोच में आये और उनसे मुलाकात कर मुझे साक्षात् ऐसा ही लगा जैसे जैन साब खुद ही मुझसे मिलने आये हों। भोपाल से ट्रेन के निकलने के बाद मैं फिर से सो गया और सुबह मेरी आँख मेरे भूतपूर्व शहर आगरा कैंट पर खुली। यहाँ साधना और भरत की यात्रा समाप्त हो गई। उनसे विदा लेने के बाद हम अपने अगले स्टॉप मथुरा पहुंचे और वहां से कल्पना के भाई रामलखन मेरी बाइक लेकर स्टेशन आ गए जिससे मैं अपने घर पहुँच गया और हमारी यह यात्रा समाप्त हो गई।
शिरडी में मेरे सहयात्री |
श्री साईं प्रसादालय - शिरडी |
प्रसादालय के बाहर साईंबाबा की मूर्ति |
मैं और कल्पना |
मैं और साधना |
श्री साईं प्रसादालय में प्रसाद ग्रहण करते भक्त |
शिरडी प्रवेश द्वार |
कोपरगाँव रेलवे स्टेशन |
कोपरगाँव रेलवे स्टेशन |
कोपरगाँव रेलवे स्टेशन |
मनमाड के नजदीक |
SHIRSOLI RAILWAY STATION |
PAINTING AT BURHANPUR RAILWAY STATION |
KALPANA IN KARNATAKA EXPRESS |
नए साल 2020 हमारी यह पहली यात्रा सभी प्रकार की यात्राओं से भरपूर थी जिनका विवरण मैं नीचे दे रहा हूँ।
1 . रेल यात्रा
- मथुरा जंक्शन से मुंबई सीएसटीएम - पंजाब मेल
- मुंबई सीएसटीएम से तिलक नगर - मुंबई लोकल शटल
- तिलक नगर से राम मंदिर - मुंबई लोकल शटल
- राम मंदिर से तिलक नगर - मुंबई लोकल शटल
- चेम्बूर से दादर - मुंबई मोनो रेल
- वडाला रोड से बोरीवली - मुंबई लोकल शटल
- गोरेगाँव से विले पार्ले - मुंबई लोकल शटल
- शांताक्रूज से चर्च गेट - मुंबई लोकल शटल
- मुंबई सीएसटीएम से तिलक नगर - मुंबई लोकल शटल
- मुंबई एलटीटी से पाचोरा जंक्शन - कुशीनगर एक्सप्रेस
- पाचोरा जंक्शन से पहुर - नैरो गेज पैसेंजर यात्रा
- पहुर से पाचोरा जंक्शन - नैरोगेज पैसेंजर यात्रा
- पाचोरा जंक्शन से मनमाड़ जँ. - अमृतसर - मुंबई एक्सप्रेस
- मनमाड़ जँ. से औरंगाबाद - नांदेड़ पैसेंजर
- औरंगाबाद से कोपरगाँव - धुले पैसेंजर
- कोपरगाँव से साईंनगर शिरडी - सिकंदराबाद - शिरडी एक्सप्रेस
- कोपरगाँव से मथुरा जंक्शन - कर्नाटक एक्सप्रेस
2. ऐतिहासिक यात्रा
- मुंबई सीएसटीम रेलवे स्टेशन - मुंबई
- कान्हेरी गुफाएँ - मुंबई
- अजंता की गुफाएँ - औरंगाबाद
- बीबी का मक़बरा - औरंगाबाद
- दौलताबाद का किला - औरंगाबाद
- औरंगजेब का मकबरा - औरंगाबाद
- एलोरा की गुफाएँ - औरंगाबाद
3. तीर्थ यात्रा
- बाणगंगा और बालुकेश्वर महादेव - मुंबई
- श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - वेलूर, औरंगाबाद
- साईबाबा समाधि - शिरडी
4. पर्यटन यात्रा
- मरीन ड्राइव - मुंबई
- हैंगिंग गार्डन - मुंबई
- कमला नेहरू गार्डन - मुंबई
- तारापोरवाला मत्स्यालय - मुंबई
- संजय गाँधी राष्ट्रीय पार्क - मुंबई
- फिल्म सिटी - मुंबई
- जुहू बीच - मुंबई
- गेटवे ऑफ़ इण्डिया - मुंबई
धन्यवाद
यूं तो मैं भी 22 जनवरी 2020 को शिरडी में साईं बाबा के दर्शन कर के आया हूं पर मुझे शिरडी के बारे में जितनी अच्छी जानकारी आपके इस ब्लॉग पोस्ट से मिली वह खुद दर्शन करने से भी नहीं मिली थी। दर असल हम औरंगाबाद, शनि शिंगणापुर, शिरडी, नाशिक, भीमाशंकर, लोनावला और मुंबई की यात्रा एक टेम्पो ट्रेवलर से कर रहे थे। पैकेज टूर के कारण हमारे होटल भी बुक पहले से ही हो चुके थे। ऐसे में वैन से उतरो, होटल में, होटल से निकलो तो वैन में, वैन से निकलो और मंदिर में, मंदिर से निकलो तो वापिस वैन में ! ऐसे में किसी शहर के बारे में जानो भी तो कैसे? व्यक्तिगत रूप से मुझे ऐसी यात्रा पसन्द नहीं हैं पर कई सारे परिवार जब एक साथ घूमने निकलें तो उसमें भी एक अलग ही आनन्द है। बस, उस आनन्द के लोभ में मैं ऐसी यात्राएं भी कर लेता हूं।
ReplyDeleteमैं आपके ब्लॉग पर किसी और वज़ह से आया था। दर असल मुझे आपके ब्लॉग को अपने ब्लॉग http://indiatraveltales.in पर बनाई गयी एक ब्लॉगर्स की लिस्ट में शामिल करना था। शामिल करने से पहले आपके ब्लॉग पर आकर आपका और आपकी लेखनी का परिचय प्राप्त करना था। यहां आया हूं तो सब कुछ मन को भा रहा है। अभी तो एक ही पोस्ट पढ़ी है, बाकी पढ़ने के लिये पुनः आता रहूंगा। फिलहाल नमस्कार ! स्वस्थ रहें, व्यस्त रहें, मस्त रहें।
आपका हार्दिक आभार सर, आपने अपने शब्दों से मेरे यात्रा विवरण को लिखने में मेरा उत्साहवर्धन किया है। मैं और मेरा ब्लॉग लेखन यदि आपके लिए यदि महत्वपूर्ण होता है तो मुझे इससे अधिक और क्या ख़ुशी प्राप्त हो सकती है। आप बिल्कुल मुझे अपने ब्लॉगर्स लिस्ट में शामिल कर सकते हैं। आपका दिन शुभ हो। धन्यवाद
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