Wednesday, June 19, 2013

Chamunda Devi : 2013


UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

चामुंडा देवी के मंदिर में 



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     ट्रेन से उतरकर सभी ने राहत की सांस ली, मानो ऐसा लगा जाने कितने दिनों बाद धरती पर पैर रखा है। कुमार की बुआ और बहिन तो अपनी चादर बिछाकर लेट गईं और वाकी सब भी ऐसे ही बैठ गए, चामुंडा मार्ग एक छोटा सा स्टेशन है, ट्रेन के जाने के कुछ ही समय बाद स्टेशन बिलकुल खाली हो गया, गर अब स्टेशन पर कोई मुसाफिर बचा तो वो हम ही लोग थे, स्टेशन के ठीक सामने पहाड़ है जिसके नीचे एक छोटी सी नदी बहती है। स्टेशन पर हमें काफी समय हो चुका था अब समय था माँ के दरबार में हाजिरी लगाने का , यह हमारी कांगड़ा यात्रा का पहला पड़ाव स्थल था जहाँ आज रात हमें ठहरना था ।



     मैं अपने ट्राली बैग को लेकर स्टेशन से NH-20 पर आया, इस स्थान को मलां कहते हैं , यहाँ से चामुंडा मंदिर पांच किमी की दूरी पर था। मेरे साथ के सभी लोग भी मेरे पीछे पीछे आ गए, और एक बस द्वारा हम चामुंडा धाम पहुंचे। यहाँ से धौलाधार के पहाड़ काफी सुन्दर लग रहे थे, चामुंडा मंदिर अत्यंत ही साफ़ सुथरा और मनोरंजक स्थल है, यहाँ नीचे की तरफ एक नदी भी बहती है जिसमे श्रद्धालु नहाने के साथ फोटोग्राफी भी कर रहे थे, हमेशा की तरह इसबार भी मैंने इस नदी में स्नान किया और अपने वस्त्र बदले जो काफी गंदे हो चुके थे। कुमार तोलिया लेकर नहीं आया था सो वो तोलिया लेने बाजार चला गया और मैं नहा धोकर रात्रि विश्राम की जुगाड़ में चल दिया, मंदिर के ट्रस्ट की तरफ से कमरा मिलने के चांस नहीं थे सो एक प्राइवेट लॉज का कमरा बुक कर लिया, दस लोगों के लिए चार सौ रूपये का।

     अब मुझे चामुंडा माता से भी मिलना था, सो लग गया लाइन में और इंतजार करने लगा माँ से मिलने के लिए। माँ ने बड़े खुश होकर मुझे दर्शन दिए और अपने लंगर की ओर भेज दिया जहाँ आज रोटी दाल के साथ साथ मुझे खीर भी खाने को मिली,  मैंने चावल जरा कम ही खाए, पेट खीर ने ही भर दिया था। वाह मजा आ गया देवी माँ के प्रसाद को खाकर और पेट भी भर गया, मैंने दस रूपये लंगर भवन में रखी दान पेटी में डाल दिए और अपने कमरे पर आ गया, और साथ में मेरे साथ आये सभी लोग भी। जल्द ही मुझे अच्छी नींद आ गई और सुबह मेरी आँख खुली तो मोबाइल में देखा पांच बजे थे। सभी को जल्दी से उठाकर मैंने तैयार होने को कहा, कारण था कि मुझे सवा सात बजे वाली पैसेंजर पकडनी थी जो सीधे जोगिन्दर नगर तक जाती है।

     शीघ्र ही हम चामुंडा मार्ग स्टेशन पर आ गए, यहाँ हमें अखबार के माध्यम से पता चला कि कल केदारनाथ में काफी बाढ़ आ गई जिससे उत्तराखंड को जन धन की काफी हानि हुई, खबर सुनकर हमें बहुत दुःख हुआ, उत्तराखंड भी हिमालय का ही एक भाग है जहाँ इतनी घनघोर बारिश थी कि सबकुछ ख़त्म हो गया और जहाँ हम थे ये भी हिमाचल का ही एक भाग है जहाँ इसबार मुझे इतनी गर्मी देखने को मिली जितनी कभी नहीं मिली।

चामुंडा स्टेशन पर 


मंजू 


चामुंडा मार्ग स्टेशन 





ये मेरा रूमाल सुख रहा है 


कुमार की बुआ और बहिन 















मलां  से दिखाई देते धौलाधार की बर्फीली चोटियाँ 


मलां चौराहा 


चामुंडा धाम में सेठ सुभाष चंद गर्ग एवं उनकी पत्नि 


मेरे पिताजी 


NH - 20  


चामुंडा मार्ग स्टेशन 


ढकेल वाली अम्मा 


चामुंडा मार्ग रेलवे स्टेशन


यात्रा का अगला भाग - जोगिन्दर नगर की ओर 


🙏


        

1 comment:

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