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त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
पूरी रात बस द्धारा सफर करने के बाद मैं और माँ सुबह चार बजे ही नाशिक बस अड्डे पहुँच गए , बारिश अब भी अपनी धीमी धीमी गति से बरस रही थी । त्रयंबकेश्वर जाने वाली कोई बस यहाँ नहीं थी, काफी देर इंतज़ार करने के बाद हमे एक बस मिल गई जिससे हम सुबह पांच बजे तक त्रयंबकेश्वर पहुँच गए । यूँ तो मैं पहले भी एक बार नाशिक आ चुका हूँ, जब हमने पंचवटी और शिरडी के दर्शन ही किये थे। यहाँ तक आना नहीं हो पाया था परन्तु इसबार हमारी त्रयंबकेश्वर की यात्रा भी पूरी हो चली थी। अभी दिन निकला नहीं था, बरसात की वजह से थोड़ा ठंडा मौसम था। त्रयंम्बकेश्वर मंदिर के लिए हमने बस स्टैंड से ऑटो किया जिसने पांच मिनट बाद हमे मंदिर पर उतार दिया, बस स्टैंड से मंदिर की दूरी करीब एक किमी से भी कम है।
मंदिर के पास स्थित एक पहाड़ पर जिसका नाम ब्रह्मगिरि पर्वत है, पर गोदावरी नदी का उद्गम स्त्रोत है। गोदावरी का जल धरती पर सबसे पहले कुशावर्त तीर्थ कुंड में आता है जिसमे मंदिर में जाने से पहले स्नान करना आवश्यक होता है। हमने वहां स्नान किया और तत्पश्यात हम मंदिर में दर्शन की लाइन में लग गए। आज दिन सोमवार था, मंदिर में अच्छी खासी भीड़ थी परंतु परेशानी नाम की चीज़ बिलकुल नहीं थी। भोले नाथ की कृपा से अच्छे दर्शन हो गए। दर्शन कर हम लोग नाशिक रोड स्टेशन की तरफ गए।
मुंबई से मनमाड के बीच स्थित है नासिक रोड रेलवे स्टेशन। नासिक शहर की दूरी यहाँ से दस किमी है इसलिए शहर के साथ साथ नासिक रोड बस स्टैंड भी यहाँ स्थित है और रेलवे स्टेशन के ठीक बाहर है। मेरे जूते बुरी दशा में थे, मैं सबसे पहले एक मोची के पास गया और जूते ठीक कराये क्योंकि जूते भी हमारे किसी भी सफर में अहम् किरदार निभाते हैं। साथ में मेरा बैग जिसकी चैन ने काम करना बंद कर दिया था, सफर में उसका भी मुख्य रील होता है इसलिए उसे भी दुरुस्त रखना ही चाहिए, मैंने उसी मोची पर बैग की भी चैन ठीक कराई।इसके बाद मैं और माँ रेलवे स्टेशन पहुंचे, आज एक स्पेशल ट्रेन थी जो आज ही मुंबई से काजीपेट के बीच शुरू हुई थी इसी से आगे का सफर हमने तय किया।
माँ , त्रयंबकेश्वर मंदिर के बाहर |
और मैं भी |
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