Friday, February 29, 2008

ओरछा दर्शन



ओरछा दर्शन 

       मैं और माँ रात को तमिलनाडु एक्सप्रेस से सुबह तक झाँसी पहुँच गए, यहाँ हमारे एक जानकार बाबू रहते हैं जो किसी समय रेलवे में ड्राईवर थे आज रिटायर हो चुके हैं। आज उनकी स्वर्गवासी दादी का काज्य था, हम उसी मैं शामिल होने गए थे, शाम को दावत खाकर हम रात को झाँसी में ही रूक गए पर इस बीच मैं अकेला जाकर झाँसी का किला देख आया। सुबह हम यहाँ से एक ऑटो द्वारा ओरछा पहुँच गए, यह बेतबा नदी के किनारे एक हिन्दू तीर्थस्थान है जहाँ भगवान श्री राम का रामलला के नाम से विख्यात मंदिर है। 


    कहा जाता है कि यहाँ वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने कुछ समय यहाँ बिताया था, इसके अलावा यहाँ एक जहांगीर का महल है जो देखने लायक है। ओरछा में काफी ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जो भारतीय इतिहास में काफी महत्त्व रखते हैं। इनके अलावा यहाँ बेतबा नदी का सुन्दर दृश्य है जिसमे स्नान करने के लिए मैं काफी बेताब था। 
   
       बेतवा में नहाने का एक अपना ही मजा है मैं काफी देर तक इसमें नहाता रहा। नहाने के बाद हम दुबारा रामलला के दर्शन करने पहुंचे, इसके अलावा यहाँ एक हरदौल जी का मंदिर है जिनकी समाधी यहाँ से कुछ ही दूरी पर थी। हरदौल जी यहाँ के लोकदेवता कहलाते हैं। बुंदेलखंडी लोग बुंदेली भाषा में अपनी रीति रिवाजों से उनका गुणगान करते हैं। हरदौल जी के भात के नाम से कैसेट और सीडीज भी बाजार में उपलब्ध हैं जिनमें हरदौल जी सम्बंधित कथा का विवरण है। 

ओरछा से कुछ ही दूरी पर इसका रेलवे स्टेशन भी बना हुआ है। इस समय कोई भी ट्रैन यहाँ से झाँसी जाने के लिए नहीं थी इसलिए हम ऑटो द्वारा ही झाँसी स्टेशन पहुंचे जहाँ से ताज एक्सप्रेस द्वारा हम अपने आगरा के लिए रवाना हो गए। 

मेरी  माँ बेतबा के किनारे 

और मैं भी 
* झाँसी किला 

वीरांगना लक्ष्मीबाई 

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