UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
हल्दीघाटी - एक प्रसिद्ध रणभूमि
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मैं और मेरी पत्नी कल्पना ,चेतक की समाधी पर |
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आज हमारा विचार हल्दीघाटी जाने का बना, जीतू ने आज छुटटी ले थी साथ ही एक बाइक का इंतजाम भी कर दिया। मैं ,कल्पना, दिलीप, जीतू और उसका बेटा अभिषेक दो बाइकों से चल दिए एक प्रसिद्ध रणभूमि की तरफ जिसका नाम था हल्दीघाटी। यूँ तो हल्दीघाटी के बारे में हम कक्षा चार से ही पढ़ते आ रहे हैं, और एक कविता भी आज तक याद है जो कुछ इसतरह से थी,
रण बीच चौकड़ी भर भर कर , चेतक बन गया निराला था।
महाराणा प्रताप के घोड़े से , पड़ गया हवा का पाला था ।।
हल्दीघाटी के मैदान में आज से पांच सौ वर्ष पूर्व मुग़ल सेना और राजपूत सेना के बीच ऐसा भीषण संग्राम हुआ जिसने हल्दीघाटी को इतिहास में हमेशा के लिए अमर कर दिया और साबित कर दिया कि भारत देश के वीर सपूत केवल इंसान ही नहीं, जानवर भी कहलाते हैं जो अपनी जान की परवाह किये बगैर अपने मालिक के प्रति सच्ची वफ़ादारी का उदाहरण पेश करते हैं और ऐसा ही एक उदाहरण हल्दीघाटी के मैदान में महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक ने अपनी जान देकर दिया। ऐसे वीर घोड़े को सुधीर उपाध्याय का शत शत नमन।
हम हल्दीघाटी के मैदान में पहुंचे, यहाँ की मिटटी हल्दी के रंग के समान है , शायद इसीलिए इसे हल्दीघाटी कहते हैं। यहाँ एक ऊँची पहाड़ी पर चेतक की समाधी बनी हुई है, जिसपर महाराणा प्रताप और चेतक की एक आलिशान मूर्ति स्थापित है। समाधि के ठीक सामने नीचे की ओर एक बहुत बड़ा और सुंदर प्रताप संग्रहालय बना हुआ है, संग्रहालय में राणा प्रताप के जीवन और उनकी युद्ध नीतियों का समूचा वर्णन मिलता है।
उनके समय के अस्त्र शस्त्र आज भी यहाँ देखने को मिलते हैं और इसके अलावा हल्दीघाटी की भूमि जो आज भी बीते हुए इतिहास को अपने में समेटे हुए है, जिसे देखकर आज भी यही लगता है की जैसे यहाँ कल परसों ही युद्ध हुआ था। अगर आप उदयपुर गये और हल्दीघाटी व कुम्भलगढ़ देखे बिना ही लौट गए तो समझिये कि आप सिर्फ उदयपुर ही देखकर गए हो , मेवाड़ नहीं।
मेवाड़ के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं जिनका विवरण निम्नलिखित हैं -
- कुम्भलगढ़ - महाराणा प्रताप की जन्मभूमि
- हल्दीघाटी - एक प्रसिद्ध रणक्षेत्र
- एकलिंगजी - मेवाड़ के कुल देवता
- नाथद्वारा - मेवाड़ का तीर्थ स्थान
- उदयपुर सिटी - मेवाड़ की नई और दूसरी राजधानी
- चित्तौडगढ़ - मेवाड़ की राजधानी
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दिलीप और जीतू |
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जीतेन्द्र भारद्वाज - जीतू |
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हम भी हैं |
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दिलीप उपाध्याय |
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दिलीप , जीतू , चप्पू और मैं |
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बाप - बेटा |
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चेतक की समाधी के चारों ओर संगमरमर का ऐसा ही चबूतरा बना हुआ है |
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अभिषेक भारद्वाज उर्फ़ चप्पू |
यात्रा अभी जारी है, अगला पड़ाव 👉-
कुम्भलगढ़ और परशुराम महादेव
इस यात्रा के अन्य भाग निम्नप्रकार हैं 👇
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