बीबी का मक़बरा
यात्रा दिनाँक :- 5 जनवरी 2020
विश्व प्रसिद्ध मुगलकालीन ईमारत ताजमहल की तर्ज पर बना बीबी का मकबरा, असल में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी महान शासक औरंगजेब की पत्नी, दिलरस बानो बेग़म का मक़बरा है जिनका देहांत मुमताज़ महल की ही तरह जज्चा संक्रमण की वजह से सन 1657 में हो गया था। इनके मरणोपरांत इन्हें राबिया उदौरानी के नाम से जाना गया जिसका हिंदी अनुवाद 'उस युग की राबिया' है।
कई लोग इसे सम्राट औरंगजेब का मकबरा भी समझ लेते हैं किन्तु यह गलत है। बेग़म की मृत्यु के पश्चाय सम्राट औरंगजेब ने यहाँ एक सादा कब्र का निर्माण कराया और बाद में औरंगजेब के पुत्र शहजादा आज़मशाह ने इसे ताजमहल से भी सुन्दर बनवाने की कोशिश की किन्तु अत्यधिक व्यय के चलते औरंगजेब ने ऐसा नहीं होने दिया।
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दिलरस बानो बेग़म उर्फ़ राबिया उद दुर्रानी , ईरान के सफ़वी वंश के शासक मिर्ज़ा बदीउद्दीन सफ़वी की पुत्री थीं। 1637 में उनका विवाह मुगलवंश के प्रसिद्ध शासक औरंगजेब से हुआ था। दिलरस बानो, औरंगजेब की प्रिय और मुख्य रानी थीं, इनके पाँच संतान थीं जिनमें शहजादा मुहम्मद आजमशाह, जैबुनिस्सा, जिनतुन्निसा और सुल्तान मुहम्मद अकबर। अपनी आखिरी संतान को जन्म देने के पश्चात अपनी सास मुमताज महल की ही तरह दिलरस बानो बेगम का प्रसव पीड़ा की वजह से देहांत हो गया।
औरंगजेब मुग़ल साम्राज्य का एक महान और शक्तिशाली सम्राट था, उसके समय की शिल्प एवं स्थापत्य कलाओं में केवल यहीं एक मुख्य ईमारत है जो उसकी बेगम के प्रति समर्पित है। बीबी के मकबरे का निर्माण संन 1651 से 1661 के बीच शहजादा आजमशाह द्वारा अपनी माँ की याद में करवाया गया था।
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यह मक़बरा मुग़ल वास्तु शैली का एक अनुपम उदाहरण है। हालाँकि इसमें ताजमहल के निर्माण में प्रयोग हुए संगमरमर की जगह केवल प्लास्टर का ही प्रयोग हुआ है इसके बाबजूद भी इसकी सुंदरता और भव्यता देखने लायक है। इसे भारत का दूसरा ताजमहल कहना गलत नहीं होगा। उसके चारों तरफ प्लास्टर से बनी ऊँचीं ऊँची मीनारें देखने योग्य हैं। इसके अंदर बेगम राबिया उददौरानी की कब्र हूबहू ताजमहल की शाहजहां और मुमताज की कब्र की तरह तहखाने में दिखाई पड़ती है जिसे सिर्फ ऊपर से ही देखा जा सकता है।
कब्र तक पहुँचने का रास्ता भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है जहाँ आम पर्यटकों का प्रवेश वर्जित है। इस मकबरे के एक तरफ शहर और बाकी तीनों तरफ औरंगाबाद की पहाड़ियां नजर आती हैं जिससे यहाँ का दृश्य और भी खूबसूरत लगता है। इसके अलावा मक़बरे के चारों तरफ बने सुन्दर बाग़ बगीचे और उद्यान इसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा देते हैं।
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मेरे सहयात्रियों को इस मकबरे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, जब पहलीबार उन्होंने इसे देखा तो वह भी ताजमहल ही समझ बैठे और कहने लगे - वाब...... दूसरा ताजमहल। उनका यह आश्चर्य लाजमी था क्योंकि जो भी इसे पहलीबार यहाँ आकर देखता है तो इसे देखकर आश्चर्य में पड़ जाता है। प्रवेश द्वार के अंदर प्रवेश करते ही यह भव्य ईमारत मन को मोह लेती है, यहाँ संगमरमर बनी सीट पर बैठकर फोटो खिंचाने के लिए लोग अपने नंबर का इंतज़ार करते नजर आ रहे थे।
ताजमहल की यादों को ताजा कर देने वाला यह स्थान सभी को बहुत पसंद आया और काफी इंजॉय करने के बाद हम यहाँ से अपनी आगे की यात्रा के लिए रवाना हो गए।
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बीबी के मकबरे का बाहर से दृश्य |
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करीब से देखिये |
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HISTORY BOARD - BIBI KA MAQBARA |
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BOOKING OFFICE - BIBI KA MAQBARA |
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ENTRY GATE - BIBI KA MAQBARA |
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BIBI KA MAQBARA |
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ME & KALPANA AT BIBI KA MAQBARA |
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BIBI KA MAQBARA |
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पत्नी नहीं मानी और मुझे फोटो खिंचवाना ही पड़ा। |
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शानदार जालीदार झरना, बीबी का मक़बरा |
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प्लास्टर से बनी मीनार - बीबी का मक़बरा |
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बीबी के मकबरे से प्रवेश द्वार का एक दृश्य |
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दिलरस बानो बेगम उर्फ़ राबिया उद दुर्रानी की कब्र |
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दिलरस बानो बेगम उर्फ़ राबिया उद दुर्रानी की कब्र |
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कब्र के ऊपर की छत |
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मकबरे के पीछे का भाग जहाँ से औरंगाबाद की पहाड़ियां भी नजर आ रही हैं। |
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मकबरे के परकोटे में बने शानदार बाग़ बगीचे |
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मेरा फेसबुक प्रोफाइल फोटो - यहीं से लिया गया था। |
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मकबरे के बाहर पुरानी ऐतिहासिक कब्रगाह - औरंगाबाद |
आपका आगमन प्रार्थनीय है। धन्यवाद
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