मैं और मेरे मित्र रूपक जैन जी
अभी गत दिनों दीपावली के त्यौहार की खुशियां मनाकर मन भरा ही था कि आज फिर से एक खुश खबरी सुनने को मिल गई और यह खुश खबरी मुझे मेरी यात्रापटल के माध्यम से मेरे प्रिय घुमक्कड़ मित्र रूपक जैन जी की तरफ से प्राप्त हुई। रूपक जैन जी एक सफल व्यापारी होने के साथ साथ देश के बहुत बड़े घुमक्कड़ों में से एक हैं जिन्होंने समस्त भारतवर्ष में शायद ही कोई जगह छोड़ी हो जो अपनी आँखों से ना देखी हो। ऊँचे ऊँचे बर्फीले पहाड़ों से लेकर समुद्र तक और इसके अलावा देश के छोटे बड़े सभी शहरों की खाने पीने की मशहूर दुकानों तक उन्होंने घुमक्कड़ी में ऊँचा मुकाम हाँसिल किया है।
करीब तीन साल पहले उन्होंने मुझे यात्रापटल के माध्यम से फेसबुक की आभासी दुनिया से निकालकर, अपनी वास्तविक दुनिया में अपना मित्र बनाया था और मुझे भी उनकी मित्रता पाकर काफी खुशी महसूस हुई। हमारी पहली मुलाकात मथुरा में हुई, जहाँ वह अक्सर अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करने आते रहते हैं।
इसके बाद मैं भी अपने बचपन के मित्र कुमार के साथ उनके यहाँ भोपाल गया था, जहाँ उन्होंने हमारी काफी अच्छे से आवभगत की और अपने प्रेम और स्नेह से हम दोनों को सदा के लिए अपने प्रेम का ऋणी बना लिया। उन्होंने अपनी गाड़ी से ही हमें भीमबेटका की गुफाएँ और भोजपुर शिव मंदिर का दर्शन कराया जहाँ उनके पुत्र शुभ जैन भी हमारे साथ हमारे सहयात्री थे और अगले दिन उन्होंने हमें साँची स्तूप के साथ साथ उदयगिरि की प्राचीन गुफाओं के दर्शन भी कराये।
इसके बाद हम साथ में चंदेरी की यात्रा पर भी गए और फिर जैन साब मथुरा पधारे और उसके बाद हम हाथरस की यात्रा पर भी गए, जहाँ जैन साब ने हाथरस की मशहूर चाट और हन्नो लाला की रबड़ी का भी भरपूर स्वाद लिया। इसके बाद उन्हें मैं अपना गाँव भी दिखाकर लाया जो हाथरस से थोड़ी दूर ही था। शाम को हम मथुरा के लिए वापस हो लिए, रास्ते में मुरसान में हमने एक विवाह समारोह में प्रतिभोज का आनंद लिया।
रात को हम वापस मथुरा आ गए। रात को जैन साब मेरे पास ही रुके, इस तरह इन मुलाकातों के दौरान जैन साब से अब दिली रिश्ता बन गया था, मैंने मन ही मन बिहारी जी को धन्यवाद किया कि उन्होंने अपनी कृपा से जैन साब के रूप में इतना अच्छा मित्र दिया, जिनके साथ रहने पर मुझे सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
रूपक जैन जी खुद भी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर के निवासी हैं और अगले दो महीने बाद उन्होंने मुझे अपने बड़े पुत्र शुभ जैन के विवाह समारोह में आमंत्रित करने के लिए विशेष आग्रह किया, जिसे मैंने सहर्ष स्वीकार किया। इस वैवाहिक कार्यक्रम में मेरे अलावा मेरा बचपन का दोस्त कुमार भाटिया और मेरी पत्नी कल्पना भी शामिल थे।
भोपाल में वैवाहिक कार्यक्रम
भोपाल आने का निमंत्रण पाकर मैंने और कुमार ने अपनी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। इधर रूपक जी ने भी शादी की तैयारियां शुरू कर दी, वह ना सिर्फ अपने पुत्र के विवाह प्रबंधों में व्यस्त थे बल्कि मेरी तरह अन्य फेसबुक से जुड़े आभासी मित्रों को भोपाल कार्यक्रम में निमंत्रित करने में भी व्यस्त थे, जिन्हे उन्होंने वास्तविक दुनिया में अपना मित्र बनाया था।
इन्हीं मित्रों में से दो मित्रों को उन्होंने अपनी व्यस्तता के दौरान बाकी सभी मित्रों का ध्यान रखने और उनके भोपाल पहुँचने के बाद उनकी उपयुक्त सहायता हेतु चुना। फेसबुक और व्हाट्सप्प पर ग्रुपों में भोपाल आने वाले सभी मित्र शामिल थे, कार्यक्रम की अपडेट और भोपाल पहुँचने, ठहरने और कार्यक्रम में शामिल होने की सभी जानकारियां इन ग्रुपों के माध्यम से सभी तक पहुँचने लगीं।
रूपक जी ने अपने सभी मित्रों की रुकने ठहरने की व्यवस्था भोपाल में कार्यक्रम स्थल ने नजदीक होटल में की थी। 11 तारीख की सुबह मैं अपनी पत्नी कल्पना और कुमार के साथ भोपाल पहुंचा। भोपाल में पुनः आगमन पर मैंने और कुमार स्टेशन के उसी बोर्ड के साथ फोटो ली जो पिछली बार आने पर ली थी। स्टेशन के बाहर से ही हमने होटल के लिए एक ऑटो कर लिया, और कुछ ही समय बाद हम होटल पर थे। यहीं पास में ही हमने उस स्थान को भी देखा जहाँ रूपक जी ने आज शाम का कार्यक्रम तय कर रखा था।
होटल के रिसेप्शन पर हमें हमारा कमरा नंबर मिल गया था, जो तीसरी मंजिल पर था। होटल में लगी लिफ्ट से हम अपने कमरे तक पहुंचे। कमरा काफी बड़ा और साफ़ सुथरा था, और कमरा ही क्या, यह होटल भी काफी अच्छा था। हमारे कमरे के नजदीक वाले कमरों में और भी घुमक्कड़ मित्र आते जा रहे थे जिनमें से अधिकतर मेरी भी फेसबुक मित्रता सूची में थे।
मैंने और कुमार ने सोचा क्यों ना इन मित्रों से भी मिला जाये, सर्वप्रथम हमारी भेंट डॉ चौहान जी से हुई जिन्हें जैन साब ने भोपाल आने वाले सभी मित्रों की सहायता हेतु जिम्मेवारी सौंपी थी, यूँ तो डॉक्टर साब भी घुमक्क्ड़ी जगत के बहुत बड़े जाने माने प्रसिद्ध घुमक्कड़ हैं किंतु अभी तक वह मेरे लिए आभासी दुनिया में ही मित्र हैं। वास्तविक दुनिया में आज उनसे पहली बार भेंट हुई किन्तु मुझे और कुमार को डॉक्टर साब की तरफ वो प्रतिक्रिया नहीं मिली जिसकी हमें उम्मीद थी।
11 दिसम्बर 2022
कार्यक्रम स्थल - मोढ़ की बगिया
आज का पूरा दिन हम फ्री थे इसलिए मैंने आज रायसेन जाने का प्लान बनाया और हम रायसेन किला देखने के लिए निकल गए। इस यात्रा का विवरण मैं अपने अगले ब्लॉग में करूँगा।
शाम को रायसेन से लौटते वक़्त हम काफी लेट हो गए थे, रूपक जैन जी समय के बहुत ही पाबंद हैं, उनके दिए समय के हिसाब से कार्यक्रम शुरू हो चुका था, हम अभी तक होटल में ही थे और कार्यक्रम शुरू होने के पश्चात हम वहां पहुंचे। यहाँ देश के अलग अलग शहरों से अनेकों घुमक्कड़ मित्र आये हुए थे जिनमें से कुछ लोगों से मैं भी परिचित था। जैन साब ने इन सभी मित्रों के लिए एक शानदार हसीं शाम अपने वैवाहिक कार्यक्रम के अतिरिक्त रखी थी। एक भव्य स्टेज पर माइक लिए रूपक जैन जी सभी मित्रों का शानदार स्वागत कर रहे थे। इस कार्यक्रम में उन्होंने आगरा की चाट और मथुरा की श्री जी बाबा की वालों की मिठाई की व्यवस्था विशेष रूप से करवाई थी।
शाम का खाना खाने के बाद सभी ने नवयुगल जोड़ी शुभ और सुरभि जी को अपना अपना आशीष दिया और जैन साब ने भी आतिथ्य सत्कार निभाते हुए सभी को विशेष भेंट के साथ सम्मानित किया।
12 दिसंबर 2022
भोपाल में हेरिटेज वॉक
आज सुबह जैन साब सभी मित्रों को भोपाल के प्राचीन शहर की धरोहरों को दिखाने के लिए हेरिटेज वॉक पर भी लेकर गए थे, हम इस बार भी लेट हो गए और देहरादून से पधारे विकास पोरवाल जी के द्वारा लोकेशन भेजे जाने पर हम इस यात्रा शामिल हों गए।
भोपाल की प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतों को देखते हुए हम भोपाल के सबसे बड़े ताल पर पहुंचे। यह भोपाल का सबसे बड़ा तालाब है, चूँकि भोपाल तो तालाबों का शहर है किन्तु यह तालाब भोपाल की जीवन रेखा है और सबसे प्राचीन है। कहते हैं राजा भोज ने यहाँ बहुत बड़ा गढ्ढा खुदवाया था, आज इसी गढ्ढे में भोपाल शहर स्थित है और इसीलिए इसकी स्थापना का श्रेय राजा भोज को जाता है।
झील के अंदर राजा भोज की बहुत बड़ी शानदार प्रतिमा दर्शनीय है। इसी प्रतिमा के नजदीक सभी घुमक्कड़ मित्रों ने सेल्फी और फोटो लिए और एक बगीचे में सुबह के नाश्ते का आनंद लिया जिसमें इंदौरी पोहे के साथ गर्मागर्म चाय, जलेबी और समोसे भी थे। जैन साब ने सभी का बहुत अच्छे से ख्याल रखा, हर किसी के मुख से सिर्फ जैन साब की प्रशंसा सुनाई दे रही थी।
आज का दिन भी घूमने के लिए पर्याप्त था, परन्तु आज के दिन हम कहीं नहीं गए, परन्तु होटल में पड़े पड़े भी क्या करते इसलिए पैदल पैदल भोपाल के बाजार घूमने निकल पड़े। भोपाल में संगम सिनेप्लेक्स में हमने भेड़िया मूवीज देखी और शामतक होटल वापस आ गए।
पंचवटी गार्डन, लालघाटी
आज शाम को जैन साब के पुत्र और उनकी वधु के लिए आशीर्वाद समारोह का कार्यक्रम था जो होटल थोड़ी दूर था। यहाँ हमारे साथ कोलकाता वाले संतोष सिंह जी भी साथ हो लिए और अब हम एक बैटरी रिक्शा द्वारा लालघाटी पहुंचे, जहाँ आज का कार्यक्रम निर्धारित था। यह स्थान मुझे बहुत शानदार और शांत लगा, ठीक सामने एक ऊँचे टीले पर ईश्वर का दिव्य मंदिर था, एक तरफ वह मैरिज होम था जिसमें आज जैन साब का कार्यक्रम था और एक तरफ ऊँचे पीपल के वृक्ष के नीचे भगवान परशुराम जी की दिव्य प्रतिमा स्थापित थी।
सेठ जी परिवार कार्यक्रम में बहुत ही शानदार सजावट और रौनक थी। भोपाल में हम पहली बार किसी शादी समारोह में शामिल हुए थे और पहली बार में ही इस कार्यक्रम सजावट हमेशा के लिए मन में गई थी। कल की अपेक्षा हमने आजके कार्यक्रम की जितनी उम्मीद की थी हमने उससे अधिक यहाँ पर पाया। यहाँ विभिन्न तरह की खाने पीने के व्यंजनों के भंडार थे जिनकी अलग अलग स्टालें लगी हुई थी।
रूपक जैन जी घोड़े पर सवार सभी आगंतुकों का अभिवादन करने में व्यस्त थे और हम भोपाल की इस हसीं शाम को भरपूर यादगार बनाने में। यहाँ मुझे कल की अपेक्षा घुमक्कड़ मित्रों की संख्या आज कम लग रही थी।
यहाँ हमारी मुलाकात सचिन से भी हुई, सचिन जैन साब के व्यवसाय उनका सहयोग करते हैं और उनकी दुकान की देखभाल करते हैं, दो साल पहले साँची स्तूप और उदयगिरि की गुफाओं की यात्रा के दौरान सचिन, जैन साब सहित हमारे सहयात्री थे।
जैन साब ने यहाँ अपने सभी मेहमानों के लिए सेल्फी पॉइंट की भी व्यवस्था की थी जिसमें जैन सब के परिवार की स्टैन्डी लगी थी और सभी उनके साथ फोटो ले रहे थे, साथ ही सभी आगंतुकों के फोटो फ्रेम बनाने की और उन्हें साथ की साथ भेंट देने की भी व्यवस्था शानदार थी। मैंने यहाँ लगी सभी स्टालों से विभिन्न तरह के व्यंजनों का भरपूर स्वाद लिया।
हमारा आज की रात्रि लौटने का रिजर्वेशन कन्फर्म था, हालांकि इतनी हसीं शाम को छोड़कर और जैन साब से विदा लेने का मन तो नहीं था परन्तु यात्रा का यही दस्तूर है कि कभी न कभी तो पूर्ण होती ही है और फिर हमें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लौट जाना होता है। हमारी भोपाल यात्रा पूर्ण हो चुकी थी और अब लौटने का वक़्त हो चला था। बड़े भारी मन से जैन साब और उनके परिवार से विदा लेकर हम वापस होटल पहुंचे और उसके बाद अपना सामान लेकर भोपाल रेलवे स्टेशन। अगली सुबह हम अपने घर पर थे।
चित्र दीर्धा
10 दिसंबर 2022
1. मथुरा से भोपाल यात्रा
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AT MATHURA JN. |
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AT AGRA CANTT |
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IN KERLA EXPRESS |
11 दिसंबर 2022 2. भोपाल आगमन
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ON BHOPAL JN. |
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AT BHOPAL JN. |
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होटल के बाहर एक सेल्फी |
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इसी स्थान पर आज का कार्यक्रम है |
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शाम का रंगारंग कार्यक्रम - स्वागत दिल से |
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रूपक जैन जी अपने पुत्र और पुत्र वधू के साथ |
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संतोष जी कोलकाता वालों के साथ एक फोटो |
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साथ में विकास पोरवाल जी देहरादून से |
12 दिसंबर 2022
3. भोपाल में ऐतिहासिक भ्रमण
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भोपाल की सबसे बड़ी ऐतिहासिक मस्जिद |
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ऐतिहासिक मस्जिद - चौक बाजार, भोपाल |
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सेठ जी आवास - जैन साब का घर, वैवाहिक तैयारियों के साथ |
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ऐतिहासिक मस्जिद - भोपाल |
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हेरिटेज वॉक यानी ऐतिहासिक भ्रमण पर जैन साब और अन्य घुमक्कड़ मित्र |
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राजा भोज की प्रतिमा - भोपाल |
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एक यादगार पल कल्पना के साथ - भोपाल |
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अविस्मरणीय पल कुमार के साथ - भोपाल |
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मेरा मित्र - कुमार भाटिया |
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विवेक मिश्रा जी - वाराणसी से |
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घुमक्कड़ी दिल से ग्रुप की टीम के साथ |
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भोपाल का ऐतिहासिक तालाब |
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राजा भोज सेतु - भोपाल |
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रूपक जैन जी के साथ एक मुलाकात |
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दिलखुश और स्मार्ट रूपक जैन जी के साथ मैं और कुमार |
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हैरिटेज वाक के दौरान सुबह का नाश्ता |
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होटल में वापसी - कल्पना और कुमार के साथ |
4 . संगम सिनेप्लेक्स - भोपाल
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भोपाल में होटल के नजदीक चौराहा |
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होटल में प्रदीप शर्मा जी ऋषिकेश वालों से एक मुलाकात |
5.पंचवटी गार्डन, गुफा मंदिर, लालघाटी, भोपाल
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गुफा मंदिर का एक दृश्य |
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पंचवटी गार्डन - आज का कार्यक्रम स्थल |
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शानदार समारोह में मेरी पत्नी कल्पना उपाध्याय |
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संतोष सिंह जी कोलकाता वालों के साथ आज की शाम |
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कुमार भाटिया |
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घोड़े पे सवार, करते अतिथि सत्कार - रूपक जैन साब |
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सेठ जी परिवार के सेल्फी पॉइंट पर कुमार भाटिया |
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मैं और कल्पना |
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कल्पना उपाध्याय |
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सुधीर उपाध्याय भोपाली अंदाज में |
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कुमार भी भोपाली अंदाज में |
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टॉमेटो सूप की शानदार व्यवस्था |
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बेहतरीन बनारसी चाट |
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बनारसी टमाटर चाट |
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स्वादिष्ट पास्ता लेती मेरी पत्नी कल्पना |
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लाज़बाब हॉट चॉकलेट |
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शानदार आयोजन स्थल - पंचवटी गार्डन |
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पालकी और घोडा |
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लालघाटी परिसर में भगवान परशुराम जी की प्रतिमा |
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भगवान परशुराम प्रतिमा - भोपाल |
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गुफा मंदिर - लालघाटी, भोपाल |
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जल्द ही मिलते हैं अगली यात्रा में |
6. भोपाल की यादगार तस्वीर

अगली यात्रा - रायसेन किले की और
🙏
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