UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
जनकपुर धाम मिथिला
शाम ढलने तक ट्रेन दरभंगा पहुँच चुकी थी, पहले इस ट्रैन का यही आखिरी स्टॉप था, अब इसे दरभंगा से आगे जयनगर तक बढ़ा दिया गया है। दरभंगा पर ट्रेन लगभग खाली हो चुकी थी, शेष जो कुछ यात्री बचे थे वे मधुबनी पर उतर गए, मधुबनी से थोड़ा आगे ही जयनगर है जो भारत - नेपाल की सीमा पर स्थित है। यह पूरा क्षेत्र मिथिला कहलाता है। यहाँ का रहन सहन, यहाँ की भाषा मैथिली है।
रात को हम जयनगर पहुंचे, ट्रेन से उतरकर जैसे ही माँ ने जयनगर स्टेशन देखा, यहाँ के लोग और उनके रहन सहन, उनकी वेशभूषा को देखकर माँ बोली ये तू कहाँ ले आया सुधीर। देश के बड़े बड़े शहरों की चमक और विकास से दूर जयनगर बिहार का छोटा सा क़स्बा है। साधारण लोग और साधारण सुविधाएँ , ब्रज भाषा से बहुत दूर मैथिली भाषा बोलने बाले लोगों को देखकर माँ को थोड़ा सा तो अलग अनुभव हुआ ही होगा पर मैं जानता था कि हम जहाँ भी जाएँ वहां की संस्कृति का सम्मान तो दिल में होना ही चाहिए। आखिर मिथिला हमारे देश के इतिहास में ही नहीं बल्कि पुराणों में भी बहुत बड़ा योगदान रखता है ।
मैंने टिकिट कंडक्टर से मिलकर स्टेशन के वेटिंग रूम का ताला खुलवाया और माँ के लिए कमरे में बिस्तर लगा दिया। क्योंकि सारी रात प्लेटफॉर्म पर सोना उनके लिए असहनीय था। मुझे तलाश थी उस रेलवे लाइन और स्टेशन को देखने की जो छोटी तो थी पर हमे यहाँ से आगे जनकपुर ले जा सकती थी यह लाइन थी जय नगर से जनकपुर जाने वाली नेपाल रेलवे की नेरोगेज सेवा। सुबह पता चला कि भारतीय रेलवे ने इसे भी फ़िलहाल बंद करवा दिया है और यह लाइन अब ब्रॉडगेज में बदली जा रही है। मुझे काफी दुःख हुआ कि मैं इस लाइन पर यात्रा न कर सका ।
जय नगर स्टेशन के बाहर सीता जी का शानदार मंदिर बना हुआ है और जय नगर क़स्बा भी किसी जिले से कम नहीं। यहाँ के बाजार में जरुरत की हर चीज़ आसानी से उपलब्ध है। स्टेशन के दूसरी साइड से प्राइवेट बस ही एकमात्र विकल्प हैं जनकपुर जाने के लिए जो आपको नेपाल के बार्डर तक उतार देती हैं, यहाँ से बॉर्डर के बीच की नदी पार करके हम नेपाल में प्रवेश कर गए और सामने ही खड़ी थी जनकपुर जाने वाली नेपाली बस। यहाँ मुझे अपनी भारतीय मुद्रा भी नेपाल की मुद्रा में बदलवानी पड़ी। वैसे इसकी जरुरत नहीं थी क्योंकि नेपालियों को नेपाली मुद्रा से ज्यादा भारतीय मुद्रा लेने में बड़ी ख़ुशी मिलती है। हमारा दस का नोट और नेपाल के सोलह रुपये एक समान हैं।
करीब एक दो घंटे बाद इस नेपाली पैसेंजर बस ने हमें जनकपुर छोड़ दिया। यह एक साफ़ सुथरा और अत्यंत पावन शहर है। यहाँ की मिटटी प्रभु राम का गुणगान करती है। यही है मिथिला की असली झलक और जिस रास्ते बस हमें यहाँ तक लेकर आई उसके बारे में यहाँ के स्थानीय निवासियों का मत है की श्री राम की बारात भी इन्ही रास्तो और गांवो से होकर जनकपुर पहुंची थी। यहाँ सीताजी का मंदिर और राजा जनक का महल दर्शनीय है। साथ ही यहाँ चारो और चार कुंड बने हुए हैं जिनमे गंगासागर अत्यंत पावनीय है।
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जयनगर रेलवे स्टेशन |
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मधुबनी पेंटिंग्स |
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मैं और माँ जयनगर स्टेशन पर |
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मधुबनी पेंटिंग के साथ सुधीर उपाध्याय |
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मधुबनी पेंटिंग |
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मधुबनी पेंटिंग |
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जयनगर रेलवे स्टेशन |
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मधुबनी पेंटिंग |
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जयनगर रेलवे स्टेशन |
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जयनगर से नेपाल बॉर्डर तक जाने वाली बस |
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जयनगर से नेपाल बॉर्डर तक जाने वाली बस में मेरी माँ |
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जनक महल और मेरी माँ |
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सुधीर उपाध्याय और जनक महल |
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मैं , माँ और लक्ष्मण मंदिर |
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मैं, माँ और जनक महल |
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सीताजी मंदिर |
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सीता मंदिर |
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सीता मंदिर, जनकपुर |
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मिथिला में सुधीर उपाध्याय |
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मिथिला में मेरी माँ |
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जनकपुर |
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जनकपुर |
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जनकपुर |
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राम विवाह मंडप और सुधीर उपाध्याय |
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राम विवाह मंडप,जनकपुर |
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राम विवाह मंडप, जनकपुर |
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जनक महल, जनकपुर |
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श्री राम और जानकी |
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भरत और मांडवी |
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लक्ष्मण और उर्मिला |
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शत्रुधन और श्रुतकीर्ति |
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गंगासागर |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन और सुधीर उपाध्याय |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन |
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गंगासागर |
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गंगासागर |
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गंगासागर |
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गंगासागर और सुधीर उपाध्याय |
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गंगासागर और सुधीर उपाध्याय |
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गंगासागर |
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रामानंद चौक , जनकपुर |
अगली यात्रा -
पशुपति नाथ मंदिर, काठमांडू।
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