Wednesday, August 25, 2021

LAFA CHATURGARH FORT

लाफा और चैतुरगढ़ किले की एक यात्रा 


मानसून की तलाश में एक यात्रा भाग - 5,       यात्रा दिनाँक - 11 अगस्त 2021 

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पाली पहुँचने के बाद मैंने एक दुकान से कोकाकोला की किनली की एक पानी की बोतल खरीदी और यहीं पास में खड़े एक चाट वाले से समोसे और कचौड़ी की मिक्स चाट बनवाकर आज के दोपहर का भोजन किया। मैं इस समय चैतुरगढ़ मार्ग पर था। पाली अंतिम बड़ा क़स्बा था और इसके बाद का सफर छत्तीसगढ़ के जंगल और पहाड़ों के बीच से गुजरकर होना था। मैंने चाट वाले से आगे किसी पेट्रोल पंप के होने के बारे में पूछा तो उसने स्पष्ट शब्दों में बता दिया कि आगे कोई पेट्रोल पंप नहीं है। अगर चैतुरगढ़ जा रहे हो तो यहीं पाली से ही पेट्रोल भरवाकर जाओ क्योंकि आगे घना जंगल है और रास्ते भी पहाड़ी हैं। वहां आपको कुछ भी नहीं मिलेगा। पाली से चैतुरगढ़ जाने के लिए एक मात्र विकल्प अपना साधन ही है। पाली से चैतुरगढ़ जाने के लिए कोई साधन नहीं मिलता है। 

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Sunday, August 15, 2021

MAHADEV TEMPLE OF PALI

बिलासपुर शहर और पाली का महादेव मंदिर  

मानसून की तलाश में एक यात्रा भाग - 4 

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चन्द्रेह से वापस लौटने के बाद मैं ट्रेन के चलने से सही दस मिनट पहले ही रीवा स्टेशन पहुँच गया था। स्टेशन के एक नंबर प्लेटफार्म पर ही बिलासपुर जाने वाली ट्रेन खड़ी हुई थी। मेरी अब अगली यात्रा बिलासपुर के लिए होनी थी जहाँ मुझे लाफा चैतुरगढ़ के पहाड़, ऐतिहासिक मंदिर और किला  देखना था और इसके साथ ही मुझे छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी रतनपुर को भी देखना था, जिसके बारे में मैंने सुना है कि यह कल्चुरी शासकों की प्राचीन राजधानी है जिसे बाद में बिलासपुर नामक शहर बसाने के बाद यहाँ स्थानांतरित कर दिया गया। रतनपुर में आज इन्हीं शासकों का पुराना किला और इनके द्वारा बनबाये गए प्राचीन मंदिर दर्शनीय हैं। 

Tuesday, August 10, 2021

CHANDREH TEMPLE


 चन्द्रेह मंदिर और भँवरसेन का पुल 

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मानसून की तलाश में एक यात्रा - भाग 3 

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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं भरहुत स्तूप देखने के बाद सतना के लिए रवाना हो गया और अब मैं सतना के बस स्टैंड पर पहुँच चुका था। अब अपनी ''ऐतिहासिक मंदिरों की एक खोज की श्रृंखला'' को आगे बढ़ाते हुए मेरी अगली मंजिल नौबीं शताब्दी का ऐतिहासिक चन्द्रेह शिव मंदिर था जो रीवा से लगभग 35 किमी आगे मध्य प्रदेश के सीधी जिले में स्थित है। यह मंदिर मुख्य शहरों और बाजारों से कोसों दूर एक वियावान स्थान पर एक नदी के किनारे स्थित था। मुख्य राजमार्ग से भी इसकी दूरी लगभग दस किमी के आसपास थी। यहाँ तक पहुँचने से पहले मेरे मन में अनेकों चिंताएं और जिज्ञासाएं थीं। 

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Monday, August 2, 2021

BHARHUT STUP RUINS


भरहुत स्तूप और उसके अवशेष 




मानसून की तलाश में एक यात्रा भाग - 2      यात्रा  दिनाँक - 10 Jul 2021 
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मैहर धाम से अब रवाना होने का वक़्त था, मैहर मंदिर के दर्शन करने के पश्चात मैं मंदिर से नीचे उतर आया और एक ऑटो से बस स्टैंड पहुंचा। सतना के नजदीक चौमुखनाथ और भूमरा के ऐतिहासिक मंदिर हैं। चौमुखनाथ का मंदिर वाकाटक शासकों की पूर्ववर्ती राजधानी नचना कुठार में स्थित हैं। मेरा इस स्थान को देखने का बड़ा ही मन था। यह स्थान पन्ना और सतना के मध्य कहीं स्थित था। चौमुखनाथ का मंदिर बड़ा ही भव्य मंदिर है, मैं जानता था कि इस मंदिर की यात्रा, फेसबुक पर हमारे परम मित्र मुकेश पांडेय चन्दन जी कर आये हैं, इसलिए मैंने तुरंत उनसे संपर्क किया और यहाँ तक पहुँचने का मार्ग जाना। उन्होंने मुझे मार्ग तो बतला दिया किन्तु इस मंदिर तक पहुँचने के लिए मुझे आज पूरा दिन लगाना पड़ता इसलिए इस मंदिर को भविष्य पर छोड़ मैं भरहुत स्तूप के लिए बस में बैठ गया।