प्रभु श्री राम की जन्मभूमि - अयोध्या
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अयोध्या रेलवे स्टेशन |
मेरा काफी दिनों से मन कर रहा था कि एकबार प्रभु श्री राम लला के दर्शन किये जाएँ और अयोध्या नगरी की सैर की जाए। इसबार मेरी ऑफिस में काम करने वाला कन्हैया भी मेरे साथ चलने के लिए तैयार था। मैंने 13238 कोटा - पटना एक्सप्रेस में दो सीट बुक कर दी और यात्रा की तैयारी आरम्भ कर दी। आजकल ट्रेन अपने रूट से डाइवर्ट होकर चल रही थी। यह आगरा कैंट - टूंडला -कानपुर की बजाय, कासगंज - फर्रुखाबाद -कानपुर अनवरगंज के रास्ते चल रही थी।
हम शाम को ट्रेन के नियत समय पर रेलवे स्टेशन पहुंचे परंतु यह ट्रेन कोहरे की वजह से पांच - छह घंटे लेट हो गई और रात को दो बजे मथुरा आई। हमारी नींद तो ट्रैन के इंतज़ार में पूरी हो गई अब तो बस दिन निकलने का इंतज़ार था पर हमारा दिन निकला कानपुर अनवरगंज पर।
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मथुरा स्टेशन पर कन्हैया |
कानपुर, लखनऊ होते हुए ट्रेन एक स्टेशन पर आकर रुकी इस स्टेशन का नाम था सफदरगंज। कुछ इसी से मिलता जुलता एक स्टेशन दिल्ली में भी है सफदरजंग ।
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सफदरगंज रेलवे स्टेशन |
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S.KUMAR ON SAFDARGANJ RAILWAY STATION |
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अयोध्या की ओर |
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SOHAWAL RAILWAY STATION |
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KRISHNA |
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ACHARYA NARENDRADEV NAGAR RAILWAY STATION |
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सुधीर उपाध्याय अयोध्या स्टेशन पर |
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AYODHYA JN. |
सुबह पहुँचने वाली ट्रेन शाम को अयोध्या पहुँची। हम अपनी यात्रा के प्लान से काफी पीछे छूट गए थे , अब हमारे पास इतना टाइम नहीं था कि हम अयोध्या के सारे दर्शनीय स्थलों को देख सकें क्योंकि हमें अयोध्या से मनकापुर की पैसेंजर भी पकड़नी थी जो शाम को छह बजकर बीस मिनट पर छूट जाती है ।
हमारे पास केवल दो घंटे का समय था, इन दो घंटों में हमने सबसे पहले राम जन्मभूमि देखी, यहाँ काफी मात्रा में पुलिस फाॅर्स तैनात था। अभी तक मैंने किसी भी तीर्थ स्थल पर इतना सख्त पहरा निरीक्षण कभी नहीं देखा। जन्मभूमि प्रांगण में मोबाईल, सिम, कैमरा या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक्स आईटम ले जाना सख्त मना है। इसलिए जन्मभूमि के फोटो नहीं खींच सका ।
जन्मभूमि के बाद हम दोनों सरयू के तट पर पहुंचे, और जल आचमन कर रेलवे स्टेशन की ओर रवाना हो गए।
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राजा दशरथ का महल, अयोध्या |
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अयोध्या के बाजार में |
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सरयू |
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SARYU RIVER |
स्टेशन पहुंचे तो देखा ट्रेन सामने ही खड़ी थी। यह ट्रेन केवल अयोध्या से मनकापुर के बीच चलती है मुझे मनकापुर से गोंडा पहुँचने के लिए गोरखपुर - गोंडा पैसेंजर पकड़नी थी जो रात को दस बजे आएगी।
रात आठ बजे तक ट्रेन मनकापुर पहुँच गई, हमें भूख भी लगी थी हम स्टेशन के बाहर आये तो देखा यहाँ एक या दो ढावे ही थे वो भी नॉन वेजिटेरियन। स्टेशन से कुछ दूर गोंडा रोड पर मनकापुर है हम वहां से पैदल ही निकल लिए। कुछ आगे जाकर हमें एक होटल मिला जहाँ हमने खाना खाया। इस होटल का खाना वाकई लाजबाब था।
खाना खाकर मैं और कृष्णा वापस स्टेशन आ गए और पैसेंजर का इंतज़ार करने लगे। सर्दी अब काफी तेज हो चुकी थी, हम काफी थक चुके थे और सर्दी का बचाव खोज रहे थे परंतु हम नाकामयाब थे, ठंडी तेज हवाएँ आज एहसास करा रही थीं की काश आज अपने घर होते और मजे से रजाई में सो रहे होते। पर एक घुमक्कड़ की जिंदगी में कितनी ही मुश्किलें क्यों न आ जाये, आगे बढ़ने का जज्बा कम नहीं होता।
खाना खाकर नींद भी जल्दी आ जाती है इसलिए पता ही नहीं चला कि कब आँख लग गई और गोंडा जाने वाली पैसेंजर तीन नंबर प्लेटफॉर्म पर आकर निकल गई और हम हम दो नंबर पर उसका इंतज़ार ही करते रह गए। ट्रेन निकलने की जानकारी होते ही एक पल मुझे ऐसा लगा जैसे कोई अपना दूर चला गया हो पर अपना न सही दूसरा ही सही। रात बारह बजे अवध असम एक्सप्रेस से हम गोंडा पहुँचे। किसान एक्सप्रेस आज रद्द थी।
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MANKAPUR JN. |
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एक रात मनकापुर पर |
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- गोंडा - नेपालगंज मीटर गेज पैसेंजर यात्रा
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