UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
पहली काशी यात्रा
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वाराणसी रेलवे स्टेशन
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अभी एक महीना ही हुआ था इलाहाबाद से लौटे हुए कि दुबारा रेलवे का कॉल लैटर आ गया, इसबार यह मेरे नाम से आया था। सेंटर इलाहाबाद में ही था इसलिए एक इलाहाबाद की टिकिट बुक करा ली, इसबार मेरी माँ मेरे साथ इलाहाबाद जा रही थी, उनका भी पी टी ओ पापाजी बनवा दिया और इलाहाबाद की एक और टिकिट बुक हो गई ।
एग्जाम से एक दिन पहले ही हम इलाहाबाद के लिए निकल लिए, दुसरे दिन हम इलाहाबाद में थे स्टेशन पर काफी लड़कों की भीड़ थी जिन्हे देखकर यह एहसास दिल को हुआ कि इस देश के अंदर एक अकेले हम ही बेरोजगार नहीं थे, हमारे जैसे जाने कितने ही न थे जो आज मुझे यहाँ देखने को मिले।
एग्जाम में अभी समय था सो मैं और माँ संगम पर पहुँचे, पर इसबार संगम में नहाने का ना तो मेरा ही था और नाही माँ का, गंगाजल के कुछ छीटें अपने ऊपर डालने के बाद हम वापस स्टेशन आ गए और स्टेशन पर बने रिफ्रेशमेंट रूम में खाना खाकर माँ को स्टेशन पर ही बैठाकर मैं एग्जाम देने चला गया ।हालाँकि इस बार पेपर मुझे काफी आसान लगा परन्तु समय की कमी के चलते आधा अधूरा ही कर पाया और वापस स्टेशन आ गया ।
यहाँ से शाम को चार बजे कामायनी एक्सप्रेस खड़ी गई जो अपने आखिरी गंतव्य वाराणसी की और जा रही थी। इससे पहले मैंने कभी वाराणसी नहीं देखी थी, हाँ एकबार स्टेशन जरूर देखा था । आज मैं और माँ कामायनी के जनरल कोच में बैठकर बनारस जा रहे थे, आजका सफर मुझे काफी अच्छा लग रहा था। शाम को हम वाराणसी पहुँच गए, वाराणसी का स्टेशन काफी बड़ा और साफ़ सुथरा था। स्टेशन के बाहर काफी लोग सोये पड़े थे , एक कोने में हम भी जगह बनाकर लेट गए।
सुबह चार बजे ऑटो वाले ने हमें गंगाजी के किनारे पहुँचा दिया। वाराणसी अपने घाटों के लिए भी विख्यात है और दूसरा यहाँ गंगा नदी उत्तरवाहिनी रूप में बहती है, यहीं पर एक मुख्य घाट है जिसका नाम है दशाश्वमेघ घाट। इसी घाट पर हमने स्नान किया और गंगास्नान के बाद हम काशी विश्वनाथ के मंदिर पहुँचे । सोमवार का दिन और सुबह सुबह विश्वनाथ के दर्शन । आज हमसे भाग्यशाली कोई नहीं था ।
इसके बाद हमें एक रिक्शे वाले ने वाराणसी के अन्य मंदिरों के दर्शन कराकर वाराणसी सिटी स्टेशन पर छोड़ दिया यह भी काफी सुथरा स्टेशन था, किसी जमाने में यह मीटर गेज का ही स्टेशन था जिसकी कुछ निशानियाँ आज भी हमें यह एहसास करा ही देती हैं, और मुंबई एक्सप्रेस पकड़कर हम वापस जंक्शन स्टेशन पहुंचे । इसके बाद माँ तो वेटिंग रूम में ही सो गईं और मैं एक पैसेंजर ट्रेन पकड़कर सारनाथ पहुँच गया जिसका विवरण अगली पोस्ट में होगा। यहीं से हमारा रिजर्वेशन मरुधर एक्सप्रेस में था जो यहाँ से शाम को साढ़े पांच बजे खुलती है। और अगली सुबह हम आगरा वापस आ गए। कुलमिलाकर हमारी पहली काशी यात्रा बहुत ही शानदार रही ।
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इलाहाबाद स्टेशन |
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स्टेशन पर खड़े परीक्षार्थी |
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इलाहाबाद |
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पिछली बार यहाँ तक था, संगम |
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मेरी माँ |
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वाराणसी रेलवे स्टेशन |
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कशी विश्वनाथ मंदिर द्धार |
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दुर्गा माता मंदिर |
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त्रिदेव मंदिर |
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रामचरित मानस मंदिर |
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वाराणसी का एक माल |
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मुजरा घर |
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वाराणसी सिटी स्टेशन |
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VARANASI CITY RAILWAY STATION |
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MY MOTHER ON VARANASI RAILWAY STATION |
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VARANASI CITY RAILWAY STATION |
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VARANASI CITY STATION |
अगला भाग - सारनाथ यात्रा
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