Thursday, January 30, 2014

KHANDWA TO UJJAIN METER GUAGE TRIP

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

 खंडवा से उज्जैन मीटर गेज यात्रा 

KHANDWA


हम रात भर मीटर गेज की ट्रेन की काठ की सीटों पर ही सोते रहे। सुबह चार बजे के आसपास ट्रेन में सवारियों का आना शुरू हो गया। बड़े बड़े ढोल लेकर कुछ निमाड़ वासी हमारी भी नजदीकी सीटों पर आकर बैठ गए। पांच बजे के लगभग ट्रेन ने एक जोरदार सीटी दी और खंडवा से आगे बढ़ चली। थोड़ी देर बाद ब्रॉड गेज लाइन हमसे दूर होती दिखाई देती गई और हमारी ट्रेन पश्चिमी निमाड़ की तरफ बढ़ चली। कुछ समय बाद दिन निकल आया था और अब निमाड़ के खेत भी दिखने शुरू हो चुके थे। कुछ समय बाद कोटला खेड़ी के नाम से एक रेलवे स्टेशन आया। यहाँ प्लेटफॉर्म पर ट्रेन को सिग्नल देने के लीवर लगे हुए हैं। 


 कोटलाखेड़ी के बाद अगला स्टेशन निमाड़खेड़ी है। यहाँ केले के वृक्षों की खेती बहुतायात में देखने को मिलती है। 
निमाड़खेड़ी से अगला स्टेशन सनावद है। यह इस रेल लाइन का बड़ा स्टेशन है जहाँ किसी समय इसी मीटरगेज पर चलने वाली मीनाक्षी एक्सप्रेस भी ठहरती थी जो जयपुर से पूर्णिया के बीच अपनी सेवा देती थी। सनावद से अगला बड़ा स्टेशन ओम्कारेश्वर रोड है जहाँ से ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए रास्ता गया है और वहां बस या जीप से पहुँचा जा सकता है। यह स्थान मोरटक्का कहलाता है। 

ओम्कारेश्वर रोड, मीटर गेज एक बड़ा स्टेशन है इसलिए यहाँ उज्जैन से आने वाली ट्रेन का हमारी ट्रेन से क्रॉस भी हुआ। हमें इस ट्रेन से यहीं उतरना था क्योंकि हमें आज ही ओम्कारेश्वर जी के दर्शन करके दोपहर वाली ट्रेन से उज्जैन भी पहुंचना था। मैंने और माँ ने यह ट्रेन छोड़ दी और हम एक बस द्वारा ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग की तरफ रवाना हो गए। ओम्कारेश्वर जी के दर्शन करने के पश्चात हम दोपहर में वापस मोरटक्का पहुंचे और ओम्कारेश्वर रोड स्टेशन पहुंचे। 

ओम्कारेश्वर रोड स्टेशन के सामने रेलवे कर्मचारियों के आवास बने हैं। हम भी ऐसे ही रेलवे आवास में आगरा में रहते हैं। चूँकि स्टेशन के ठीक सामने ढलते हुए सूरज का सीधा प्रकाश तेज रूप से हम पर पड़ रहा था इसलिए हम रेलवे लाइन पार करके उन आवासों की तरफ चले गए जो इस समय खाली पड़े हुए थे। यहीं वृक्षों की छाँव में अनेक संत मुनि भी विश्राम कर रहे थे। यह पल सचमुच हमारी इस यात्रा का सबसे यादगार पल था। अगर इस स्थान पर मैं कभी बिना माँ के अगली बार आया तो मुझे यहाँ अपनी माँ की सबसे ज्यादा याद आएगी। 

कुछ समय बाद उज्जैन की तरफ से एक ट्रेन आई और थोड़ी देर रुक कर खंडवा के लिए रवाना हो गई। चूँकि अब हमारी भी ट्रेन का आने का समय हो चुका था और यहीं दोनों ट्रेनों को क्रॉस भी करना होता है किन्तु आज अकोला से आने वाली हमारी यह ट्रेन लेट हो गई है और अब इनका क्रॉस सनावद पर ही होगा। सनावद पर क्रॉस होने के बाद हमारी ट्रेन ओम्कारेश्वर रोड स्टेशन पहुंची। 

हमारा उज्जैन तक के लिए इस ट्रेन में रिजर्वेशन था, इस ट्रेन में रिजर्वेशन के केवल दो ही कोच थे जो इस वक़्त बंद थे। स्टेशन आने पर भी इन कोचों के दरवाजे नहीं खुले यह आश्चर्य वाली बात थी। दरवाजा खटखटाने के बाद ट्रेन का टीटी दरवाजे पर आया और दरवाजा खोलकर हमसे कहने लगा यह रिजर्वेशन डब्बा है पीछे जाओ। उसके दुबारा दरवाजा बंद करने से पहले ही मैंने ट्रेन में चढ़ते हुए उसके हाथ में अपनी टिकिट थमा दी और अपनी सीट पर पहुँचाने को कहा। टिकट देखकर टीटी का हमसे बात करने का रवैया बदल गया और फिर वह इज्जत से हमें हमारी सीट तक लेकर गया। 

 दरअसल यह एक पैसेंजर ट्रेन है जो अकोला से उज्जैन तक एक लम्बी दूरी तय करती है अतः यात्रियों की सुविधा के लिए इसमें आरक्षण कोच की सुविधा देती है और इन कोच में यात्रा करने हेतु यात्रा करने से काफी पहले ही रिजर्वेशन करवाना पड़ता है। अगर टीटी इन कोचों के दरवाजे खुले छोड़ दे तो सामान्य टिकट पर यात्रा करने वाले लोग भी इन कोचों में सवार हो जाते हैं और फिर रिजर्वेशन के कोच की सारी सुविधा, असुविधा में बदल जाती है। 

यहाँ से आगे का सफर अब काफी रोमांचक होने वाला था। अब हम निमाड़ से बाहर निकलकर मालवा से अवन्ति की ओर बढ़ रहे थे। ट्रेन नर्मदा का पुल पार कर चुकी थी और बारवाह शहर से निकलने के बाद घाट सेक्शन शुरू हो चुका था। अनेकों गुफाओं और पुलों को पार करने के बाद ट्रेन गोल गोल घूमती हुई विंध्य की पहाड़ियों को पार कर रही थी। अगला स्टेशन कालाकुंड था, और इसके बाद पातालपानी । इन दोनों स्टेशन के मध्य का सफर ही इस रूट का सबसे रोमांचक सफर है। अनेकों झरने पहाड़ों से गिरते हुए दिखाई देते हैं। मैंने सुना था कि इस बीच एक स्थान पर ट्रेन के ड्राइवर महोदय ट्रेन को कुछ देर के लिए रोकते हैं और फिर आगे बढ़ते हैं, यहाँ कोई लोक देवता हैं जिनके सम्मान में ड्राइवर ऐसा करते हैं,  परन्तु आज यहाँ ट्रेन रुकी तो नहीं किन्तु बहुत ही धीमी रफ़्तार से सीटी देती हुई आगे बढ़ गई। 

पातालपानी के बाद मीटरगेज का मुख्य अड्डा महू जंक्शन आता है। इस रुट पर चलने वाले डीजल इंजन का सबसे बड़ा यार्ड भी यहीं है इसलिए इस रुट के सभी इंजनों पर महू लिखा रहता है। महू, इंदौर शहर का ही एक भाग है। ट्रेन शाम होते होते महू पहुंची थी और इसके बाद अब अँधेरा हो चुका था। महू से आगे फतेहाबाद चंद्रवती गंज जंक्शन स्टेशन आता है। यहाँ से एक लाइन रतलाम और दूसरी लाइन उज्जैन की तरफ जाती है। हम उज्जैन जाने वाली ट्रेन में थे। रात होते होते हम उज्जैन पहुँच गए। स्टेशन पर ही हमने रिटायरिंग रूम में कमरा बुक कर रखा था इसलिए हम आराम से अपने कमरे में सो गए और उज्जैन स्टेशन की एक रात हमने बिताई। 

KHANDWA RAILWAY STATION


KOTLA KHERI RAILWAY STATION


NIMAR KHERI RAILWAY STATION


NIMARKHERI RAILWAY STATION

SANAWAD RAILWAY STATION

SANAWAD RAILWAY STATION

KHANDWA TO UJJAIN RAILWAY TRIP

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION


OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION

OMKARESHWAR ROAD RAILWAY STATION



NARMADA RIVER

BARWAHA RAILWAY STATION


CHORAL RAILWAY SATION

CHORAL RAILWAY SATATION








KALAKUND RAILWAY STATION

KALAKUND RAILWAY STATION








PATALPANI RAILWAY STATION

MHOW RAILWAY STATION


MHOW RAILWAY STATION

MHOW RAILWAY STATION

UJJAIN JN.

WELCOME TO UJJAIN






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