Monday, May 12, 2025

GOA TRIP 2023 : MADGAON TO PANJIM


गोवा में एक दिवसीय यात्रा 

1 JULY 2023         

मडगांव से पोंडा - बस यात्रा 

    तेज बारिश के बीच गत रात्रि मडगांव स्टेशन पर सोने के बाद, अगली सुबह हम गोवा घूमने के लिए तैयार थे। यह गोवा में हमारी पहली यात्रा थी। मडगाव स्टेशन के क्लॉक रूम में अपना बैग जमा करने के बाद, हम बतौर सामान स्वतंत्र थे, और फिर स्टेशन के बाहर निकले। 

  कोंकण रेलवे का मडगाव स्टेशन गोवा का एक मुख्य रेलवे जंक्शन स्टेशन है। बारिश के मौसम में स्टेशन के बाहर का दृश्य बहुत ही सुहावना लग रहा था। मुझे जानकारी थी कि यहाँ घूमने के लिए आसानी से बाइक किराये पर मिल जाती हैं। मैं एक ऐसी ही बाइक की तलाश में था, किन्तु स्टेशन के बाहर मुझे कोई बाइक नहीं मिली। 

  स्टेशन के बाहर ही एक बस स्टॉप था जहाँ हम काफी देर तक खड़े रहे किन्तु कोई भी बस नहीं आई। बस की प्रतीक्षा करते हुए, बारिश अवश्य आ गई, इसलिए बिना देर किये एक ऑटो द्वारा हम गोवा के सेंट्रल बस स्टैंड पहुंचे। बस स्टैंड पहुँचने से पूर्व ऑटो वाले ने हमें दो तीन बाइक रेंट वाली दुकानों पर भी मिलवाया किन्तु वे लोग बतौर एक दिन किराये पर बाइक देने के लिए तैयार नहीं थे। बारिश के मौसम और अनजान शहर को देखकर हमने किराये की बाइक लेने का निर्णय त्याग दिया। 

Monday, May 5, 2025

MATSAYGANDHA EXPRESS : MRDW TO MAO

UPADHYAY TRIPS PRESENT'

 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 12  

मत्सयगंधा एक्सप्रेस और मडगांव स्टेशन पर एक रात  

30 जून 2023 

मैंने मत्सयगंधा एक्सप्रेस में मुर्देश्वर से मडगांव तक शयनयान कोच में आरक्षण करा रखा था। मुर्देश्वर स्टेशन शाम को साढ़े पांच बजे हम इस ट्रेन में सवार हुए, हमारी सीट साइड लोअर और साइड उपर थी, जोकि हमारे आगमन तक हमें खाली ही मिली। यह पहलीबार था जब मुझे मेरी साइड लोअर सीट खाली मिली हो अन्यथा अधिकतर यात्रियों में मुझे मेरी सीट पर कोई ना कोई बैठा अवश्य मिलता है। यह ट्रेन मंगलुरु सेंट्रल से चलकर मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनल जा रही थी, हमारे आसपास बैठी सभी सवारियां मुंबई ही जा रही थीं। 

मुर्देश्वर से निकलने के बाद मौसम में भी काफी परिवर्तन हो गया। यहां काफी तेज बारिश थी और बाहर का सबकुछ दिखना लगभग बंद सा हो गया था। शाम का समय और उसपर जोरदार बारिश हो उस समय एक कप चाय मिल जाये तो उसके आनंद ही अलग होते हैं। ट्रेन में ही एक वेंडर से मैंने दो कप चाय लीं, एक कल्पना को दी और एक मैंने पी। आज के इस मत्सयगंधा एक्सप्रेस की यात्रा के एक अलग ही आनंद थे। 

Saturday, May 3, 2025

MURDESHWAR TEMPLE

UPADHYAY TRIPS PRESENT'

 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 11 

 श्री मुर्देश्वर मंदिर - समुद्री तट पर अलौकिक शिव धाम  

30 जून 2023 

     कर्नाटक के उत्तरी कन्नड़ जिले में, अरब सागर के तट पर कंडूका नामक पहाड़ी है जहाँ आज वर्तमान में भगवान शिव का एक शानदार मंदिर बना हुआ है। यहाँ 123 फ़ीट ऊँची भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा है जो बहुत दूर से ही दिखाई देती है। यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी शिव प्रतिमा है, इसी प्रतिमा के नीचे भगवान का प्राचीन मंदिर है जहाँ शिव लिंग रूप में धरती से 2 फ़ीट नीचे विराजमान हैं। मंदिर परिसर के प्रमुख द्वार के समीप ही बहुत ऊँचा राजगोपुरम बना हुआ है जिसके सबसे ऊपरी शिखर से मंदिर, समुद्र और आसपास का विहंगम नजारा देखा जा सकता है। 

     मैं और कल्पना आज एक पैसेंजर ट्रेन से सुबह मंगलौर से चलकर मुर्देश्वर पहुँचे। मुर्देश्वर स्टेशन पर पहुंचकर हमने यहाँ क्लॉक रूम देखा जो उपलब्ध तो था किन्तु इसका चार्ज हमें समय की अपेक्षा ज्यादा ही लगा इसलिए हमने अपना बैग यहाँ जमा नहीं किया। रेलवे स्टेशन से मुर्देश्वर मंदिर के बीच की दूरी लगभग तीन किमी है, स्टेशन के बाहर ही मंदिर जाने के लिए ऑटो तैयार मिलते हैं और समय अंतराल पर बसें भी चलती हैं। हम एक ऑटो द्वारा मंदिर के लिए रेलवे स्टेशन से प्रस्थान कर गए। जल्द ही हम मंदिर के सामने थे। 

     हम मंगलुरु स्टेशन से  नहाधोकर तैयार होकर निकले थे, इसलिए हमनें यहाँ रुकने की कोई व्यवस्था नहीं देखी। मंदिर के सामने एक प्रसाद की दुकान से प्रसाद लिया और यहीं अपना बैग भी कुछ घंटों के लिए रख दिया। यहीं पास में ही कर्नाटक की कुछ महिलाएं दक्षिण भारत का प्रसिद्ध सुगन्धित फूलों का गजरा बेच रहीं थीं। मैंने भी यहाँ पहलीबार कल्पना के लिए यह गजरा ख़रीदा और कल्पना के बालों में लगाया। गजरा लगने के बाद कल्पना सुन्दर तो लग ही रही थी साथ ही वह अब उत्तर भारतीय से ज्यादा दक्षिण भारतीय महिला लग रही थी। 

Wednesday, April 30, 2025

KONKAN RAILWAY : MANGALURU CENTRAL TO MURDESHWAR

  UPADHYAY TRIPS PRESENT'

 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 10

मंगलूरु सेन्ट्रल से मुर्देश्वर : कोंकण रेलवे में पैसेंजर रेल यात्रा 


30 JUN 2023

मंगलुरु सेंट्रल स्टेशन पर रात्रि विश्राम के बाद हम अगली सुबह प्लेटफॉर्म न 2 पर पहुंचे। यहाँ मंगलुरु - मडगांव पैसेंजर तैयार खड़ी हुई थी। यह सुबह साढ़े पांच बजे यहाँ से प्रस्थान करेगी। इस ट्रेन से यात्रा करने का हमारा एक मुख्य कारण था क्योंकि यह मंगलुरु से निकलने के बाद कोंकण रेलवे क्षेत्र से होकर गुजरती है, और यह कोंकण का वह क्षेत्र है जो रात के अँधेरे की वजह से इसे हम यहाँ आते समय नहीं देख सके थे। 

सही साढ़े पांच बजे ट्रेन मंगलुरु सेंट्रल से रवाना हो गई, अभी दिन निकला नहीं था और अभी बहार अँधेरा ही था। हम जिस कोच में बैठे थे वो पूरी तरह से खाली पड़ा हुआ था। फ़िलहाल इस कोच में यात्रा करने वाले केवल हम दो ही यात्री थे। मंगलुरु नगर के मध्य से गु जरती हुई यह ट्रेन मेंगलुरु जंक्शन रेलवे स्टेशन पहुंची। 

मंगलुरु जंक्शन, मंगलुरु नगर का एक मुख्य जंक्शन रेलवे स्टेशन है। अधिकतर ट्रेनें यहीं होकर गुजरती हैं, यह केरल से दिल्ली रेलवे लाइन पर स्थित है और यहाँ से एक रेलवे लाइन पश्चिमी घाटों के पर्वतों को पार करती हुई मैसूर निकट हासन जंक्शन के लिए भी जाती है। मैंने अभी इस रेल लाइन पर यात्रा नहीं की है किन्तु इस रेल लाइन मुझे एकबार अवश्य ही यात्रा करनी है। इस स्टेशन से कुछ सवारियां हमारे कोच में सवार हुईं किन्तु अभी भी हमारा वाला कूपा खाली ही पड़ा था। कल्पना ने यहाँ चाय की इच्छा व्यक्त की तो मैं स्टेशन की स्टाल से दो चाय ले आया। जल्द ट्रेन यहाँ से रवाना हो चली। 

अब दिन भी निकल आया था और हम मालाबार रेलवे क्षेत्र से निकलकर, कोंकण रेलवे क्षेत्र में यात्रा कर रहे थे। कोंकण रेलवे का पहला रेलवे स्टेशन आया - थोकुर। यह कोंकण रेलवे की दक्षिण दिशा में पहला रेलवे स्टेशन है और यदि कोंकण रेलवे की उत्तर दिशा से गिना जाए तो यह अंतिम रेलवे स्टेशन है। अर्थात कोंकण रेलवे यहाँ समाप्त हो जाती है। हम केरल आते समय रात  हो जाने की वजह से कोंकण रेलवे के इस क्षेत्र को नहीं देख सके थे किन्तु आज सुबह सबेरे हमारी यात्रा यहाँ से पैसेंजर ट्रेन के द्वारा शुरू हुई है जिसका मुख्य उद्देश्य है कोंकण के इस क्षेत्र के नजारो को देखना। 

हम मंगलुरु - मडगांव पैसेंजर ट्रेन में हैं, हमारा कोच लगभग खाली पड़ा है, इस समय जिस सीट पर चाहो बैठ सकते हो, क्योंकि सारी सीटें अनारक्षित हैं और खाली पड़ी हैं। मैं आपातकालीन खिड़की वाली सीट पर बैठा हूँ क्योंकि यह सीट यात्रा  के दौरान किसी वीआईपी से कम नहीं होती। अब जब इस समय इस कोच की सारी सीटें खाली ही पड़ी थीं तो हमने अपने गीले वस्त्र, इन पर सूखने के लिए टांग दिए और एक दो स्टेशन निकलने के बाद यह सूख भी गए। 

मुल्की नाम से एक स्टेशन आया जिसका कोड था मुल्क। मुल्की के बाद नंदीकूर, पुडुबिद्री, इनंजे और अंत में उडुपि। उडुपी, मंगलुरु के बाद इस रेल लाइन पर एक बड़ा नगर है। अधिकतर सवारियां यहाँ उतर गईं। चूँकि यह क्षेत्र तो कोंकण रेलवे का  किन्तु अभी हम कर्नाटक राज्य में ही थे। कोंकण रेलवे के साथ साथ यह हमारी उत्तरी कर्नाटक की रेल यात्रा भी थी। मैंने पहली बार उडुपि नगर के रेलवे स्टेशन  को देखा था और इस नगर के बारे में काफी सुना भी था। यहाँ अनेकों दर्शनीय स्थल  हैं और साथ ही यहाँ बी भगवान श्री कृष्ण का एक विशाल मंदिर भी है। भविष्य में इस नगर की यात्रा करने का विचार लेकर मैं ट्रेन में बैठा ही रहा और जल्द ही ट्रेन इस स्टेशन से रवाना हो चली। 

कुंदापुरा, सेनापुरा और बिजूर जैसे रेलवे स्टेशन निकलने के बाद एक स्टेशन आया जिसका नाम था बेंदुर मूकाम्बिका रोड। इस स्टेशन का परिसर काफी बड़ा और विशाल था किन्तु यह एक छोटा रेलवे स्टेशन ही है। आज हम कोंकण रेलवे की यात्रा पर अवश्य थे किन्तु आज यहाँ दूर दूर तक मानसून का प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा था। ना ही कोई बारिश थी और नाही मानसून का मौसम। हर तरफ खिलखिलाती धूप थी और पश्चिमी घाट स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे और साथ ही उनके आसपास रुई समान बिखरे हुए बादल। 

शिरूर निकलने के बाद जल्द ही हम मुर्देश्वर रेलवे स्टेशन पहुंचे और हमारा आज का गंतव्य यही स्थल था। यहाँ समुद्र किनारे भगवान शिव का एक विशाल प्राचीन मंदिर है, इसके साथ ही यहाँ भगवान् शिव की विशाल प्रतिमा स्थापित है जो कोसों दूर से ही दिखाई देती है। मुर्देश्वर मंदिर की यात्रा का वर्णन हम अगले भाग में करेंगे तब तक आज की कोंकण यात्रा के चित्र देखिये। 


MANGALURU CENTRAL RAILWAY STATION

MANGALURU JUNCTION RAILWAY STATION

DEPARTCH FROM MANGALURU

FIRST KONKAN RAILWAY STATION - THOKUR


CCTV CAMARA'S ON KONKAN RAILWAY STATION

MULKI RAILWAY STATION


OUR TRAIN AND COACH

MULKI RAILWAY STATION

PADUBIDRI RAILWAY STATION

INNANJE RAILWAY STATION


A RAILWAY MAN OF KONKAN RAILWAY

UDUPI RAILWAY STATION

PASSANGER STANDING ON UDUPI RAILWAY STATION




BARKUR RAILWAY STATION

SITA RIVER

A VIEW OF SITA RIVER

SENAPURA RAILWAY STATION





BIJOOR RAILWAY STATION



BYNDOOR MOOKAMBIKA ROAD RAILWAY STATION




BHATKAL RAILWAY STATION

CHITRAPUR RAILWAY STATION

MURDESHWAR RAILWAY STATION

A TRAIN DEPART FROM MURDESHWAR RAILWAY STATION


🙏


कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा के अन्य भाग 

Friday, April 25, 2025

A NIGHT AT MANGLURU RAILWAY STATION

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'

 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 9

मंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर एक रात 


यात्रा दिनाँक :- 29 जून 2023

शाम के 5 बजे के आसपास हम माहे रेलवे स्टेशन पर थे। हमें यहाँ से मंगलौर जाना था और आज रात मंगलौर में ही रुककर कल सुबह पुनः कोंकण रेलवे की यात्रा आरम्भ करेंगे। माहे से हमारा रिजर्वेशन परसुराम एक्सप्रेस में था जिसकी आने की उदघोषणा हमें अब सुनाई देने लगी थी।

 जल्द ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आ भी गई, इस ट्रेन में कुर्सीयान कोच था, हमारी सीट खिड़की के तरफ वाली थी जिस पर पहले से ही कुछ सवारियां बैठीं थीं। हमारे सीट पर पहुँचते ही वे लोग बिना कहे ही उठ गए और हमारे लिए सीट खाली कर दी। यह देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई कि यहाँ लोग नियम और दूसरों की आवश्यकताओं का कितना ध्यान रखते हैं, हमारे उत्तर भारत में ऐसा नहीं होता, खासतौर पर हमारे उत्तर प्रदेश में। 

वहां तो आपकी सीट पर अगर कोई बैठा है तो वो आसानी से नहीं उठेगा जब तक आप उसे चार खरी खोटी सुना नहीं दोगे और मुश्किल से जब वो उठ भी जायेगा तो बेवजह की बड़बड़ाहट करता हुआ उठेगा। 

खैर यह केरल प्रदेश है, साक्षरता में यूँहीं भारत में प्रथम स्थान पर नहीं है। यहाँ के पुरुष की अपेक्षा यहाँ की महिलाएं अत्यधिक साक्षर हैं जोकि उत्तर भारत में सामान्य तौर पर कदापि नहीं हैं। ट्रेन माहि रेलवे स्टेशन से रवाना हो चली है और अब हम मालाबार के इस क्षेत्र में मानसून की इस रेल यात्रा का आनंद उठा रहे हैं। 

मालाबार का यह रेल क्षेत्र भी कुछ कुछ कोंकण रेलवे जैसा ही दिखाई देता है क्योंकि कोंकण की तरह ही यहाँ एक तरफ समुद्र है और दूसरी तरफ पश्चिमी घाट की पर्वत माला, इसके अलावा यहाँ अनेकों नदियां हैं जिनके पुलों से होकर ट्रेन बार बार गुजरती है, किन्तु यहाँ सुरंगें नहीं हैं। कोंकण रेलवे में सुरंगों की भरमार है किन्तु मालाबार में नदियों की। 

जल्द ही थलसेरी नामका स्टेशन आया और यहाँ दो मिनट रूककर ट्रेन आगे बढ़ चली। 

मालाबार के इस रास्ते के नज़ारे बहुत शानदार हैं, मानसून के मौसम में प्राकृतिक सुंदरता का अनुपम दृश्य यहाँ हमने देखा था। केरल के एक मुख्य नगर कन्नूर पहुंचे, यहाँ अधिकतर सवारियां उतर गईं और ट्रेन लगभग खाली सी हो गई। कन्नूर केरल का मुख्य नगर होने के साथ साथ एक तटीय जिला भी है। यहाँ के बीच काफी सुन्दर हैं और यहाँ सेंट एंग्लो नाम का एक सुन्दर किला भी दर्शनीय है। जीवन में अगली बार कभी मालाबार आया तो यहाँ अवश्य आऊंगा और ऐसा सोचकर यह नगर मेरी यात्रा सूची में दर्ज हो गया। 

कन्नूर के बाद केरल का सबसे उत्तरी जिला कासरगोड आया। यह वही नगर है जिसे 'द केरल स्टोरी' मूवीज में दिखाया गया है। फिल्म में अभिनेत्री अदा शर्मा तिरुवनंतपुरम से यहीं पढ़ने के लिए आती हैं। चूँकि फिल्म में इस नगर का नकारात्मक अभिनय दिया गया है इसलिए हमारे मन पर भी इस नगर की नकारात्मक छवि ही बनी हुई थी। 

यहाँ ट्रेन काफी देर तक खड़ी रही और यहाँ तिरुवनंतपुरम की तरफ से आने वाली दो तीन सुपरफास्ट ट्रेनें भी निकाली गईं उसके बाद कहीं परसुराम एक्सप्रेस को आगे बढ़ने के लिए हरे सिग्नल प्राप्त हुए। हमने यहाँ अपने यहाँ की ट्रेन मंगला लक्षद्वीप एक्स्प्रेस को भी देखा जो एर्नाकुलम की ओर जा रही थी। 

कासरगोड के बाद सीधे मंगलुरु सेंट्रल ही जाकर रुके। कर्नाटक के पश्चिमी तट पर स्थित मेंगलुरु एक बड़ा नगर है, जो अरब सागर के किनारे स्थित है। यहाँ के समुद्री तट पर्यटकों को सदैव अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं, इसके साथ ही मंगलौर एक बड़ा बंदरगाह भी है जो समुद्री व्यापार का एक प्रमुख केंद्र है। 

रात लगभग साढ़े नौ बजे हम मंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन पहुंचे। यह एक पुराना टर्मिनल रेलवे स्टेशन है, हमने सोचा था कि यह इसी रेलवे स्टेशन पर रात्रि विश्राम करेंगे और अगली सुबह यहाँ से मडगाव जाने वाली पैसंजर ट्रेन से कोंकण की वापसी रेल यात्रा करेंगे किन्तु हमें इस स्टेशन पर कोई ऐसा स्थान नहीं मिला जहाँ हमारी रात्रि विश्राम की व्यवस्था हो सकती थी। किन्तु थोड़ा ढूढ़ने के बाद, कुछ घंटे रुकने हेतु एक वातानुकूलित प्रतीक्षालय हमें मिल गया जहाँ हमने सुबह होने तक प्रतीक्षा की। 

यहीं पास में ही बने एक भोजनालय में हमने शाकाहारी बिरयानी और डोसा को रात्रि भोज स्वरूप खाया क्योंकि यहाँ उत्तर भारतीय व्यंजन मिलता नहीं और मांसाहारी भोजन हम खाते नहीं हैं। यहाँ भोजनालय में हमारी मेज के नजदीक वाली मेज पर एक मुसलमान परिवार भी भोजन कर रहा था, जाहिर सी बात है वह हमारी तरह शाकाहारी नहीं था, इसलिए हमारी इस आज की यात्रा के भोजन का अनुभव ख़राब रहा और जल्द ही हम इस भोजनालय से बाहर आ गए।  

रात्रि भोज के बाद मैं, कल्पना को प्रतीक्षालय में बैठा कर स्टेशन के बाहर घूमने निकल गया किन्तु आज की अत्यधिक थकान और रात्रि के कारण मैं नगर घूमने नहीं जा सका। बस इस स्टेशन के बाहरी भवन को देखकर ही वापस आ गया। 

जब मैंने मंगलुरु सेंट्रल स्टेशन के बाहरी भवन को देखा तो मुझे इसे देखकर काठगोदाम रेलवे स्टेशन की याद आ गई क्योंकि इस स्टेशन के भवन की संरचना, लगभग काठगोदाम रेलवे स्टेशन से मिलती जुलती है। चूँकि इन दोनों स्टेशनों के भवन की सरंचना भले ही देखने में एक जैसी लगती हो किन्तु यहाँ की आवोहवा में वो बात नहीं है जो काठगोदाम में मिलती है।

 मैंने और कल्पना ने कुछ वर्ष पहले नैनीताल बाइक यात्रा के दौरान काठगोदाम स्टेशन पर एक रात बिताई थी और तब भी मैं ऐसे ही खाना खाने के बाद स्टेशन के बाहर घूमने आया था, उस समय वहां की शुद्ध और शीतल हवा ने मेरा मन प्रफुल्लित कर दिया था और यहाँ आज मंगलुरु की हवा में मुझे सिर्फ मछली की गंध के सिवा कोई शीतलता नहीं दिखी। स्टेशन के बाहर रखी पार्सल की पेटियों में से मछलियों की दुर्गन्ध आ रही थी। 

कुल मिलाकर मुझे इस मंगलुरु की यात्रा अनुभव पसंद नहीं आया और मैं जल्द ही इस रात्रि के गुजरने की प्रतीक्षा करता रहा। 

हम वातानुकूलित प्रतीक्षालय में ठहरे थे जिसमें रुकने के लिए हमें मात्र 4 घंटे का समय दिया गया था जिसका निर्धारित मूल्य हमने दिया। किन्तु इस प्रतीक्षालय में हम सुबह पांच बजे तक रुके और इसी के बाथरूम में सुबह चार बजे हम नहा धोकर अपनी अगली यात्रा के लिए तैयार हो गए। 

वैसे मंगलुरु में एक मंगला देवी का विशाल मंदिर है जिनके नाम पर ही इस नगर का नाम भी रखा गया है। भविष्य में कभी मंगलुरु नगर की यात्रा पर आया तो इस मंदिर में देवी माता के दर्शन अवश्य करूँगा, ऐसा सोचकर स्टेशन से ही मंगला देवी को प्रणाम किया और आगे की यात्रा के लिए प्रस्थान किया।  

परसुराम एक्सप्रेस - मालाबार तट की एक शानदार ट्रेन 


कन्नूर रेलवे स्टेशन 


कासरगोड रेलवे स्टेशन 

मंगलुरु स्टेशन पर रात्रि भोज 

वेज बिरयानी 









मंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन 

अगली यात्रा :- मंगलूरु सेन्ट्रल से मुर्देश्वर : कोंकण रेलवे में पैसेंजर रेल यात्रा 

🙏

कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा के अन्य भाग