UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
झीलों की नगरी - उदयपुर
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उदयपुर रेलवे स्टेशन |
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अनन्या एक्सप्रेस ने हमें रात को तीन बजे ही हमें उदयपुर सिटी स्टेशन पहुँचा दिया। रेलवे सुरक्षा बल के सिपाहियों ने मुझे जगाया और कहा कि क्या ट्रेन में ही सोने का इरादा है ? यह ट्रेन आगे नहीं जाती। मैंने देखा ट्रेन उदयपुरसिटी पर खड़ी हुई है, जो दो चार सवारियां ट्रेन में थीं ,पता नहीं कब चली गई। मैंने जल्दी से कल्पना को जगाया और दिलीप को भी जगा दिया था ।
ट्रेन से उतरकर हम वेटिंग रूम में गए, वहां से नहा धोकर उदयपुर घूमने निकल पड़े, यहाँ से राजमहल करीब तीन किमी था, सुबह सुबह हम पैदल ही राजमहल की ओर निकल पड़े, थोड़ी देर में हम राजमहल के करीब थे , अभी इसके खुलने में काफी समय था इसलिए पास ही के एक पहाड़ पर स्थित किले को देखने के लिए चल पड़े। यूँ तो उदयपुर की विशेषता का वर्णन मैं क्या कर सकता हूँ, इसकी विशेषता का एहसास तो खुद ही यहाँ आकर हो ही जाता है। हम पहाड़ पर पहुंचे, यहाँ एक करणी माता का मंदिर भी है, और एक पुराने किले के अवशेष आज भी देखने को मिलते हैं, यहाँ से पूरे उदयपुर शहर का नजारा स्पष्ट दिखाई देता है।
और यहीं से दिखाई देती है झीलों की नगरी, करणी माता के मंदिर जाने के लिए एक रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है, हम पहाड़ पर पैदल ही चढ़े थे पर वापस रोपवे के द्वारा ही आये। यहीं थोड़ी दूरी पर गुलाब बाग़ के नाम से एक काफी बड़ा बाग़ है, जिसमे एक चिड़िया घर भी है, इसमें एक टॉयट्रेन भी चलती है जो पूरे बाग का चक्कर लगाती है, कल्पना का मन इस ट्रेन में बैठने का था और दिलीप का भी, सो लगा लिया हमने भी एक चक्कर इस ट्रेन से जिसका नाम था अरावली एक्सप्रेस। इस बाग़ में चीता और अन्य जंगली जानवर देखने को मिलते हैं ।
यहाँ से एक ऑटो किराये पर लेकर हम मोती मगरी पहुंचे। यह एक पहाड़ी स्थल है जिसका रास्ता घने जंगलों से होकर जाता है पहाड़ी की छोटी पर महाराणा प्रताप की एक विशाल मूर्ति है। यहाँ पर राणा उदयसिंह के महल के अवशेष आज भी देखने को मिलते हैं, इसी महल के झरोखे से पिछोला झील भी मन को मोह लेती है, हमने कुछ समय यहाँ आराम किया और वापस बस स्टैंड की ओर चल पड़े। हम बस स्टैंड की बजाय रेलवे स्टेशन पहुँच गए, मुझे किसी ने बताया था कि राणा प्रताप नगर स्टेशन भी उदयपुर शहर का मुख्य स्टेशन है और बस स्टैंड भी वहां से नजदीक ही है इसलिए हम राणा प्रताप नगर की ओर जा रही एक पैसेंजर ट्रेन में चढ़ गए।
इस ट्रेन में अत्यधिक भीड़ थी इसलिए हम दरवाजे के पास ही खड़े हो गए। उदयपुर से अगला स्टेशन राणा प्रताप नगर है यहाँ हमने देखा तो ऐसा कुछ भी नहीं था। एक होटल पर खाना खाकर हम बस स्टैंड पहुंचे अब शाम भी हो चली थी। बस स्टैंड पहुंचकर मैंने जीतू के पास फोन लगाया, जीतू मेरा ममेरा भाई है जो उदयपुर से थोड़ी दूर राजनगर में रहता है, उसने कहा कि नाथद्वारा की बस पकड़ लो, मैं तुम्हे नाथद्वारा में ही मिलूँगा, मैंने नाथद्वारा के लिए तीन सीटों की बुकिंग कराई यहाँ बस स्टैंड पर हमें ट्रेन के जैसी रिजर्वेशन वाली टिकट मिली जिससे हम राजस्थान की रोडवेज बस में अपने नंबर वाली सीट पर जाकर बैठ गए।
पहाड़ीदार रास्तों में से होकर हम कुछ समय बाद नाथद्वारा पहुँच गए, जीतू भी अपनी बाइक लेकर आ गया था, हमें अपने यहाँ आता देखकर आज जीतू बहुत खुश था। सबसे पहले श्री नाथ जी दर्शन किये और फिर राजनगर की तरफ बढ़ चले।
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उदयपुर पर मेरी एक सुबह
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उदयपुर की एक पहाड़ी पर |
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कल्पना उपाध्याय , मेरी पत्नी |
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रोप वे की टिकट |
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दिलीप उपाध्याय , मेरा भाई |
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यह रही टॉय ट्रेन |
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मोती मगरी की टिकट |
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मोती मगरी पर कल्पना और दिलीप |
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मैं और मेरी कल्पना |
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राणा प्रताप नगर रेलवे स्टेशन |
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नाथद्धारा जाने वाली बस की टिकट |
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इसी बस से हम आगरा वापस आये |
यात्रा अभी जारी है, अगला पड़ाव - राजसमंद और कांकरौली इस यात्रा के अन्य भाग :-
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