UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
पुणे की एक शाम और शनिवार वाड़ा
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करीब चौबीस घंटे का सफर तय करने के बाद गोवा एक्सप्रेस ने हमें पुणे के रेलवे स्टेशन पर उतार दिया, मैंने पहली बार पुणे का रेलवे स्टेशन देखा था, इससे पहले सिर्फ इसके बारे में सुना था। ट्रेन का सफर पूरा होने के बाद अभी हम आगे के बारे में सोच ही रहे थे कि कहाँ जाना है अंजान शहर है तभी माँ ने बताया कि मेरे दादाजी जो मेरे गाँव के ही हैं यहाँ रहते हैं उनका नाम योगेंद्र कुमार उपाध्याय है। मैंने घर पर फ़ोन करके उनका नंबर लिया और उनके पास कॉल किया ।
जब मैंने उन्हें बताया कि मैं और माँ पुणे स्टेशन पर हैं तो मैं कह नहीं सकता कि उन्हें यह सुनकर कितनी ख़ुशी हुई होगी क्योंकि अचानक कोई अपना इतनी दूर से इतने पास आ जाए तो वो ख़ुशी छिपाये नहीं छिपती और साथ ही उन्होंने मुझे डांटा भी कि हमने अपने आने की खबर उन्हें पहले नहीं दी जबकि हमें दौण्ड जँ. पर उन्हें बताना चाहिए था कि हम पुणे स्टेशन पहुँच रहे हैं। ताकि हमें स्टेशन पर इतना इंतज़ार न करना पड़ता। दादाजी अपनी कार लेकर हमे स्टेशन लेने पहुंचे।
पुणे काफी बड़ा शहर है, मेरे दादाजी पुणे में विमान नगर में रहते हैं। शाम को हम उनके घर पहुँचे, यह बहुत खूबसूरत था, घर पर दादाजी के साथ दादी भी रहती हैं जो हमें अपने यहाँ देखकर काफी खुश थी और इस अनजान शहर में अपनों को देखकर हम भी बहुत खुश थे। दादाजी शाम को हमें और दादी को लेकर बाजार घुमाने गए, शाम के समय पुणे की धीमी धीमी बारिश हमारे इस सफर को काफी रोमांचक बना रही थी। यहाँ हमने पाव भाजी और बड़ा पाव का आनंद लिया यह बहुत ही स्वादिष्ट था। रात को हम दादाजी के यहाँ रुके।
सुबह सुबह दादीजी गर्मागर्म चीला और पोहे का नाश्ता बना लाई। जिनका स्वाद बहूत ही अद्भुत था ऐसे पोहे मैंने कभी कहीं नहीं खाये थे। नाश्ता करने के बाद दादाजी हमें पुणे घुमाने ले गए जिसमे हमने सबसे पहले आगा खां पैलेस देखा और उसके बाद शनिवारवाड़ा। शनिवारवाड़ा देखकर मुझे बाजीराव मस्तानी मूवीज की याद आ गई। शनिवार वाड़ा पुणे की एक शानदार इमारत है।
SHANIWAR WARA |
शनिवारवाडा और सुधीर उपाध्याय |
माँ के साथ दादीजी |
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- गोवा एक्सप्रेस से एक सफर - मथुरा से पुणे
- पुणे की एक शाम और शनिवार वाड़ा
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