Tuesday, March 31, 2020

MUMBAI : 2020


मुंबई 2020 - नए साल की सैर


1 जनवरी 2020
 
   अपनी ऐतिहासिक यात्रा को आगे बढ़ाते हुए और भीमबेटकाउदयगिरि की गुफाओं के देखने के बाद अब मन में अन्य गुफाओं को देखने ललक जाग उठी थी। भारत की समस्त ऐतिहासिक गुफाओं की एक लिस्ट तैयार की गई और पाया कि ऐसी अधिकतर गुफाएँ महाराष्ट्र प्रान्त में है जो यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की सूची में भी दर्ज हैं जिनमें मुख्यतः एलिफेंटा, अजन्ता और एलोरा का मुख्य स्थान है। 

   इन गुफाओं को देखने के लिए यात्रा कार्यक्रम तैयार हुआ और हमने इस यात्रा कार्यक्रम को इस प्रकार बनाया कि यह ऐतिहासिक होने साथ साथ तीर्थ और पर्यटन यात्रा भी साबित हुई। इस यात्रा में रेलमार्ग को मुख्यता के रूप में चुना गया और इस यात्रा की शुरुआत हुई देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से।

Monday, March 30, 2020

KOTVAN FORT


कोटवन का किला



   यूँ यो भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली ब्रजधाम का प्रसार, उत्तरप्रदेश के मथुरा के जनपद के अलावा राजस्थान और हरियाणा में भी फैला हुआ है। ब्रजधाम केवल पौराणिक स्थल ही नहीं बल्कि यह ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों की धरोहरों को भी अपने आप में संजोये हुए है जिनमें यमुना नदी, यहाँ के हरे भरे वन, सैकड़ों कुंड, पर्वतमालाएं आदि शामिल हैं।

   ब्रजधाम का मथुरा जनपद प्राचीनकाल से ही एक महाजनपद और अनेकों शासकों की राजधानी रहा है। पूरे ब्रज और मथुरा जिले में अनेकों छोटे बड़े ऐतिहासिक कालीन स्मारक और किलों के खंडहर स्थित हैं और आज हम भी एक ऐसे ही किले के खंडहरों को देखने पहुंचे जो उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा पर राष्टीय राजमार्ग 2 पर दूर दे दिखाई देता हुआ अपनी गाथा कहता है और यह किला है कोटवन का किला।

Sunday, March 29, 2020

AGRA FORT : 2018



आगरा किला



26 जनवरी 2018 मतलब गणतंत्र दिवस, भारतीय इतिहास का वो दिन जब भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् देश का संविधान बनकर लागू हुआ। भारतीय संविधान को बनकर तैयार होने में कुल 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा और जब इसे लागू किया गया वह दिन भारतीय इतिहास में एक राष्ट्रीय पर्व बन गया और इसे आज हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है जिसे मनाने के लिए आज मैं अपनी पत्नी कल्पना को लेकर अपने शहर आगरा पहुंचा और अपने शहर को करीबी से देखने का मौका हासिल किया।

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ताजमहल पर आज के दिन काफी भीड़ रहती है, देश विदेश से हजारों पर्यटक इसे यहाँ देखने आते हैं अतः हमने इसे दूर से देखना ही उचित समझा और इसे देखने के लिए हम पहुंचे आगरा फोर्ट, जहाँ कभी अपने पुत्र औरंगजेब की कैद में रहकर मुग़ल सम्राट शाहजहाँ भी एक झरोखे में से इसे देखा करता था, जो उसने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था। यहीं इसी झरोखे से ताजमहल को निहारते हुए ही उसकी मृत्यु हो गई। आज आगरा फोर्ट में भी पर्यटकों की संख्या ज्यादा ही थी।

Saturday, March 28, 2020

AWAGARH FORT

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

अवागढ़ किला - एटा यात्रा




यात्रा दिनाँक :- 20 फरवरी 2018

इस फरवरी में जब शादियों का सीजन चल ही रहा है तो एक शादी का निमंत्रण हमारे पास भी आया और यह निमंत्रण था एटा में रहने वाली हमारी बुआजी की लड़की की शादी का। कुछ साल पहले मैं अपनी बहिन निधि के साथ उनके यहाँ एटा गया था तब से अब मुझे दुबारा एटा जाने का मौका मिला, परन्तु इसबार मेरे साथ मेरी बहिन नहीं बल्कि मेरी पत्नी कल्पना मेरी सहयात्री रही और यह यात्रा ट्रेन या बस ना होकर केवल बाइक से ही पूरी की गई। मथुरा से एटा की कुल दुरी 115 किमी के आसपास है और शानदार यात्रा में हमने बहुत ही एन्जॉय किया और इसे यादगार बनाया। 

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20 फरवरी मैं और मेरी पत्नी कल्पना अपनी बाइक द्वारा एटा के लिए रवाना हुए। मथुरा से निकलकर हमने अपना पहला स्टॉप बलदेव में लिया। बलदेव, ब्रजभूमि का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम और उनकी पत्नी रेवती जी का शानदार मंदिर स्थापित है। बलदेव से निकलकर हमारा दूसरा स्टॉप सादाबाद था। सादाबाद, हाथरस जनपद की प्रमुख तहसील है और हाथरस - आगरा मार्ग पर बहुत ही बड़ा क़स्बा है। यह एक जंक्शन पॉइंट है जहाँ से पाँच अलग अलग दिशाओं में रास्ते जाते हैं। यहाँ कुछ समय रूककर और एक प्रसिद्ध भल्ले की दुकान से भल्ला खाकर हम आगे बढ़ चले। 

Friday, March 27, 2020

RAWAL


राधारानी का जन्मस्थल - ग्राम रावल 



 गोकुल से 6 किमी दूर यमुना नदी के किनारे रावल ग्राम स्थित है जिसके बारे में प्रचलित है कि यह ब्रज की अधिष्ठात्री देवी श्री राधा रानी जन्म स्थल है। यह स्थान राधारानी का ननिहाल है जहाँ महाराज वृषभान की पत्नी कीर्ति प्रतिदिन यमुना स्नान करने के बाद सूर्यदेव की आराधना करती और एक पुत्री होने कामना करतीं। एक दिन यमुना में खिलने वाले कमल पर उन्हें एक सुन्दर कन्या की प्राप्ति हुई। यही कन्या आगे चलकर राधारानी के नाम से जानी गई और भगवान श्री कृष्ण की प्रिय बनी।

Thursday, March 26, 2020

RAMAN RETI - GOKUL


रमणरेती - गोकुल 



    भाद्रपद की अष्टमी की रात जब महाराज बसुदेव, भगवान कृष्ण को लेकर मथुरा से दूर यमुना पार करके बाबा नन्द के यहाँ गोकुल ग्राम पहुंचे और वहाँ बच्चे को जन्म देते ही गहरी नींद में सो जाने वाली यशोदा के बगल में छोड़ उनकी पुत्री योगमाया को वहाँ से उठा लाये और कारागार में वापस आ गए। अगली सुबह बाबा नन्द और यशोदा को अपने पुत्र होने का ज्ञान हुआ और तभी से भगवान श्री कृष्ण नन्दलाल और यशोदा नंदन कहलाने लगे।

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   भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन में जिस मिट्टी पर घुटुअन चलना सीखा, विभिन्न तरह के खेल खेले आज वह भूमि खेलनवन के नाम से जानी जाती है और इसे रमणरेती भी कहते हैं। इसी भूमि पर रहकर कान्हा ने अनेकों लीलाएँ की, अनेकों दैत्यों जैसे पूतना, तृणावर्त, कागासुर आदि का संहार किया और इसके साथ ही माखन की चोरी करना, गाय चराने जाना और रेतीली मिट्टी को खाकर इस ब्रज की रज को पूजनीय बना दिया। जिनका कभी धरती पर प्रार्दुभाव नहीं हुआ वे भोलेनाथ भगवान शिव भी कान्हा के बालस्वरूप के दर्शन करने कैलाश से यहाँ इस भूमि पर पधारे और अपने चरण रज से इसको पवित्र किया। 

Wednesday, March 25, 2020

BHOPAL CITY


भोपाल शहर और घर वापसी 



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भोजपुर से लौटने के बाद दिन ढल चुका था और भोपाल शहर ने काले रंग की शॉल से ओढ़ ली थी परन्तु मध्य प्रदेश की राजधानी होने के नाते इसकी चमक बरकरार थी जिससे यह लग ही नहीं रहा था कि शाम हो चुकी है और अँधेरा बढ़ने लगा है। जैनसाब, शाम के भोजन के लिए एक आलिशान रेस्टोरेंट में हमें लेकर पहुंचे। यहाँ उज्जैनी के प्रसिद्ध दाल फाफले मिलते हैं जो मैंने जीवन में पहली बार खाये थे। यह खाने में अत्यंत ही स्वादिष्ट थे और हमारे खाने के बाद रेस्टोरेंट की मैनेजर ने हमसे खाने की गुणवत्ता को लेकर फीडबैक भी लिया जो हमारी तरफ से शानदार था। 

Tuesday, March 24, 2020

SANCHI AND CANCER TROPIC


साँची के स्तूप और कर्करेखा 



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    अपनी कलिंग विजय के दौरान जब सम्राट अशोक ने रणभूमि में भयंकर रक्तपात देखा, दोनों ओर की सेनाओं के वीर सैनिकों के शव और चारों ओर मची शोकभरी चीत्कार सुनकर उसका हृदय काँप उठा और मानसिक रूप से विचलित हो उठा। भयंकर रक्तपात और नरसंहार ने उसका सुकून छीन सा लिया था। एक राजा के लिए युद्ध लड़ना आवश्यक नहीं बल्कि उसकी मजबूरी होता है फिर चाहे वो युद्ध साम्राज्य वाद के लिए हो, अपने राज्य की रक्षा के लिए हो या फिर किसी राज्य को लूटने के उद्देश्य से हो परन्तु सम्राट अशोक के लिए इस युद्ध के पीछे क्या कारण था यह अज्ञात है किन्तु इस युद्ध के बाद उसका हृदय परिवर्तित हो गया और उसने हिंसा का मार्ग छोड़कर अहिंसा का मार्ग अपनाया और जिस धर्म ने उसे अहिंसा का मार्ग दिखलाया वह था बौद्ध धर्म। जिसकी शुरआत सम्राट अशोक ने साँची का स्तूप बनवाकर की। 

Sunday, March 22, 2020

UDAIGIRI CAVES


उदयगिरि की गुफाएँ


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 अगला दिन - 22 DEC 2019

  मध्ययुगीन काल से पहले भी भारतभूमि में बाहरी प्रजाति के शासकों ने, भारत की भूमि पर अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए कई बारआक्रमण किये, जिनमें शक और हूणों का नाम मुख्यता से लिया जा सकता है। शकों के परास्त होने और हूणों को भारत में अपना साम्राज्य स्थापित करने से पहले भारत के एक ऐसे काल का उदय हुआ जो भारतीय इतिहास में स्वर्णिम काल के नाम से विख्यात है और यह काल था देश के महानतम और यशस्वी सम्राटों का काल - गुप्तकाल। 

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    गुप्तकाल की स्थापना का श्रेय 'श्रीगुप्त' को जाता है किन्तु इस काल के जिन महान सम्राटों ने भारत को एक अखंड राष्ट्र बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वह थे - चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, कुमारगुप्त और स्कंदगुप्त। यह सभी शासक हिन्दुधर्म के अनुयायी थे और शैव धर्म तथा वैष्णव धर्म में विशेष आस्था रखते थे। इतिहासकारों के अनुसार इस काल का सबसे प्रतापी सम्राट और प्रजाहितकारी शासक 'चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य' था जिसकी अनेको कहानियां पुराणों में वर्णित हैं।

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Friday, March 6, 2020

Bhojpur Shiv Temple



भोजपुर शिव मंदिर 



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    भीमबेटका से लौटकर अब जैन साब के साथ हम भोजपुर शिव मंदिर की तरफ रवाना हुए। दिन ढलने की कगार पर था और शाम अब करीब आ चली थी। भोपाल से होशंगाबाद वाले इस राजमार्ग पर अभी मार्ग चौड़ीकरण का कार्य चल रहा था, आने वाले समय में यह रास्ता भोपाल से भीमबेटका या होशंगाबाद जाने वाले राहगीरों के लिए बहुत ही सुविधा जनक हो जाएगा। अब्दुल्लागंज आने पर जैनसाब ने गाडी सड़क के बाईं ओर खड़ी करके शुभ भाई को यहाँ की मशहूर दुकान से कचौड़ी लाने के लिए कहा जो कि दाल की बनी बेहद ही स्वादिष्ट और गर्मागर्म थीं जिन्हें शाम की चाय के साथ हमें खाने बहुत ही आनंद आया।