Friday, September 29, 2017

Kusum Sarovar


गोवर्धन परिक्रमा एवं कुसुम सरोवर

कुसुम सरोवर 


       अभी कुछ ही दिनों पहले मेरी कंपनी का गोवर्धन क्षेत्र में एक इवेंट लगा जिसकी मुनियादी गोवेर्धन क्षेत्र के आसपास कराई जानी थी जिसकी जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई। मैंने एक टिर्री बुक की, जिसमे स्पलेंडर बाइक फिट थी और पीछे आठ दस सवारियों के बैठने की जगह थी। इस टिर्री के साथ मैंने मुनियादी करने  के लिए  गोवर्धन परिक्रमा क्षेत्र को चुना। मौसम आज सुहावना था, सुबह सुबह खूब तेज बारिश पड़ी इसलिए मौसम में काफी ठंडक भी थी। गोवर्धन का परिक्रमा मार्ग कुल 21 किमी का है जो  दो भागों में विभाजित है बड़ी परिक्रमा और छोटी परिक्रमा। बड़ी परिक्रमा कुल चार कोस की है, मतलब 12 किमी और छोटी 3 कोस की मतलब 9 किमी की।   

Monday, September 18, 2017

SHANTANU KUND




शांतनु कुंड -  एक पौराणिक स्थल , सतोहा 


         भगवान श्री कृष्ण की ब्रजभूमि में ऐसे कई स्थान हैं जिनका सीधा सम्बन्ध या तो इतिहास से है और सर्वाधिक पुराणों से है। मैंने सभी पुराण तो नहीं पढ़े हैं परन्तु रामायण और श्रीमद भागवत का अध्ययन और श्रवण कई बार किया है, इसलिए मुझे उन स्थानों पर जाने और उन्हें देखने में विशेष रूचि है। आज ऐसे ही एक स्थान पर मैं कंपनी की गाडी क्विड से नीरज के साथ मथुरा के सतोहा ग्राम में पहुंचा जहाँ एक पौराणिक कुंड ब्रज की अनमोल धरोहर है। इस कुंड का नाम महाभारत युद्ध से पूर्व हिस्तनापुर के सम्राट महाराज शांतनु के नाम पर है। माना जाता है कि महाराज शांतनु ने इस स्थान पर रहकर तपस्या की थी।

Sunday, September 3, 2017

Ramtal




रामताल - एक पौराणिक स्थल 



        अभी कुछ ही दिनों पहले सुर्खियों में एक खबर आई थी कि वृन्दावन के सुनरख गाँव के पास एक कुंड मिला है जिसका नाम रामताल है , बताया जाता है कि ये 2500 बर्ष से भी पुराना है और उसी समय की काफी वस्तुएं भी पुरातत्व विभाग को वहां खुदाई के दौरान मिली। पुरातत्व विभाग ने यहाँ उत्खनन सन 2016 में शुरू कराया तो एक प्राचीन और पौराणिक धरोहर के रूप में रामताल को जमीन के अंदर पाया। यह खबर सुनकर मेरा मन भी बैचैन हो उठा और आखिरकार मैं भी रामताल देखने निकल पड़ा। हालाँकि ड्यूटी पर ही था किसी काम से कंपनी की गाडी लेकर मैं और नीरज वृन्दावन आये और यहीं से हम रामताल पहुंचे।

Saturday, September 2, 2017

Kans Fort : Mathura


कंस किला और वेदव्यास जी का जन्मस्थान


     कई बार सुना था कि मथुरा में कहीं कंस किला है, पर देखा नहीं था। आज इरादा बना लिया था कि जो चाहे हो देखकर रहूँगा। मैं अपनी बाइक से मथुरा परिक्रमा मार्ग पर गया और पाया कि आज ब्रज की अनमोल धरोहरों का आज मैं अकेला अवलोकन कर रहा हूँ। सबसे पहले मेरी बाइक चक्रतीर्थ पहुंची जहाँ भगवान शिव् का भद्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन हुए और मंदिर के ठीक सामने चक्रतीर्थ स्थित है। इसके बाद कृष्ण द्वैपायन भगवान वेदव्यास जी की जन्मस्थली पहुंचा। यहाँ भी सुन्दर घाट बने हुए थे पर अफ़सोस यमुना यहाँ से भी काफी दूर चली गई थी और यमुना में से निकली एक नहर इन घाटों को छूकर निकल रही थी।

Tuesday, August 29, 2017

DAUJI TEMPLE : HATHRAS



देवछठ - श्री दाऊजी महाराज का प्रसिद्ध ऐतिहासिक मेला,  हाथरस यात्रा 


     आज मेरा मूड ज्यादा खराब था इसलिए ऑफिस नहीं गया, बस यूही बाइक उठाई और घर से निकल गया। ये नहीं पता था कि जाना कहाँ है। चलते चलते मन में विचार आया कि बिजली का बिल ही आज जमा कर आऊं, सीधे एटीएम पहुँचा और फिर बिजली विभाग के दफ्तर। यहाँ बहुत लम्बी लाइन लगी हुई थी, यह देखकर मोबाइल पर मौका आजमाया। मौका बिलकुल फिट बैठा,  लो... जी हो गया पहलीबार ऑनलाइन बिल जमा। अब किसी लाइन में लगने की कोई जरुरत ही नहीं थी।

Wednesday, August 16, 2017

TELANGANA EXP 2017 : HYD TO MTJ

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तेलंगाना एक्सप्रेस  - हैदराबाद  से  मथुरा जंक्शन 

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       रात को साढ़े ग्यारह बजे काचीगुड़ा पैसेंजर ने हमें काचेगुड़ा स्टेशन पर उतारा। यह स्टेशन काफी साफ़ स्वच्छ और बड़ा था। स्टेशन के बाहर आते ही ऑटो वालों ने मुझे पकड़ लिया,   बोले -  बताइये सर कहाँ चलना है मैंने कहा हैदराबाद डेक्कन रेलवे स्टेशन। रात का समय था इसलिए सौ रूपये में ऑटो बुक हो गया और हैदराबाद के आलिशान सड़कों पर घूमते हुए एकांत में बने हैदराबाद के मुख्य स्टेशन पहुंचे। वैसे हैदराबाद का सबसे मुख्य स्टेशन सिकंदराबाद है, हैदराबाद तो टर्मिनल स्टेशन है जहाँ से आगे कोई ट्रैन नहीं जाती।

Tuesday, August 15, 2017

PASSENGER : MARKAPUR TO KACHEGUDA

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आंध्र प्रदेश में एक सैर - काचेगुड़ा पैसेंजर यात्रा 




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        श्रीशैलम में जिओ का नेटवर्क न होने की वजह से मुझे अपना आगे का सफर तय करना मुश्किल हो गया और मैंने अपने लिए गलत राह चुन ली। ये गलत राह थी श्रीशैलम बस स्टैंड से हैदराबाद की टिकट न लेकर मार्का पुर की टिकट ले लेना। सुबह चार बजे हमारी बस श्रीशैलम से मार्कापुर की तरफ निकल पड़ी। सुबह सात बजे जब मैं मार्कापुर पहुँचा, तो यहाँ जिओ के नेटवर्क थे। मैंने रेलवे के ऍप्स पर देखा तो पता चला मार्का पुर से हैदराबाद के लिए एक ही पैसेंजर ट्रैन थी जो रात ग्यारह बजे हमें काचेगुड़ा उतार रही थी। यानी कि हैदराबाद की विजिट कैंसिल होनी ही थी।

Monday, August 14, 2017

SHRISHAILAM : MALLIKARJUN JYOTIRLING

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श्री शैलम - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 




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          हम तिरुपति से रात को दस बजे बस से निकले थे, पूरे दिन की थकान होने की वजह से बस में नींद अच्छी आई। बस भी सुपर लक्सरी थी इसलिए कम्फर्ट भी काफी रहा, बस पैर लम्बे नहीं हो पाए थे। पूरी रात आंध्र प्रदेश में चलते हुए सुबह हमारी बस एक होटल पर चाय पानी के लिए रुकी। यहाँ से कुछ दूरी पर ही श्रीशैलम के लिए रास्ता अलग होता है। डारनोटा से एक रास्ता श्रीशैलम के लिए जाता है और यहीं से घाट भी शुरू हो जाते हैं। ऊँचे ऊँचे पहाड़ों के घुमावदार रास्तों को ही घाट कहा जाता है। यह रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता है, जगह जगह वन्यजीवों के बोर्ड भी यहाँ देखने को मिलते हैं। करीब आठ नौ बजे तक हम श्रीशैलम पहुँच गए। बस ने हमें बस स्टैंड पर उतारा। यहाँ हमें आगरा के एक सज्जन भी मिले जो परिवार सहित श्रीशैलम के दर्शन करने आये हुए थे, उनके साथ मैं भी किसी होटल में रुकने का इंतज़ाम देखने निकल पड़ा।

Sunday, August 13, 2017

TIRUPATI BALAJI 2017

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तिरुपति बालाजी - तिरुमला पर्वत 




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        सुबह चार बजे रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में नहा धोकर हम तैयार हो गए और स्टेशन के बाहर आकर तिरुमला जाने वाली बस में बैठ लिए। यहाँ से APSRTC की बसें हर दो मिनट के अंतराल पर तिरुमला के लिए चलती हैं। तिरुमला एक ऊँचा पर्वत शिखर है जिसपर तिरुपति बालाजी का भव्य मंदिर स्थित है। कुल सात पहाड़ों की ये तिरुमला पर्वत श्रृंखला कुछ इस प्रकार है की देखने में यह भगवान् वेंकटेश्वर ( बालाजी ) के चेहरे के आकर का है। बस कुछ दूर बालाजी बस स्टैंड पर जाकर रुकी, यहाँ से हमें 96 रूपये पर सवारी के हिसाब आने जाने की टिकट मिली जो तिरुमला जाने वाली हर बस में वैध थी।  

Friday, August 11, 2017

KERLA EXPRESS 2017: MTJ TO TIRUPATI

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केरला एक्सप्रेस  - मथुरा से तिरुपति



         केरला एक्सप्रेस जैसी ट्रेन में कन्फर्म सीट पाने के लिए रिजर्वेशन कई महीने पहले ही कराना होता है और ऐसा ही मैंने भी किया। इसबार मानसून की यात्रा का विचार साउथ की तरफ जाने का था, मतलब तिरुपति बालाजी। चेन्नई के पास ही हैं लगभग थोड़ा बहुत ही फर्क है, उत्तर से दक्षिण जाने में जो समय चेन्नई के लिए लगता है वही समय तिरुपति जाने के लिए भी लगता है। इसके लिए जरुरी है कि अगर आप ट्रेन से जा रहे है तो आपकी टिकट कन्फर्म हो। मैंने अप्रैल में ही रिजर्वेशन करवा लिया था और मुझे तीनो सीट कन्फर्म मिली। अब इंतज़ार यात्रा की तारीख आने का था और जब यह तारीख आई तो एक सीट मैंने कैंसिल करदी। अब मैं और माँ ही इस सफर के मुसाफिर थे।

Sunday, July 30, 2017

BHANGARH FORT 2017

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भानगढ़ - प्रसिद्ध हॉन्टेड पैलेस 

भानगढ़ 


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     अजबगढ़ से निकलते ही शाम हो चली थी, घडी इसवक्त चार बजा रही थी और अभी भी हम भानगढ़ किले से काफी दूर थे।  सुना है इस किले में सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के पश्चात प्रवेश करना वर्जित है। अर्थात हमें यह किला दो घंटे के अंदर घूमकर वापस लौटना था। मैंने सोचा था कि भानगढ़ किला भी अजबगढ़ की तरह वीरान और डरावना सा प्रतीत होता होगा परन्तु जब यहाँ आकर देखा तो पता चला कि इस किले को देखने वाले हम ही अकेले नहीं थे, आज रविवार था और दूर दूर से लोग यहाँ इस किले को देखने आये हुए थे। किले तक पहुँचने वाले रास्ते पर इतना जाम था कि लग रहा था कि हम किसी किले की तरफ नहीं बल्कि किसी बिजी रास्ते पर हों।

AJABGARH FORT 2017

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अजबगढ़ की ओर 


AJABGARH FORT


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     नारायणी मंदिर से निकलते ही मौसम काफी सुहावना हो चला था। आसमान में बादलों की काली घटायें छाई हुईं थीं। बादल इसकदर पहाड़ों को थक लेते थे कि उन्हें देखने से ऐसा लगा रहा था जैसे हम अरावली की वादियों में नहीं बल्कि हिमालय की वादियों में आ गए हों। घुमावदार पहाड़ी रास्तों पर बाइक अपने पूरे वेग से दौड़ रही थी, यहाँ से आगे एक चौराहा मिला जहाँ से एक रास्ता भानगढ़ किले की तरफ जाता है और सामने की ओर सीधे अजबगढ़,  जो यहाँ से अभी आठ किमी दूर था। 

NARAYANI TEMPLE 2017

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नारायणी माता मंदिर - नारायणी धाम



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    टहला से अजबगढ़ जाते समय हम एक ऐसे स्थान पर आकर रुके जहाँ चारों और घने पीपल के वृक्ष थे, यह एक चौराहा था जहाँ से एक रास्ता नारायणी माता के मंदिर के लिए जाता है जो यहाँ से कुछ ही किमी दूर है। हमने सोचा जब ट्रिप पर निकले ही हैं तो क्यों ना माता के दर्शन कर लिए जाएँ और यही सोचकर हम नारायणी धाम की तरफ रवाना हो गए। यहाँ अधिकतर लोग लोकल राजस्थानी ही थे और इन लोगों में नारायणी माता की बड़ी मान्यता है। आज यहाँ मेला लगा हुआ था, काफी भीड़ भी थी और तरह तरह की दुकाने भी लगी हुईं थी।

TAHLA FORT 2017

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टहला किला का एक दृशय 

टहला फोर्ट 



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     कुम्हेर का किला देखने के बाद हमने मोबाइल में आगे का रास्ता देखा, इस वक़्त हम भरतपुर से डीग स्टेट हाईवे पर खड़े थे, यहाँ से कुछ आगे एक रास्ता सिनसिनी, जनूथर होते हुए सीधे नगर को जाता है, जोकि शॉर्टकट है अन्यथा हाईवे द्वारा डीग होकर नगर जाना पड़ता, जो की लम्बा रास्ता है। हम सिनसिनी की तरफ रवाना हो लिए और जनूथर पहुंचे, जनूथर से नगर 22 किमी है। नगर पहुंचकर हम बस स्टैंड पर जाकर रुक गए। यहाँ हमने गर्मागरम जलेबा खाये।  

KUMHER FORT 2017

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कुबेर नगरी - कुम्हेर 


       अबकी बार मानसून इतनी जल्दी आ गया कि पता ही नहीं चला, पिछले मानसून में जब राजस्थान में बयाना और वैर की मानसून की यात्रा पर गया था, और उसके बाद मुंबई की यात्रा पर, ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो। वक़्त का कुछ पता नहीं चलता, जब जिंदगी सुखमय हो तो जल्दी बीत जाता है और गर दिन दुखमय हों तो यही वक़्त कटे नहीं कटता है। खैर अब जो भी हो साल बीत चुका है और फिर मानसून आ गया है, और मानसून को देखकर मेरा मन राजस्थान जाने के लिए व्याकुल हो उठता है। इसलिए अबकी बार भानगढ़ किले की ओर अपना रुख है, उदय के साथ एक बार फिर बाइक यात्रा।

        आज रविवार था, मैं और उदय कंपनी से छुट्टी लेकर सुबह ही मथुरा से राजस्थान की तरफ निकल लिए और सौंख होते हुए सीधे राजस्थान में कुबेर नगरी कुम्हेर पहुंचे। यह मथुरा से 40 किमी दूर भरतपुर जिले में है। कहा जाता है कि यह नगरी देवताओं में धन के देवता कुबेर ने बसाई थी, वही कुबेर जो रावण के सौतेले भाई थे। यहाँ एक विशाल किला है जो नगर में घुसते ही दूर से दिखाई देता है। भानगढ़ की तरफ जाते हुए सबसे पहले हम इसी किले को देखने के लिए गए। किले के मुख्य रास्ते से न होकर हम इसके पीछे वाले रास्ते से किले तक पहुंचे जहाँ हमे एक जल महल भी देखने को मिला।

Saturday, July 15, 2017

Raskhan Tomb



रसखान समाधि 

     महावन घूमने के बाद रमणरेती की तरफ आगे ही बढ़ा था कि रास्ते में एक बोर्ड लगा दिखाई दिया, और उसी बोर्ड की लोकेशन पर मैं भी चल दिया। आज मेरी गाडी घने जंगलों के बीच से निकलकर उस महान इंसान की समाधि पर आकर रुकी जिनके नाम को हम इतिहास में ही नहीं बल्कि अपनी हिंदी की किताब में भी बचपन से पढ़ते आ रहे थे और वो थे कृष्ण भक्त रसखान। आज यहाँ एकांत में रसखान जी की समाधी देखकर थोड़ा दुःख तो हुआ पर ख़ुशी भी हुई कि आज एक ऐसे भक्त के पास आया हूँ जिसने मुसलमान होते हुए भी भगवन कृष्ण की वो भक्ति पाई जो शायद कोई दूसरा नहीं पा सका। 

महावन - पुराना गोकुल




महावन - पुराना गोकुल 

     यूँ तो मथुरा में रहते हुए काफी समय हो गया था पर अपना शहर घूमने का कभी वक़्त ही नहीं मिला, आज मिला तो गोकुल की तरफ निकल गया। गोकुल बैराज से उतरते ही जो गोकुल दिखाई देता है वो नया बसा हुआ गोकुल है पर कहा जाता है महावन स्थित गोकुल ही असली और पुराना गोकुल है। इसलिए मैं भी अपनी बाइक से महावन गया और हर उस स्थान को देखा जो भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थलियों से जुड़ा है आइये आपको भी उन स्थानों का भ्रमण कराता हूँ।  

Sunday, July 2, 2017

BIKE TRIP 2017 : DDN TO MTJ

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देहरादून घंटाघर और वापसी


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            नीलकंठ से लौटने के बाद अब हमारा प्लान मसूरी जाने का बना इसके लिए देहरादून पहुँचना जरुरी था, इसलिए हम सबसे पहले ऋषिकेश बस स्टैंड पहुँचे। यहाँ पहाड़ों में ऊपर जाने वाली बसें भी खड़ी हुई थी और कुछ बसें दिल्ली जाने के लिए भी खड़ी हुई थी। तभी  देहरादून की एक बस आई, साधना , भरत और मामी जी बस में चढ़ गए और मैं अपनी बाइक से देहरादून की तरफ रवाना हो गया। रास्ता शानदार था और घने जंगलों के बीच से होकर गुजरता है। डोईवाला के बाद जंगल समाप्त हो जाते हैं, और देहरादून का शहरीय क्षेत्र शुरू हो जाता है।

NEELKANTH MAHADEV : RISHIKESH

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नीलकंठ महादेव और लक्ष्मण झूला

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           पिछले दो दिनों से लगातार बाइक चला रहा था और रात को गंगाजी के किनारे से भी थोड़ा लेट लौटा था इसलिए सुबह जल्दी आँख नहीं खुली और साढ़े छ बजे तक सोता ही रहा। मोबाइल रात को चार्जिंग में लगा दिया था इसलिए फुल चार्ज हो गया था। धर्मशाला के सामने ही गंगा जी थीं फटाफट नहाधोकर तैयार हो गया। गत रात्रि से अब सुबह गंगाजी का बहाब काफी तेज हो गया था और पानी भी काफी ठंडा था, इससे लगता है ऊपर पहाड़ों में काफी तेज बारिश हुई होगी। यहाँ के स्थानीय लोगों ने भी बताया था कि इस वक़्त पहाड़ों में तेज बारिश हो रही है, पहाड़ फिसलने का भी डर है। इसलिए बद्रीनाथ जाने का विचार अगली बार पर छोड़ दिया और नीलकंठ जाने का विचार बनाया।
 

Saturday, July 1, 2017

RISHIKESH 2017

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ऋषिकेश धाम - वर्ष 2017 


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     चीला के रास्ते हम हरिद्धार से ऋषिकेश पहुंचे। साधना ऑटो के जरिये हमसे पहले ही पहुँच गई थी। ऋषिकेश साधु संतो की तपोस्थली है और उत्तराखंड के चारों धामों की तरफ जाने का प्रवेश द्वार है। चूँकि हरिद्धार को ही हरि का द्धार माना जाता है क्योंकि भगवान विष्णु का धाम बद्रीनाथ, भगवान शिव का धाम केदारनाथ दोनों ही जगह जाने के लिए यात्रा हरिद्धार से ही शुरू होती है ,परन्तु पहाड़ो पर चढ़ाई ऋषिकेश से ही शुरू होती है। आज ऋषिकेश का मौसम मनभावक हो रहा था, यहाँ ऊँचे ऊँचे पहाड़ों को देखकर एक बार तो दिल में आया कि अभी इन पहाड़ों पर चला जाऊं, परन्तु अभी हमें ऋषिकेश भी घूमना था।
   
     सबसे पहले हम त्रिवेणी घाट पहुंचे। यह एक सुन्दर और मनोहर घाट है जहाँ सामने कल कल करती हुई गंगा बहती है और उस पार हरे भरे पहाड़ देखने को मिलते हैं। हम काफी देर यहाँ रुके।यहाँ एक भगवत कथा का आयोजन भी था, गंगा के किनारे देवो की स्थली में भागवत कथा का श्रवण किस्मत से ही मिलता है ।  यहाँ घाट पर ही पार्किंग भी है जहाँ मेरी बाइक निःशुल्क खड़ी हुई। यहीं मैंने अपनी बाइक को भी गंगा स्नान भी कराया। शाम को आरती का वक़्त हो चला था काफी संख्या में लोग यहाँ एकत्र होने लगे। हमें यहाँ से अब रामझूला की तरफ निकलना था.

HARIDWAR 2017

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मायानगरी हरिद्धार में 


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      स्टेशन से लौटकर सबसे पहले हमने एक धर्मशाला में दो कमरे लिए। यह दो सौ रूपये प्रति कमरे के हिसाब से थे। मोबाईल चार्ज करके हम हर की पैड़ी की तरफ चल दिए। गंगा आरती का समय हो चुका था पर जब तक हम वहां पहुंचे आरती हो चुकी थी। यह शुभ मौका मैं खोना नहीं चाहता था परन्तु किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता। आज भी गंगा आरती देखना मेरे नसीब में नहीं थी। मैंने बाइक एनाउंसमेंट ऑफिस के बाहर खड़ी कर दी और गंगा स्नान करने घाट पर आ गया बाकी सभी लोग सुबह नहाएंगे। गंगा स्नान कर वापस हम धर्मशाला की तरफ चल दिए अब खाने का और सोने का समय हो चला था। धर्मशाला में बाइक खड़ी नहीं हो सकती थी इसलिए उसे मैं रेलवे स्टेशन पर स्टैंड पर खड़ी कर आया।

Friday, June 30, 2017

BIKE TRIP 2017 : MTJ TO HW

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मथुरा से हरिद्धार बाइक यात्रा

     मानसून का मौसम शुरू हो चुका था, मन में कई दिनों से इसबार बाइक से कहीं लम्बा सफर करने का मन कर रहा था परन्तु केवल पहाड़ों की तरफ। मेरे मन में इसबार नैनीताल जाने का विचार बना पर तभी आगरा से साधना ( मेरी ममेरी बहिन ) का फोन आया और उसने हरिद्वार जाने की इच्छा जाहिर की। मैं हरिद्धार पहले भी कई बार जा चुका हूँ परन्तु वह पहली बार हरिद्धार जा रही थी इसलिए नैनीताल जाने का विचार कैंसिल और हरिद्धार का प्लान पक्का। हालाँकि मैं इस बार बाइक से ही यात्रा करना चाहता था इसलिए मैंने इस यात्रा को थोड़ा और आगे तक बढ़ाने का विचार बनाया मतलब बद्रीनाथ जी तक।

Friday, April 14, 2017

A Train Trip in Gir National Park: Gujrat

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गिर नेशनल पार्क में एक रेल यात्रा


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       सोमनाथ और उसकी आसपास के सभी दर्शनीय जगहों को देखकर हम वेरावल रेलवे स्टेशन पहुंचे। अब हमारा प्लान यहाँ से भावनगर जाने की ओर था, जिसके लिए हमें मीटर गेज की पैसेंजर ट्रैन पकड़नी थी जो वेरावल से ढसा तक जाती है। मैं रूट का पूरा रास्ता पहले ही चुका था। यह ट्रेन यहाँ से लगभग दो बजे चलेगी इसलिए सबसे पहले मैं वेरावल के बाजार में अपनी सेविंग बनबाने गया और फिर वेरावल का बाजार घूमा। जैसा सोचा था वैसा शहर नहीं था, समुद्र के किनारे होने की वजह से मछलियों की अच्छी खासी गंध आ रही थी। सड़कों पर पानी के जहाज बनकर तैयार हो रहे थे। सोमनाथ आने के लिए यह पहले आखिरी स्टेशन था परन्तु अब ट्रेन सीधे सोमनाथ तक ही जाती है, इसलिए यात्रियों का यहाँ अभाव भी था।

SOMNATH JYOTIRLING 2017

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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और भालुका तीर्थ 




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      शाम को द्धारिका से सोमनाथ के लिए हमारा सोमनाथ एक्सप्रेस में रिजर्वेशन था। निर्धारित समय पर ट्रैन द्धारिका से प्रस्थान कर गई, रात को करीब एक बजे मीडिल वाली बर्थ पर सो रही एक लड़की का पर्स किसी ने खिड़की में से पार कर दिया, इस पर वो बहुत घबरा गई और उसने हमारे साथ साथ और भी यात्रियों की नींद खराब कर दी और गुजरात के लोगों को भला बुरा कहने लगी। एक गुजराती से ये सहा नहीं गया और उससे कहने लगा कि मैडम आप कहाँ से आई हो तो लड़की ने जबाब दिया की कालका से।

    दरअसल वो हिमाचली लड़की थी तो गुजराती ने बड़े प्यार से उसे समझाया कि मैडम चोरों का कोई राज्य या धरम नहीं होता, वो कहीं पर भी अपना हाथ साफ़ कर सकते बस उन्हें एक मौका चाहिए। गुजरात में ऐसा नहीं है कि आप यहाँ असुरक्षित महसूस करो पर सतर्कता भी कोई चीज़ है। अगला स्टेशन जूनागढ़ आया और पुलिस में शिकायत लिखवाने हेतु वो यहाँ उतर गई तब जाकर हमने दुबारा अपनी नींद पूरी की।

Thursday, April 13, 2017

NAGESHWAR JYOTIRLING 2017

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दारुका वन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 


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    द्धारिकाधीश जी के दर्शन के बाद हमने एक ऑटो किराये पर लिया और नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर प्रस्थान कर दिया। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, द्धारिका से करीब 25 किमी दूर है और एक जंगली क्षेत्र में स्थित है इसे ही दारुका वन कहते हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ने प्रवेश करते ही हमें भगवान शिव विशाल मूर्ति के दर्शन होते हैं। यहाँ हमारी मुलाकात मेरे गांव के चाचाजी व उनके पुत्र ध्रुव से हो गई। ध्रुव भी मेरी तरह अपने पिता जी को बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन करा रहा था। फेसबुक के जरिये उसे पता चल गया कि मैं भेंट द्धारिका के दर्शन करके लौटा हूँ उस समय वो सोमनाथ जी के दर्शन करके लौटा था।
             
     उसने मुझे फोन पर मेरी लोकेशन ली मैंने उसे बताया कि मैं द्धारिका में हूँ और वो भेंट द्धारिका के दर्शन करके लौट रहा था तब हमने नागेश्वर में मिलने का फैसला किया। नागेश्वर जी के बिना किसी असुविधा के दर्शन कर हम वापस द्धारिका वापस आ गए। रास्ते में रेलवे फाटक हमें बंद मिला, फाटक खुलने के बाद हम रुक्मणि मंदिर के दर्शन करने गए।

DWARIKA 2017

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गोमती द्धारिका या मुख्य द्धारिका 



 
 



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     भेंट द्धारिका के दर्शन कर हम वापस ओखा रेलवे स्टेशन आ गए, शाम के साढ़े सात बज रहे थे यहाँ से मुख्य द्वारिका करीब तीस किमी दूर है। सोमनाथ जाने वाली एक्सप्रेस द्धारिका जाने के लिए तैयार खड़ी थी, हमने जल्दी से टिकट ली और द्धारिका की तरफ प्रस्थान किया, कुछ देर बाद हम द्धारिका स्टेशन पर थे। यहाँ मैंने पहले ही डोरमेट्री बुक कर रखी थी, डोरमेट्री में कुल पाँच बिस्तर थे और पाँचो बिस्तर हमने अपने लिए ही बुक कर रखे थे यानी पूरी डोरमेट्री आज हमारी ही थी।

BHENT DWARIKA 2017

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भेंट द्धारिका की तरफ 


आखिरी रेलवे स्टेशन - ओखा 



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         द्धारिका के नाम से ही काफी शानदार रेलवे स्टेशन बना हुआ है जितने भी तीर्थयात्री हमारे साथ द्धारिका आये थे वे सभी यहीं उतर गए और ट्रेन एकदम खाली हो चुकी थी। परन्तु मेरे रूट के अनुसार हमें द्धारिका से पहले भेंट द्धारिका जाना था और वहां जाने के लिए नजदीकी और आखिरी स्टेशन ओखा था। भारत के कोने कोने से द्धारिका आने वाली ट्रेनों का आखिरी स्टेशन ओखा है, इससे आगे जाने के लिए अब भूमि नहीं बची थी, था तो सिर्फ अथाह सागर और चारों तरफ नीले आसमान के नीचे नीला समुद्री जल।

Wednesday, April 12, 2017

DWARIKA TRIP 2017 : MATHURA TO DWARIKA


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द्धारिका यात्रा 

पहला पड़ाव - जयपुर 




     चार धामों में से एक और सप्तपुरियों में से भी एक भगवान श्री कृष्ण की पावन नगरी द्धारिका की यह मेरी पहली यात्रा थी जिसमे मेरे साथ मेरी माँ, मेरी छोटी बहिन निधि, मेरी बुआजी बीना और मेरे पड़ोस में रहने वाले भाईसाहब और उनकी फेमिली थी।  मैंने जयपुर - ओखा साप्ताहिक एक्सप्रेस में रिजर्वेशन करवाया था इसलिए हमें यह यात्रा जयपुर से शुरू करनी थी और उसके लिए जरूरी था जयपुर तक पहुँचना।


मुड़ेसी रामपुर से भरतपुर जंक्शन पैसेंजर यात्रा 

     हमारे पड़ोस में रहने वाले एक भाईसाहब अपनी जायलो से हमें मुड़ेसी रामपुर स्टेशन तक छोड़ गए यहाँ से हमें मथुरा - बयाना पैसेंजर मिली जिससे हम भरतपुर उतर गए। भरतपुर से जयपुर तक हमारा रिजर्वेशन मरुधर एक्सप्रेस में था जो आज 2 घंटे की देरी से चल रही थी ,चूँकि पिछली पोस्ट में भी मैंने बताया था कि भरतपुर एक साफ़ सुथरा और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर स्टेशन है।  यहाँ का केवलादेव पक्षी विहार पर्यटन क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है जहाँ आपको दूर देशों के पक्षी भी विचरण करते हुए देखने को मिलते हैं,|इसी की एक झलक भरतपुर स्टेशन की दीवारों पर चित्रकारी के माध्यम से हमें देखने को मिलती है।

Sunday, March 26, 2017

MEHRANGARH FORT : JODHPUR

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
मेहरान गढ़ की ओर

मेहरानगढ़ किला 


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       शाम को पांच बजे तक सिंधी कैंप बस स्टैंड आ गया यहाँ से गोपाल ने एक डीलक्स बस में मेरी टिकट ऑनलाइन करवा दी थी जिसके चलने का समय शाम सात बजे का था, काफी पैदल चलने की वजह से मैं काफी थक चुका था इसलिए बस में जाकर अपनी सीट देखी, यह स्लीपर कोच बस थी मेरी ऊपर वाली सीट थी उसी पर जाकर लेट गया। ट्रेन की अपेक्षा बस मे ऊपर वाली सीट मुझे ज्यादा पसंद है क्यूंकि बस की ऊपर वाली सीट में खिड़की होती है। 
         मैंने गोपाल को फोनकर बस के जोधपुर पहुंचने का टाइम पुछा उसने बताया रात को 2 बजे।  उसी हिसाब से अलार्म लगाकर मैं सो गया और फिर ऐसी नींद आयी की सीधे बाड़मेर से सत्तर किमी आगे डोरीमन्ना में जाकर खुली, जोधपुर और बाड़मेर कबके निकल चुके थे मैंने बस वाले से पुछा भाई हम कहाँ हैं मुझे तो जोधपुर उतरना था तुमने जगाया क्यों नहीं। वह मेरी तरफ ऐसा देख रहा था जैसे मैंने को महान काम कर दिया हो, उसने मुझसे कहा की आधा घंटा और सोते रहते तो पाकिस्तान पहुँच जाते। 

AMER FORT : JAIPUR

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आमेर किले की ओर 

आमेर का किला 


     मुंबई से लौटे हुए अब काफी समय हो चुका था इसलिए अब मन नई यात्राओं की तैयारी कर रहा था बस जगह नहीं मिल रही थी, यूँ तो कुछ दिन बाद द्धारका यात्रा का प्लान तैयार था परन्तु उसमे अभी काफी समय था, मन बस अभी जाना चाहता था और ऐसी जगह जहाँ कुछ देखा न हो। काफी सोचने के बाद मुझे मेरे भाई गोपाल की याद आई जो इन दिनों जोधपुर में था, गर्मी के इस मौसम में रेगिस्तान की यात्रा ......... मजबूरी है।

शाम को घर जाकर जोधपुर हावड़ा एक्सप्रेस में रिजर्वेशन करवाया और यात्रा शुरू। शाम को मेवाड़ एक्सप्रेस पकड़कर भरतपुर पहुँच गया और ट्रेन का इंतज़ार करने लगा। 

Sunday, February 26, 2017

KOKILAVAN



श्री शनिदेव धाम - कोकिलावन 


       आज शनिवार है और 25 फरवरी भी। आज मेरी ऑफिस की छुट्टी थी और कल मेरी शादी की सालगिरह थी इसलिए कल तो कहीं जा न सका पर आज की इस छुट्टी को बेकार नहीं जाने देना चाहता था। कल्पना ने और मैंने श्री राधारानी के दरबार में जाने का विचार बनाया और हम चल दिए अपनी एवेंजर बाइक लेकर ब्रज की एक अनोखी सैर पर।

      सबसे पहले हम माँ नरी सेमरी के द्वार पहुंचे, यह ब्रज की कुलदेवी हैं और नगरकोट वाली माँ का ही दूसरा रूप हैं यह यहाँ कैसे पधारीं इसका वरन आपको जल्द ही अगले ब्लॉग में जानने को मिल जायेगा। यहाँ आगे से हम  सीधे कोसीकलां पहुंचे यह उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा पर स्थित मथुरा जनपद का आखिरी क़स्बा है यहीं से एक रास्ता कोकिलावन, नंदगाँव, बरसाना  होते हुए गोवर्धन को जाता है।

Monday, November 28, 2016

BRAHMAND GHAT : GOKUL



ब्रह्माण्डघाट

     भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया और मथुरा की भूमि पर अनगिनत लीलाएं की।  इनकी लीलाओं से जुड़े अनेकों स्थान आज भी मथुरा और उसके आसपास देखे जा सकते हैं। हमने आगरा छोड़कर अपना स्थाई निवास अब मथुरा बना लिया है इसलिए आज  मैं मथुरा आसपास घूमने के लिए निकला और और गोकुल के नजदीक एक घाट  पर पहुंचा। जिसका नाम है ब्रह्माण्डघाट।
      गोकुल के नजदीक ही यमुना नदी के किनारे यह घाट स्थित है । कहते हैं यह वही स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने बचपन में माटी खाई थी, उन्हें माटी खाते देख माँ यशोदा उन्हें मुँह खोलने को कहती हैं तो श्री कृष्ण के छोटे से मुख में सारा ब्रह्माण्ड देख आश्चर्य चकित रह जाती हैं । यहां से मेरी ब्रजयात्रा प्रारम्भ होती है। 


Wednesday, August 10, 2016

Mumbai CST

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मुम्बई - मेरी पहली यात्रा

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      एक बार मुम्बई देखने का हर किसी का सपना होता है, मेरा भी सपना था और साथ में मेरी माँ का भी । ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के पश्चात् हम सुबह मनमाड पहुंचे और राज्य रानी एक्सप्रेस पकड़कर मुम्बई सीएसटी ।
पहली बार मुम्बई देखने की एक अलग ही ख़ुशी थी आज मेरे मन में और इससे भी ज्यादा ख़ुशी थी अपनी माँ को मुम्बई दिखाने की। यूँ तो मैंने अपनी माँ को दिल्ली, कलकत्ता और चेन्नई तीनो महानगर दिखा रखे हैं पर  हर किसी के दिल में बचपन से ही जिस शहर को देखने का सपना होता है वो है मुम्बई । सीएसटी स्टेशन पर पहले मैंने और माँ ने भोजन किया और उसके बाद हम सीएसटी के बाहर निकले ।

     अंग्रेजों के समय में बना यह स्टेशन आज भी कितना खूबसूरत लगता है इसीलिए ये विश्व विरासत सूचि में दर्ज है। यहाँ हमने दोमंजिला बस भी पहली बार ही देखी थी। इसी बस द्वारा हम गेट वे ऑफ़ इंडिया पहुंचे। समुद्र तट पर स्थित यह ईमारत भी मुझे ताजमहल से कम नहीं लगी और साथ ही ताज होटल जिसे हम बचपन से टीवी अख़बारों में देखते आ रहे थे आज आँखों के सामने था ।

Tuesday, August 9, 2016

GHUSHMESHWAR JYOTIRLING 2016

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घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग

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          त्रयंम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के पश्चात् मैं, माँ को साथ नाशिक रोड स्टेशन आ गया । अब मेरा प्लान माँ को घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करवाना था। घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र प्रान्त के औरंगाबाद जिले से 25 किमी दूर एलोरा गुफाओं के पास वेरुल में स्थित है। मैंने मोबाइल में औरंगाबाद जाने वाली ट्रेन देखी। आज मुम्बई से काजीपेट के लिए एक नई ट्रेन शुरू हुई थी, जिसका उद्घाटन मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनल स्टेशन पर हुआ। जब यह ट्रेन स्टेशन पर आई तो यह पूरी तरह खाली और फूलमालाओं से सजी हुई थी। मैं और माँ इसी ट्रेन से औरंगाबाद की तरफ बढ़ चले। मनमाड के बाद से रेलवे का दक्षिण मध्य जोन शुरू हो जाता है, इस रेलवे लाइन पर यात्रा करने का यह मेरा पहला मौका था। रास्ते में एक स्टेशन और भी मिला दौलताबाद । यहीं से मुझे एक गोल पहाड़ सा नजर आ रहा था, पता नहीं क्या था ।

TRYAMBKESHWAR JYOTIRLING 2016

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त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग 

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      पूरी रात बस द्धारा सफर करने के बाद मैं और माँ सुबह चार बजे ही नाशिक बस अड्डे पहुँच गए , बारिश अब भी अपनी धीमी धीमी गति से बरस रही थी । त्रयंबकेश्वर जाने वाली कोई बस यहाँ नहीं थी, काफी देर इंतज़ार करने के बाद  हमे एक बस मिल गई जिससे हम सुबह पांच बजे तक त्रयंबकेश्वर पहुँच गए । यूँ तो मैं पहले भी एक बार नाशिक आ चुका हूँ, जब हमने पंचवटी और शिरडी के दर्शन ही किये थे। यहाँ तक आना नहीं हो पाया था परन्तु इसबार हमारी त्रयंबकेश्वर की यात्रा भी पूरी हो चली थी। अभी दिन निकला नहीं था, बरसात की वजह से थोड़ा ठंडा मौसम था। त्रयंम्बकेश्वर मंदिर के लिए हमने बस स्टैंड से ऑटो किया जिसने पांच मिनट बाद हमे मंदिर पर उतार दिया, बस स्टैंड से मंदिर की दूरी करीब एक किमी से भी कम है।

Sunday, August 7, 2016

BHIMASHANKAR JYOTIRLING 2016

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग 


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     शनिवारवाड़ा देखने के बाद दादाजी ने अपनी कार से हमें शिवाजी बस स्टैंड पर छोड़ दिया। उनसे दूर होने का मन तो नहीं कर रहा था परंतु मैं और माँ इस वक़्त सफर पर थे और सफर मंजिल पर पहुँच कर ही पूरा होता है, राह में अपने मिलते हैं और बिछड़ जाते हैं परंतु मंजिल हमेशा राही का इन्तज़ार करती है। और इसवक्त हमारी अगली मंजिल थी भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की ओर। बस स्टैण्ड पर धीमी धीमी बारिश हो रही थी, काफी बसें यहाँ खड़ी हुई थीं परन्तु भीमाशंकर की ओर कौन सी जाएगी ये पता नहीं चल पा रहा था।

PUNE 2016

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पुणे की एक शाम और शनिवार वाड़ा 

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         करीब चौबीस घंटे का सफर तय करने के बाद गोवा एक्सप्रेस ने हमें पुणे के रेलवे स्टेशन पर उतार दिया, मैंने पहली बार पुणे का रेलवे स्टेशन देखा था, इससे पहले सिर्फ इसके बारे में सुना था। ट्रेन का सफर पूरा होने के बाद अभी हम आगे के बारे में सोच ही रहे थे कि कहाँ जाना है अंजान शहर है तभी माँ ने बताया कि मेरे दादाजी जो मेरे गाँव के ही हैं यहाँ रहते हैं उनका नाम योगेंद्र कुमार उपाध्याय है। मैंने घर पर फ़ोन करके उनका नंबर लिया और उनके पास कॉल किया ।

        जब मैंने उन्हें बताया कि मैं और माँ पुणे स्टेशन पर हैं तो मैं कह नहीं सकता कि उन्हें यह सुनकर कितनी ख़ुशी हुई होगी क्योंकि अचानक कोई अपना इतनी दूर से इतने पास आ जाए तो वो ख़ुशी छिपाये नहीं छिपती और साथ ही उन्होंने मुझे डांटा भी कि हमने अपने आने की खबर उन्हें पहले नहीं दी जबकि हमें दौण्ड जँ. पर उन्हें बताना चाहिए था कि हम पुणे स्टेशन पहुँच रहे हैं। ताकि हमें स्टेशन पर इतना इंतज़ार न करना पड़ता। दादाजी अपनी कार लेकर हमे स्टेशन लेने पहुंचे।

Saturday, August 6, 2016

GOA EXPRESS : MTJ TO PUNE

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मथुरा जं. से पुणे जं. -  गोवा एक्सप्रेस से एक सफर 

     अगस्त का महीना मेरे प्रिय महीनों में से एक है, इसलिए नहीं कि यह मेरा जन्मदिन का माह है बल्कि इसलिए कि यह एक मानसूनी महीना है, एक ख़ूबसूरती सी दिखाई देती है इस माह में। सूर्यदेव का लुकाछिपी का खेल और इंद्रधनुष के दर्शन, मन को काफी लुभाते हैं। इस मानसूनी महीने में यात्रा करने का एक अपना ही मज़ा है, कुछ दिन पहले मथुरा से नजदीक भरतपुर जिले की शानदार मानसूनी यात्रा मैंने अपनी एवेंजर बाइक से की थी पर यह एक छोटी सी यात्रा थी। मेरा मन इस माह में कहीं दूर जाना चाहता था पर कहाँ ये समझ नहीं आ रहा था।

Saturday, July 16, 2016

ऊषा मंदिर और वैर का किला


 DATE :- 16 JULY 2016

ऊषा मंदिर और वैर का किला 

       यात्रा एक साल पुरानी है परन्तु पब्लिश होने में एक साल लग गई, इसका एक अहम् कारण था इस यात्रा के फोटोग्राफ का गुम हो जाना परन्तु भला हो फेसबुक वालों का जिन्होंने मूमेंट एप्प बनाया और उसी से मुझे मेरी एक साल पुरानी राजस्थान की मानसूनी यात्रा के फोटो प्राप्त हो सके। यह यात्रा मैंने अपनी बाइक से बरसात में अकेले ही की थी। मैं मथुरा से भरतपुर पहुंचा जहाँ पहली बार मैंने केवलादेव घाना पक्षी विहार देखा परन्तु केवल बाहर से ही क्योंकि इसबार मेरा लक्ष्य कुछ और ही था और मुझे हर हाल में अपनी मंजिल तक पहुंचना ही था, मेरे पास केवल आज का ही समय था शाम तक मुझे मथुरा वापस भी लौटना था।

Saturday, April 2, 2016

PASHUPATI NATH TEMPLE : KATHMANDU




पशुपतिनाथ मंदिर- काठमांडू 

मेरी माँ और पशुपतिनाथ मंदिर 



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     शाम को जनकपुर के रामानंद चौक से काठमांडू के लिए मैंने डीलक्स बस में सीट बुक करवा दिया । और शाम को चौक पहुंचकर बस के इंतज़ार मे बैठे रहे। यहाँ से या बस पूरी रात पहाड़ो में चलकर सुबह नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंची, काठमांडू में पशुपतिनाथ के मंदिर के पास बस ने हमें उतार दिया। काफी तलाश करने के बाद हमें एक होटल में कमरा मिल गया, कमरे में नहा धोकर मैं और माँ पशुपतिनाथ के दर्शन करने पहुंचे। 

Friday, April 1, 2016

JANAKPUR 2016

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जनकपुर धाम मिथिला 



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     शाम ढलने तक ट्रेन दरभंगा पहुँच चुकी थी, पहले इस ट्रैन का यही आखिरी स्टॉप था, अब इसे दरभंगा से आगे जयनगर तक बढ़ा दिया गया है। दरभंगा पर ट्रेन लगभग खाली हो चुकी थी, शेष जो कुछ यात्री बचे थे वे मधुबनी पर उतर गए, मधुबनी से थोड़ा आगे ही जयनगर है जो भारत - नेपाल की सीमा पर स्थित है। यह पूरा क्षेत्र मिथिला कहलाता है। यहाँ का रहन सहन, यहाँ की भाषा मैथिली है।

Wednesday, March 30, 2016

SWATANTRTA SAINANI EXP : NDLS TO JYG

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स्वतंत्रता सैनानी एक्सप्रेस से एक सफर 



      अयोध्या की यात्रा के पश्चात् इस बार मेरा मन मिथिला की ओर जाने का था। मिथिला भगवान श्री राम की ससुराल तथा माता सीता की जन्मस्थली है। मिथिला का आधा भाग आज भारत में है और आधा भाग नेपाल में। मिथिला राजा जनक के राज्य का नाम था, तथा अवध राजा दशरथ के राज्य का नाम था। मिथिला की राजधानी जनकपुर थी जो आज नेपाल में स्थित है। तो बस इसबार नेपाल की तरफ ही जाना था। सहयात्री के रूप में इसबार माँ को चुना और स्वतंत्रता सैनानी एक्सप्रेस में नई दिल्ली से जयनगर तक रिजर्वेशन करवा लिया। जयनगर नेपाल के सीमा पर स्थित आखिरी भारतीय रेलवे स्टेशन है और बिहार के मधुबनी जिले के अंतर्गत आता है। 

Monday, February 1, 2016

M.G. PASSENGER : NEPALGANJ TO PILIBHIT

                                                UPADHYAY TRIPS PRESENT'S     


                                                 
  नेपालगंज  - पीलीभीत पैसेंजर ट्रेन यात्रा



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     नानपारा से हम मैलानी ओर चल दिए, यह सफर मीटर गेज ट्रेन का एक अदभुत सफर है जो सरयू नदी के ऊपर बने बाँध के किनारे होता हुआ नेपाल की तराई में दुधवा नेशनल पार्क के बीच से होकर गुजरता है। मेरी बचपन की पसंदीदा ट्रेन गोकुल एक्सप्रेस इसी रास्ते से होकर गोंडा आगरा फोर्ट पहुंचती थी और आज यह ट्रेन केवल पीलीभीत तक ही सीमित है क्योंकि पीलीभीत से आगे की लाइन अब ब्रॉड गेज में कन्वर्ट हो चुकी है जल्द ही यह ट्रेन गोंडा से मैलानी रह जाएगी।

Sunday, January 31, 2016

M.G. PASSENGER : GONDA TO NEPALGANJ


गोंडा से नेपालगंज पैसेंजर यात्रा 

NEPALGANJ ROAD


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     सुबह करीब तीन बजे मैं वेटिंग रूम में नहा धोकर तैयार हो गया और बाहर जाकर गर्मागर्म चाय पीकर आया और कृष्णा को जगाया। मोबाईल भी अब चार्ज हो चुका था। सुबह चार बजे गोंडा से मीटर गेज की ट्रेन नेपालगंज के लिए रवाना होती है , हम इसी ट्रेन में आये और खली पड़ी सीट पर सो गए। मुझे बहराइच स्टेशन देखना था इसलिए सोया नहीं और वैसे भी नहाने के बाद मुझे नीँद नहीं आती है। अभी दिन निकलने में काफी समय था, ट्रेन गोंडा के बाद अगले स्टेशन पर रुकी यह गंगागढ़ स्टेशन था मैंने ट्रेन से बाहर देखा तो घने कोहरे के अलावा मुझे बड़ी लाइन के स्लीपर दिखाई दिए जिसका मतलब था कि जल्द ही ये लाइन भी बड़ी लाइन में बदल जाएगी। 

Saturday, January 30, 2016

AYODHYA 2016



  प्रभु श्री राम की जन्मभूमि - अयोध्या 


अयोध्या रेलवे स्टेशन 


      मेरा काफी दिनों से मन कर रहा था कि एकबार प्रभु श्री राम लला के दर्शन किये जाएँ और अयोध्या नगरी की सैर की जाए। इसबार मेरी ऑफिस में काम करने वाला कन्हैया भी मेरे साथ चलने के लिए तैयार था। मैंने 13238 कोटा - पटना एक्सप्रेस में दो सीट बुक कर दी और यात्रा की तैयारी आरम्भ कर दी। आजकल ट्रेन अपने रूट से डाइवर्ट होकर चल रही थी। यह आगरा कैंट - टूंडला -कानपुर की बजाय, कासगंज - फर्रुखाबाद -कानपुर अनवरगंज के रास्ते चल रही थी।


    हम शाम को ट्रेन के नियत समय पर रेलवे स्टेशन पहुंचे परंतु यह ट्रेन कोहरे की वजह से पांच - छह घंटे लेट हो गई और रात को दो बजे मथुरा आई। हमारी नींद तो ट्रैन के इंतज़ार में पूरी हो गई अब तो बस दिन निकलने का इंतज़ार था पर हमारा दिन निकला कानपुर अनवरगंज पर।

Monday, March 23, 2015

DURG TRIP 2015

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 पिताजी के साथ दुर्ग की एक रेल यात्रा 




   मेरे पिताजी अभी छ महीने पहले ही अपनी रेल सेवा से सेवानिवृत हुए हैं परन्तु उनका स्वास्थ्य अब उनका साथ नहीं दे रहा था। मधुमेह की बीमारी ने उनके पूरे शरीर पर पूरा प्रभाव रखा हुआ था जिस वजह से वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो चले थे। हजारों डॉक्टरों की दवाइयों से भी जब उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ तो किसी ने मुझे सलाह दी कि आप इन्हें दुर्ग ले जाओ, वहां एक शेख साहब हैं जो मधुमेह के रोगियों को एक काढ़ा बनाकर पिलाते हैं और ईश्वर चाहा तो वह जल्द ही इस बीमारी से सही हो जायेंगे। मुझे मेरे पिताजी के स्वस्थ होने की एक आस सी दिखाई देने लगी। 

   मैंने दुर्ग जाने की तैयारी शुरू कर दी। मथुरा से दुर्ग के लिए मैंने गोंडवाना एक्सप्रेस में रिजर्वेशन कराया और मैं पिताजी को लेकर दुर्ग की तरफ रवाना हो गया। अगले दिन शाम तक मैं और पिताजी दुर्ग पहुँच चुके थे। पिताजी किसी होटल या लॉज में रुकने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि वह पैदल चलने में असमर्थ थे इसलिए मैंने प्लेटफॉर्म पर ही अपना और पिताजी का चटाई बिछाकर बिस्तर बनाया और पिताजी को वहीँ बैठा दिया और बाद में मैंने दुर्ग स्टेशन पर ही डोरमेट्री बुक की और दो बिस्तर हमें सोने के लिए मिल गए। 

मैं स्टेशन से बाहर आकर दुर्ग के बाजार गया और शेख साहब के पते पर पहुँचा। वहाँ पहुँचकर मुझे पता चला कि शेख साहब दवा को सुबह मरीजों को पिलायेंगे। यहाँ और भी मरीज थे जो काफी दूर दूर से यहाँ शेख साहब दवा पीने के लिए आये हुए थे। यहाँ इसीप्रकार प्रतिदिन मरीज आते हैं और दवा पीते हैं। 

Saturday, November 22, 2014

SHIMLA 2014

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कालका - शिमला रेल यात्रा और चंडीगढ़ 

कल्पना और शिमला रेलवे स्टेशन 


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      अम्बाला स्टेशन पर इतनी भीड़ हो सकती है ये सोचा ही नहीं था, प्लेटफॉर्म पर लोग ऐसे पड़े थे कि पैदल निकलने तक को जगह नहीं थी फिर भी एक सुरक्षित जगह मैं कल्पना को बैठाकर खाना लेने के लिए बाहर चला गया। जब तक वापस आया हमारी कालका जाने वाली पैसेंजर भी आ चुकी थी, हमने ट्रेन में ही खाना खाया और सुबह दो तीन बजे तक कालका पहुँच गए। यहाँ सर्दी बहुत तेज थी पर हमें नहीं लग रही थी, आज शिमला जाने की ख़ुशी जो दिल में थी, कालका स्टेशन पर कॉफी बहुत ही उत्तम थी इसलिए जब तक ट्रेन का टाइम हुआ चार पांच बार कॉफी पी गया। हमारा 52453 कालका शिमला ट्रेन में रिजर्वेशन था यह ट्रेन कालका से सुबह छ बजे चलती है और सुबह 11 बजे शिमला पहुँच जाती है।

Friday, November 21, 2014

NAINADEVI TEMPLE 2014

UPADHYAY TRIPS PRESENTS

 माँ नैनादेवी के दरबार में 



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     हिमालय के हरे भरे जंगलों और पहाड़ों में चढ़ाई चढ़ने के बाद हमारी बस नैनादेवी पहुंची। यह नौदेवियों और 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। कहा जाता है कि यहाँ सती की बाई आँख गिरी थी जिससे इस स्थान को शक्तिपीठों में गिना जाता है। मुख्य बाजार से सीढ़ियों के रास्ते हम मंदिर पहुंचे। मंदिर ऊंचाई पर होने के साथ साथ काफी सुन्दर बना है और हिमालय की खूबसूरत वादियां और दृश्यावलियां यहाँ से बखूबी दिखाई देती हैं।मंदिर का प्रांगण काफी बड़ा बना हुआ है और यहाँ एक ब्रिज है जो अत्यधिक भीड़ होने की स्थिति में माँ के दर्शन करने के लिए काफी राहत देता है। पिछले कुछ दिनों पहले इसी ब्रिज पर भगदड़ मच जाने के कारण यहाँ काफी बड़ी दुर्घटना घटित हो गई थी जिसमे कुछ श्रद्धालुओं को अपनी जान गँवानी पड़ी थी।

Thursday, November 20, 2014

NANGAL DAM 2014

UPADHYAY TRIPS PRESENTS

भाखड़ा बाँध का एक दृशय 


नांगल डैम रेलवे स्टेशन 


        अभी एक साल ही हुआ था शिमला गए हुए जब पवन भाई का चंडीगढ़ में रेलवे का टेस्ट था और मैं उनके साथ गया था, चंडीगढ़ से हम लोग शिमला और कुफरी तक गए थे। इसबार मेरा रेलवे का टेस्ट था चंडीगढ़ में पर इसबार मेरे साथ मेरी पत्नी कल्पना थी। मैंने यात्रा का प्लान कुछ इस प्रकार बनाया था कि जिसमे केवल चंडीगढ़ और शिमला ही शामिल न हो। 

       मैं और कल्पना जनरल का टिकट लेकर इंदौर - चंडीगढ़ एक्सप्रेस में बैठ लिए, दिल्ली के बाद सोने के लिए बड़े आराम से जगह मिल गई क्योंकि ट्रेन पूरी खाली हो चुकी थी। सुबह हम अम्बाला कैंट जंक्शन स्टेशन उतरे और एक शटल में बैठ गए, अम्बाला सिटी पर हमने ये शटल भी छोड़ दी क्योंकि हमे इसमें बैठने बाद पता चला कि ये अमृतसर की तरफ जा रही थी और जबकि हमें नांगल डैम जाना था। कुछ देर बाद अम्बाला सिटी स्टेशन पर नांगल डैम की शटल आई और इसका उचित टिकट लेकर नांगल डैम की तरफ रवाना हो गए। 

Saturday, February 1, 2014

UJJAIN 2013

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     उज्जैन दर्शन ( अवंतिकापुरी )

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       सुबह पांच बजे ही मैं और माँ तैयार होकर उज्जैन दर्शन के लिए निकल पड़े। अपना सामान हमने वेटिंगरूम में ही छोड़ दिया था। सबसे पहले हमें महाकाल दर्शन करने थे, आज दिन भी सोमवार था। यहाँ महाकालेश्वर के अलावा और भी काफी दर्शनीय स्थल हैं। महाकाल के दर्शन के बाद हमने एक ऑटो किराए पर लिया और ऑटो वाले ने हमें दो तीन घंटे में पूरा उज्जैन घुमा दिया। आइये अब मैं आपको उज्जैन के दर्शन कराता हूँ ।  


Thursday, January 30, 2014

OMKARESHWAR JYOTIRLING 2014

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ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन 



      मुझे मेरी माँ को बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराने हैं जिनमें से इस बार मैं ओम्कारेश्वर एवं महाकाल की तरफ जा रहा हूँ। पहली बार मैंने माँ का आरक्षण स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस के AC कोच में करवाया था, और मैं जनरल टिकट लेकर जनरल डिब्बे में सवार हो गया, यह ट्रेन सुबह साढ़े आठ बजे आगरा कैंट से चली और रात दस बजे के करीब हम खंडवा पहुँच गए। यहाँ से हमें मीटर गेज की ट्रेन से ओम्कारेश्वर जाना है जो सुबह जाएगी। 

KHANDWA TO UJJAIN METER GUAGE TRIP

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 खंडवा से उज्जैन मीटर गेज यात्रा 

KHANDWA


हम रात भर मीटर गेज की ट्रेन की काठ की सीटों पर ही सोते रहे। सुबह चार बजे के आसपास ट्रेन में सवारियों का आना शुरू हो गया। बड़े बड़े ढोल लेकर कुछ निमाड़ वासी हमारी भी नजदीकी सीटों पर आकर बैठ गए। पांच बजे के लगभग ट्रेन ने एक जोरदार सीटी दी और खंडवा से आगे बढ़ चली। थोड़ी देर बाद ब्रॉड गेज लाइन हमसे दूर होती दिखाई देती गई और हमारी ट्रेन पश्चिमी निमाड़ की तरफ बढ़ चली। कुछ समय बाद दिन निकल आया था और अब निमाड़ के खेत भी दिखने शुरू हो चुके थे। कुछ समय बाद कोटला खेड़ी के नाम से एक रेलवे स्टेशन आया। यहाँ प्लेटफॉर्म पर ट्रेन को सिग्नल देने के लीवर लगे हुए हैं। 

Thursday, October 10, 2013

SARNATH 2013

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सारनाथ दर्शन 

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     माँ को वाराणसी स्टेशन पर छोड़कर मैं एक पैसेंजर ट्रेन के जरिये सारनाथ पहुँच गया, सबसे पहले स्टेशन के शाइन बोर्ड को देखा, यह और स्टेशनों की अपेक्षा कुछ अलग लगा फिर ध्यान आया कि मैं महात्मा बुद्ध की भूमि में हूँ और उन्ही के धम्म के अनुसार रेलवे ने इस स्टेशन का बोर्ड भी बनाया है। सारनाथ पूर्वोत्तर रेलवे का एक छोटा सा स्टेशन है परन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण भी है।

Monday, October 7, 2013

VARANASI 2013

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

पहली काशी यात्रा 

वाराणसी रेलवे स्टेशन 


    अभी एक महीना ही हुआ था इलाहाबाद से लौटे हुए कि दुबारा रेलवे का कॉल लैटर आ गया,  इसबार यह मेरे नाम से आया था। सेंटर इलाहाबाद में ही था इसलिए एक इलाहाबाद की टिकिट बुक करा ली, इसबार मेरी माँ मेरे साथ इलाहाबाद जा रही थी, उनका भी पी टी ओ पापाजी बनवा दिया और इलाहाबाद की एक और टिकिट बुक हो गई ।

    एग्जाम से एक दिन पहले ही हम इलाहाबाद के लिए निकल लिए, दुसरे दिन हम इलाहाबाद में थे स्टेशन पर काफी लड़कों की भीड़ थी जिन्हे देखकर यह एहसास दिल को हुआ कि इस देश के अंदर एक अकेले हम ही बेरोजगार नहीं थे, हमारे जैसे जाने कितने ही न थे जो आज मुझे यहाँ देखने को मिले।

Sunday, September 8, 2013

BARMER TO MUNABAO

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

जोधपुर से बाड़मेर और मुनाबाब रेल यात्रा 


BADMER RAILWAY STATION


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    आज मैंने पहली बार सूर्य नगरी में कदम रखा था। मैं जोधपुर स्टेशन पर आज पहली बार आया था, यहाँ अत्यधिक भीड़ थी। कारण था बाबा रामदेव का मेला, जो जोधपुर - जैसलमेर रेलमार्ग के रामदेवरा नामक स्टेशन के पास चल रहा था। मैंने इंटरनेट के जरिये यहाँ से जैसलमेर के लिए रिज़र्वेशन करवा लिया था किन्तु वेटिंग में, अब पता करना था कि टिकट कन्फर्म हुई या नहीं। मैंने पूछताछ केंद्र पर जाकर पुछा तो पता चला कि टिकिट रद्द हो गई थी, मेरा चार्ट में नाम नहीं था।

     मैं स्टेशन के बाहर आया और यहाँ के एक ढाबे पर खाना खाया। यहाँ मैंने देखा कि सड़क पर दोनों तरफ चारपाइयाँ ही चारपाइयाँ बिछी हुई हैं बाकायदा बिस्तर लगी हुई। किराया था एक रात का मात्र 40 रुपये। परन्तु इसबार मेरा सोने का कोई इरादा न था मुझे बाड़मेर पैसेंजर पकड़नी थी जो रात 11 बजे चलकर सुबह 5 बजे बाड़मेर पहुंचा देती है। इसप्रकार मैं बाड़मेर भी पहुँच जाऊँगा और रात भी कट जाएगी। मैंने ऐसा ही किया।

Saturday, September 7, 2013

AII - JU - BME PASSENGER

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

अजमेर - जोधपुर  पैसेंजर यात्रा





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    अजमेर से दोपहर दो बजे जोधपुर के लिए एक पैसेंजर चलती है जो मारवाड़ होते हुए शाम को जोधपुर पहुँच जाती है। इस पैसेंजर ट्रेन में रिजर्वेशन की सुविधा भी उपलब्ध है। मैंने आगरा में ही इस ट्रेन में अपना रिजर्वेशन करवा लिया था। दोपहर दो बजे तक मैं अजमेर स्टेशन पर था और ट्रेन भी अपने सही समय पर स्टेशन से चलने की तैयार खड़ी हुई थी। इसी बीच रानीखेत एक्सप्रेस भी आ चुकी थी। गर मेरा इस पैसेंजर में रिजर्वेशन न होता तो शायद मैं इसी ट्रेन से जोधपुर जाता।

Friday, September 6, 2013

AJMER 2013


अजमेर दर्शन और तारागढ़ किला 


DARGAAH AJMER SHARIF


      एक अरसा बीत चुका था बाबा से मिले, तो सोचा क्यों न उनके दर पर इस बार हाजिरी लगा दी जाय। बस फिर क्या था, खजुराहो एक्सप्रेस में आरक्षण करवाया और निकल लिए अजमेर की ओर। मैं रात में ही अजमेर पहुँच गया, और वहां से फिर दरगाह। अभी बाबा के दरबाजे खुले नहीं थे, मेरी तरह बाबा के और भी बच्चे उनसे मिलने आये हुए थे जो उनके दरबाजे खुलने का इंतज़ार कर रहे थे, इत्तफाक से आज ईद भी थी। दरगाह का नज़ारा आज देखने लायक था ।

Monday, September 2, 2013

MAIHAR 2013

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


माँ शारदा देवी के दरबार में - मैहर यात्रा 

MAIHAR RAILWAY STATION


     मैहर धाम, इलाहाबाद - जबलपुर रेलवे लाइन पर मैहर स्टेशन के समीप है। माना जाता है कि यहाँ रात को पहाड़ पर देवी के मंदिर पर कोई भी नहीं रुक सकता है, यहाँ के लोगों का मानना है यहाँ आल्हा जो कि ऊदल के भाई होने के साथ साथ एक वीर योद्धा भी थे, आज भी देवी माँ कि पूजा सबसे पहले करने आते हैं। यह शक्तिपीठ बुंदेलखंड में स्थित है और आल्हा की भक्ति को समर्पित है। यहाँ आल्हा ने अपना सर काटकर देवी माँ के चरणों में चढ़ाया था। जिस कारण मंदिर कि सीढ़ियाँ चढ़ने से पहले आल्हा कि मूर्ति के दर्शन होते हैं जो भाला लिए हाथी पर सवार हैं।