Monday, April 30, 2018

Amb Andoura Railway Station


अम्ब अंदौरा स्टेशन पर एक रात 

अम्ब अंडोरा स्टेशन 


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        हम चिंतपूर्णी से लौटने में काफी लेट हो गए थे। हमारा रिजर्वेशन अम्ब अंदौरा स्टेशन से दिल्ली तक हिमाचल एक्सप्रेस में था जिसका छूटने का समय रात आठ बजकर दस मिनट था जबकि हमें सात तो चिंतपूर्णी में ही बज चुके थे।  पर कहा जाता है कि उम्मीद पर ही दुनिया कायम है, मेरी उम्मीद अभी ख़त्म नहीं हुई थी। मैंने एक टैक्सी किराये पर की और अम्ब के लिए निकल पड़ा। हालाँकि रात के समय में पहाड़ी रास्तों पर टैक्सी वाले ने गाडी खूब तेज चलाई और आठ बजकर दस मिनट पर हमें अब स्टेशन लाकर रख दिया। हमारी ट्रेन हमारी आँखों के सामने सही समय पर छूट चुकी थी और अब हमारे पास इस वीरान स्टेशन पर रुकने के सिवाय कोई रास्ता नहीं था। टैक्सी वाला भी अब तक जा चुका था। अम्ब अंदौरा स्टेशन शहर से काफी दूर एकांत जगह में बना हुआ है। यहाँ आसपास कोई बाजार नहीं था, बस स्टेशन के बाहर दो तीन दुकानें थी जिनका भी बंद होने का समय हो चला था। 

Sunday, April 29, 2018

CHINTPURNI DEVI : 2018


माँ चिन्तपूर्णी जन्मोत्सव
चिंतपूर्णी जन्मदिवस 



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        आज शनिवार है और २९ अप्रैल भी। हम माता चिंतपूर्णी के दर्शन हेतु एक लम्बी लाइन में लगे हुए थे। हमारी लाइन के अलावा यहाँ एक और भी लाइन लगी हुई थी। इस लाइन के व्यक्ति भी माता के दर्शन हेतु ही प्रतीक्षारत थे।  कई घंटे लाइन में लगे रहने के बाद हम मंदिर के बाहर बने बाजार तक पहुंचे।  यहाँ हमें दर्शन हेतु एक पर्ची दी गई।  इस पर्ची का पर्याय यही था कि आप बिना लाइन के माता रानी के दर्शन नहीं कर सकते। पर्ची लेने के बाद भी लेने ज्यों की त्यों ही थी। जब काफी समय हो गया और मुझे गर्मी सी मह्सूस होने लगी तो मैं पास की दुकान में पंखे की हवा खाने चला गया। दुकान में बैठना था इसलिए एक कोक भी पीली। तबतक मेरे अन्य सहयात्री लाइन में काफी आगे तक आ चुके थे। 

Saturday, April 28, 2018

JWALA DEVI : 2018


माँ ज्वालादेवी जी की शरण में

जय माँ ज्वालदेवीजी 


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        काफी देर रानीताल पर खड़े रहने के बाद एक पूरी तरह से ठठाठस भरी हुई एक बस आई, जैसे तैसे हम लोग उसमे सवार हुए और ज्वालाजी पहुंचे।  ये शाम का समय था जब हम ज्वालाजी मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के अंदर से मंदिर की तरफ बढ़ रहे थे। बाजार की रौनक देखने लायक थी। मंदिर के नजदीक पहुंचकर हमने एक कमरा बुक किया। कमरा शानदार और साफ़ स्वच्छ था। कुमार किसी दूसरे होटल में अपने परिवार के साथ रूका हुआ था।  नगरकोट की तरह यहाँ भी लाडोमाई जी की गद्दी है।  बड़े मामा और किशोर मामा अपने परिवार के साथ उनके यहाँ रूकने को चले गए।  शाम को सभी लोग मंदिर पर मिले, सबसे अंतिम दर्शन करने वाले मैं और माँ ही थे। इसके बाद मंदिर बंद हो चुका था।

Jwalamukhi Road Railway Station


चामुंडा मार्ग से ज्वालामुखी रोड रेल यात्रा 



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      काँगड़ा वैली रेल यात्रा में जितने भी रेलवे स्टेशन हैं सभी अत्यंत ही खूबसूरत और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर हैं। परन्तु इन सभी चामुंडा मार्ग एक ऐसा स्टेशन है जो मुझे हमेशा से  ही प्रिय रहा है, मैं इस स्टेशन को सबसे अलग हटकर मानता हूँ, इसका कारण है इसकी प्राकृतिक सुंदरता।  स्टेशन पर रेलवे लाइन घुमावदार है, केवल एक ही छोटी सी रेलवे लाइन है।  स्टेशन के ठीक सामने हरियाली से भरपूर पहाड़ है और उसके नीचे कल कल बहती हुई नदी मन को मोह लेती है।

 स्टेशन के ठीक पीछे धौलाधार के बर्फीले पहाड़ देखने में अत्यंत ही खूबसूरत लगते हैं। सड़क से स्टेशन का मार्ग भी काफी शानदार है।  यहाँ आम और लीची के वृक्ष अत्यधिक मात्रा में हैं। यहाँ के प्रत्येक घर में गुलाब के फूलों की फुलवारी लगी हुई हैं जिनकी महक से यह रास्ता और भी ज्यादा खुसबूदार रहता है। स्टेशन पर एक चाय की दुकान भी बनी हुई है परन्तु मैं यहाँ कभी चाय नहीं पीता। 

Chamunda Devi : 2018



माँ चामुंडा के दरबार में वर्ष - २०१८

चामुंडा 2018 


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         काँगड़ा से बस द्वारा हम चामुंडा पहुंचे, बस वाले ने हमें ठीक चामुंडा के प्रवेश द्धार के सामने ही उतारा था। यहाँ मौसम काँगड़ा की अपेक्षा काफी ठंडा था और बादल भी हो रहे थे। यह मेरी और माँ की चामुंडा देवी के दरबार में तीसरी हाजिरी थी। पिछले वर्षों की तुलना में यहाँ आज कार्य प्रगति पर था मंदिर के सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है, जब मैं और माँ यहाँ 2010 में आये थे तब यह अत्यंत ही खूबसूरत था परन्तु अत्यधिक बरसात होते रहने के कारण यहाँ बनी मुर्तिया और तालाब अब थोड़े से धूमिल हो चुके थे परन्तु मंदिर की शोभा और गलियारा आज भी वैसा ही है। चामुंडा देवी की कथा का विवरण मैंने अपनी पिछली पोस्टों में किया है। हम सभी मंदिर के बाहर बने प्रांगण में बैठे हुए थे।  माँ को यहाँ शरीर में सूजन थोड़ी ज्यादा आ गई थी इसलिए मंदिर के प्रांगण में बने सरकारी चिकित्सालय से माँ को मुफ्त कुछ दवाइयां दिलवा लाया।

Friday, April 27, 2018

MACLOADGANJ : 2018

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


मैक्लोडगंज की वादियों में 


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        आज का प्लान हमारा मैक्लोडगंज जाने का था, कुमार इसके लिए पूर्णत: तैयार था, मैं, कल्पना और कुमार की फेमिली मैक्लोडगंज के लिए निकल लिए और साथ ही बुआजी, गौरव और रितु मामी जी भी हमारे साथ थे। हम काँगड़ा के बसस्टैंड पहुंचे, यहाँ एक बस धर्मशाला जाने के लिए तैयार खड़ी हुई थी,  बस खाली पड़ी थी तो हम इसी में सवार हो लिए और कुछ ही समय बाद हम धर्मशाला में थे, यहाँ बने एक रेस्टोरेंट में भोजन करने के बाद हम धर्मशाला के बस स्टैंड की तरफ रवाना हुए, मुख्य सड़क से बस स्टैंड काफी नीचे बना हुआ है, सीढ़ियों के रास्ते हम बस स्टैंड पहुंचे, एक मार्कोपोलो मिनी बस मैक्लोडगंज जाने को तैयार खड़ी थी। टेड़े मेढे रास्तों से होकर हम कांगड़ा घाटी में बहुत ऊपर तक आ चुके थे, यहाँ का मौसम काँगड़ा के मौसम की तुलना में बहुत अलग था, चारोंतरफ चीड़ के वृक्ष और सुहावना मौसम मन को मोह लेने वाला था।

Wednesday, April 25, 2018

KANGRA : 2018

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

नगरकोट धाम वर्ष २०१८ 

KANGRA TEMPLE


        इस बार काँगड़ा जाने की एक अलग ही ख़ुशी दिल में महसूस हो रही थी, इसका मुख्य कारण था करीब पांच साल बाद अपनी कुलदेवी माता बज्रेश्वरी के दर्शन करना और साथ ही अपनी पत्नी कल्पना को पहली बार नगरकोट ले जाना। यह सपना तो पहले भी पूरा हो सकता था परन्तु वो कहते है न जिसका बुलाबा जब भवन से आता है तभी वो माता के दर्शन का सुख पाता है। इसबार माँ ने मुझे भी बुलाया था और कल्पना को भी साथ इस यात्रा में मेरी माँ मुख्य यात्री रहीं। अन्य यात्रियों में मेरे बड़े मामाजी रामखिलाड़ी शर्मा उनकी पत्नी रूपवती शर्मा, मेरे एक और मामा किशोर भारद्धाज उनकी पत्नी रितु एवं उनके बच्चे गौरव और यतेंद्र। इनके अलावा मेरी बुआजी कमलेश रावत और मेरा दोस्त कुमार भाटिया अपने बेटे क्रियांश और अपनी पत्नी हिना भाटिया और उसके साले साहब कपिल वासवानी अपनी पत्नी रीत वासवानी के साथ थे।