Saturday, July 6, 2013

RUHELKHAND EXPRESS : IZN TO ASH

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

रूहेलखंड एक्सप्रेस से एक सफ़र

इज़्ज़त नगर से ऐशबाग  

रूहेलखंड एक्सप्रेस 


इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

    वैसे तो बरेली को रूहेलखंड ही कहा जाता है, पर असली रूहेलखंड के नज़ारे तो बरेली से आगे ही शुरू होते हैं। एक्सप्रेस अपनी रफ़्तार में दौड़ रही थी, ट्रेन में सभी यात्री रूहेलखंडी थे, उनकी भाषा से मुझे इस बात का आभास हुआ, वाकई उनकी भाषा बड़ी ही मिठास भरी थी। इधर चारों तरफ हरियाली ने मेरा मन मोह लिया था और मौसम भी सुहावना था, हल्की बारिश हो रही थी, तभी एक स्टेशन आया बिजौरिया। बारिश में हरियाली के साथ साथ मौसम ने वक़्त को काफी खुशनुमा बना दिया था। 


      मुझे पीलीभीत आने का इंतजार था, मेरा टिकट भी यहीं तक था । कुछ समय बाद वो भी आ गया, मैं ट्रेन से उतरा और सीधे टिकट घर पहुंचा और मैडम से एक ऐशबाग का टिकट लिया, मैडम ने मेरी जेब 80 रुपये से ढ़ीली कर दी। पर कोई बात नहीं इतना सुहावना सफ़र मेरे लिए महँगा न था, मैं स्टेशन देखने लगा तभी ट्रेन के सिग्नल हो गए। पीलीभीत एक जंक्शन स्टेशन है जहाँ से एक लाइन टनकपुर जाती है जो उत्तराखंड में है, और एक लाइन शाहजहाँ पुर आती है, हमारी मंजिल मैलानी की ओर थी और अब हम भी वही बढे जा रहे थे, रूहेलखंड एक्सप्रेस की मदद से।

         थोड़ी देर में पूरनपुर स्टेशन आया , मुझे भूख लगी थी । मैंने यहाँ चार समोसे लिए, बड़े सस्ते थे ,दस रुपये के चार। और वो भी मजेदार गर्मागरम। मुझे प्यास लगी पर ट्रेन में पानी कहाँ, अब तो अगले स्टेशन के इंतजार के सिवाय कोई रास्ता भी न था, पर दिल से निकली दुआ जल्दी कबूल हो जाती है एक स्टेशन आया दुधिया खुर्द जहाँ ट्रेन के एक डिब्बे में खराबी आ गई सो ट्रेन रुक गई बीच लाइन पर, और मुझे मौका मिल गया पानी पीने के साथ साथ स्टेशन का फोटो खीचने का । 

          अब दोपहर का समय था, रात भर सोया भी नहीं था, सो सुस्ती आनी लाजमी थी। मैलानी आ गया था, मीटर गेज का एक मुख्य जंक्शन स्टेशन है मैलानी, जहाँ से पलियां कलां, दुधवा होते हुए एक रेल लाइन गोंडा के लिए जाती है। मैं भी इसी मार्ग से जाना चाहता था पर समयाभाव के कारण नहीं जा पाया। यहाँ से आगे शुरू होता है लखीमपुर खीरी के जंगलों का एरिया, जिसे देखकर मैं हैरान रह गया, रेल लाइन के दोनों तरफ घने जंगल, बड़े बड़े पेड़, पर मुझे कोई जीव नहीं दिखाई दिया। मैं अंग्रेजों की तारीफ़ करने लगा कि उन्होंने कैसे इन जंगलों को पार करके रेल मार्ग बनाया होगा। 

    बेशक अपना देश गुलाम रहा पर अंग्रेजों ने हमारे देश को सदा विकास की राह पर ही पहुँचाया है, शायद उन्होंने हिंदुस्तान को सदा के लिए अपना समझ लिया था इसीलिए इतना विकास किया वर्ना कौन करता करता है आजकल किसी दुसरे के लिए इतना सबकुछ। अरे स्टेशन आ गया! कौन सा ? अरे वही गोला गोकरननाथ। यहाँ मुझे गर्मी का एहसास होने लगा था सो मैं एक थम्पसअप की बोतल ले आया और गर्मी शांत की, अब मुझे नींद सी आ रही थी पर मैं लखीमपुर के जंगलों के नज़ारे खोना नहीं चाहता था । 

     ट्रेन एक स्टेशन पर आकर रुकी नाम था रजागंज। स्टेशन पर स्टॉप तो नहीं था पर क्रॉस था वो भी रूहेलखंड एक्सप्रेस से, यानी दूसरी रूहेलखंड जो ऐशबाग से आ रही थी। यहाँ मैंने काफी रेस्ट किया और रजागंज का किला भी देख लिया जो स्टेशन के ठीक सामने था। अगला स्टॉप लखीमपुर था, कुछ देर में मैं लखीमपुर में था, यूँ तो शहर का नाम खीरी है पर लखीमपुर यहाँ का बड़ा स्टेशन है, इससे आगे छोटा सा स्टेशन है खीरी टाउन, जहाँ ट्रेन का स्टॉप नहीं है और कोई टाउन भी नहीं है सिर्फ खेत खलिहान हैं, मैं जब कासगंज से चला था तभी से अजीब किस्म की फसल को देखता आ रहा था जिसमे अजीब सी सुगंध आ रही थी । 

    ट्रेन में बैठे एक महात्माजी ने बताया की यह पिपरमेंट की खेती है और दुसरे नंबर पर थी ईख, जो उत्तर प्रदेश की मुख्य फसल है इसीलिए यहाँ जगह जगह पर शुगर मिल भी मुझे देखने को मिली। सीतापुर आ गया , यह पौराणिक काल का नेमिषारण्य कहलाता है । पूरी जानकरी फोटू में मिल जायेगी । इसके बाद मैं ट्रेन में सो गया और आँख खुली तो देखा मैं लखनऊ में था । 

BHOJIPURA RAILWAY STATION

रूहेलखंड 


BIJAURIA RAILWAY STATION

SHAHI RAILWAY STATION

पीलीभीत के दर्शनीय स्थल 

MALA RAILWAY STATION

लखीमपुर के जंगलों की शुरुआत 

पूरनपुर की एक मस्जिद 

PURANPUR RAILWAY STATION

DOODHIYA KHURD RAILWAY STATION


रूहेलखंड 

लखीमपुर के घने जंगल 




एक स्टेशन पर ये दो पैसेंजर ट्रेन खड़ी थी, रूहेलखंड को तीसरी लाइन निकाला गया 

MAILANI JUNCTION RAILWAY STATION

ट्रेन लखीमपुर के घने जंगलों के बीच गुजर रही थी 

एक चीनी की मिल 

GOLA GOKRAN NATH RAILWAY STATION

मैं बाहर से कोल्ड्रिंक लेने गया था 

कोल्ड्रिंक की बोतल 

गोला गोकरननाथ में एक मंदिर 

स्टेशन पर बैठने की एक सीट , मैं इसी सीट पर बैठा था 

रूहेलखंड एक्सप्रेस के साथ मेरा एक फोटू 

रजागंज स्टेशन पर आती दूसरी रूहेलखंड एक्सप्रेस 

RAZAGANJ RAILWAY STATION

रजागंज का किला 



LAKHIMPUR RAILWAY STATION

लखीमपुर पर हम भी , नींद थी आखों में, गुस्से में नहीं हूँ 

KHIRI TOWN RAILWAY STATION

SITAPUR RAILWAY STATION

रुहेलखंड एक्सप्रेस के अन्य सफर 

2 comments:

  1. अंग्रेजों ने कोई भी काम भारतीयों के भले के लिए नहीं करवाए थे भारत में भी रेलवे उनकी लूट का एक प्रमुख उद्देश्य रही हैं । उन्होंने उन सभी जगहों पर रेलवे लाइन बिछाई यहां से वह कच्चा माल बंदरगाहों पर ले जा सकें या फिर सेनाओं को आसानी से भेज सकें । अलग बात है कि इसी रेलगाड़ी का प्रयोग करके भारतीयों ने अपने आजादी के आंदोलन को चलाया । फोटो में जो उस जगह की जानकारी होती है वह कभी-कभी स्पष्ट या छोटे शब्दों में लिखी होती है इसलिए पठनीय नहीं हो पाती अतः आपसे आग्रह है कि उस जानकारी को भी अपनी पोस्ट में शामिल करें ताकि लोग उसे आसानी से पढ़ सकें ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बड़े भाई आपने एकदम सत्य कहा, मैंने तो सोचा ही नही था।

      Delete

Please comment in box your suggestions. Its very Important for us.