राजसमंद और कांकरोली
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कांकरोली स्टेशन पर जीतू |
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श्री नाथजी के दर्शन करके हम राजनगर की ओर रवाना हो लिए, दिलीप एक मारुती वन में बैठ गया, मैं ,जीतू और कल्पना बाइक पर ही चल दिए। रात हो चली थी , राष्ट्रीय राजमार्ग - 8 पर आज हम बाइक से सफ़र कर रहे थे, सड़क के दोनों तरफ मार्बल की बड़ी बड़ी दुकाने और गोदाम थे और रास्ता भी बहुत ही शानदार था।
थोड़ी देर में हम कांकरोली पहुँच गए, यहाँ हमें दिलीप भी मिल गया और हम फिर जीतू के घर गए , भईया को अभी पता नहीं था कि मैं कांकरोली में आ गया हूँ, मेरा संपर्क सिर्फ जीतू के ही साथ था । जीतू और धर्मेन्द्र भैया मेरे बड़े मामा जी के लड़के हैं। दोनों ही यहाँ मार्बल माइंस में नौकरी करते हैं, इसलिए अपने परिवार को लेकर दोनों यहीं रहते हैं, मैं पहले भी कई बार कांकरोली और राजनगर आ चुका हूँ, कल्पना और दिलीप पहली बार आये थे।
दरअसल राजनगर और कांकरोली दो मुख्य बड़े शहर हैं जो एक दुसरे से बिलकुल सटे हुए हैं , कांकरोली से राजनगर तक पूरा एक बड़ा बाजार है। राजसमन्द को ही राजनगर कहते हैं, राजसमन्द एक शहर का नाम न होकर एक जिले का नाम है जिसमे कांकरोली और राजनगर ये दो शहर समाहित हैं। यहाँ एक सुन्दर झील है जो 1676 ई. में महाराणा राजसिंह द्वारा बनबाई गई थी इसी कारण इस झील को राजसमन्द झील कहते हैं, इसी झील के निकट पहाड़ पर राणा राजसिंह का किला है जो अब खंडहरों में तब्दील हो चुका है।
इसके अलावा इस झील के किनारे सुन्दर स्थान बना है इसे नौचौकी कहते हैं, अधिकतर पर्यटक इसे ही देखने यहाँ आते हैं, इसी के पास ही दुसरे पहाड़ पर दयालशाह का किला भी स्थित है। कांकरोली यहाँ का एक बड़ा बाजार है, कांकरोली भी राजसमन्द झील के किनारे पर स्थित है, यहाँ एक बहुत पुराना द्वारिकाधीश जी मंदिर है जो इसी झील के किनारे स्थित है।
हमने यहाँ मार्बल की बड़ी बड़ी माइंस भी देखी, जिनमे दिनरात काम चल रहा था, अरावली की पहाड़ियों को खोदकर यहाँ मार्बल निकली जा रही थी, यहाँ मार्बल की अनेकों माइंस थी। वहां से आते आते रात हो गई, रास्ते में केलवा के नाम से एक जगह आई , यह राष्ट्रीय राजमार्ग -8 पर ही स्थित है। यहाँ केलवा गढ़ के नाम से एक किला भी है, और केलवा रेस्टोरेंट भी जिसमे हम सभी ने खाना खाया।
राजसमन्द के आसपास दर्शनीय स्थल
- राजसमन्द झील - 0 KM
- कांकरोली शहर - 2 KM
- श्री नाथद्वारा - 15 KM
- हल्दीघाटी - 33 KM
- कुम्भलगढ़ - 48 KM
- परशुराम महादेव - 56 KM
- एकलिंग जी - 50 KM
- उदयपुर - 68 KM
- चारभुजा जी - 40 KM
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धर्मेन्द्र भारद्वाज, मेरे बड़े भाई |
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मार्बल माइंस में मशीन चलाता जीतू |
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मार्बल माइंस में खड़ा दिलीप |
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मार्बल माइंस में सुधीर उपाध्याय |
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धर्मेन्द्र भाई के घर से |
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जीतू और सुगंधा |
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जीतेन्द्र भारद्वाज |
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भाई और जीतू कांकरोली स्टेशन पर |
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नौचौकी पर कल्पना और जीतू |
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नौचौकी का एक दृश्य |
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उदयपुर स्टेशन पर कल्पना और दिलीप |
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