Monday, March 23, 2015

DURG TRIP 2015

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

 पिताजी के साथ दुर्ग की एक रेल यात्रा 




   मेरे पिताजी अभी छ महीने पहले ही अपनी रेल सेवा से सेवानिवृत हुए हैं परन्तु उनका स्वास्थ्य अब उनका साथ नहीं दे रहा था। मधुमेह की बीमारी ने उनके पूरे शरीर पर पूरा प्रभाव रखा हुआ था जिस वजह से वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो चले थे। हजारों डॉक्टरों की दवाइयों से भी जब उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ तो किसी ने मुझे सलाह दी कि आप इन्हें दुर्ग ले जाओ, वहां एक शेख साहब हैं जो मधुमेह के रोगियों को एक काढ़ा बनाकर पिलाते हैं और ईश्वर चाहा तो वह जल्द ही इस बीमारी से सही हो जायेंगे। मुझे मेरे पिताजी के स्वस्थ होने की एक आस सी दिखाई देने लगी। 

   मैंने दुर्ग जाने की तैयारी शुरू कर दी। मथुरा से दुर्ग के लिए मैंने गोंडवाना एक्सप्रेस में रिजर्वेशन कराया और मैं पिताजी को लेकर दुर्ग की तरफ रवाना हो गया। अगले दिन शाम तक मैं और पिताजी दुर्ग पहुँच चुके थे। पिताजी किसी होटल या लॉज में रुकने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि वह पैदल चलने में असमर्थ थे इसलिए मैंने प्लेटफॉर्म पर ही अपना और पिताजी का चटाई बिछाकर बिस्तर बनाया और पिताजी को वहीँ बैठा दिया और बाद में मैंने दुर्ग स्टेशन पर ही डोरमेट्री बुक की और दो बिस्तर हमें सोने के लिए मिल गए। 

मैं स्टेशन से बाहर आकर दुर्ग के बाजार गया और शेख साहब के पते पर पहुँचा। वहाँ पहुँचकर मुझे पता चला कि शेख साहब दवा को सुबह मरीजों को पिलायेंगे। यहाँ और भी मरीज थे जो काफी दूर दूर से यहाँ शेख साहब दवा पीने के लिए आये हुए थे। यहाँ इसीप्रकार प्रतिदिन मरीज आते हैं और दवा पीते हैं। 

   मरीजों के यहाँ आने की वजह से यहाँ रात में रुकने के लिए यहाँ कुछ कमरे भी किराये पर दिए जाते हैं परन्तु मैं इन कमरों म रुकना नहीं चाहता था इसलिए यह मेरे किसी काम के नहीं थे। अपनी मंजिल का पता करने के बाद मैं वापस स्टेशन की तरफ चल दिया। दुर्ग छत्तीसगढ़ का एक मुख्य शहर है, यहाँ स्थित भिलाई इस्पात प्लांट देश का बहुत बड़ा प्लांट है जिसे देखने के लिए काफी पर्यटक यहाँ आते हैं। मैं इसवक्त एक मुसाफिर था पर्यटक नहीं इसलिए मैं इसे फिर कभी देखने की इच्छा लिए स्टेशन की तरफ चलता जा रहा था। रास्ते में एक हनुमान जी का काफी शानदार मंदिर भी मुझे देखने को मिला। मैंने हनुमानजी को विधिवत प्रणाम किया और पिताजी के स्वस्थ होने की कामना की। 

   मैं वापस पिताजी के पास स्टेशन लौटा और पिताजी के खाना लेकर आया। मैं और पिताजी खाना खाकर  प्लेटफॉर्म पर ही सो गए। हमारे मथुरा को जाने वाली समता एक्सप्रेस भी प्लेटफार्म पर आ चुकी थी किन्तु हमें तो अगले दिन वापस जाना था। सुबह सबेरे मैं पिताजी को लेकर शेख साहब की मस्जिद पर पहुँचा और अन्य मरीजों के साथ पिताजी को दवा का सेवन कराया गया। दवा का सेवन करने के पश्चात मैं और पिताजी स्टेशन  पहुँचे। यहाँ दुर्ग से बनकर चलने वाली जम्मूतवी एक्सप्रेस खड़ी हुई थी जिसके जनरल कोच एकदम खाली पड़े हुए थे। 

मैंने अपना रिजर्वेशन का टिकट कैंसिल कराया और हमने जनरल कोच में ही अपनी यात्रा प्राम्भ की। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर निकलने के बाद उसलापुर से इस कोच में अत्यधिक भीड़ चढ़ गई। यह लोग छत्तीसगढ़ी लोग थे जो बिलासपुर के बाईपास स्टेशन उसलापुर पर इस ट्रेन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। 

 जैसे तैसे मैंने और पिताजी ने इस ट्रेन में यात्रा की। गर मुझे इस भीड़ के आने का पहले से एहसास होता तो मैं कभी अपनी कन्फर्म रिजर्वेशन टिकट को कैंसिल नहीं कराता। हमने झाँसी पहुँचकर इस ट्रेन को छोड़ दिया क्योंकि यह वैसे भी मथुरा नहीं रूकती और इसे हमें आगरा में छोड़ना पड़ता। झाँसी पर गोंडवाना एक्सप्रेस तैयार खड़ी हुई थी इसी के रिजर्वेशन कोच में खाली पड़ी सीटों पर हमने अपना आसन जमाया और सोते सोते सुबह मथुरा पहुँच गए।  

दुर्ग पर सुधीर उपाध्याय 

पिताजी और दुर्ग रेलवे स्टेशन 

कोच में पिताजी सोते हुए 


निपनिया रेलवे स्टेशन 

छत्तीसगढ़ के गांव 

कलमीटार रेलवे स्टेशन 

कलमीटार रेलवे स्टेशन 


भनवारटंक रेलवे स्टेशन 



दुर्ग - जम्मूतवी एक्सप्रेस 

पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन 

इस यात्रा की थम्सअप 

कटनी का बाईपास स्टेशन - कटनी मुरवारा 






छत्तीसगढ़ राज्य में मेरी अन्य यात्रायें 👇

No comments:

Post a Comment

Please comment in box your suggestions. Its very Important for us.