हमने पहले सीधे चामुंडा जाने का प्लान बनाया । सुबह 10 बजे ट्रेन पठान कोट से रवाना हुई और धीरे धीरे धरती से पहाड़ो की गोद में आ गई। सफ़र बड़ा ही रोमांचक था और मज़ेदार भी, छोटी सी ट्रेन और छोटे छोटे स्टेशन, हिमालय की वादियाँ और व्यास नदी का अद्भुत नजारा वाकई मन को मोह लेने वाला था। मेरा तो मन कर रहा था कि आगरा वापस ही न जाऊं यहीं रह जाऊं ,पर अपना घर अपना ही होता है ,चाहे कहीं भी चले जाओ असली सुकून तो अपने घर में ही मिलता है। शाम तलक हम चामुंडा मार्ग स्टेशन पहुँच गए। यह एक सुन्दर और रमणीक स्टेशन है ।
मुझे यहाँ के स्थानीय लोगो ने बताया कि पुरानी चामुंडा का मंदिर ऊपर पहाड़ो में है, वहां आने जाने में कम से कम दो दिन लगेंगे। माँ और बहिन की तरफ देखते हुए मैंने वहां जाने का विचार त्याग दिया पर आगे भविष्य में जाने का प्रण जरुर कर लिया। हम नई चामुंडा देवी के मंदिर पर पहुंचे। यह एक सुन्दर और बड़ा मन्दिर है धार्मिक दृष्टि से भी और पर्यटन की दृष्टि से भी। यहाँ बाणगंगा नदी एक सामान्य धारा के रूप में बहती है या यूँ कहिये कि पहाड़ो से निकलकर धरती पर जा रही है। मंदिर को और रमणीक बनाने हेतु इस नदी पर एक पुल भी बनाया गया है ।
देवी माँ के दर्शन करने के बाद हम नीचे वाले शिव मंदिर में भी गए। रात होने को थी अब खाने का ठहराने का प्रबंध भी करना था। हमे मंदिर ट्रस्ट की तरफ से एक बड़े हॉल में जगह मिल गई जहाँ हमने अपना आसन लगाया। पास में ही लेटे हुए कुछ श्रद्धालु कही जाने लगे, उन्ही में से एक बुजुर्ग ने हमसे कहा कि खाना खा लिया या नहीं, गर नहीं तो चलो हमारे साथ लंगर का समय हो गया है। मंदिर से आधा किमी दूर लंगर भवन है जहाँ रात्रि नौ बजे लंगर चलता है। लंगर में हमें दाल चावल मिले। मैंने भरपेट भोजन किया और हॉल में आकार सो गया। सुबह उठकर हम मलां स्थित रेलवे स्टेशन पहुंचे।
चामुंडा मार्ग का रेलवे स्टेशन भी कम रमणीय नहीं है। यहाँ एक ही रेलवे लाइन है जो अर्धवृत्ताकार रूप में होने के कारण बहुत शानदार लगती है, स्टेशन भी छोटा सा ही है इसलिए यह स्थान रमणीय होने के साथ साथ प्राकृतिक वातावरण से भरपूर भी है। स्टेशन के ठीक सामने पहाड़ है और उस पहाड़ से ठीक पहले नदी की एक धारा नहर के रूप गुजरती है। स्टेशन के आसपास काफी अच्छे हिमाचली घर भी बने हैं जिनमें बेहद शानदार और खुशबू बिखेरने वाले गुलाब के पौधे लगे हैं। इन गुलाबों की सुगंध से यहाँ आने वाले हर सैलानी का मन बस यहीं का होकर रह जाना चाहता है।
कुछ ही समय बाद पठानकोट की तरफ से इस रेलवे लाइन की छोटी वाली ट्रेन आ गई। दूर से हॉर्न देती ट्रेन का संकेत पाकर सभी यात्री अपने अपने सामान के साथ सचेत हो जाते हैं। यह पाँच छः डिब्बों वाली नेरो गेज की ट्रेन है जो स्वछन्द वातावरण में हिमालय की वादियों में अपना सफर तय करती है। अपनी अगली यात्रा के लिए हम इसी ट्रेन में सवार हो गए और चामुंडा धाम से बैजनाथ धाम की ओर बढ़ चले।
 |
CHAMUNDA MARG RAILWAY STATION |
 |
RAILWAY STATION OF CHAMUNDA MARG |
 |
CHAMUNDA MARG |
 |
RIVER IN CHAMUNDA |
 |
CHAMUNDA TAMPLE |
 |
CHAMUNDA TAMPLE |
 |
CHAMUNDA TAMPLE |
 |
CHAMUNDA DEVI TEMPLE IN 2010 |
 |
CHAMUNDA DEVI TEMPLE |
 |
CHAMUNDA DEVI TEMPLE |
 |
CHAMUNDA DEVI TEMPLE |
 |
CHAMUNDA DEVI TEMPLE 2010 |
 |
CHAMUNDA DEVI TEMPLE 2010 |
 |
CHAMUNDA DEVI 2010 |
 |
CHAMUNDA DEVI 2010 |
 |
CHAMUNDA DEVI TEMPLE 2010 |
 |
Chamunda Marg railway station |
यात्रा का अगला भाग …
चामुंडा मंदिर की अन्य यात्राएँ
वाह बढ़िया लगा आपका सफर नई मंजिलों की और...जय माँ चामुंडा
ReplyDelete