UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
एक यात्रा मुरसान होकर
आज मैं और कुमार रतमान गढ़ी के लिए रवाना हुए। यह मेरी छोटी मौसी का गाँव है जो मथुरा कासगंज वाली रेल लाइन पर स्थित मुरसान स्टेशन से पांच किमी दूर है। आज माँ ने कहा जा अपनी मौसी के यहाँ से आलू ले आ । दरअसल मेरे मौसा जी एक किसान हैं और हरबार की तरह उनके खेतों में इसबार भी आलू हुए। इसलिए मैं भी चल दिया एकाध बोरी लेने और साथ मैं कुमार भी।
आगरा कैंट से होते हुए हम मथुरा पहुंचे और मथुरा से पैसेंजर पकड़कर सीधे मुरसान। मुरसान पूर्वोत्तर रेलवे का स्टेशन है जिसका मुख्यालय बड़ा ही इज्ज़तदार है मतलब इज्ज़त नगर, जो बरेली में हैं। मथुरा से कासगंज वाली पैसेंजर ट्रेनों में अधिकतर भीड़ चलती है, कारण है सड़क मार्ग से कम समय और सस्ता किराया। परन्तु हम तो मथुरा से ही सीट पर बैठकर आये थे, बस उतरने में ही थोड़ी परेशानी हुई ।
हम मुरसान पहुंचे तो देखा दिलीप अभी आया नहीं था। दिलीप मेरा छोटा भाई है जो मौसी के पास रहता है। हम एक गन्ने की दुकान पर गए और जूस पिया। कुमार को जूस अच्छा और सस्ता लगा इसलिए दो गिलास पी गया। पांच रुपये का जो था। थोड़ी देर में दिलीप अपनी गाड़ी लेकर आ गया और हम तीनो बाइक पर बैठ कर गाँव की ओर चल दिए। अखिलेश जी का शासन है तो सड़क तो ठीकठाक ही थी बस गाँव पहुचकर बिजली की परेशानी का सामना करना पड़ा। मायावती जी के शासन में यहाँ बिजली खूब आती थी क्योंकि प्रदेश के उर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय जो थे। वे हाथरस के ही रहने वाले हैं बामोली गाँव के, यहाँ से दो चार किमी ही आगे था उनका गाँव।
कुमार पहली बार किसी गाँव में आया था, मुझे उसे गाँव के जीवन से भी अवगत कराना था। हम घर पहुंचे तो मौसी लस्सी बना लाई। लस्सी पीकर मैं दिलीप और कुमार तीनो खेतों की तरफ चल दिए। इस गाँव से आगे एक गाँव था नाम था चमरुआ। रतमान गढ़ी और चमरुआ के बीचोबीच हमने एक अजीब देवी माँ का मंदिर देखा जिनके पांच मुह थे। ऐसी देवी माँ की मूर्ति मैंने आज तक नहीं देखी थी। मैंने मंदिर के बारे में दिलीप से पुछा तो उसने बताया की ये कई वर्ष पुराना मंदिर है।
गाँव के बुजुर्ग बताते हैं कि कई सौ साल पहले यहाँ सिर्फ रेगिस्तान था और जमीन बंजर थी, पीने को पानी नहीं था, कुएं सूखे पड़े थे चारों तरफ सिर्फ वीराना था। गाँव में रूहानी शक्तियों का आतंक था इसलिए इस जगह को इंसानों के लिए रहने हेतु बनाने के लिए मथुरा के एक प्रसिद्ध गुरु को बुलाया जिन्होंने इन देवी माँ की मूर्ति स्थापित की और आज भी यह देवी रूहानी शक्तियों से इन गांवो को बचाती हैं। मैंने दिलीप से उन देवी माँ का नाम पुछा तो उसने बताया की इनका नाम चामड़ माता है ।
कुमार को देवी का नाम अजीब लगा पर मैं पहले से ही जानता था। क्योँकि इसी नाम से हाथरस के बीचोबीच भी एक मंदिर है। मैंने देखा तो वास्तव मैं वहां अब भी रेगिस्तान के अवशेष मौजूद हैं। मार्च के महीने में भी वो रेत काफी गर्म था। हम आलू के खेतों में गए तो खेतों में पड़े आलू को देखकर कुमार को विशेष आश्चर्य हुआ क्योंकि यहाँ आलू का कोई मोल नहीं था चारों तरफ आलू ही आलू।
खेत की सैर करने के बाद हम घर पहुंचे तो देखा मौसी खाना बना रही थी। वीके और दिलीप हमारे लिए खाना लेकर आये। वीके दिलीप का छोटा भाई है। आज कुमार को खाने में वो चीज़ मिली जो कुमार ने अपने जीवन में भी नहीं खाई होगी। नाम था घी बुरा। जी हाँ घी बुरा मिक्स। यहाँ मेहमान नवाजी का ये एक अचूक उदाहरण है। और खाने में सब्जी किसीकी हो सकती है बताइए ज़रा ।
दिलीप ने दो बोरों में आलू भर दिए और शाम को चल दिए एक बार फिर खेतों की ओर। शुरू मैं तो कुमार का यहाँ मन नहीं लगा पर गाँव का जीवन देखकर उसका यहाँ से जाने को मन नहीं किया। हम प्लाट पर पहुंचे तो देखा मौसाजी ट्रेक्टर लेकर आ चुके थे। ये ट्रेक्टर वो खरीद कर जब लेकर आये थे तो कुछ ही दिनों के बाद इसका अपहरण हो गया था मतलब कोई इसे मथुरा से चुराकर ले गया था पर दाऊ जी महाराज की कृपा रही की यमुना की तलहटी में मिल गया ।
मैंने और कुमार ने ट्रेक्टर चलाया और दूसरे दिन हम आगरा वापस आ गए ।
॥ समाप्त ॥
मुरसान स्टेशन पर कुमार भाटिया |
ये है दिलीप , मेरा भाई |
ये है वीके |
यही हैं चामड माता |
कुसमा उपाध्याय , मेरी मौसी |
कुमार ट्रेक्टर पर |
अनिल उपाध्याय , मेरे मौसा जी |
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पहली बार देखा देवी का यह रूप। मुरसान-हाथरस नरेश, आजाद हिंद सरकार के संस्थापक महाराज महेन्द्र प्रताप की जय।
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