Sunday, September 1, 2013

SATNA 2013

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

सतना की एक शाम 

KC ON SATNA RAILWAY STATION


     इलाहबाद से हमने सतना जाने का विचार बनाया, इलाहाबाद से सतना का रास्ता तीन घंटे की दूरी पर था, जहाँ मेरा छोटा मौसेरा भाई गोपाल हमारा इंतज़ार कर रहा था। वो सतना में एल एन टी इंजीनियर है और एक होटल में रहता है। मैं और केसी इलाहाबाद स्टेशन पहुँचे, यहाँ आकर देखा तो एक बहुत ही लम्बी लाइन टिकट लेने के लिए लगी हुई थी, इतनी लम्बी लाइन में मेरे लगने की तो हिम्मत ही नहीं हुई। केसी कैसे भी करके टिकट ले आये और हमने कामायनी एक्सप्रेस में अपना स्थान जमाया।



     ट्रेन पूरी रफ़्तार से दौड़ रही थी, रात का समय था कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था, पर बातों ही बातों में सफ़र कब कट गया पता ही नहीं चला। मानिकपुर स्टेशन पर हमने कुछ जलेबी और पूड़ियां खाली जिससे कुछ हद तक पेट कि ज्वाला शांत हो गई बाकी तो सतना पहुंचना ही था। मानिकपुर के बाद अगला स्टॉप सतना ही था, स्टेशन के बाहर गोपाल एक ऑटो वाले को ले आया और हम फिर उसके होटल पर पहुंचे। मैं पहली बार गोपाल के पास सतना आया था, इससे पहले भी मैं और माँ मैहर से आते समय आज से करीब तीन चार साल पहले सतना के स्टेशन पर काफी देर बैठे रहे थे, तब यहाँ गोपाल नहीं रहता था।

     हम गोपाल के होटल पर पहुंचे, उसने खाना आर्डर किया और कुछ ही देर में हमारे सामने लाजबाब तीन थालियां खाने की आ गई। खाना खाकर हमने फर्राटे कि नींद आयी। गोपल होटल के तीसरे माले पर रहता है जहाँ से रात के वक़्त सतना के चारों ओर सीमेंट के बड़े बड़े कारखने अपनी छटा बिखेर रहे थे, सतना को सीमेंट नगरी कहा जाए तो गलत नहीं होगा, यहाँ केवल सीमेंट का ही काम सबसे अव्वल माना जाता है ।

 सुबह हम मैहर जाने के लिए तैयार थे ।


GOPAL IN SATNA
                 

अगला भाग -  माँ शारदा के दरवार में , मैहर धाम  

1 comment:

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