Thursday, February 23, 2023

CHITRAKOOT DHAM

चित्रकूट धाम यात्रा 

  

                           


    त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ ने अपनी तीसरी पत्नी कैकई को दिये दो वरों को पूरा करने के कारण, अत्यंत ही  विवश और दुखी होकर अपने ज्येष्ठ पुत्र राम को चौदह वर्ष का वनवास दिया और कैकई पुत्र भरत को अयोध्या की राजगद्दी। तब श्री राम अपनी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ पिता के वचन को पूरा करने के लिए वन को चले गए। अयोध्या से उन्होंने दक्षिण दिशा की ओर प्रस्थान किया और तमसा नदी को पार करने के बाद श्रृंगवेरपुर पहुंचे जो उनके मित्र निषादराज का राज्य था। 

   इसके पश्चात उन्होंने केवट की नाव द्वारा गंगा नदी को पार किया और प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पहुंचे। भारद्वाज ऋषि ने भगवान श्री राम को दक्षिण दिशा में यमुना नदी को पार करने के बाद वन में कुटिया बनाकर रहने का सुझाव दिया और श्री राम अपने अनुज लक्ष्मण और भार्या सीता के साथ यमुना पार करके कामदगिरि के निकट पहुंचे। इसी स्थान को उन्होंने अपने निवास हेतु चुना और यहीं अपनी पर्णकुटी बनाकर रहने लगे। यही स्थान चित्रकूट कहलाता है जो कामदगिरि पर्वत और मन्दाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। 

    इधर जब भरत अपने भाई शत्रुघन के साथ अयोध्या पहुंचे तो उन्हें अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु और बड़े भाई के वनवास चले जाने के जानकारी हुई। वह फूट फूट कर रोने लगे और अपनी माता की गलती के कारण पश्चाताप भी करने लगे। इसी पश्चाताप और अपने धर्म के साथ वह अपने बड़े भाई राम, लक्ष्मण और सीता जी को वन से वापस लाने के लिए और उनका राज्य उन्हें सौंपने के लिए वन को चल दिए। 

    उनके साथ अयोध्या की प्रजा भी साथ थी, निषादराज से मिलने के बाद उन्होंने चित्रकूट में आकर प्रभु श्री राम से भेंट की और उनसे अयोध्या लौट चलने का आग्रह किया किन्तु वचनबद्ध होने के कारण श्री राम ने अयोध्या लौटने से इंकार कर दिया। भरत के चित्रकूट से चले जाने के बाद प्रभु श्री राम भी लक्ष्मण और माता सीता के साथ चित्रकूट छोड़कर दंडकारण्य के घने वनों की तरफ चले गए। इस प्रकार चित्रकूट उनकी रज और निवास के कारण एक पावन धाम बन गया। 

कलियुग में गोस्वामी तुलसीदास जी ने चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी के घाट पर बैठकर ही राम चरित मानस की रचना की। चित्रकूट के समीप ही अत्रि मुनि का भी आश्रम था जहाँ वे अपनी पत्नी माता अनुसुइया के साथ रहा करते थे। 


    मैंने अधिकतर धार्मिक यात्रायें अपनी माँ के साथ की हैं। चित्रकूट जाने की उनकी बहुत वर्षों से तमन्ना थी। इस बार प्रभु श्री राम की हमपर कृपा हुई और मैं अपनी माँ के साथ चित्रकूट के लिए रवाना हो गया। शाम को मथुरा से उत्तर प्रदेश संपर्क क्रांति द्वारा हम अगली सुबह चित्रकूट पहुंचे। यहाँ से कुछ दूर मेरे मित्र गंगा प्रसाद त्रिपाठी जी रहते हैं जो पिछली यात्रियों में हमारे सहयात्री रहे हैं। माँ उनसे मिलना चाहती थीं किन्तु किसी आवश्यक कार्य की वजह से उनसे हमारी भेंट ना हो सकी। 

     चित्रकूट रेलवे स्टेशन से चित्रकूट धाम की दूरी लगभग दस किमी है, हम एक बैटरी रिक्शा के द्वारा मन्दाकिनी के रामघाट पर पहुंचे जहाँ कभी गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना की थी। रामघाट का नजारा बहुत ही भव्य था, सुबह सबेरे मैंने और माँ ने मन्दाकिनी नदी में स्नान किया और उसके बाद मृगेन्द्रनाथ शिव मंदिर में शिव जी का जलाभिषेक किया। कहते हैं इस मंदिर का शिवलिंग अति प्राचीन है और त्रेतायुग में श्री राम ने स्वतः इसी शिवलिंग की पूजा अर्चना की थी। 

     भगवान शिव के दर्शन करने के पश्चात हम उस स्थान पर पहुंचे जहाँ श्री राम पर्णकुटी बनाकर रहा करते थे। यह नदी के समीप एक ऊँचे स्थान पर है और आज यहाँ पर्णकुटी नामक मंदिर दर्शनीय है जिसमें पर्णकुटी के साथ साथ वनवासी श्री राम, माता सीता और भैया लक्ष्मण के दर्शन शोभनीय हैं। 

    रामघाट के बाजारों से खरीदारी करते हुए हम कामतानाथ जी के दर्शन करने कामदगिरि पर्वत पहुंचे। इस पर्वत की चारों दिशाओं में कामतानाथ जी के चार मुखारबिंदु दर्शनीय हैं। इस पर्वत की पांच किमी की पैदल परिक्रमा करने का महत्त्व है। यहाँ वृद्ध और कमजोर लोगों के लिए व्हील चेयर द्वारा भी परिक्रमा लगाने की उचित व्यवस्था है। मैंने  माँ के लिए एक व्हील चेयर उपलब्ध करा दी और स्वयं पैदल ही पर्वत की परिक्रमा करने लगा। यह बहुत ही हरा भरा और शानदार प्राकृतिक वातावरण से भरपूर स्थान है। 

    परिक्रमा मार्ग में हमें एक स्थान पर भंडारा चलता हुआ दिखाई दिया, हमें भूख तो लगी ही थी इसलिए मैंने और माँ ने भरपेट इस भंडारे के प्रसाद को ग्रहण किया  और फिर आगे बढ़ चले। परिक्रमा मार्ग में मुखारबिंदु के अलावा अनेकों प्राचीन मंदिर दिखलाई पड़ते हैं जिनमें सबसे मुख्य राम भरत मिलाप मंदिर है जहाँ उनके पदचिन्ह आज भी दर्शनीय हैं।  

1. चित्रकूट रेलवे स्टेशन 

 मथुरा स्टेशन पर मैं और मेरी माँ 
ट्रैन के इंतज़ार में 
चित्रकूट धाम कर्वी स्टेशन 

चित्रकूट के निकट दर्शनीय स्थल 
चित्रकूट तीर्थ का नक्शा 




 चित्रकूट धाम में आपका स्वागत है। 





2. रामघाट और मन्दाकिनी नदी 


रामघाट और मन्दाकिनी नदी 




















3. गोस्वामी तुलसीदास घाट मंदिर और घाट 




4. पर्णकुटी मंदिर 






पर्णकुटी - चित्रकूट 



5. यज्ञवेदी मंदिर 


मन्दाकिनी नदी का एक दृश्य 

7. भरत मंदिर 

भरत मंदिर 






8. मत्तगजेन्द्रनाथ शिव मंदिर  





9. श्री कामदगिरि परिक्रमा 

































कामदगिरि पर्वत 

























10. भरत मिलाप मंदिर 

































































जय सिया राम 

🙏

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