Friday, September 29, 2017

Kusum Sarovar


गोवर्धन परिक्रमा एवं कुसुम सरोवर

कुसुम सरोवर 


       अभी कुछ ही दिनों पहले मेरी कंपनी का गोवर्धन क्षेत्र में एक इवेंट लगा जिसकी मुनियादी गोवेर्धन क्षेत्र के आसपास कराई जानी थी जिसकी जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई। मैंने एक टिर्री बुक की, जिसमे स्पलेंडर बाइक फिट थी और पीछे आठ दस सवारियों के बैठने की जगह थी। इस टिर्री के साथ मैंने मुनियादी करने  के लिए  गोवर्धन परिक्रमा क्षेत्र को चुना। मौसम आज सुहावना था, सुबह सुबह खूब तेज बारिश पड़ी इसलिए मौसम में काफी ठंडक भी थी। गोवर्धन का परिक्रमा मार्ग कुल 21 किमी का है जो  दो भागों में विभाजित है बड़ी परिक्रमा और छोटी परिक्रमा। बड़ी परिक्रमा कुल चार कोस की है, मतलब 12 किमी और छोटी 3 कोस की मतलब 9 किमी की।   

Monday, September 18, 2017

SHANTANU KUND




शांतनु कुंड -  एक पौराणिक स्थल , सतोहा 


         भगवान श्री कृष्ण की ब्रजभूमि में ऐसे कई स्थान हैं जिनका सीधा सम्बन्ध या तो इतिहास से है और सर्वाधिक पुराणों से है। मैंने सभी पुराण तो नहीं पढ़े हैं परन्तु रामायण और श्रीमद भागवत का अध्ययन और श्रवण कई बार किया है, इसलिए मुझे उन स्थानों पर जाने और उन्हें देखने में विशेष रूचि है। आज ऐसे ही एक स्थान पर मैं कंपनी की गाडी क्विड से नीरज के साथ मथुरा के सतोहा ग्राम में पहुंचा जहाँ एक पौराणिक कुंड ब्रज की अनमोल धरोहर है। इस कुंड का नाम महाभारत युद्ध से पूर्व हिस्तनापुर के सम्राट महाराज शांतनु के नाम पर है। माना जाता है कि महाराज शांतनु ने इस स्थान पर रहकर तपस्या की थी।

Sunday, September 3, 2017

Ramtal




रामताल - एक पौराणिक स्थल 



        अभी कुछ ही दिनों पहले सुर्खियों में एक खबर आई थी कि वृन्दावन के सुनरख गाँव के पास एक कुंड मिला है जिसका नाम रामताल है , बताया जाता है कि ये 2500 बर्ष से भी पुराना है और उसी समय की काफी वस्तुएं भी पुरातत्व विभाग को वहां खुदाई के दौरान मिली। पुरातत्व विभाग ने यहाँ उत्खनन सन 2016 में शुरू कराया तो एक प्राचीन और पौराणिक धरोहर के रूप में रामताल को जमीन के अंदर पाया। यह खबर सुनकर मेरा मन भी बैचैन हो उठा और आखिरकार मैं भी रामताल देखने निकल पड़ा। हालाँकि ड्यूटी पर ही था किसी काम से कंपनी की गाडी लेकर मैं और नीरज वृन्दावन आये और यहीं से हम रामताल पहुंचे।

Saturday, September 2, 2017

Kans Fort : Mathura


कंस किला और वेदव्यास जी का जन्मस्थान


     कई बार सुना था कि मथुरा में कहीं कंस किला है, पर देखा नहीं था। आज इरादा बना लिया था कि जो चाहे हो देखकर रहूँगा। मैं अपनी बाइक से मथुरा परिक्रमा मार्ग पर गया और पाया कि आज ब्रज की अनमोल धरोहरों का आज मैं अकेला अवलोकन कर रहा हूँ। सबसे पहले मेरी बाइक चक्रतीर्थ पहुंची जहाँ भगवान शिव् का भद्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन हुए और मंदिर के ठीक सामने चक्रतीर्थ स्थित है। इसके बाद कृष्ण द्वैपायन भगवान वेदव्यास जी की जन्मस्थली पहुंचा। यहाँ भी सुन्दर घाट बने हुए थे पर अफ़सोस यमुना यहाँ से भी काफी दूर चली गई थी और यमुना में से निकली एक नहर इन घाटों को छूकर निकल रही थी।