अजमेर दर्शन और तारागढ़ किला
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DARGAAH AJMER SHARIF |
एक अरसा बीत चुका था बाबा से मिले, तो सोचा क्यों न उनके दर पर इस बार हाजिरी लगा दी जाय। बस फिर क्या था, खजुराहो एक्सप्रेस में आरक्षण करवाया और निकल लिए अजमेर की ओर। मैं रात में ही अजमेर पहुँच गया, और वहां से फिर दरगाह। अभी बाबा के दरबाजे खुले नहीं थे, मेरी तरह बाबा के और भी बच्चे उनसे मिलने आये हुए थे जो उनके दरबाजे खुलने का इंतज़ार कर रहे थे, इत्तफाक से आज ईद भी थी। दरगाह का नज़ारा आज देखने लायक था ।
सवा पाँच बजे बाबा के दरवाज़े खुल गए और भारी भीड़ के साथ मैं भी बाबा के पास पहुँच गया। उन्हें देखकर दिल को तसल्ली मिल गई और मेरी इसबार की हाजिरी बाबा के दरबार में दर्ज हो गई । फिर बाबा से विदा लेकर मैं महाराज पृथ्वीराज चौहान के महल की तरफ चल दिया मतलब तारागढ़ किले की ओर। यह मेरी पहली यात्रा थी जब मैं तारागढ़ किले की ओर जा रहा था। इससे पहले मैं अजमेर कई बार आया किन्तु महाराज के यहाँ नहीं जा पाता था, इस बार मेरा मन पक्का था कि जरूर जाना है ।
जैसा सोचा था यह किला उससे कई अधिक ऊंचाई पर यह स्थित था। मैं पहाड़ पर चढ़ता ही जा रहा था । नीचे अजमेर का नज़ारा देखने लायक था जिनमे दो मुख्य आकर्षण थे पहला बाबा की दरगाह और दूसरा अढ़ाई दिन का झोंपड़ा। जो ऊपर से स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। अब मुझे यहाँ एक और आकर्षण देखने को मिला और वो था अजमेर की वादियों में सूर्योदय।
चलते चलते मुझे प्यास लग आई, यहाँ कोई आसपास नल भी नहीं था, मैंने किसी से नल के बारे में पुछा तो उसने जवाब दिया कि वो तो महाराज के यहाँ ही मिलेगा, मतलब किले में, जो अभी भी मुझसे काफी दूर था । पर शायद बाबा ने मेरी पुकार सुनली और मुझे सामने कोक का फ्रिज दिखाई दे गया पानी तो नहीं था किन्तु मेरी प्रिय थम्सअप जरूर थी। मैंने फ्रिज के मालिक को चालीस रुपये दिए, भाई महँगी जरूर थी पर ये क्या काम था कि मुझे पहाड़ पर पीने को कोल्ड्रिंक मिल गई ।
मैं किले मैं पहुंचा तो देखा यहाँ महाराज पृथ्वीराज चौहान के महल के अब अवशेष ही शेष थे, एक फाटक भी था जो मुझे उनके काल में ले जाकर इतिहास दिखाकर लाया कि किसी समय यह भी भव्य होगा । यहाँ एक और बाबा से मुलाक़ात हुई जिनका नाम है मीर हुसैनी। यह दरगाह वाकई देखने लायक थी, यहाँ एक पवित्र जल का स्त्रोत है, जिसके बारे में प्रचलित है कि यह पवित्र जल है, मैंने यह पवित्र जल खूब जी भर के पिया और अपनी खाली थम्सअप की बोतल में भी भर लिया ।
यह दरगाह महाराज पृथ्वीराज चौहान के महलों के स्थान पर बनी है जिसे ग़ौर देखने पर आपको इसका अनुभव हो जायेगा। मैं अब दुसरे रास्ते से नीचे उतर रहा था, रास्ते में मुझे चौथा आकर्षण देखने को मिला जिसका नाम था जादू का पत्थर। माना जाता है कि इसे राजा ने किले से किसी संत को मारने के लिए फेंका था और उन संत ने इसे अपनी एक ऊँगली से रोक दिया था, यह आज भी हवा में लटका हुआ दिखाई देता है और इस पर उन महान संत की उँगलियों के निशाँ आज भी देखे जा सकते हैं ।
यहाँ से थोड़ा आगे बढ़ा तो देखा किले से पवित्र जल लोग गधो पर लादकर नीचे ल रहे हैं, यही मात्र एक साधन भी है ऊपर से पवित्र जल को नीचे लाने का। थोड़ा और आगे पढ़ने पर मुझे पांचवा आकर्षण देखने को मिला, यहाँ भी एक बाबा थे जिनका नाम था मीठे नीम वाले बाबा। यहाँ एक नीम का पेड़ था जिसके बारे में प्रचलित है की यह नीम का पेड़ मीठा है । किन्तु आप इसकी एक पत्ती भी नहीं ले सकते । पूर्ण रूप से यह सुरक्षित है ।
इसके बाद मैं अढ़ाई दिन का झोपड़ा से होते हुए सोनी जी की नसियाँ पहुंचा, यह जैनों को तीर्थस्थान है जिसमे काफी देखने लायक चीज़ थी जो आपको किसी और ही दुनिया के दर्शन कराती हैं और इसके बाद आना सागर। जो अजमेर की सबसे बड़ी झील है जिसके बारे में अपनी पिछली अजमेर यात्रा में बता चुका हूँ.। यहीं मेरी अजमेर यात्रा समाप्त हो जाती है और मैं जोधपुर पैसेंजर पकड़कर जोधपुर के लिए रवाना हो चला ।
आइये अब आपको अजमेर दर्शन करवाता हूँ ।
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DARGAH GARIB NAWAZ |
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IN DARGAH |
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MOSQUE IN DARGAH COURT |
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DARGAH AJMER SHARIFF |
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VIEW OF DHAI DIN KA JHONPRA |
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TARAGARH FORT - AJMER |
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AJMER VALLEY'S |
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TARAGARH FORT |
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TARAGARH FORT |
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TARAGARH FORT |
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TARAGARH FORT |
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MAGIC STONE - AJMER |
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MAGIC STONE |
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DHAI DIN KA JHONPARA |
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AJMER RAILWAY STATION |
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SONI JI KI NASIYAN - JAIN TEMPLE |
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STATUE OF NETAJI SUBHASH CHANDRA BOSH |
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SHIV TEMPLE - AJMER |
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ANA SAGAR LAKE |
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A TOY TRAIN IN AJMER |
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AKBAR FORT - AJMER |
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AJMER RAILWAY STATION
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AJMER RAILWAY STATION
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AJMER RAILWAY STATION
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AJMER RAILWAY STATION
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AJMER RAILWAY STATION
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NEXT TRIP :-
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