Friday, July 30, 2021

MAIHAR : 2021

मानसून की तलाश में एक यात्रा - भाग 1 

 शारदा माता के दरबार में - मैहर धाम यात्रा 


यात्रा दिनांक - 10 जुलाई 2021 

अक्सर मैंने जुलाई के महीने में बरसात को बरसते हुए देखा है किन्तु इसबार बरसात की एक बूँद भी सम्पूर्ण ब्रजभूमि दिखाई नहीं पड़ रही थी। बादल तो आते थे किन्तु हवा उन्हें कहीं और रवाना कर देती थी। काफी दिनों से समाचारों में सुन भी रहा था कि भारत के इस राज्य में मानसून आ गया है, यहाँ इतनी बारिश पड़ रही है  कि सड़कें तक भर चुकीं हैं। पहाड़ी क्षेत्रों से बादल फटने तक की ख़बरें भी सामने आने लगीं थीं किन्तु ब्रज अभी भी सूखा ही पड़ा था और समस्त ब्रजवासी गर्मीं से हाल बेहाल थे। इसलिए सोचा क्यों ना हम ही मानसून को ढूढ़ने निकल पड़ते हैं। मानसून के मौसम में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भला और कौन सी जगह उचित हो सकती थी इसलिए बघेलखण्ड और रतनपुर की यात्रा का प्लान बन गया। 

Thursday, July 29, 2021

CHAMBAL VALLEY'S 2021


चम्बल की घाटियों में एक सैर



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ज्येष्ठ की तपती दोपहरी में, देश में लगे लॉकडाउन के दौरान आज मैं और बड़े भाई बाइक लेकर खानवा घूमने के बाद, धौलपुर के लिए रवाना हो गए। भरतपुर से धौलपुर वाला यह रास्ता बहुत ही शानदार और अच्छा बना हुआ है। खानवा के बाद हमारा अगला स्टॉप रूपबास था। लोक किंवदंती के नायक 'रूप बसंत' की यह ऐतिहासिक नगरी है। यहाँ का लालमहल प्रसिद्ध है जिसे मैं बहुत पहले ही देख चुका हूँ। रूपबास से आगे एक घाटी पड़ती है जो राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा भी है। इस घाटी को पार करने के बाद अब हम उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में प्रवेश कर चुके थे। यहाँ मौसम काफी खुशनुमा हो गया था और जल्द ही हम आगरा के सरेंधी चौराहे पर पहुंचे। 

Wednesday, July 21, 2021

KHANUA 2021

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

खानवा का मैदान 

यात्रा दिनाँक - 24 मई 2021 

सहयात्री - धर्मेंद्र भारद्वाज 

आज लॉक डाउन का चौबीसवाँ दिन था, चौबीस दिन से अधिक हो गए थे घर से कहीं बाहर निकले, इसलिए मन अब कहीं बाहर घूमने के लिए बहुत ही बैचैन था। इस वर्ष कोरोना की इस दूसरी लहर ने तो हर तरफ हाहाकार सा मचा दिया था। पिछली साल की तुलना में कोरोना अब अधिक विकराल रूप ले चुका था और इस वर्ष इसने लोगों की श्वास ही रोक दी थी, भारी मात्रा में इस वर्ष आक्सीजन की कमी के चलते लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा था। समाचारों में बस पूरे देश के अलग अलग प्रांतों में मरने वाले लोगों की संख्या ही बताई जा रही थी। अब जब सरकार ने अपने अथक प्रयासों के चलते कोरोना को काबू में करने की कोशिस की तब जाकर कहीं सभी ने राहत की साँस ली। 

Thursday, July 8, 2021

SHRI JAGANNATH PURI

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


मैं, माँ और हमारी जगन्नाथ पुरी की चमत्कारिक यात्रा 


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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रात को ट्रेन में अचानक माँ की तबियत ख़राब हो गई और वह अपनी सुध बुध खो बैठीं। अपनी सीट को छोड़कर वह अन्य कोचों में चलती जा रही थीं। एक सहयात्री के कहे अनुसार मैं उन्हें देखने अन्य कोचों में गया और भगवान श्री जगन्नाथ जी की कृपा से वह मुझे मिल गईं। वह मुझे मिल तो गईं थीं किन्तु अब वह बिलकुल भी ऐसी नहीं थीं जैसी कि वह कल यात्रा के वक़्त अथवा यात्रा से पूर्व घर पर थीं। वह अपनी सुध खो चुकीं थीं। 

लगभग मुझे भी पहचानना अब उन्हें मुश्किल हो रहा था। वह कहाँ हैं, क्या कर रही हैं, कहाँ जा रही हैं, अब उन्हें कुछ  भी ज्ञात नहीं था। माँ की ऐसी हालत देखकर मैं बहुत डर सा गया था। काफी कोशिशों के बाद मैं उन्हें अपने कोच तक लेकर आ पाया था। इधर ट्रेन खोर्धा रोड स्टेशन छोड़ चुकी थी और अपनी आखिरी मंजिल पुरी की तरफ दौड़ी जा रही थी।