व्योमासुर की गुफा
व्योमासुर की गुफा एक पौराणिक स्थल है जो द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली से सम्बंधित है। व्योमासुर की गुफा, ब्रज क्षेत्र के अंतर्गत राजस्थान के भरतपुर जिले में कामा नामक स्थान से एक किलोमीटर दूर कलावटी ग्राम के नजदीक अरावली पर्वत श्रृंखला में स्थित है। दिल्ली से लगभग 160 किमी दूर यह एक प्राकृतिक मनोरम स्थान है। यहाँ चारोंतरफ अरावली पर्वत श्रृंखला बिखरी हुई दिखाई देती है। कामा, ब्रज के बारह वनों में से एक वन है जिसे काम्यवन भी कहा जाता है। व्योमासुर की गुफा देखने के लिए लगभग 65 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं।
कौन था व्योमासुर ?
भगवान श्री कृष्ण की बाल्यावस्था के दौरान अपनी मृत्यु के भय से मथुरा के राजा कंस ने अनेकों दैत्यों को श्री कृष्ण को मारने हेतु ब्रज में भेजा, किन्तु वे सभी एक एक करके मृत्यु को प्राप्त हो गए और भगवान के हाथों मरने की वजह से सभी का उद्धार होता गया। इन्हीं दैत्यों में से एक था व्योमासुर, जो वन में गाय चराते और खेल खेलते श्री कृष्ण और उनके ग्वाल सखाओं के बीच एक ग्वाले का रूप धारण करके खेल में शामिल हो गया। इस खेल में कोई ग्वाल भेड़ बना, कोई भेड़ों का रखवाला और कोई चोर बना। इस खेल में चोर भेड़ों की चोरी करते और उन्हें छुपा देते थे।
मयदानव के पुत्र व्योमासुर ने गोपबालक के रूप में इस खेल में बड़ी चतुराई से एक चोर का किरदार निभाया और भेड़ बने ग्वालवालों को एक एक करके उठाकर वन से थोड़ी दूर एक पर्वत की गुफा में छुपा कर उस गुफा का द्वार से बड़े विशाल पत्थर से बंद कर आता था। खेल के दौरान जब ग्वालवालों की संख्या कम होने लगी तो भगवान श्री कृष्ण को ग्वालरूपी व्योमासुर पर संदेह हो गया और पूरा सच जानने के लिए उन्होंने भेड़ का किरदार निभाया। व्योमासुर यही तो चाहता था कि कब उसे श्री कृष्ण को मारने का अवसर प्राप्त हो। इसलिए भगवान ने स्वयं ही यह अवसर उसे प्रदान किया। ग्वालरूपी व्योमासुर ने, भेड़ का किरदार निभाते भगवान कृष्ण को पकड़ लिया और उन्हें अपनी पीठ पर लेकर चल दिया।
भगवान श्री कृष्ण को अपनी पीठ पर उठाने के बाद व्योमासुर ने अपना विकराल दैत्य रूप धारण कर लिया और उसी गुफा की तरफ आकाश मार्ग से उड़ चला। भगवान् श्री कृष्ण ने उसके अपने असली रूप में आने के बाद उसे उसी पर्वत पर पटक कर मार डाला जिस पर वह गुफा स्थित थी। व्योमासुर के वध होते ही भगवान् कृष्ण पर आसमान से देवता फूल बरसाने लगे और उनकी जय जयकार करने लगे। व्योमासुर का अंत करने के बाद समस्त ग्वालवालों को भगवान ने उस गुफा से मुक्त किया और इस प्रकार व्योमासुर का भी उद्धार भगवान श्री कृष्ण के हाथों हुआ।
व्योमासुर पूर्व जन्म में कौन था और वह दैत्य योनि में क्यों आया ?
एक समय काशी में दान परायण, विष्णुभक्त भीमरथ नामक राजा राज्य करते थे। उनके शासनकाल में उनकी प्रजा अत्यंत ही खुश व संपन्न थी। अनेकों वर्षों तक राज्य करने के पश्चात राजा के मन में प्रभु दर्शन की इच्छा जागृत हुई और वे अपना समस्त राज्यभार अपने पुत्रों को सौंपकर तपस्या करने मलयाचल पर्वत पर चले गए और वहीँ अपनी कुटिया बनाकर भगवान विष्णु की आराधना करने लगे। इस प्रकार उन्हें तपस्या करते हुए आने वर्ष व्यतीत हो गए परन्तु भगवान विष्णु के दर्शन प्राप्त नहीं हुए।
एक दिन जब राजा भीमरथ भगवान विष्णु की आराधना में लींन थे तभी उनके आश्रम पर महर्षि पुलस्त अपने शिष्यों सहित पधारे और राजा को आवाज देकर अपने आने की सूचना देने लगे, किन्तु राजा भीमरथ अपनी तपस्या में ध्यानमग्न थे इसलिए महर्षि पुलस्त की वाणी को नहीं सुना और अपनी तपस्या में ही लींन रहे। महर्षि पुलस्त को यह अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने राजा भीमरथ को अहंकारी राजा मानकर, दैत्य होने का श्राप दे दिया। महर्षि के दिए गए श्राप के कारण राजा भीमरथ ने मयदानव के यहाँ उसके पुत्र के रूप में जन्म लिया और मयदानव का यही पुत्र व्योमासुर नामक राक्षस कहलाया।
अपने पूर्वजन्म के सत्कर्मों और भगवान विष्णु का भक्त होने के कारण राजा भीमरथ को व्योमासुर के रूप में भगवान श्री कृष्ण के हाथों मुक्ति हुई और उसने मोक्ष पाकर भगवान विष्णु के धाम बैकुंठ को गमन किया।
अतः आज यह पर्वत व्योमासुर पर्वत और यह गुफा व्योमासुर की गुफा के नाम से प्रख्यात है। ब्रज चौरासी कोस में स्थित होने के कारण यह स्थान पूजनीय है और ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा में सिम्मलित है।
हमारी यात्रा - 24 FEB 2022
आज अपनी वैवाहिक वर्षगाँठ पर मैं अपनी पत्नी कल्पना के साथ यहाँ आया और हम दोनों प्राकृतिक गुफा के दर्शन किये। यह गुफा कामा से जुरेहरा मार्ग पर सड़क के किनारे ही स्थित है। इस गुफा तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। गुफा के ठीक ऊपर व्योमासुर पर्वत की सतह है जहाँ भगवान कृष्ण ने व्योमासुर का उद्धार किया था।
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व्योमासुर पर्वत |
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गुफा की ओर जाती हुई सीढ़ियाँ |
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व्योमासुर की गुफा / VYOMASUR CAVE
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व्योमासुर की गुफा / VYOMASUR CAVE
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गुफा का प्रवेश द्वार
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गुफा के अंदर का दृश्य
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व्योमासुर पर्वत की सतह
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व्योमासुर वध स्थल
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व्योमासुर वध स्थल एवं भगवान श्री कृष्ण के पद्चिन्ह मंदिर
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व्योमासुर पर्वत |
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पर्वत से निकट ग्राम का एक दृश्य |
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अरावली पर्वत श्रृंखला |
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पर्वत की ऊपरी सतह से दिखाई देता कामा - जुरेहरा मार्ग |
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गुफा के मुख्य द्वार पर मेरी पत्नी कल्पना |
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मैं और मेरी पत्नी |
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पर्वत से नीचे की राह |
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सुधीर उपाध्याय और व्योमासुर पर्वत |
यात्रा हेतु धन्यवाद
🙏
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