Monday, November 28, 2016

BRAHMAND GHAT : GOKUL



ब्रह्माण्डघाट

     भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया और मथुरा की भूमि पर अनगिनत लीलाएं की।  इनकी लीलाओं से जुड़े अनेकों स्थान आज भी मथुरा और उसके आसपास देखे जा सकते हैं। हमने आगरा छोड़कर अपना स्थाई निवास अब मथुरा बना लिया है इसलिए आज  मैं मथुरा आसपास घूमने के लिए निकला और और गोकुल के नजदीक एक घाट  पर पहुंचा। जिसका नाम है ब्रह्माण्डघाट।
      गोकुल के नजदीक ही यमुना नदी के किनारे यह घाट स्थित है । कहते हैं यह वही स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने बचपन में माटी खाई थी, उन्हें माटी खाते देख माँ यशोदा उन्हें मुँह खोलने को कहती हैं तो श्री कृष्ण के छोटे से मुख में सारा ब्रह्माण्ड देख आश्चर्य चकित रह जाती हैं । यहां से मेरी ब्रजयात्रा प्रारम्भ होती है। 


Wednesday, August 10, 2016

Mumbai CST

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

मुम्बई - मेरी पहली यात्रा

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      एक बार मुम्बई देखने का हर किसी का सपना होता है, मेरा भी सपना था और साथ में मेरी माँ का भी । ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के पश्चात् हम सुबह मनमाड पहुंचे और राज्य रानी एक्सप्रेस पकड़कर मुम्बई सीएसटी ।
पहली बार मुम्बई देखने की एक अलग ही ख़ुशी थी आज मेरे मन में और इससे भी ज्यादा ख़ुशी थी अपनी माँ को मुम्बई दिखाने की। यूँ तो मैंने अपनी माँ को दिल्ली, कलकत्ता और चेन्नई तीनो महानगर दिखा रखे हैं पर  हर किसी के दिल में बचपन से ही जिस शहर को देखने का सपना होता है वो है मुम्बई । सीएसटी स्टेशन पर पहले मैंने और माँ ने भोजन किया और उसके बाद हम सीएसटी के बाहर निकले ।

     अंग्रेजों के समय में बना यह स्टेशन आज भी कितना खूबसूरत लगता है इसीलिए ये विश्व विरासत सूचि में दर्ज है। यहाँ हमने दोमंजिला बस भी पहली बार ही देखी थी। इसी बस द्वारा हम गेट वे ऑफ़ इंडिया पहुंचे। समुद्र तट पर स्थित यह ईमारत भी मुझे ताजमहल से कम नहीं लगी और साथ ही ताज होटल जिसे हम बचपन से टीवी अख़बारों में देखते आ रहे थे आज आँखों के सामने था ।

Tuesday, August 9, 2016

GHUSHMESHWAR JYOTIRLING 2016

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग

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          त्रयंम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के पश्चात् मैं, माँ को साथ नाशिक रोड स्टेशन आ गया । अब मेरा प्लान माँ को घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करवाना था। घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र प्रान्त के औरंगाबाद जिले से 25 किमी दूर एलोरा गुफाओं के पास वेरुल में स्थित है। मैंने मोबाइल में औरंगाबाद जाने वाली ट्रेन देखी। आज मुम्बई से काजीपेट के लिए एक नई ट्रेन शुरू हुई थी, जिसका उद्घाटन मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनल स्टेशन पर हुआ। जब यह ट्रेन स्टेशन पर आई तो यह पूरी तरह खाली और फूलमालाओं से सजी हुई थी। मैं और माँ इसी ट्रेन से औरंगाबाद की तरफ बढ़ चले। मनमाड के बाद से रेलवे का दक्षिण मध्य जोन शुरू हो जाता है, इस रेलवे लाइन पर यात्रा करने का यह मेरा पहला मौका था। रास्ते में एक स्टेशन और भी मिला दौलताबाद । यहीं से मुझे एक गोल पहाड़ सा नजर आ रहा था, पता नहीं क्या था ।

TRYAMBKESHWAR JYOTIRLING 2016

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग 

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      पूरी रात बस द्धारा सफर करने के बाद मैं और माँ सुबह चार बजे ही नाशिक बस अड्डे पहुँच गए , बारिश अब भी अपनी धीमी धीमी गति से बरस रही थी । त्रयंबकेश्वर जाने वाली कोई बस यहाँ नहीं थी, काफी देर इंतज़ार करने के बाद  हमे एक बस मिल गई जिससे हम सुबह पांच बजे तक त्रयंबकेश्वर पहुँच गए । यूँ तो मैं पहले भी एक बार नाशिक आ चुका हूँ, जब हमने पंचवटी और शिरडी के दर्शन ही किये थे। यहाँ तक आना नहीं हो पाया था परन्तु इसबार हमारी त्रयंबकेश्वर की यात्रा भी पूरी हो चली थी। अभी दिन निकला नहीं था, बरसात की वजह से थोड़ा ठंडा मौसम था। त्रयंम्बकेश्वर मंदिर के लिए हमने बस स्टैंड से ऑटो किया जिसने पांच मिनट बाद हमे मंदिर पर उतार दिया, बस स्टैंड से मंदिर की दूरी करीब एक किमी से भी कम है।

Sunday, August 7, 2016

BHIMASHANKAR JYOTIRLING 2016

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग 


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     शनिवारवाड़ा देखने के बाद दादाजी ने अपनी कार से हमें शिवाजी बस स्टैंड पर छोड़ दिया। उनसे दूर होने का मन तो नहीं कर रहा था परंतु मैं और माँ इस वक़्त सफर पर थे और सफर मंजिल पर पहुँच कर ही पूरा होता है, राह में अपने मिलते हैं और बिछड़ जाते हैं परंतु मंजिल हमेशा राही का इन्तज़ार करती है। और इसवक्त हमारी अगली मंजिल थी भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की ओर। बस स्टैण्ड पर धीमी धीमी बारिश हो रही थी, काफी बसें यहाँ खड़ी हुई थीं परन्तु भीमाशंकर की ओर कौन सी जाएगी ये पता नहीं चल पा रहा था।

PUNE 2016

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

पुणे की एक शाम और शनिवार वाड़ा 

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         करीब चौबीस घंटे का सफर तय करने के बाद गोवा एक्सप्रेस ने हमें पुणे के रेलवे स्टेशन पर उतार दिया, मैंने पहली बार पुणे का रेलवे स्टेशन देखा था, इससे पहले सिर्फ इसके बारे में सुना था। ट्रेन का सफर पूरा होने के बाद अभी हम आगे के बारे में सोच ही रहे थे कि कहाँ जाना है अंजान शहर है तभी माँ ने बताया कि मेरे दादाजी जो मेरे गाँव के ही हैं यहाँ रहते हैं उनका नाम योगेंद्र कुमार उपाध्याय है। मैंने घर पर फ़ोन करके उनका नंबर लिया और उनके पास कॉल किया ।

        जब मैंने उन्हें बताया कि मैं और माँ पुणे स्टेशन पर हैं तो मैं कह नहीं सकता कि उन्हें यह सुनकर कितनी ख़ुशी हुई होगी क्योंकि अचानक कोई अपना इतनी दूर से इतने पास आ जाए तो वो ख़ुशी छिपाये नहीं छिपती और साथ ही उन्होंने मुझे डांटा भी कि हमने अपने आने की खबर उन्हें पहले नहीं दी जबकि हमें दौण्ड जँ. पर उन्हें बताना चाहिए था कि हम पुणे स्टेशन पहुँच रहे हैं। ताकि हमें स्टेशन पर इतना इंतज़ार न करना पड़ता। दादाजी अपनी कार लेकर हमे स्टेशन लेने पहुंचे।

Saturday, August 6, 2016

GOA EXPRESS : MTJ TO PUNE

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

मथुरा जं. से पुणे जं. -  गोवा एक्सप्रेस से एक सफर 

     अगस्त का महीना मेरे प्रिय महीनों में से एक है, इसलिए नहीं कि यह मेरा जन्मदिन का माह है बल्कि इसलिए कि यह एक मानसूनी महीना है, एक ख़ूबसूरती सी दिखाई देती है इस माह में। सूर्यदेव का लुकाछिपी का खेल और इंद्रधनुष के दर्शन, मन को काफी लुभाते हैं। इस मानसूनी महीने में यात्रा करने का एक अपना ही मज़ा है, कुछ दिन पहले मथुरा से नजदीक भरतपुर जिले की शानदार मानसूनी यात्रा मैंने अपनी एवेंजर बाइक से की थी पर यह एक छोटी सी यात्रा थी। मेरा मन इस माह में कहीं दूर जाना चाहता था पर कहाँ ये समझ नहीं आ रहा था।

Saturday, July 16, 2016

ऊषा मंदिर और वैर का किला


 DATE :- 16 JULY 2016

ऊषा मंदिर और वैर का किला 

       यात्रा एक साल पुरानी है परन्तु पब्लिश होने में एक साल लग गई, इसका एक अहम् कारण था इस यात्रा के फोटोग्राफ का गुम हो जाना परन्तु भला हो फेसबुक वालों का जिन्होंने मूमेंट एप्प बनाया और उसी से मुझे मेरी एक साल पुरानी राजस्थान की मानसूनी यात्रा के फोटो प्राप्त हो सके। यह यात्रा मैंने अपनी बाइक से बरसात में अकेले ही की थी। मैं मथुरा से भरतपुर पहुंचा जहाँ पहली बार मैंने केवलादेव घाना पक्षी विहार देखा परन्तु केवल बाहर से ही क्योंकि इसबार मेरा लक्ष्य कुछ और ही था और मुझे हर हाल में अपनी मंजिल तक पहुंचना ही था, मेरे पास केवल आज का ही समय था शाम तक मुझे मथुरा वापस भी लौटना था।

Saturday, April 2, 2016

PASHUPATI NATH TEMPLE : KATHMANDU




पशुपतिनाथ मंदिर- काठमांडू 

मेरी माँ और पशुपतिनाथ मंदिर 



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     शाम को जनकपुर के रामानंद चौक से काठमांडू के लिए मैंने डीलक्स बस में सीट बुक करवा दिया । और शाम को चौक पहुंचकर बस के इंतज़ार मे बैठे रहे। यहाँ से या बस पूरी रात पहाड़ो में चलकर सुबह नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंची, काठमांडू में पशुपतिनाथ के मंदिर के पास बस ने हमें उतार दिया। काफी तलाश करने के बाद हमें एक होटल में कमरा मिल गया, कमरे में नहा धोकर मैं और माँ पशुपतिनाथ के दर्शन करने पहुंचे। 

Friday, April 1, 2016

JANAKPUR 2016

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

जनकपुर धाम मिथिला 



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     शाम ढलने तक ट्रेन दरभंगा पहुँच चुकी थी, पहले इस ट्रैन का यही आखिरी स्टॉप था, अब इसे दरभंगा से आगे जयनगर तक बढ़ा दिया गया है। दरभंगा पर ट्रेन लगभग खाली हो चुकी थी, शेष जो कुछ यात्री बचे थे वे मधुबनी पर उतर गए, मधुबनी से थोड़ा आगे ही जयनगर है जो भारत - नेपाल की सीमा पर स्थित है। यह पूरा क्षेत्र मिथिला कहलाता है। यहाँ का रहन सहन, यहाँ की भाषा मैथिली है।

Wednesday, March 30, 2016

SWATANTRTA SAINANI EXP : NDLS TO JYG

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

स्वतंत्रता सैनानी एक्सप्रेस से एक सफर 



      अयोध्या की यात्रा के पश्चात् इस बार मेरा मन मिथिला की ओर जाने का था। मिथिला भगवान श्री राम की ससुराल तथा माता सीता की जन्मस्थली है। मिथिला का आधा भाग आज भारत में है और आधा भाग नेपाल में। मिथिला राजा जनक के राज्य का नाम था, तथा अवध राजा दशरथ के राज्य का नाम था। मिथिला की राजधानी जनकपुर थी जो आज नेपाल में स्थित है। तो बस इसबार नेपाल की तरफ ही जाना था। सहयात्री के रूप में इसबार माँ को चुना और स्वतंत्रता सैनानी एक्सप्रेस में नई दिल्ली से जयनगर तक रिजर्वेशन करवा लिया। जयनगर नेपाल के सीमा पर स्थित आखिरी भारतीय रेलवे स्टेशन है और बिहार के मधुबनी जिले के अंतर्गत आता है। 

Monday, February 1, 2016

M.G. PASSENGER : NEPALGANJ TO PILIBHIT

                                                UPADHYAY TRIPS PRESENT'S     


                                                 
  नेपालगंज  - पीलीभीत पैसेंजर ट्रेन यात्रा



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     नानपारा से हम मैलानी ओर चल दिए, यह सफर मीटर गेज ट्रेन का एक अदभुत सफर है जो सरयू नदी के ऊपर बने बाँध के किनारे होता हुआ नेपाल की तराई में दुधवा नेशनल पार्क के बीच से होकर गुजरता है। मेरी बचपन की पसंदीदा ट्रेन गोकुल एक्सप्रेस इसी रास्ते से होकर गोंडा आगरा फोर्ट पहुंचती थी और आज यह ट्रेन केवल पीलीभीत तक ही सीमित है क्योंकि पीलीभीत से आगे की लाइन अब ब्रॉड गेज में कन्वर्ट हो चुकी है जल्द ही यह ट्रेन गोंडा से मैलानी रह जाएगी।

Sunday, January 31, 2016

M.G. PASSENGER : GONDA TO NEPALGANJ


गोंडा से नेपालगंज पैसेंजर यात्रा 

NEPALGANJ ROAD


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     सुबह करीब तीन बजे मैं वेटिंग रूम में नहा धोकर तैयार हो गया और बाहर जाकर गर्मागर्म चाय पीकर आया और कृष्णा को जगाया। मोबाईल भी अब चार्ज हो चुका था। सुबह चार बजे गोंडा से मीटर गेज की ट्रेन नेपालगंज के लिए रवाना होती है , हम इसी ट्रेन में आये और खली पड़ी सीट पर सो गए। मुझे बहराइच स्टेशन देखना था इसलिए सोया नहीं और वैसे भी नहाने के बाद मुझे नीँद नहीं आती है। अभी दिन निकलने में काफी समय था, ट्रेन गोंडा के बाद अगले स्टेशन पर रुकी यह गंगागढ़ स्टेशन था मैंने ट्रेन से बाहर देखा तो घने कोहरे के अलावा मुझे बड़ी लाइन के स्लीपर दिखाई दिए जिसका मतलब था कि जल्द ही ये लाइन भी बड़ी लाइन में बदल जाएगी। 

Saturday, January 30, 2016

AYODHYA 2016



  प्रभु श्री राम की जन्मभूमि - अयोध्या 


अयोध्या रेलवे स्टेशन 


      मेरा काफी दिनों से मन कर रहा था कि एकबार प्रभु श्री राम लला के दर्शन किये जाएँ और अयोध्या नगरी की सैर की जाए। इसबार मेरी ऑफिस में काम करने वाला कन्हैया भी मेरे साथ चलने के लिए तैयार था। मैंने 13238 कोटा - पटना एक्सप्रेस में दो सीट बुक कर दी और यात्रा की तैयारी आरम्भ कर दी। आजकल ट्रेन अपने रूट से डाइवर्ट होकर चल रही थी। यह आगरा कैंट - टूंडला -कानपुर की बजाय, कासगंज - फर्रुखाबाद -कानपुर अनवरगंज के रास्ते चल रही थी।


    हम शाम को ट्रेन के नियत समय पर रेलवे स्टेशन पहुंचे परंतु यह ट्रेन कोहरे की वजह से पांच - छह घंटे लेट हो गई और रात को दो बजे मथुरा आई। हमारी नींद तो ट्रैन के इंतज़ार में पूरी हो गई अब तो बस दिन निकलने का इंतज़ार था पर हमारा दिन निकला कानपुर अनवरगंज पर।