अघासुर का वधस्थल - जय कुण्ड
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नाग मंदिर |
वृन्दावन के नजदीक हाइवे पर स्थित जैंत ग्राम, ब्रज के चौरासी कोस की परिक्रमा में आने वाला एक प्रमुख ग्राम है। यहाँ प्राचीन समय का जयकुंड स्थित है। कहा जाता है यही वो स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए कंस ने अघासुर नाम के दैत्य को भेजा था जो रिश्ते में पूतना राक्षसी का भाई भी था। अघासुर एक विशालकाय अजगर था जो इस इस स्थान पर आकर छुप गया और जब श्री कृष्ण गाय चराते हुए अपने ग्वाल वालों के साथ यहाँ पहुँचे तो अघासुर ने समस्त ग्वालवालों को निगलना शुरू कर दिया। भगवान श्री कृष्ण, अघासुर की इस चतुराई को समझ गए और अघासुर का निवाला बनने के लिए उसके सम्मुख आ गए। अघासुर ने बिना कोई पल गंवाए श्री कृष्ण को निगलना शुरू कर दिया।
जैसे ही श्री कृष्ण, अघासुर के मुख के अंदर गए उन्होंने अपने शरीर का आकर बढ़ाना शुरू कर दिया। जब अघासुर भगवान कृष्ण को निगलने में अक्षम रहा और उन्हें निगलना उसे असहनीय लगने लगा तो उसने कृष्ण को बाहर की तरफ उगलना शुरू किया, इसी बीच भगवान कृष्ण ने उसके ऊपरी जबड़े को हाथों से पकड़कर चीर दिया और अघासुर का वध करके उसे मुक्ति प्रदान की।
यहाँ स्थित जय कुंड का ब्रज फाउंडेशन द्वारा सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है और यह एक शानदार पर्यटन स्थल बन चुका है, इस कुंड के चारों तरफ ब्रज फाऊंडेशन द्वारा आरसीसी की सड़क बनाई गई है जिससे पर्यटक एवं श्रद्धालु परिक्रमा कर सकें। इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व बनाये रखने के लिए फॉउंडेशन द्वारा यहाँ अघासुर और ग्वालवालों समेत भगवान कृष्ण की मूर्तियाँ बनवाई गईं हैं।
यहीं पास में एक नाग की प्राचीन मूर्ति भी स्थापित है जो विशेष दर्शनीय है। यह मूर्ति ही यहाँ का विशेष आकर्षण है जिसका ऐतिहासिक महत्व होने के साथ साथ पौराणिक महत्व भी है। ग्रामवासियों में इसे लेकर एक जनश्रुति है कि पत्थर के नाग की यह मूर्ति सचमुच का कालिया नाग ही है जो कृष्ण के डर से यमुना और वृन्दावन को छोड़कर जाने लगा तो जाते हुए कालिया से कृष्ण ने कहा पीछे मुड़कर मत देखना वर्ना पत्थर के हो जाओगे, भ्रमित होने के कारण कालिया नाग ने यहाँ पीछे मुड़कर देखा और पत्थर का हो गया। कहते हैं यह नाग बारिश में भी नहीं डूबता है।
इस नाग की मूर्ति के बारे में एक ऐतिहासिक किंवदंती है कि ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने इस कालिया नाग की खुदाई कराकर इस मूर्ति को अपने देश ले जाने का विचार बनाया और इस मूर्ति खुदाई शुरू कर दी किन्तु कई दिन खुदाई करने के पश्चात भी वो इसकी थाह तक नहीं पहुँच सके। इससे निराश होकर उन्होंने इस नाग की मूर्ति को नष्ट करने के उद्देश्य से इस पर गोलियां चलवा दी जिनके निशान आज भी इस मूर्ति पर स्पष्ट देखे जा सकते हैं।
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यह एक प्याऊ है। |
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अघासुर लीला |
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अघासुर का वध करते भगवान कृष्ण |
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AGHASUR AND KRISHNA |
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AGHASUR |
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AGHASUR |
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जैंत ग्राम का एक दृश्य |
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जय कुंड की सीढ़ियों पर |
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मैं और शशिकांत |
THANKS FOR VISIT ब्रज के अन्य दार्शनिक स्थल
Bahut sundar
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