गुजरात की एक अधूरी यात्रा - भाग 3
सूरत से जूनागढ़ रेल यात्रा
यात्रा दिनाँक :- 4 MAR 2023 TO 5 MAR 2023
वघई आने के बाद मेरी यह नेरो गेज रेल यात्रा तो पूरी हो गई किन्तु मुझे अभी मीटर गेज की भी रेल यात्रा करनी थी जिसके लिए मुझे सुबह जल्दी जूनागढ़ पहुंचना होगा और इसके लिए सौराष्ट्र जनता एक्सप्रेस सबसे बेस्ट ट्रेन है जो शाम को साढ़े पांच बजे सूरत से चलकर अगली सुबह चार बजे जूनागढ़ उतार देगी और वहां से सुबह सात बजे मीटरगेज ट्रेन देलवाड़ा के लिए चलती है।
देलवाड़ा, दीव का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है अतः अब यात्रा दीव तक प्रस्तावित है। इसप्रकार हमारी मीटर गेज रेल यात्रा भी हो जायेगी और दीव शहर भी घूम लिया जायेगा जोकि एक केंद्र शासित प्रदेश है।
महाराष्ट्र रोडवेज की बस में सीट पर बैठे बैठे मैं बस यही प्लानिंग करता जा रहा था। मैंने सीधे सूरत पहुँचने के लिए सूरत तक का टिकट ले लिया, और आराम से बस की खिड़की पर बैठ गया। ठंडी ठंडी हवा लग रही थी, यह रास्ता पूर्णा वन्यजीव अभ्यारण्य से होकर गुजरता है अतः बस के दोनों तरफ सिर्फ जंगल ही जंगल दिखाई दे रहा था।
शाम के चार बज गए थे, मुझे पांच बजे तक सूरत पहुँचने की उम्मीद है जिससे मुझे आसानी से मुझे मेरी अगली ट्रेन मिल जाये।
भारतीय रेलवे के एप NTES के जरिये मैंने जूनागढ़ जाने वाली सौराष्ट्र एक्सप्रेस की लोकेशन देखी तो पता चला कि यह अभी वापी से निकली है। इस तरह मैं निश्चिन्त होकर बस में बैठा रहा कि ट्रेन से पहले ही यह बस मुझे सूरत पहुंचा ही देगी।
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बिलिमोरा का बस स्टैंड आया और थोड़ी देर रूककर बस यहाँ से सूरत की ओर बढ़ चली, यह बिलिमोरा के रेलवे स्टेशन से होकर गुजर रही थी, एकबार को मन में ख्याल आया कि यहीं उतर लेते हैं क्योंकि सौराष्ट्र जल्द यहां पहुँचने वाली थी किन्तु मन लालच से लबालोर था, सोचा जब सूरत तक की टिकट ली है तो यात्रा भी सूरत तक इस बस से ही करनी है।
बस इसी लालच ने मेरी आगे की यात्रा पर पूर्ण विराम लगा दिया। मैं बस में ही बैठा रहा, और बिलिमोरा से थोड़ा आगे निकलते ही पता चला कि सौराष्ट्र भी बस के पीछे पीछे ही आ रही थी, यह बिलिमोरा आ चुकी थी। इसका अगला स्टॉप नवसारी था, जहाँ अभी फ़िलहाल ये बस पहुँच चुकी थी।
अब सिर्फ एक स्टेशन का फासला ही शेष बचा था, आगे की यात्रा के लिए ट्रेन का मिलना बहुत जरुरी था और उम्मीद अभी भी कायम थी क्योंकि पांच बजने वाले थे और हम नवसारी पार कर चुके थे। बस शानदार हाईवे पर दौड़ रही थी और ऐसा ही रहा तो यह साढ़े पांच बजे तक सूरत पहुंचा ही देगी ऐसी मुझे उम्मीद थी।
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ट्रेन भी अपने सही समय पर चल रही थी, पांच बजे ट्रेन नवसारी पहुँच चुकी थी अब उसका अगला स्टॉप सूरत ही था और शाम 5: 45 बजे यह सूरत से रवाना होगी।
मात्र 45 मिनट का समय शेष था और मैं अभी भी सूरत से काफी पहले था। साढ़े पांच बजे तक बस सूरत शहर में प[रवेश तो कर गई किन्तु रेलवे स्टेशन से अभी यह काफी दूर थी। शहर में लगे ट्रैफिक की वजह से बस की रफ़्तार धीमी हो गई और मेरे ह्रदय की धड़कने तेज होती चली गईं।
शाम पौने छः बजे तक बस, सूरत के बस स्टैंड पहुंची जो स्टेशन से ज्यादा दूर नहीं था और मैं बस से उतरकर सीधे रेलवे स्टेशन की तरफ रवाना हो चला। एप में देखा तो पता चला सौराष्ट्र जनता एक्सप्रेस सूरत से प्रस्थान कर चुकी है और मेरी आगे की यात्रा का प्लान भी अब रद्द होता दिख रहा था, परन्तु एक उम्मीद थी, एक ऐसी उम्मीद जिसके पूरे होने के कोई आसार नहीं थे और वो थी अब सौराष्ट्र जनता एक्सप्रेस का पीछा करना।
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मैं सूरत स्टेशन पहुंचा, सौराष्ट्र जनता को यहाँ से छूटे हुए अभी सिर्फ दस मिनट ही हुए हैं, मुझे लगा कि शायद मैं इसे वड़ोदरा स्टेशन से पकड़ लूंगा जिसके लिए मुझे अभी किसी सुपरफास्ट ट्रेन से वड़ोदरा के लिए निकलना होगा इसलिए वड़ोदरा का एक सुपरफास्ट का टिकट ले लिया बाकी सौराष्ट में तो अपना रिजर्वेशन है ही।
प्लेटफॉर्म पर वड़ोदरा जाने वाली सुपरफास्ट की प्रतीक्षा करने लगा, परन्तु अब ऐसा लग रहा था जैसे भगवान ही नहीं चाहते थे कि आगे की यात्रा पूरी की जाए। वड़ोदरा जाने के लिए सुपरफास्ट तो आई किन्तु यह डबल डेकर ट्रेन थी जो पूरी वातानुकूलित दोमंजिला ट्रेन थी।
मैं इस ट्रेन में नहीं बैठा क्योंकि मेरे पास सामान्य श्रेणी का टिकट था जो इस ट्रेन में कतई मान्य नहीं था। चूँकि यह मुझे आसानी से सौराष्ट्र एक्सप्रेस से पहले ही वड़ोदरा पहुंचा देती किन्तु मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।
कुछ ही समय बाद दहानू रोड - वड़ोदरा एक्सप्रेस आई, यह वही ट्रेन थी जिससे सुबह मैं सूरत से बिलिमोरा पहुंचा था।
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दहानू रोड मुंबई से 100 किमी पहले पालघर जिले में महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा के नजदीक पड़ता है। यह एक सामान्य कोच वाली ट्रेन थी, इससे मैं वड़ोदरा के लिए रवाना हो चला।
सौराष्ट्र जनता वड़ोदरा से आठ बजे निकलती है और यह ट्रेन साढ़े आठ बजे वहां पहुंचेगी। किस्मत अच्छी रही तो सौराष्ट्र एक्सप्रेस के मिलने का एक चांस है कि वह थोड़ी लेट जाये किन्तु ऐसा नहीं हुआ, मेरे वड़ोदरा पहुँचने से पहले ही सौराष्ट्र जनता वड़ोदरा से भी निकल चुकी थी।
एक बार फिर से मैंने अपनी किस्मत को आजमाना चाहा और फिर से सौराष्ट्र जनता का पीछा करने के लिए मैं दादर एक्सप्रेस से अहमदाबाद के लिए सवार हो चला।
यह एक सुपरफास्ट ट्रेन है जो अजमेर जा रही थी, इसका अहमदाबाद पहुँचने का समय रात पौने ग्यारह बजे था और सौराष्ट्र जनता का अहमदाबाद से छूटने का समय सवा दस बजे था। किन्तु इसबार यह लेट होती दिख रही थी और साढ़े दस बजे अहमदाबाद पहुंची थी।
मैं एकबार फिर से रिस्क लेना चाह रहा था किन्तु किस्मत इसबार भी मेरे साथ नहीं थी। मेरे अहमदाबाद पहुँचते ही सौराष्ट्र भी अहमदाबाद से रवाना हो चली।
मात्र पांच मिनट के फासले पर मैंने अपने आगे की यात्रा प्लान को खो दिया। अब कोई चांस नहीं था सौराष्ट्र जनता एक्सप्रेस को पकड़ने का, अतः एक द्वारका जाने वाली स्पेशल ट्रेन से राजकोट तक जाने का निर्णय लिया।
चूँकि यह एक स्पेशल गाडी थी अतः इसके जनरल कोच में मुझे आराम से सीट मिल गई और मैं इसपर सो गया। सुबह चार बजे के आसपास मैं राजकोट पहुंचा। सौराष्ट्र जनता कबकी यहाँ से जा चुकी थी और इस समय तो जूनागढ़ पहुँचने वाली भी होगी। राजकोट से जूनागढ़ के लिए सुबह एक पैसेंजर से मैं जेतलसर स्टेशन पहुंचा।
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जेतलसर एक महत्वपूर्ण जंक्शन स्टेशन है, जहाँ से वेरावल, पोरबंदर और भावनगर के लिए लाइन अलग होती हैं। पूर्व में यह मीटरगेज का मुख्य स्टेशन था जिसके अवशेष आज भी यहाँ देखे जा सकते हैं। ब्रॉड गेज में परिवर्तित होने के बाद इसे काफी बड़ा और पांच प्लेटफॉर्म वाला बनाया गया है।
इससे अगला मुख्य स्टेशन ही जूनागढ़ है, एक पैसेंजर ट्रेन के द्वारा मैं जूनागढ़ पहुंचा। पिछली बार द्वारका यात्रा के समय मैं अपनी माँ के साथ इस स्टेशन से होकर गुजरा था जब हम सोमनाथ गए थे। आज पुनः मैं जूनागढ़ स्टेशन पर था किन्तु इसे देखने का मौका मुझे आज पहली बार ही मिला था।
यह भी किसी समय पूर्णतः मीटरगेज का ही स्टेशन था, जो इसके स्टेशन भवन को देखकर साफ़ दिखाई दे रहा था। अब यहाँ मीटरगेज की केवल एक ही लाइन और एक ही प्लेटफॉर्म बचा है। यहाँ से दो मीटरगेज की पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं जिनमें से पहली देलवाड़ा जाती है जो निकल चुकी है और मुझे इसी ट्रैन से आगे की यात्रा करनी थी जो अब रद्दा हो गई। दूसरी पैसेंजर अमरेली तक जाती है, जिसे मैंने अपनी पिछली गुजरात यात्रा के दौरान देखा था।
स्टेशन पर प्राचीन समय की अनेक ऐसी चीजें थी जिन्हें देखकर मीटरगेज के समय का अनुभव होता है। यहाँ बने वेटिंगरूम में मैं नहाकर तैयार हो गया और अमानती घर में अपना बैग जमा कराने के बाद जूनागढ़ यात्रा पर रवाना हो गया।
यात्रा क्रमशः
राजकोट स्टेशन बाहर खड़ा 'राजहंस' |
मेरी अगली ट्रेन |
RAJKOT RAILWAY STATION |
BHAKTI NAGAR RAILWAY STATION |
SUN RISE VIEW AT BHAKTI NAGAR STATION |
NAVAGADH RAILWAY STATION |
JETALSAR RAILWAY STATION |
A VIEW OF JETALSAR RAILWAY STATION |
AT JUNAGADH RAILWAY STATION |
JUNAGADH RAILWAY STATION |
METERGUAGE AMRELI PASSENGER |
START OR END POINT OF METER GUAGE TRACK ON JUNAGADH RLY. STN. |
JUNAGADH TOURISM BOARD AT RAILWAY STATION |
OLD LEAVER FOR CHANGE TRACK OR SIGNAL अगली यात्रा - जूनागढ़ नगर |
🙏
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